प्रियतमा
तुमने जो कहा
बात होते रहने
जरूरी है बेहद
मैंने कहा बात के साथ
मुलाकात भी जरूरी है
समय समय पर
बात होने पर
भले ही तुम्हारे मधुर शब्द
मेरे अंतस में
घोलते है प्रेमरस
पर मुलाकात होने पर
तुम्हें नजरों से छुआ जा सकता है
आँखों से पिया जा सकता है
चंद पलों में
असीम जिया जा सकता है
मादकता से भरपूर
नशे से चूर,
तुम्हारे चन्दन बदन पर
अंगुलियों से बनाये जा सकते हैं
तमाम चमकते चाँद
पकड़ी जा सकती है पोरों से
तमाम जिंदा मछलियाँ
उगाये जा सकते है
लाल दहकते गुलाब
© आशीष कुमार, उन्नाव।
14 अप्रैल, 2020 (लॉक डाउन दुबारा बढ़ने का दिन)
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