वो बुढा आदमी
- by Asheesh kumar
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मौन सर्वोत्तम भाषण है अगर बोलना है तो कम से कम बोले । एक शब्द में काम चले , तो दो नहीं - गाँधी
प्रिय दोस्तों , ias 2017 के लिए कुछ बातें नोट कर ले ।
1 नोटिस 22 फ़रवरी 17 को आएगी ।
2 फॉर्म 17 मार्च तक / को भरे जायेंगे ।
3 pre एग्जाम 18 जून 17 को होगा
4 mains 28 ऑक्टूबर से शुरू होगा ।
सभी लोग अपना अपना mains के लिए subject चुन ले ।
पहले last years के पेपर देखे ।
सब्जेक्ट वही ले जो आप हैंडल कर सके ।
अभी दिसंबर तक अपना ऑप्शनल पढ़ते रहे ।
हो सके तो नोट्स भी बना डाले ।
जनवरी से ias pre 2017 के लिए पढ़ना suru करना ।
जरूरी बाते मैं समय समय पर share करता रहूंगा ।
अपनी जिंदगी का लेखा जोखा कैसे करे ?
By Asheesh kumar
शायद पिछली पोस्टों में बताया होगा कि इन दिनों मैं ऑडिट में काम कर रहा हूँ । ऑडिट यानी लेखा जोखा । कम समय में ज्यादा चीजों का निरीक्षण करना । mistakes को जल्दी पकड़ना यही है लेखा जोखा ।
जैसा कि मैं बहुत बार कह चूका हूँ thoughts मुझे सोने नही देते । हर night मैं न जाने क्या क्या सोचते हुए सोता हूँ । एक रोज ख्याल आया कि हर किसी को अपनी life का भी ऑडिट करते रहना चाहिए ।
मेरे ज्यादातर पाठक, दोस्त 20 से 25 वर्ष वाले उम्र के है । मेरी नजर में यह जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है । 20 की आयु से आप कुछ प्रयोग करना शुरू कर देते है और 25 तक आप को अपने प्रयोगों के results आना शुरू हो जाते है ।
हमारी लाइफ एक है और जिंदगी में करना बहुत कुछ । मसलन पढ़ाई, सामाजिक सम्बन्ध , भावनात्मक सम्बन्ध , पर्यटन , अपनी पहचान बनना, धन कमाना आदि आदि । करना बहुत कुछ और समय बहुत थोडा ।
जिंदगी का सबसे बड़ा सबक मेरी नजर यही है कि आप संतुलन कैसे साधते हैं ? एक वाकया जोकि एक मित्र ने ही बताया , संक्षेप में बताता हूँ । उनके कोई मित्र 40 साल की आयु में SDM बने और इच्छा कि marriage करेंगे तो किसी षोडसी यानी 16 साल की बाला से । समझा जा सकता है कि उनकी ऐसी चाहत क्यू हुयी होगी । सारी उम्र पढ़ने में ही खत्म कर दी । पता नही उनका क्या हुआ पर अगर उनकी desire पूरी भी हो गयी होगी तो उनकी दशा प्रेमचंद की कहानी " नया विवाह " के पात्र लाला डंगामल जैसी ही होगी ।
अब एक प्रश्न उठता है कि संतुलन कैसे बनाये । इस प्रश्न को कभो आराम से विचार करेंगे आज आपको आपकी जिंदगी का ऑडिट करने का तरीका बताते है ।
आप अपनी dairy ( मेरे सभी पाठक डायरी जरूर लिखते होंगे यह अपेक्षा रखता हूँ ) में अपनी आयु लिखे ।
15 वर्ष से पहले
15- 25
25-40 वर्ष
आप अपने तरीके से इसे बाट सकते है और इनके सामने दो कॉलम बनाये । आप को क्या करना था और आप ने क्या किया । सभी बाते बिंदुवार लिख ले । देखे कि आप ने क्या खोया और क्या पाया ?
