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बुधवार, 29 जनवरी 2025

एक अद्वितीय लड़की की अद्वितीय प्रेम कथा



    कितना ही वक़्त गुजर गया पर आज भी उसका जिक्र होते ही चेहरे पर एक मीठी सी मुस्कान आ जाती है। कल बम्बई वाले मित्र से बातों ही बातों में उसका जिक्र हुआ , शाम क्या देर रात तक , उस मजेदार घटना को सोच सोच कर मुस्कुराता रहा।  

    कहानी को लिखने के लिए समझ नहीं आ रहा कैसे कड़ियाँ जोड़ी जाय। बात सिविल सेवा तैयारी के  दिनों की है, एक सरकारी संस्थान में तैयारी के लिए जुड़ा था। एक्साइज इंस्पेक्टर वाली नौकरी से जो भी समय बचा उधर चला जाता था। उन्ही किन्ही दिनों में उसे देखा था. आज मुझे उसकी ठीक से शक्ल ठीक से याद न आ रही है पर कुछ तो खास था। क्या खास था यह लिख पाना कठिन है। भीड़ में भी उसे पहचाना जा सकता था, हालांकि उसे हमेशा ही अकेले ही देखा था। कहानी आगे बढ़े उससे पहले कुछ बाते बतानी जरूरी हैं , मुश्किल से 3 या 4 बार ही उसे सामने से देखा था और आज तक उससे कभी बात न हुयी , उसके बाद ही ये कहानी लिखी जा रही है।  


    तो उसे मैंने जब ही देखा अकेले ही देखा , नजर बरबस ही उस पर अटक जाती। नजरे कभी न मिली पर एक गहन आकर्षण में डूबता चला गया। एक रोज उसी संस्थान के हाल में कोई कार्यक्रम हो रहा था. हम मित्रों का एक समूह बैठा था, बात क्या हो रही थी याद  न रही पर इतना याद रहा कि कोई बोला कि उसके बारे में सोचना भी मत , मैंने पूछा क्यूँ ? जबाब आया . बहुत बड़े घर की है, ऐसे ऐरे गेरे को भाव न देती। मै चुप रह गया, दरअसल दूसरा प्रदेश , भाषा अलग.... काफी सालों से अहमदाबाद में रहने के बावजूद वहां उस तरह से घुल मिल न पाया। स्पीपा से कुछ साथी मिले पर कभी कोई खास अंतरंगता न आ पायी। मेरे ज्यादातर दोस्त नौकरी वाले थे , साथ तैयारी करने वाले थे।  

गुजरात भवन में 2015 वाला इंटरव्यू देने के लिए ठहरा था।  मेरे साथ एक गुजरात के साथी थे। वो बहुत गंभीर थे पुरे दिन पढ़ा करते थे , मेरे लिए दूसरी बार इंटरव्यू था। मैं बहुत आराम से था। पता नहीं क्यू जब तक आखिरी अटेम्प्ट तक बात न पहुंची मै कभी गंभीर क्यू न हो पाया।  एक शाम की बात है , साथी से कुछ देर गप्पे हो जाती थी। ऐसे भी बातो बातो में बात स्पीपा तक पहुंच गयी। मैंने ऐसे ही बोला यार मुझे तो कोई अब तक खास लड़की न दिखी हाँ एक लड़की जरूर ऐसी थी जो बहुत अट्रैक्टिव लगती थी। मुझे ठीक से याद नहीं मैंने क्या विवरण दिया पर आगे जो कुछ हुआ वो वाकई बहुत हैरानी भरा था। 

मेरे साथी चुपचाप पूरी बात सुनते रहे और फिर बोले अब तुम रुको जरा..... उन्होंने फेसबुक खोला और एक प्रोफाइल पिक दिखाते हुए बोले इसी की बात कर रहे हो न......... मेरे विस्मय का ठिकाना न रहा मैं हैरान उसी लड़की  की फोटो को सामने देख रहा था। बगैर नाम बताये वो साथी कैसे उसे खोज के दिखा दिया यह मेरी समझ से परे था। वो मुस्कुरा था कि तुम अकेले नहीं हो , तुम्हारे जैसे तमाम है जो उसके अनोखे , अद्वितीय सौंदर्य की मार से कोई नहीं बचता अदि आदि। हम दोनों बहुत देर तक हँसते रहे। काफी देर तक इस बात पर खोजबीन चलती रही कि आखिर ऐसा क्या है..... हम दोनों एक निष्कर्ष पर पहुँचे कि उसकी आँखे बहुत मादकता से भरी है चेहरे में एक अलग किस्म का गुमान रहता है इसी के चलते वो भीड़ में भी बहुत अलग दिखती है आदि आदि। मुझे साथी के शब्द याद है उसका कहना था कि वो कामदेव की अवतार है..... मै उसे ठीक करते हुए बोला कि कामदेव नहीं रति बोलो, कामदेव तो पुरुष थे। मेरे साथी भी कभी उस लड़की से बात तक न की थी पर जानकारी पूरी  रखे थे।   

उस साल हम दोनों ही UPSC के इंटरव्यू में फेल हो गए। 2016 में पता चला कि उस अलग सी दिखने वाली लड़की का सलेक्शन हो गया। मेरे साथी का पता नहीं पर मै उस साल प्री फ़ैल हो गया था। 2017 में मै और मेरे साथी दोनों ही सलेक्ट हो गए। रैंक भी आस पास ही थी।  साथी का गुजरात में DSP पद पर भी चयन हुआ था और उसने अपना स्टेट ही चुना नौकरी के लिए। कुछ दिन तक हम टच में रहे फिर गैप आता गया। पर मुझे पूरा भरोसा है कि उन्हें यह संस्मरण जरूर याद होगा आखिर सिर्फ विवरण के आधार पर फेसबुक से किसी को खोज निकलना , उनका ही हुनर था।  

मेरे मुंबई वाले साथी भी 2016 में चंयनित है उसी लड़की वाली  सर्विस  में।  मेरे अजीज मित्र , मेरे लिखने के बड़े प्रशंसक भी है , उनका कहना है यह कहानी उस तक जरूर पहुंचा दी जाएगी। यह कहानी दो टुकड़ो में लिखी गयी है पहली बार जब मेरे बॉम्बे वाले साथी दिल्ही आये थे तक इसकी शुरआत हुयी थी और इसी साल के इसी महीने में जब वो दोबारा मिले तो उन्होंने इसका जिक्र किया । मैने वादा किया था कि कहानी जल्द ही पूरी करके शेयर करूंगा।  


(इस कहानी के सभी पात्र , विवरण काल्पनिक है , जीवंत बनाने के लिए कुछ सजीव से विवरण का सहारा लिया गया है ) 

© आशीष कुमार, उन्नाव। 
29.01.25


























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