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बुधवार, 26 मार्च 2014

चिंतक ( तीसरा और फिलहाल अंतिम भाग )


चिंतक ( तीसरा और फिलहाल अंतिम भाग )

         जिंदगी में हमेशा वैसा ही नही  होता जैसा आप सोचते है। चिंतक जी के साथ यही हुआ।  मई में दिल्ली चले गये थे। अगस्त में प्री का रिजल्ट आया।  उनका हुआ नही था।  अब आप विचार करे उनकी कैसी दशा  रही होगी पर चिंतक जी उनमे थे जो टूट नही सकते थे। हमेशा कुछ न कुछ खोज ही लेते थे। अब कोचिंग में उतना मन तो लगता नही था। खाली समय में बोर न हो इसलिए एक अजीब शौक पाल लिया था। हिन्दू समाचार पत्र से तस्वीरे काट काट कर एक फ़ाइल बनाने लगे।   दिल्ली से लौटने के बाद मै उनसे इलाहाबाद मिलने गया तो मैंने उनके पास बहुत सी चीजो में इस फ़ाइल को भी देखा था।

    (समय के अभाव में मै उनकी कहानी पूरी नही कर रहा हूँ। चिंतक जी के बारे जितना लिखना चाहता था उससे ज्यादा मेरे पास विचार जमा हो गये है। समय मिलने पर मै उनकी कहानी जरुर पूरी करुँगा।  वित्त वर्ष का अंत हो रहा है विभागीय सक्रियता काफी बढ़ गयी है।  अगले माह चुनाव ड्यूटी में काफी समय मिलने की आशा है तब इस पूरा करुगा। चिंतक जी के बारे में आपकी काफी जिज्ञासा होगी कि वो अब कहाँ और क्या कर रहे है ? संक्षेप में , यही बता सकता हुँ। इस वर्ष की शुरुवात में मेरी उनसे बात हुई तो मुझे उनकी एक बात याद रह गयी। कह रहे थे कि बेरोजगारी क्या होती है तुम क्या जानो। यह उनका दुःख था वरना वह मुझे उन दिनों से जानते थे जब मै टुअशन पढ़ाकर अपना खर्च निकला करता था। मैंने उन्हें कोई जबाब नही दिया। उनके बारे में बात होती ही रहेगी पर एक बात जरुर कहना चाहुँगा सही समय पर सही निर्णय  न लेने से आपका जीवन बहुत कष्ट में पड़ सकता है। निर्णय हमेशा यथार्थवादी ले। ) 

मंगलवार, 25 मार्च 2014

चिंतक (भाग २ )

चिंतक (भाग २ )

