BOOKS

गुरुवार, 3 अक्टूबर 2013

WILL POWER

          सफलता में दृढ़ इच्छाशक्ति  का महत्व यदि हमारा लक्ष्य बहुत महत्वपूर्ण है तो हमें इसके महत्व को सदैव स्मृत रखना चाहिये। इच्छा जितनी प्रबल होगी हमारा प्रयास उसी अनुपात में गहरा होगा। मार्ग के अवरोधकों को समझिये, वक्त में अपने लक्ष्य को पा लीजिये। शिथिलता लाने से प्राय: हमें असफलता ही मिलती है। अपनी निश्चय क्षमता को पुन: प्रबल करिये ऐसे निर्णय लेना प्रारभ्भ करें कि आप डिगे  नहीं। शनै: शनै: अपनी शक्ति  का नमूना दिखार्इ पडेगा।


HINDI BHASHA

       भारतीय संस्कृति को हिन्दी द्वारा ही विश्व तक पहुंचाया जा सकता है किंतु भारतीय संस्कृति विश्व में तब तक प्रतिषिठत नहीं हो सकती है जब तक हिंदी अपने देश में प्रतिषिठत नहीं होती

                                                                               फादर कामिल बुल्के

भारत के बाहर हिन्दी बोलना आसान है, भारत में नहीं।


                                                                           अटल बिहारी बाजपेर्इ

बुधवार, 10 जुलाई 2013

लघु कथाः गिरगिट

लघु कथाः गिरगिट
आशीष कुमार

गिरगिट आमतौर पर पेड़ों या झाडि़यों पर नजर आता है, पर उस दिन सिंह साहब के लाॅन में जाने कहाॅ से आ गया था। उस समय सिंह साहब लाॅन में बैठकर एक गभ्भीर समस्या पर विचार कर रहे थे। सुबह पत्नी का नर्सिंग होम से फोन आया था, कह रही थी ‘‘ जाॅच करा ली है। इस बार भी लड़की है, अबार्सन करवा लें क्या?‘‘ पूछा था। दो लड़की पहले से ही हैं और अब फिर ! समस्या वाकई गम्भीर थी। इतने बड़े शहर के एस.पी. रहते सिंह साहब का कितने ही अपराधियों से सामना हुआ था, कभी परेशान नहीं हुए। आज पसीना आ रहा था।

अरे ! सिंह साहब चैंक गये, गिरगिट यहाॅं कहाॅं से आ गया? अजीब होता है यह! कभी इस रंग में कभी उस रंग में! सिंह साहब ने गिरगिट को भगाना चाहा पर जाने क्या सोचकर रूक गये। शायद वह गिरगिट को रंग बदलते देखना चाह रहे थे।

  पर वह समस्या़...........! वैसे जहाॅं दो लड़कियाॅ हैं वहाॅं एक और सही। यॅू भी आजकल लड़का लड़की में भेद कहॅ रहा। भ्रूणहत्या होगी तो पाप भी सिर पर आयेगा। पर .....लड़के की बात ही कुछ और होती है।

अरे! गिरगिट ने वाकई रंग बदल लिया था। सिंह साहब गिरगिट को हरी घास के रंग में देखकर चकित हो गये। किस फिराक में है यह! पास में जरूर कोई शिकार होगा।

सिंह साहब ने पुनः सोचा-आजकल लड़की को पालना पोसना कितना कठिन हो गया है। सबसे कठिन शादी करना। कंगाल हो जाउॅगा मैं दहेज चुकाते चुकाते।सिंह साहब ने सिगरेट ऐश ट्रे  में कुचल दी।

गिरगिट ये किस रंग में हो गया है कुछ लाल पर पीलापन लिये। अरे हाॅ पास में ही तो वह झींगुर है।शायद उसे ही खायेगा.... । सिंह साहब ने उठकर गिरगिट को कुचल देना चाहा। पर.......छोड़ो भी, खाने दो। सभी खाते हैं, इस बेचारे का तो भोजन है। सिंह साहब पुनः कुर्सी पर बैठ गये।

