पुराने पाठको को शायद मेरी एक लघुकथा याद हो -संत और बेरोजगार । उसमें विजय जी कहानी थी । वास्तव में विजय जी काल्पनिक पात्र न होकर , एक वास्तविक पात्र है । विजय जी , मुझसे एक बात कहा करते थे कि आशीष अनुभव की कोई किताब नही होती है । उनके कहने का मतलब यह था कि हर चीज आप किताबों से पढ़कर नही पा सकते ।
आज अनुभव के बारे में ही बात करते है । अनुभव , सच में ही बहुत काम की चीज है । इसका आपकी उम्र, परिवेश,लिंग से कोई लेना देना नही है । अनुभव सभी को होते है -अच्छे, बुरे ,खट्टे , मीठे , तीखे , कसैले, लिजलिजे ।
बहुत बार , अनुभव हमें खामोश कर जाते है और बहुत बार यह हमें जीने की वजह दे जाते है । experience को लिखते रहना चाहिए । हर चीज से कुछ न कुछ सिखने लायक होता है ।
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