विषय अच्छा है और मेरे पास विचार भी बहुत अच्छे अच्छे है पर मैं सफर में हूँ और रात के 12 . 30 हो गए है इसलिए विराम लेता हूँ । अंत एक मजेदार वाकये से - भागीदारी भवन लखनऊ में बहुत से पढ़ाकू और टेलेंट लड़के मुझसे एक चीज से काफी परेसान रहते थे वजह मैं सबसे एक ही बात कहता था कि मैंने छोटी उम्र में ही खूब मजे कर लिए और उनके चेहरों पर उदासी छायी रहती कि वो पढ़ाई से इतर कुछ भी न कर पाये । कहने कि जरूरत नही कि वो मजे का मतलब प्रेम प्रसंग से लिया करते थे जबकि मेरा सन्दर्भ आपने विविधता भरे, बहु आयामी अनुभवों और नई नई चीजों में दक्ष होने से हुआ करता था । जैसी जिसकी सोच- बागा(तारक मेहता का उल्टा चश्मा )
कॉपीराइट - asheesh kumar
* l m thankful to my special readers , who remind me that सर बहुत दिन हो गए लिखा नही अपने कुछ अच्छा सा, अलग सा ।
आमतौर पर हम सब में बहुत क्षमताये होती है पर हम एक साथ बहुत सी चीजों में अपनी ऊर्जा लगाते रहते है जिसके चलते हम बार बार असफल असफल होते रहते है ।
इसलिए अच्छा होगा जो सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य हो उस पर पूरी ऊर्जा लगाये । अपनी समस्त इच्छाओं को एक जगह पर क्रेंदित करने से सफलता से जल्दी मुलाकात होगी ।
सुविचार
जैसे जैसे आप बड़े होते जाएंगे आप पाएंगे कि आपके पास दो हाथ है एक खुद के लिए तो दूसरा लोगों की मदद करने के लिए है-ब्रायन ट्रेसी
लड़का गाँधी डिवीजन वाला
शीर्षक पढ़ कर शायद आपको समझ में न आये कि मैं क्या कहना चाहता हूँ पर आप उसकी कहानी पढ़े यकीनन आप उससे बहुत कुछ सीखेगें ।
मेरी उससे दोस्ती कब हुयी यह ठीक से याद नही पर एक समय उससे मेरी सबसे गहरी पटती थी । हम दोनों को ही सस्ते , घटिया नावेल पढ़ने का शौक था । केसव पण्डित , रीमा भारती, वेद प्रकाश , गुलज़ार, और न जाने कितने ही नावेल हम दोनों आपस में शेयर कर पढ़े । दरअसल यह नावेल आपस में पूरा गाँव ही पढ़ता था पर खरीदता कौन था यह कभी जान न सका । सब आपस में ही लेन देन चलता था । किसी को कुछ नावेल दो उससे बदले में दूसरे ले लो ।
हम दोनों के पिता ही टीचर थे । मेरे प्राइवेट , उसके सरकारी । हमारे पिता जी से उनके पिता जी की खूब पटती थी । पिता जी से ही पता चला कि उसके पिता उससे बहुत परेसान रहते है । उससे तरह तरह से जलील भी करते है । चूँकि वह 10 और 12 दोनों ही कक्षा में तृतीय डिवीजन से पास हुआ था इसलिए उसे गाँधी डिवीजन से पास है कहकर उसके पिता चिढाया करते थे । गाँधी डिवीजन का मतलब आज समझ में आता है कि गाँधी जी सदा तीसरे क्लास के डिब्बे में चलते थे इसीलिए उस लड़के के पिता उसे गाँधी डिवीजन के नाम से चिढ़ाते और जलील करते थे । वो मुझसे 1 क्लास आगे था ।
उस लड़के ने काफी स्ट्रगल किया । घर में काफी संपत्ति होने के बावजूद , बीच में किसी फैक्ट्री में भी काम करने लगा । मेरा उससे संपर्क काफी पहले टूट गया था । मेरी नौकरी काफी पहले गयी थी और जॉब में आने के बाद मैं काफी रिज़र्व रहने लगा था । रिज़र्व रहने की वजह थी अभी मुझे और आगे तैयारी करने थी । यारी दोस्ती के लिए चाह कर भी समय नही था ।
उसकी खबर मुझे मिलती रही । मुझे ऐसा लगने लगा कि शायद वह भी गाँव की भीड़ में गुम हो जायेगा । पर नही ऐसा नही हुआ।