......आजकल तो बेटा होना ही सबसे बड़ी सम्पत्ति है। लड़का होना तो आजकल स्टेटस सिम्बल भी बन चुका है। कितनी आशा थी मिसेज सिंह को। इस बार जरूर लड़का होगा। कितनी ही बार कह चुकी थी। गिरगिट ने अपनी करीब एक फुट लम्बी जीभ निकालकर झींगुर को निगल लिया। सिंह साहब ने यह भी देखा। जाने क्या सोचा। तभी मोबाइल की रिंगटोन बज उठी।

मिसेज सिंह कह रही थी-‘‘ अबार्शन करा लिया।‘‘ सिंह साहब प्रसन्न हो गये। पत्नी ने समाजशास्त्र में पी.एच.डी. की है। इस बात का अहसास आज वास्तव में हो रहा था।

(अविराम त्रैमासिक में प्रकाशित) 
©Asheesh Kumar

बुधवार, 26 जून 2013

Weekend Tour : Aaksherdham Temple , Gandhinagar




पिछले सप्ताहांत अपने सहकर्मी मुकल के साथ मउडी जैन मन्दिर गया था। इस मन्दिर की खास बात यह है कि यहाॅ जो प्रासाद मिलता है उसे मन्दिर में खाना होता है वापस आते समय अपने कपड़ों को भी साफ़ करके आना होता है।वापस लौटते समय अमरनाथ वाटर पार्क गया। गाॅधीनगर से बाहर जंगल के बीच बना यह वाटर पार्क अपनी सुन्दरता के लिये दूर दूर तक जाना जाता है।


फिर गाॅधीनगर के विश्व प्रसिद्व अक्षरधाम मन्दिर गया। यहाॅ मैं दूसरी बार गया था। इस बार वी आई पी गेट से प्रवेश करने का अवसर मिला तो काफी समय बच गया। मन्दिर बहुत ही सुन्दर, आकर्षक और शान्त वातावरण वाला है। इसका निर्माण कुछ इस तरह से किया गया है कि कितनी ही भीड़ क्यों न हो यहाॅ पर कभी अव्यवस्था न फैले। शाम को लेजर शो देखा। बहुत ही मनोरम दृश्य थे। तकनीक और आध्यात्म के अद्भुत संगम का परिचायक है यह लेजर शो।सच में यह एक शानदार,यादगार सप्ताहंात था।

Baba Nagarjun Ki kvita,

कविता : बाबा नागार्जुन



 ताड़ का तिल है तिल का ताड़ है
पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है
किसकी है जनवरी किसका अगस्त है
कौन यहाॅ सुखी है कौन यहाॅ मस्त है।
 सेठ ही सुखी है सेठ ही मस्त है।
मंत्री ही सूखी है मंत्री ही मस्त है।
उसी की जनवरी है उसी का अगस्त है।

जनता मुझसे पूछ रही है क्या बतलाउ
जनकवि हॅू मैं साफ कहुॅगा क्यूॅ हकलाउ।।

जनकवि बाबा नागार्जुन द्वारा रचित

शुक्रवार, 21 जून 2013

लग्गड़ की दौड़

लग्गड़ की दौड़
आशीष कुमार

             राग दरबारी में एक पात्र है लग्गड़। जो कि तहसील में एक दस्तावेज की नकल पाने के लिये महीनों चक्कर लगाता है। नकल देने वाला बाबु कुछ रिश्वत की माॅग करता है न मिलने पर लग्गड़ को चक्कर लगवाता रहता है।