भागीदारी भवन में मैंने चिंतक जी से बहुत सी बाते सीखी।  उनकी हर चीज अनोखी होती थी। जाड़े के दिनों में वह कम कपड़े पहनकर पढ़ाई करते थे उनका कहना कि जब शरीर में जाड़ा लगेगा तो नींद नही आयेगी। सुबह जल्दी उठ कर पढ़ने बैठ जाते थे। यह बात विरलो में ही होती है मैंने कितनी कोशिस कि पर सुबह उठकर पढ़ाई करना न सीख पाया। एक और अनोखी बात और याद आ रही है एक दिन मैंने उन्हें भारत का मानचित्र लिए देखा मै उनके पास १ घंटे बैठा रहा पर उन्होंने मेरी और न देखा। काफी देर बाद वो मेरी और मुखातिब हुए मैंने उनसे काफी विनती कि वो नक़्शे में क्या देख रहे थे पर वो बोले समय आने पर बताऊगा। वो समय तब आया जब मुझे भी सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा देने का अवसर मिला। चिंतक जी ने मुझे बताया कि मैप से भी पढ़ाई करनी चाहिए। उनके अनुसार मैप पर प्रतिदिन कुछ समय देना चाहिए। सच में ये चीज हटकर लगी। 
 चिंतक जी जब मेरी मुलाकात हुई थी तब उनके सिविल सेवा में २ अवसर समाप्त हो चुके थे। पहली बार मुख्य परीक्षा देने के बाद दूसरी बार में उनका प्री में ही न हुआ था। उन्हीं दिनों वह मुखर्जी नगर के बारे में बाते करने लगे। मुझसे बताने लगे कि इल्लाहाबाद में कोचिंग करने से कुछ ने होगा। दिल्ली में गति है वहाँ एक बार कोचिंग करलो बस। मैंने उनसे बताया कि मै आपके साथ न चल सकुंगा। बात ५०००० हजार रुपयों की थी। मैंने उनसे पूछा कि तुम इतने रुपए कहा से लाओगे तो उनका जबाब था कि आप के अंदर लगन हो तो सब कुछ हो जाता है। अगर जिंदगी में रिस्क नही लोगे तो पिछड़ जाओगे। उनका कहना सही था पर मुझे पता था कि मेरे घर में ऐसा प्रस्ताव कभी न स्वीकारा  जायेगा। खैर अगले साल वो प्री देने के तुरंत  बाद दिल्ली चले गये। पैसे उनके रिश्तेदारों , मित्रो ने जुटाया था। सबको चिंतक जी पर यकीन था। मुझे उनकी मेहनत पर भरोसा था।
मेरी उनसे बात होती रहती थी। वो मुझे हर बात शेयर करते थे हर तरह की बात करते थे। एक जरूरी बात तो छूट ही गयी चिंतक जी मुझसे मिलने के कुछ दिनों बाद ही बता दिया था कि सफलता के लिए ब्रम्ह्चर्य सबसे जरूरी चीज है उनके अनुसार ज्यादातर लोग इसके लिए ही असफल हो जाते है। अब आप समझ सकते है वो कैसी शख्सियत के मालिक थे। समय आने पर मै उनका सबसे करीबी बन गया पर याद नही आता कि वो कभी घटिया मजाक तक किया हो। 
उनके दिल्ली के दिनों की कुछ बाते याद आ रही है। जाते ही उन्होने  १५०-१५०  रुपए वाली ६ , ७ टी शर्ट खरीद ली। मुझसे बताया कि  ऐसा करके वह रोज क्लास करने टी शर्ट  बदल बदल कर जाते रहे और अपनी सही स्थिति को छुपा लिया। चिंतक जी से कोई भी मिले तो निश्चित ही उनसे  प्रभावित हो जायेगा। कितना ही पढ़ाकू क्यों न हो पर उसे खुद लगेगा कि पढ़ाई के नाम पर मै तो कुछ नही कर रहा हु असली पढ़ाई तो मुझे इस शख्श से सीखना चाहिए। इतिहास और हिंदी साहित्य उनके  विषय था। दोनों विषयो के नामी संस्थानो में एडमिशन लिया था। हिंदी साहित्य वाली क्लास में पहली बार उनका मन भटकने लगा। कोई लड़की उनके पास रोज बैठने लगी थी नोट्स भी मांगा होगा। मुश्किल से चार पांच रोज हुए होगे चिंतक जी को अपनी गलती का अहसास हुआ। वो अपने कमरे में आकर ग्लानि से अपना सर दीवार में पटक दिया। उन्हें इस बात का पश्चाताप हो रहा था कि उधार ले कर वो यहाँ प्रेम मोहब्ब्त करने नही आये है। यह उन लोगो के साथ धोखा होता जिन लोगो ने उनके लिए रुपए जुटाए थे। ( मुझे एक लोगो का जिक्र करना जरूरी लग रहा है। उनके एक दोस्त है जिनकी पत्नी सरकारी स्कूल में शिक्षामित्र है  शिक्षामित्र का वेतन तो आपको पता ही है कितना होता है ३००० रुपए। ऐसे लोगो ने उन्हें धन दिया था कि एक रोज चिंतक जी सफल होगे तो उनके भी दिन  बदल जायेगे।)  ये बात उन्होंने मुझे से खुद बतायी थी  ये बात भी मेरे लिए अनोखी थी। मानव  मन कितना चंचल होता उस पर चिंतक जी ने मन पर विजय पाली थी।   