पिछले दिनों मुझे पता चला कि उसको इक काफी अच्छी सरकारी नौकरी मिल गयी है । एक पल को यकीन न हुआ पर जिसने मुझे खबर दी उसके मुताबिक वह पिछले 2 सालों से शहर में गोपनीय तरीके से तैयारी में लगा था इतना जुनून था कि किसी भी त्यौहार में घर नही आया था।
संपर्क में न होने के बावजूद , मुझे बहुत ख़ुशी हुयी । अभी हाल में घर गया था तो सामने दिख गया पर चाह कर उससे बात न हो पायी वजह भी अजीब थी । दरअसल वो बाइक लिए नल के पास खड़ा था और मैं कार से उधर से निकला था । अगर मैं उसे आवाज देता तो मुझे पता है कि वह जरूर भड़क जाता मैं उसे बहुत अच्छे से जनता हूँ उसमे बहुत ज्यादा ही स्वाभिमान भरा है । शायद किसी दिन हम दोनों किसी रोज अपने आवरण को हटा कर , मिले और सुरेन्द्र मोहन पाठक के नए नावेल पर डिस्कस करे।
दोस्तों, उसने अभी हाल में ही नौकरी पायी है । आज जब हर तरफ 1st डिवीजन का हर तरह बोल बाला है तब भी गाँधी डिवीजन वाले अच्छी नौकरी पा रहे है । इसलिए आप भी बस जुट जाइए । हा , अपनी सफलता की खबर मुझे जरूर देना । सफलता की कहानियां पढ़ने के लिए यहां पर बहुत से पाठक इंतजार करते रहते है ।
Copyright -Asheesh kumar
Dear friends, please give your feedback. मेरा मानना है कि हर किसी की अपनी कहानी होती है । आप भी अपनी कहानी मुझे मुझे mail करिये ashunao@gmail.com पर । आधी अधूरी ही भेज दीजिये , पूरी मैं कर दूंगा ।
अहा जिंदगी का सितम्बर 16 का अंक पढ़ा । उसमें कुछ बहुत अच्छी लाइन्स मिली ।
1 तू अपनी आवाज में गुम है , मैं अपनी आवाज में चुप
दोनों बीच खड़ी है दुनिया आईना ए अल्फाज में चुप
- उबैदुलाह अलीम
2 समाज सामाजिक संबधो का जाल है - मैकाइवर और पेज
3 शब्द संसार में मौजूद सबसे प्रबल शक्ति है । हम इसका प्रयोग सृजन के लिए भी कर सकते है और ध्वंस के लिए भी - येहूदा बर्ग
4- कहती है प्रकति , बसंत की भाषा में
चलो पार्टी की जाय - रोबिन विलियम
काफी दिनों से मुझे मोटिवेशनल पोस्ट लिखने के लिए रिक्वेस्ट आ रही थी। मै इस समय ट्रेन म इ सफर कर रहा हूँ बस बैठे बैठे इस पोस्ट का विचार आया । आशा है पोस्ट यह सबके लिए उपयोगी होगी ।
पायः हम सबकी लाइफ बहुत व्यस्त होती है । समझ में नही आता कि हमारा time कहा चला जाता है । ऐसे में आपके लिए एक बेहद उपयोगी टिप्स बता रहा हूँ आप हर रात सोने से पहले , अगले दिन के लिए plan बना ले । ज्यादा लम्बी चौड़ी लिस्ट नही बस 7 काम जो सबसे जरूरी हो । इससे ज्यादा नही , न ही इससे कम । इन कामों को प्राथमिकता के आधार पर नंबर दे दे । अगले दिन उन सबको जरूर पूरा करे और रात में उनका review करे ।
कहा जाता है कि कोई काम 21 दिन तक लगातार किया जाय तो habit बन जाती है । ऊपर वाली टिप्स अपना कर देखिये । बहुत कुछ बदलाव जरूर महसूस करेंगे ।
Written by -Asheesh kumar
निज भाषा उन्नति अहे ,निज भाषा सब मूल
बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटय न हिय को शूल
-भारतेंदु हरिश्चंद्र
आप सभी को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाये ।
मुझे किसी भी सफल व्यक्ति की सबसे महतवपूर्ण बात उसके STRUGGLE में दिखती है . इस साल के हिंदी माध्यम के टॉपर निशांत जैन की कहानी बहुत प्रेर...