           कुछ ऐसा ही घटित हुआ हमारे साथ। 19 जून 2010 को मेरे पिता जी की आकस्मिक मृत्यु हो गयी थी। सरकारी योजना के तहत परिवार को एकमुश्त 20000 रू की मदद मिलनी थी। उस वक्त धन की वाकई बहुत जरूरत थी। फार्म भर दिया गया। अच्छा गाॅव में कुछ व्यक्ति इस तरह की दौड़ भाग में बहुत दक्ष होते है। कई लोग बता गये कि पाॅच सात हजार खर्च कर दो हम दिलवा देगें। मै उन्नाव जिले के मुख्यालय में काफी समय से रह रहा था। मुझे यकीन था कि कुछ न कुछ जुगाड़ कर मै रिश्वत देने से बच जाउगाॅ। उन्नाव के विकास भवन के पास में ही मै रहता था। अपने कनिष्ठ बन्धु को मैने समझा दिया कि रोज विकास भवन जाकर बाबू से मिलते रहो एक न एक दिन काम जरूर हो जायेगा।

            वर्ष 2010 के अंत से शुरू हुई दौड़ भाग अनवरत चलती रही। हमने भी सोच रखा था कि रिश्वत नही देनी है पैसा मिले चाहे न मिले। मैं सरकारी सेवा में आ गया। परिस्थितियाॅ काफी बदल चुकी थी। अब पैसा का कोई मतलब न था पर दौड़ भाग जारी थी। मेरे छोटे दोनो भाई चक्कर काटते रहे पर पैसा न मिला। बाबू ने भाई से एक मार्कर भी माॅग लिया।एक भाई ने दिमाग लगा कर सूचना के अधिकार के तहत दबाव बनाना चाहा। पता नही उनकी आर टी आई कहीं दूसरे विभाग पहुॅच गई। इससे भी बात न बनी। 

            कनिष्ठतम भाई ने अभय ने हार कर एक बाबू से रिश्तेदारी निकाली उनको 500 रू दिये। यह वर्ष 2012 की बात है। कई बार धन उन्नाव से गाॅव की बैंक तक भी पहुॅच गया पर बैंक मैनेजर ने उसे पुनः उन्नाव भेज दिया। समझ न आ रहा था किया क्या जाय। 

             घटनायें बहुत है उनका विश्लेषण किया जाना यहाॅ सम्भव नही। एक आम आदमी तक किसी सरकारी योजना का धन पहुॅच पाना बहुत कठिन है। विशेषकर जब आप लग्गड़ की तरह नियम से सरकारी काम कराना चाहे। 19 जून 2013 को पिता जी के निधन को 3 वर्ष हो गये। भाई ने खबर दी आज ही पूरे 20000 रू बैंक में माता जी के खाते में आ गये हैं।

                   विडम्बना यही है कि कभी इतने रू मेरे परिवार की वार्षिक आय भी न हुआ करती थी। सोचिये उस वक्त इस सहायता की कितनी जरूरत थी। आज यह मेरे 15 दिन का वेतन है। अब इसका मूल्य नहीं।
  यक्ष प्रश्न यह है कि क्या प्रशासन आने वाले लग्गड़ों की दौड़ को आसान कर सकेगा ? 

©ASHEESH KUMAR, UNNAO

संत और बेरोजगार

               बहुत रोज से कुछ लिखना चाह रहा था पर लिख न पा रहा हॅू क्योंकि अब चिंतन मनन के लिये समय न मिल पाता है। कुछ पुरानी प्रकाशित रचनाओं को ही सोचा डिजटिल रूप में एकत्र कर लूॅ।इसी कडी़ में एक लघु कथा प्रस्तुत है। यह दैनिक जागरण में 2003 में प्रकाशित है। वर्ष 2008 में दैनिक जागरण की साहित्यिक वार्षिकी ’पुनर्नवा’ में इसका पुर्नप्रकाशन हुआ है।

लघु कथा :संत और बेरोजगार 

             विजय जी बेरोजगार थे। अविवाहित थे। आयु चालीस पार कर चुकी थी। इस पर वह बहुत सनकी थे। एक महफिल में किसी से उलझ गऐ। ज्यादातर लोग विजय जी की बात स्वीकार कर लेते थे पर वह न माना। वह भी बेरोजगार था। तर्क पर तर्क करता चला गया। विजय जी को अपशब्द भी कहना शुरू कर दिया। आखिरकार विजय जी ही शान्त हो गये। वह भी लड़-झगड़ कर महफिल से चला गया। उसके जाने के बाद विजय जी अपने रंग में आ गए। उसे पीठ पीछे जमकर कोसा। अन्य लोगों से कहने लगे मुझ जैसे संत को गाली दी है, इसकी या इसके परिवार में कोई मौत के करीब है। उस बेरोजगार को विजय जी की बातें जाननें को मिल गयी पर वापस उलझनेे नहीं आया।