सोमवार, 24 मार्च 2014

LESSONS FORM A CIVIL ASPIRANT

ये पोस्ट का ख्याल बहुत लम्बे समय से था पर लगता था कि लिखू किसके लिए।  पर अब सही वक्त  है उसकी कहानी बताने का। यह कहानी सच्ची है मेरे दोस्त से जुडी है।सुविधा के लिए उसका नाम चिंतक रख लेते है।  उसका सही नाम नही लिख रहा हु पर शहर का जिक्र सही सही कर रहा हु। यह कहानी किसी कि भी हो सकती है मेरी आपकी आपके दोस्त की किसी की भी। सफल लोगो की कहानी बहुत सुनी होगी , बहुत से साक्षात्कार पढ़े होगे पर आप ने कभी किसी हारे हुए इंसान से बात की है। वास्तव में एक सफल व्यक्ति से कही ज्यादा असफल व्यक्ति से सीखा  जा सकता है। 
वो कक्षा १० में था तब उसके किसी टीचर ने बताया कि सबसे बड़ी नौकरी आईएएस की  होती है बस इतना काफी था उसके लिए। बहुत जुनूनी था वह। उसने सोच लिया कि कुछ भी हो जाये पर वह आईएएस बन कर ही मानेगा। जैसा कि हर कथा नायक के साथ होता है हमारे इस कथा नायक इस आर्थिक दशा बहुत खराब थी। इलाहाबाद के एक छोटे से गाव से वह था घर में एक छोटी सी दुकान थी जिसमे उसके पिता बैठते थे। खेती इतनी कम थी कि वह और उसकी माँ उसे टैक्टर या बैलों से जुतवाने के बजाय  फावड़े से ही जोत लेते थे। ये सब इस लिए बता रहा हु ताकि पता चले इतनी विकट परिस्थिति में भी वो अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित था। 
मेरी उसके मुलाकात लखनऊ के भागीदारी भवन में हुई थी। भागीदारी भवन , आर्थिक रूप से कमजोर पर मेधावान छात्रो के लिए निःशुल्क आवास , कोचिंग , सलाह देने के लिए है (कभी उसके बारे में विस्तार से लिखूगा ) . 
भागीदारी भवन में १०० लड़को में वो अलग था। हमेशा रूम में रहना , किसी से भी बात न करना , समय पर नास्ते के लिए निकलना। एक कमरे में दो लोग रहते थे। मेरी पहली बार उसके रूम में ही मुलाकात हुई थी। उसके रूम पार्टनर से मै कुछ पूछ रहा था चिंतक जी ने  बहुत तेज आवाज ने कहा इस कमरे में बात नही होगी। उन दिनों मेरी दशा खरगोश जैसी थी हमेशा डरा हुआ। छोटे शहर से , साधारण कॉलेज से पढ़ा और बहुत साधारण नम्बरो से पास।चिंतक जी पूर्व के ऑक्सफ़ोर्ड कहे जाने वाले इल्हाबाद विश्वविदालय से पढ़ कर निकले थे।  सबसे बड़ी बात स्नातक की परीक्षा पास करते ही आईएएस का एग्जाम दिया और  पहली ही बार में आईएएस की प्री परीक्षा पास कर ली थी। ये बात २००७ की है।  ऐसे में चिंतक जी द्वारा डॉट दिया जाना बुरा नही लगा। महान गुरु तो पहले पहल डाटते ही है लोगो के पहचान करना मुझे आता था मैंने भी सोच लिया था कि अगर कुछ सीखना है तो चिंतक जी से ही सीखना है। । सच कहु तो अगर आज जो भी मैंने पाया है जो भी सफलता पायी है इसमें चिंतक जी का अप्रत्यक्ष  रूप में हाथ है। उनके जोश और जूनून को देखते ही बनता था। मैंने उन्हें कभी अपने अभावो का रोना रोते नही देखा। उन दिनों सिविल सेवा में कुछ ऐसे लोग सफल हो रहे थे जो बहुत ही साधारण थे। रिक्शे वाले के लड़के , मजदूर , सब्जी बेचने वाली  की  बेटी। जो ऎसी खबरो को बहुत गम्भीरता से पढ़ते। मै ऎसे परिवार से था जहाँ ज्यादा आभाव तो नही था पर जिम्मेदारी जल्द उठानी थी। मै कर्मचारी चयन आयोग की तैयारी कर रहा था। आईएएस को ज्यादा महत्व नही देता था  क्योकि मुझे लगता था एक जॉब मिल जाये बस। चिंतक जी से मिलने के बाद मै भी सिविल सेवा में कूद पडा पर साथ में कुछ और एग्जाम भी देता रहा। चिंतक जी की सोच थी कि सिविल सेवा के अलावा दूसरी परीक्षा देने से भटकाव होगा। अर्जुन की तरह केवल एक लक्ष्य। बस यही पर मेरा उनसे मतभेद था। मेरा यह सोचना था कि जोश और जूनून कितना क्यों न हो। धन के आभाव में ये सब व्यर्थ है।

चिंतक जी से जुडी पोस्ट पढने के लिए क्लिक करिये .


