अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस
'किशोरावस्था बड़े संघर्ष, तनाव, तूफान तथा विरोध की अवस्था है।' स्टेनले हॉल
अगर आपको उन्नाव से सीधे अहमदाबाद आना हो तो एक ही ट्रेन है - साबरमती। सबसे पहले उसी ट्रेन से अहमदाबाद आया था। शुरू के १ साल तक उसी से आना और जाना। उस ट्रेन का रास्ता बहुत घुमावदार है। ऐसे अहमदाबाद से उन्नाव की दुरी 1200 km है पर साबरमती आपको 1700 km का सफर करा कर लाएगी। बाद में मुझे अन्य विकल्प मिल गए - एक जयपुर -आगरा हो के दूसरा वाया दिल्ली। पिछले २ साल से तो इंडिगो की डायरेक्ट फ्लाइट का साथ रहा। यानि अब 90 मिनट में अहमदाबाद से लखनऊ पहुंचा जा सकता है। बात उन दिनों की है जब मैं साबरमती ट्रेन से सफर करता था यानि आज से 6 साल पहले।
मेरी ट्रेन वडोदरा में काफी देर तक रूकती है। वही से वो चढ़ा था। वो रात का वक़्त था इसलिए उसे ज्यादा नोटिस न किया। सुबह उसने अपनी छाप सहयात्रियों पर छोड़ी। वो 16 या 17 का गोल मटोल लड़का था। जोर जोर से अपनी बातें बता रहा था। उसी दौरान उसने वो बात कही थी जो मेरे मन में आज तक घूमती रहती है। वो मेरी तरफ नीचे वाली सीट पर बैठा था। सामने एक अंकल और आंटी थी। उस तरफ ऊपर सीट पर कोई लड़की थी जो सुबह के 10 बजे तक सोती रही थी. अपने आप को थोड़ा अलग मानने के चलते वो ज्यादा घुलना मिलना नहीं चाहती थी। इधर अपने गोलू ने तरह तरह की बातें सुनानी जारी रखी। तमाम बातें। अब ऊपर वाली लड़की से रहा न गया वो भी नीचे आकर बातों में शामिल हो गयी।
वो क्रेद्रिय विद्यालय में टीचर थी। मथुरा के आस -पास की रहने वाली थी और यहां वड़ोदरा के पास कहीं जॉब कर रही थी। सारे लोग अपने अपने अनुभव बता रहे थे , दरअसल हम सब अपने सफर की बोरियत को कम करने के कोशिश कर रहे थे। अचानक गोलू ने योग के बारे में बात शुरू की और बोला वह नियमित योग करता है और तभी वो इतना फिट है। मैंने उसके शरीर के ओर देखा और मुस्कराया। उसने कहा - आपको यकीन नहीं आ रहा है पर सच यही है। योग से मुझे बहुत खुशी मिलती है। तुम समझ नहीं सकते इसमें कितना मजा मिलता है। सच कह रहा हूँ इसमें सेक्स से ज्यादा मजा आता है। अब सबके कान खड़े हो गए। मैंने गोलू से कहा चुप हो जाओ सब ने मान लिया है कि तुम योग करते हो।
सब श्रोता धीरे धीरे अपने आप में बिजी होने का दिखावा करने लगे। गोलू ने मेरी तरफ झुक कर कान में कहा - भइया सही कह रहा हूँ योग सेक्स से ज्यादा मजा देता है। "तुमने किया है क्या " मैं फुसफुसाया। उसने कहा -नहीं बस मुझे लगता है। योग में चरम आनंद मिलता है। मैंने कहा- जब तक तुम दोनों चीजे नहीं करते कैसे दावा कर सकते हो कि योग में ज्यादा मजा मिलता है। वो विचार में पड़ गया। उसने मुझसे पूछा- आप अपना अनुभव बताओ। आपको क्या लगता है कौन ज्यादा मजा देता है। मैंने कहा मुझे दरअसल योग का अनुभव नहीं है। उसने कहा - मतलब ? मतलब आप सोच लेना अब मुझे सोना है। मैं मुस्कराता हुआ उसे चिंतित छोड़ कर ऊपर की सीट पर लेटने चला गया।
© आशीष कुमार, उन्नाव उत्तर प्रदेश।
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