महीने भर बाद बेरोजगार के अध्यापक पिता मर गए, दिल का दौरा पड़ा था। बेरोजगार खुश था क्योंकि उसे अपने पिता की जगह नौकरी मिल गई थी। नौकरी मिलते ही बेरोजगार सभ्य हो गया। विजय जी के अहसान को बेरोजगार ने भुलाया नहीं। उसकी कोशिशों से विजय जी कोसने वाले संत के रूप में विख्यात हो गए। 

©आशीष कुमार

बुधवार, 19 जून 2013

Change In Hindi Language




पिछले दिनों जब घर  उन्नाव गया तो पड़ोस के एक मित्र ने कहा और ब्रो ........ जब तक मै कुछ समझता बन्धुवर ने पूछा कैसे हो डयूड.........। अब भाषा का ऐसा रूप देख कर बडा़ आश्चर्य हुआ। मुझे लगा मै रहता हूॅ मेगा सिटी में तो बन्धु मुझसे इतनी अपेक्षा तो कर ही सकते थे कि मैं ब्रो और डयूड जैसे आधुनिकता दर्शाने वाले शब्दों को प्रयोग कर ही रहा होउगाॅ। नही मित्र ऐसी शब्दावली मेरे बस की नही। बस डर इस बात का है कि बोली से ही भाषा उपजती है और आने वाली हिन्दी भाषा का रूप विकृत न हो जाय. 

आज के समय में हर कोई आधुनिक बनने , दिखने की कोशिश में लगा है। पता नहीं हमको क्या हो गया है कि हम अपनी जड़ो को भूलते जा रहे है। दरअसल पश्चिमी संस्कृति में इस तरह लिप्त हो गए है कि हम अपने संस्कारो को ही भूलते जा रहे हैं। अपनी बोली , भाषा की मिठास , भला अंग्रेजी क्या मुकाबला कर पायेगी। इसलिए जब तक जरूरी न हो हिंदी में बात करना ही उचित होगा।  

रविवार, 3 मार्च 2013

HUMAN RIGHTS UNO



मानव अधिकारों की  सार्वभौम घोषणा के बारें में एक दिन मैने पढा था कि यह विश्व में सबसे अधिक डाउनलोड किया जाने वाला है। यह घोषणा संयुक्त राष्ट् की पाॅच आधिकारिक भाषाओं में उपलब्ध कराया गया है।सौभाग्य से यह हिन्दी में भी इन्टरनेट पर उपलब्ध है। यहाॅ पर मैं उसका सार प्रस्तुत कर रहा हूॅ।  इस घोषणा में कुल 30 अनुच्छेद हैं।
अनुच्छेद 1. सभी मनुष्यों को गौरव और अधिकारों के मामले में जन्मजात स्वतंत्रता और समानता प्राप्त है।
अनुच्छेद 2. इन अधिकारों को प्राप्त करने में जाति वर्ण लिंग भाषा धर्म राजनीति या अन्य विचार प्रणाली किसी देश या समाज विशेष में जन्म सम्पत्ति या किसी प्रकार की अन्य मर्यादा आदि कारण भेदभाव का विचार न किया जायेगा।
अनुच्छेद 3. प्रत्येक व्यक्ति को जीवन स्वाधीनता और वैयक्तिक सुरक्षा का अधिकार है।
अनुच्छेद 4. गुलामी प्रथा का निषेध।
अनुच्छेद 5. शारीरिक यातना का निषेध।
अनुच्छेद 6. हर किसी को हर जगह कानून की निगाह में व्यक्ति के रूप में स्वीकृति प्राप्ति का अधिकार है।
अनुच्छेद 7. कानून की निगाह में सभी समान हैं।
अनुच्छेद 8. सभी को बुनियादी अधिकारों के प्रति राष्ट्ीय अदालतों की कारगर सहायता पाने का हक है।
अनुच्छेद 9.किसी को मनमाने ढंग से पकडने  नजरबन्द या देश निष्कासित न किया जायेगा।
मैं और अनुच्छेदों को फिर कभी पोस्ट करूगाॅ। यहाॅ पर उस लिंक को दे रहा हूॅ जहाॅ स्वतः सारे अनुच्छेदो को न केवल पढ सकते हैं वरन् उसे हिन्दी मे डाउनलोड कर सकते हैं।