शनिवार, 22 मार्च 2014

असफलता के मायने

असफलता के मायने 
               मित्रो सफलता और असफलता में बहुत ही बारीक़ अंतर होता है पर सफल व्यक्ति के साथ खुशियाँ बाटने के लिए भीड़ जुट जाती है। असफल व्यक्ति को अकेले ही दुःख सहन करना पड़ता है।  बहुत दिनों से मै उन साथियो के लिए पोस्ट लिखना चाहता था जो गम्भीरतापूर्वक तैयारी करने के बावजूद असफल हो गये है या होते जा रहे है। कोई स्वीकारे या न स्वीकारे पर मै जानता हुँ कि आप योग्य है आप में साहस है। असफलता के कई कारण हो सकते है। हो सकता है कि आप के पास समय कि कमी हो (जॉब करने कि वजह से ) या संसाधन न हो (आर्थिक तौर पर कमजोर ) पर इससे आप आईएएस बनने के योग्य नही है ऐसा कहना सरासर गलत होगा। मेरा हमेशा से इस बात पर यकीन रहा है कि यदि आप में नये लीक से हट कर विचार है तो समय भले लगे पर एक रोज आप अपने आप को साबित करके ही रहेगे। आईएएस न सही किसी और जगह किसी और रूप में। (मेरी दिली इच्छा है ऐसे लोगो के बारे में जान सकू जो आईएएस के इंटरव्यू से अंतिम तौर पर बाहर हो जाने के बाद कहा और किस रूप में है ? यदि आप किसी जो जानते है या खुद ऐसी ही स्थिति का सामना किया है तो प्लीज् अपने अनुभव को शेयर करे। सार्वजानिक तौर पर न कर सके तो मुझे मेसेज करे मै उसे कहानी के रूप में बदल कर लोगो से साझा करुगा। ) 

बुधवार, 19 मार्च 2014

5 सबसे महत्वपूर्ण किताबे

5 सबसे महत्वपूर्ण किताबे
यूँ तो CIVIL SERVICE के लिए जितनी भी किताबे पढ़ ले आप को कम लगेंगी।  हममे से ज्यादातर लोगो को प्रारम्भ में पता ही नही होता है कि कौन सी किताब पढ़नी चाहिए और किनको साइड में रखना चाहिए।  आप किसी भी सफल व्यक्ति से बात करे तो वह इस बात पर विशेष जोर देगा कि चुनिंदा किताबे पढ़े। जितना ज्यादा तरह की किताबे पड़ेगे उतना ही अधिक भटकाव होगा। यहाँ पर मै 5 किताबो का जिक्र कर रहा हु जिनकी महत्ता पिछले 2 -3 सालों से देख रहा हुँ। वैसे भी प्रारम्भिक परीक्षा में करंट के प्रश्न न के बराबर पूछे जा रहे है।  सामान्य अध्धयन के 5 प्रमुख भाग होते है। इतिहास , भूगोल , राज्यववस्था , अर्थशास्त्र , साइंस और टेक्नोलॉजी। इस 5 भागो को निम्न 5 किताबो को पढ़कर काफी हद तक पहले पेपर को कवर किया जा सकता है।


 इतिहास                           विपिन चन्द्र 
भूगोल ---                          माजिद हुसैन/ वर्णवाल 
भारत की राज्यववस्था          एम  लक्मीकांत 
अर्थववस्था                        लाल एंड लाल 
विज्ञानं और तकनीक            स्पेकट्रम 

तीसरा संवाद


मंगलवार, 18 मार्च 2014

HOW TO START PREPARATION FOR UPSC

तैयारी की शुरुआत कैसे करे
प्रिय मित्रो ,  इस मंच के माध्यम से बहुत से नये साथियो से परिचित होने का अवसर मिल रहा है। कुछ ने मुझे मेसेज कर पूछा है कि बगैर कोचिंग के सफलता कैसे पायी जा सकती है , कहाँ से शुरुआत करें ? आज उनको ये पोस्ट समर्पित है।  

