जीवन समग्र
तुम्हारे घर के काफी निकट
या कि बहुत ही दूर
एक झील जरूर होगी
हर झील की तरह
इसके किनारे पर
एक गलियारा भी होगा
प्रिय तुम वही,
उसी गलियारे पर
जहाँ दोनों तरफ
घने, हरे, लंबे पेड़ो
की कतारें,
बनाती है एक
अजब वीरानगी,
मुझसे मिलने आना
पर ध्यान रहे,
तुम आना
अपने कृत्रिम
आवरण को
परे रखकर,
रंग, रूप
जाति धर्म
को पीछे छोड़कर
ही आना
उस वीरान
गलियारे पर
साथ चलेंगे
कुछ कदम
जियेगें जीवन
पूर्ण सम्पूर्णता में
©आशीष कुमार, उन्नाव।
28 मई, 2021।