शनिवार, 2 मार्च 2013

सिविल सेवा की तैयारी के दौरान शिथिलता से कैसे बचे ?





आज की गलाकाट प्रतिस्पर्धा  में success  केवल उनको ही मिलती है जो बगैर रूके अपनी preparation  लगातार करते रहते है। बहुत बार आप ने ias topper के Interview में इस बात को जरूर पढ़ा होगा कि सफलता के लिये बहुत धैर्य की आवश्यकता होती है। हम प्राय बहुत मेहनत से तैयारी करते है। तरह तरह के plan बनाते है। सोचते है कि अब बहुत हुआ मैने बहुत वक्त बर्बाद किया । अब मैं बहुत गम्भीर तैयारी करूगा। आप ऐसे करते भी है। पर कुछ दिन बाद आप पाते है कि बदलाव तो कुछ हुआ नही । कहने का तात्पर्य यह कि आपको बोरियत होने लगती है। चाह कर भी जोश बरकार नही रहता है। इस वर्ष सिविल सेवा की नोटिस की देरी ने कितने ही साथी मित्रों की तैयारी ठप कर दी । हर कोई सोच रहा है कि नोटिस आ जाये तो तैयारी शुरू की जाय। मै यहाॅ पर कुछ बिन्दु दे रहा हूॅ सम्भव है कि कुछ आपको मदद मिल जाये।
  1. मित्रों सबसे पहली बात की बदलाव मुख्य परीक्षा में होने जा रहा न कि प्रारम्भिक परीक्षा में । बेहतर होगा कि किसी बात का इंतजार न करके प्रारम्भिक परीक्षा की जमकर तैयारी शुरू कर दी जाय।
  2. पिछले दो वर्ष के अनुभव बताते हैं कि प्रारम्भिक परीक्षा में दुसरे प्रश्नपत्र का महत्व ज्यादा दिया जाना चहिये। काफी हद तक आप चयन द्वितीय प्रश्न पत्र के प्रर्दशन पर निर्भर करता है।
  3. हाल में BUDGET और ECONOMIC SURVEY  सरकार ने प्रस्तुत किये है। इन तथ्यात्मक प्रश्न तो नही आते है पर इनको आप निबंध और मुख्य परीक्षा में निश्चित ही उपयोगी पायेगें।
  4. क्यो न इनका बिदुवार नोट्स बना डाला जाये। 
  5. हिन्दी भाषी दोस्तों के लिये द्वितीय पेपर में अनिवार्य अग्रंजी के प्रश्न बहुत समस्या बन रहै है। प्रायः 9 , 10 प्रश्नों में हिन्दी माध्यम की प्रतिभागी 5 या 6 प्रश्न कर पातें है। नतीजा 8 से 10 अंको का सीधा नुकसान। मुझे लगता है कि इस  समस्या से निपटने के लिये अच्छी तैयारी की जाय । 

शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

DOWNLOAD ALL NCERT BOOKS HINDI AND ENGLISH


जैसा कि मैने पहले जिक्र किया था कि संघ लोक सेवा आयोग की तैयारी हेतु  बहुत उपयोगी होती है। यहाॅ पर उन्हें आसानी से डाउनलोड करने का मैं लिंक दे रहा हूॅ। इन किताबो को डाऊनलोड कर लीजिये।  


