कई बार ऐसा होता है कि बहुत मेहनत करने पर भी असफलता का सामना करना पड़ता है। मन बहुत दुखी होता है क्योंकि आप ही जानते है आपने इसके लिए क्या क्या नही किया। आईएएस का नशा है कि उतरता ही नही। अकेले रहना जॉब करना सब कुछ अपने आप ही मैनेज करना। ऑफिस में सभी बोलेंगे कि मेहनत करो यहा से निकल जाओ पर छुट्टी के नाम पर चुप। बाते व्यकितगत है पर वास्तविकता यही है शादी को आप टाल जा रहे है कि एक बार आईएएस में हो जाये तभी करेगे। दोस्तों इसी का नाम जिंदगी है हमेशा आप के सोचने के अनुसार नही होता है। इस बार भी हिंदी माध्यम का रिजल्ट बहुत हताशाजनक रहा। मेरे ज्यादातर दोस्तों या कहु सभी को मैंस परीक्षा से बाहर होना पड़ा है। गड़बड़ी कहा हुई ये तो नंबर आने के बाद ही पता चलेगा। इस साल के प्रारंभिक परीक्षा को पास करने वाले को ये भी नही कह सकते है कि वो होनहार नही है। नये पैटर्न पर पहला एग्जाम था इसलिए कुछ पता नही था कि पेपर कैसे आयेगे। एक बार अपने मैंस के पेपर निकाल कर देखिये क्या आपने वाकई उत्तर गुणवत्तापूर्ण लिखे थे। उत्तर होगा लिखा तो बहुत था पर उनमे गुणवत्ता नही थी। दूसरा एक प्रमुख कारण बहुत ज्यादा सामग्री पढ़ना भी हो सकता है। चौथे पेपर के लिए क्या क्या पढ़ा पर मतलब क्या निकला। उसमे कुछ भी न पढ़ा होता तो भी कोई फर्क न पड़ता।
अब अफ़सोस करने से क्या फायदा। नये सिरे से जुटा जाये। किताबो और नोट्स से धूल मिट्टी साफ कर पुनः पढ़ाई शुरू। अबकी बार अभी से सामान्य अधययन के चारो पेपर के लिए उत्तर लेखन के लिए अभ्यास किया जाय। शुरुआत पिछले साल के पेपर के प्रश्नो को हल करने से की जा सकती है। इसके साथ ही प्रारंभिक परीक्षा के लिए विशेष तैयारी जारी रखनी होगी क्योंकि उसे हलके में लेने की भूल नही की जा सकती है।