अगर आप को पहले ही अटेम्ट में सफलता how to get success in first attempt पानी है तो इस ब्लॉग में लिखी MOTIVATIONAL POST  पढ़ना मत भूले। 









नोट : अगर आप भी हिंदी प्रेमी है तो प्लीज इस ब्लॉग को अपने मित्रो को शेयर करे , पोस्ट को फेसबुक पर शेयर , ईमेल सब्क्रिप्शन ले और सबसे जरूरी अपने महत्वपूर्ण कमेंट देना मत भूले। आप की राय मेरे लिए महत्वपूर्ण है।  यह मुझे और अच्छे पोस्ट लिखने के लिए प्रेरित करेगी। 

गुरुवार, 31 जनवरी 2013

TIPS FOR ENGLISH


अंग्रेजी के खण्ड की तैयारी के लिये कुछ टिप्स।


1. अपनी शब्दावली को मजबूत करें। इससे आप बच नही सकते । यदि इस बिन्दु की लापरवाही आपके सपने को चूर कर सकती है।



2. प्रतिदिन कुछ नयें शब्दों को सीखें। इसे अपनी पाकेट डायरी में नोट भी करते चलें। पेन्सिल से नोट करें जब आप उन शब्दों से अच्छी तरह से परिचित हो जायें । डायरी से उन शब्दों को हटा दीजिये।


3. अगला चरण है व्याकरण का ज्ञान।आप अपने स्तर से इसे तैयार करे।


4. आपको अंग्रेजी  के मुहावरे आदि से परिचित होना पडेगा। पिछले वर्ष एक प्रश्न इसी के चलते मुश्किल हो गया था।


5. अनुवाद करने की आदत विकसित कीजिये। नियमित तौर पर किसी समाचार पत्र, पत्रिका से 10 वाक्यों का अनुवाद हिन्दी में करने की कोशिश कीजिये।


6. किसी अंग्रेजी समाचार पत्र का नियमित अध्ययन करिये। यह बिन्दु इतने बाद इसलिये क्योंकि यह आसान काम नही है।पेपर पढना तभी अच्छा जब आप उपर के बिन्दुओ  पर परिश्रम करना प्रारम्भ कर चुके हो। किसी के कहने में आकर द हिन्दु जैसे पेपर को पढना न शुरू कर दीजिये। कुछ भले जोश में आप समय देकर इसे समाप्त कर दें पर शीघ्र ही आप यह महसूस करेंगें कि आप समय बहुत जा रहा है और आपको लाभ बहुत कम।


7. इसलिये अंग्रेजी की तैयारी बहुत ही क्रमबद्व तरीके से करिये।


8. आप की यह क्रमबद्वता सिविल सेवा के तीनो ही चरणों मे सहायक होगी।


9. परीक्षा हाल में पहले प्रश्नों को पढें फिर पैरा को। यह ज्यादा सहज और सटीक तरीका होगा।


10. परीक्षा हाल में अपने चित्त को एकाग्र कर प्रश्नों को हल करें


11. पैरा पढते समय लेखक के भाव को समझने का प्रयास करे।


12. चारों विकल्पों को पढ कर ही उत्तर दीजिये।संघ लोक सेवा आयोग की खास बात यह है कि सही विकल्प के साथ ही उसका करीबी विकल्प जरूर रखता है।

© ASHEESH KUMAR ,UNNAO

मंगलवार, 29 जनवरी 2013

kurukshetra Notes


कुरूक्षेत्र जनवरी 2013 का अंक गावों में पेयजल और स्वच्छता पर केन्द्रित है। पहला पन्ना सहकारी समितियां को समर्पित है। यहाॅ पर आप इन समितियों के गठन का औचित्य और उपयोगिता को समझ सकतें है। यहा पर उस अंक सार प्रस्तुत कर रहा हॅॅू। आषा है यह न केवल  प्रारम्भिक परीक्षा में उपयोगी साबित होगी वरन् मुख्य परीक्षा के लिये उत्तर लेखन में सहायक होगी।
महत्मा गाॅधी ने कहा था कि स्वच्छता आजादी से महत्वपूर्ण है।
सिक्किम पूर्ण स्वच्छता कवरेज प्राप्त करने वाला देष का पहला निर्मल राज्य हो गया है।
निर्मल ग्राम पुरूस्कार  सन् 2005 से संचालित कार्यक्रम है।
73 वें संविधान संषोधन अधिनियम 1992 के अनुसार स्वच्छता को 11वीं अनुसूची में शामिल किया गया है। 
के्रन्द्रिय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम सन् 1986 में ग्रामीण क्षेत्रों मंे स्वच्छता सुविधायें उपलब्ध कराने के लिये शुरू किया गया था।
के्रन्द्र सरकार ने भारत निर्माण योजना के तहत 2012 तक देष के सभी जिलों में शु¬़द्व पेयजल आपूर्ति का लक्ष्य निर्धारित किया था।
राष्टीय ग्रामीण पेयजल गुणवत्ता निगरानी और सतर्कता कार्यक्रम फरवरी 2006 मे प्रारम्भ किया गया ।
कृपया इन बिन्दुओं पर गहन सारगर्भित जानकारी हेतु अंक को देखें।

सोमवार, 21 जनवरी 2013

 आप संघ लोक सेवा आयोग की  वेबसाईट पर जाने के लिये यहाॅ क्लिक करेें
UNION PUBLIC SERVICE COMMISSION

आप कर्मचारी चयन आयोग की  वेबसाईट पर जाने के लिये यहाॅ क्लिक करेें।
STAFF SELECTION COMMISSION

रविवार, 20 जनवरी 2013

SOME DIFFICULT HINDI WORDS FOR CESAT


यहाॅ पर मैं  CSAT PAPER II, HINDI COMPREHENSION     के लिये बहुत महत्वपूर्ण सामग्री दे रहा हूॅ। कृपया इन शब्दों को समझ कर आत्मसात करें।  आपकी इसमें दक्षता  HINDI COMPREHENSION में   बहुत सहायक होगी। इसे मैं समय समय पर UPDATE   करता रहूगाॅ। कुछ WORDS, FONT के चलते अशुद्ध  (WRONG) दिख रहे हैं इसके लिये मुझे खेद है समय आने पर इस कमी को दूर कर दूगाॅ।  



 संवाहक
 निर्वाह
 संवर्ग
 व्यापक 
 त्वरित 
 मानदेय
अंकक्षेण
 प्रावधान
 प्रायोजन
 आवास
 निस्तारण
 निवारण
 अवसंरचना
 संसाधन 
 वृष्टि
 भागीदारी
 अवगत
 सुमेलित
 आंकडा
 प्रविष्ट
 पारदर्षिता
 जबाबदेही
 ज्ञापन
 समन्वय
 विपणन
 वितरण
 दोहन
 सहभागी
 सर्वांगीण
 परिकल्पना  
पंजीकरण
  निष्पादित
  विमर्ष
   उजागार
   अखण्डता 
चुनिंदा
 निगरानी
 सार्थक
 समेकित 
मुद्रित
सम्बल
 अभिनव
   निर्वहन
 पाबंद
 उन्नयन
वाकिफ
 स्वेच्छा
   सहभागिता
 समागम
  प्रखण्ड
  प्रचुर 
 पर्याप्त 
 बहुतायत
 वजह
 तमाम 
उपयुक्त 
संस्करण
 प्रकोप
  श्राव
  वनस्पतिक
  दूषित
 पद्धति
 समुदाय
 जनकेन्द्रित 
 संचयन 
 आपूर्ति 
  अभियान
 सहयोजित
 आधारभूत
  हितग्राहियों 
संप्रषेण
  बीड़ा 
घनिष्ठ
 संक्रामक
 इतिश्री 
 अवरूद्ध 
  भूमिगत 
उपागम 
विविरणात्मक
 स्वावलम्बी 
भयावह
  विसर्जित
  सघन
  वरीयता 
बहाली 
त्वरित 
  परवान
  अहमियत
  निजात 
समीक्षा
 आगाह
 फीसदी
 पुख्ता 
प्रजातिया
 श्रमजीवी
VERY SOON I WILL GIVE ABOVE MENTIONED WORDS SYNONYMS AND THEIR ENGLISH MEANING.  
    

USEFUL TIPS FOR FCI MAINS


कर्मचारी चयन आयोग (STAFF SELECTION COMMISSION )

भारतीय खाद्य निगम (FOOD CORPORATION OF INDIA   द्वारा  आयोजित  मुख्य परीक्षा (MAINS) के लिये महत्वपूर्ण सुझाव:


  • सर्वप्रथम बचे हुये शेष  दिनों को अपनी प्राथमिकता के अनुसार विभाजित कर लें।



  •  इस परीक्षा में सिर्फ गणित और अंग्रेजी के प्रश्न आयेगे।  इसलिये कुछ दिनों के लिये इन दोनो विषय पर अपना FOCUS करें।



  • हिन्दी माध्यम के लिये अंग्रेजी बहुत बडी चुनौती है इस के SPECIAL रणनीति अपनाये।



  • गणित का आप का प्रदर्शन  आपके अन्तिम चयन में सहायक होगा। कृपया गणित के नये भाग की तैयारी के लिये आवश्यक  सामग्री एकत्र कर, उसका खूब अम्यास करें। यहाॅ पर अंगेजी माध्यम के विद्यार्थीयों से आप बढ.त ले सकते है।



  • बात को मत भूले कि आप की गणित तैयारी कितनी ही अच्छी हो । आप को अन्तिम चयन  के लिये अंग्रेेजी में औसत पदर्षन करना ही होगा। मानक पुस्तकों से आप सटीक सामग्री निकालकर उसका दोहराव करें। जमकर करें। रात दिन एक कर दें। हर पल आपके जेहन में सिर्फ परीक्षा हाल की छवि रहे।



  •  अगर सम्भव हो कही पर इस परीक्षा के अनुरूप कुछ टेस्ट आदि में प्रतिभाग कर लीजिये। पर ख्याल रहे कि आप का महत्वपूर्ण समय जाया न हो।



  • परीक्षा हाल में अपना धैर्य बनाये रखे। पेपर को कठिन देख कर अपना संतुलन न खो दे।



  • बहुत तेजी से कठिन QUESTIONS को नजरन्दाज करते हुये उन प्रष्नो हल करें जिन को आप घर में बहुत बार हल कर चुकें है।



  • यह एक मनौवैज्ञानिक तरीका है आप जैसे सरल QUESTIONS को हल कर लेगें आप में आत्मविष्वास मे आ जायेगा। इसके बाद आप कठिन प्रश्नो  को बहुत ही आसानी से हल कर मे स्वयं को सक्षम पाएंगे।

  •  अगर इस के विपरीत कठिन प्रश्न  मे अगर प्रारम्भ मे ही जूझने लगे। तब क्या कहूॅ , परीक्षा हाल से निकल कर खीज से भरे होगें और यह कहेगे कि मै कर सकता था बस समय कम पड गया बाद में बहुत आसान  प्रश्न थे।

  • यहाॅ पर यह भी स्पष्ट कर दूॅ कि यह सीरीज पर निर्भर करता है कि आप को पहले कठिन प्रश्न  दिखते या सरल। जैसा हो उसके अनुरूप आप  अपनाये। इस बात से निश्चित  रहे अगर आप ने ईमानदार तरीके से तैयारी की है तो आप के अनुरूप प्रश्न जरूर मिलेगंे।


  • दोस्तो , भगवान  पर अगाध विश्वास  रख कर ईमानदारी से प्रयास करे। कर्मचारी चयन आयोग ने आज तक कभी भी मेहनती ईमानदार से लगे रहे युवा को कभी निराश  नही किया है।


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