इस संसार में असंभव कुछ भी नही है बस डगर कठिन है। मैंने अभी तक सभी एग्जाम बगैर कोचिंग किये ही पास किये है।  सिविल सेवा के इंटरव्यू तक पहुचा हूँ। कुछ लापरवाही कहे या जॉब की व्यस्तता , अंतिम रूप से सफलता न मिल पायी है। हमारी विडंबना यही है कि जब हमारे पास समय खूब होता है तब संसाधन नही होते और जब हम संसाधन जुटा लेते है तो समय नही होता है कि कई घंटे लगातार पढ़ाई कर सके। यहाँ से दो तरह के लोग सामने आते है एक वो जिनके पास संसाधन का अभाव है पर समय खूब है दूसरे वह जिनके पास समय का अभाव है पर संसाधनो का नही ( जॉब करते हुए तैयारी करना ) दोनों लोगो के लिए अलग अलग रणनीति है। (वैसे मैंने "जॉब करते हुए तैयारी कैसे करे " लिख रखी है जल्द ही उसे भी पोस्ट करुगा। ) यहाँ पर मै संक्षेप में सभी के लिए उपयोगी शुरुआती चरण लिख रहा हूँ। 

सबसे पहले आप एक अपनी निजी डायरी बनाये। उसमे अपने विचारो को लिखना शुरू करे तय करे कि आप को कैसे , चुनौतियों से निपटना है। अपने प्लान उसमे में लिखते रहे। प्रायः हम बहुत से अच्छे प्लान बनाते है पर उन पर अमल नही कर पाते है। आप की निजी डायरी आप याद दिलाती रहेगी कि आप को क्या करना है।

सिविल सेवा का विज्ञापन उसकी वेबसाइट से डाउनलोड करे। विज्ञापन से आप को आवश्यक योग्यता , उम्र सीमा , अवसरों की संख्या पता चल जायेगी। 

मुख्य परीक्षा के लिए अपनी रूचि के अनुकूल विषय का चयन करें।  उसके लिए जरूरी सामग्री जुटाए , नोट्स बनाना प्रारम्भ  कर दे। इतिहास और हिंदी साहित्य विषय की तैयारी मेरे साथ इस पेज के साथ कर सकते है ( आने वाले दिनों में मै मुख्य परीक्षा में पूछे गये प्रश्नो का हल इस पेज पर पोस्ट करने वाला हूँ। हमारे साथ बने रहिये )

प्रारंभिक  और  मुख्य परीक्षा दोनों चरणों  के पुराने प्रश्न पत्र संघ लोक सेवा आयोग की वेबसाइट से डाउनलोड कर ले। 

कैसे प्रश्न आते है और कहाँ  से आते है इसको समझने की कोशिस करे। यह सबसे महत्वपूर्ण प्रकिया है।  यह चीज सीख गये तो सफलता मिलने में अधिक देर नही लगेगी। 

मुझे लगता है कि शुरुआत के लिए इतना काफी है। समय समय पर मै इस लेख को बढ़ाता रहूगा। कल मै सामान्य अध्ययन के लिए 5 सबसे महत्वपूर्ण किताबों की बात करुँगा। ( पोस्ट कैसी लगी कृपया टिप्प्णी करे।  कुछ जगहो पर भाषागत अशुद्धि दिख सकती है पर आप भाव लीजिये। हिन्दी में पोस्ट करना समयजन्य कार्य है। एक और विशेष बात , कई बार मै ऑनलाइन मोबाइल के माध्यम से होता हूँ उस पर बात कर पाना कठिन है। आप अपने मेसेज डाल दीजिये , समय मिलते ही आप को जबाब दूँगा।  





















Essay on success in Hindi (3)

विषयः- सफलता योग्यता निर्भीकता और साहस से मिलती है। (तीसरा और अंतिम  भाग )
                                      आशीष कुमार


सफलता के इन महत्वपूर्ण गुणों  के साथ साथ व्यक्ति में लगातार जूझने की क्षमता होनी चाहियें। परिस्थितियाॅ कैसी भी क्यों न हो सदैव हैासला बनाये रखना चाहिये। इसके बाद भी यदि असफलता मिलती है तो आचार्य श्री राम शर्मा के कथन पर विचार करना चाहिये। वे कहते हैं कि असफलता बताती है कि कार्य पूरे मन से नहीं किया गया है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी कमजोरियों से वाकिफ रहता है। ऐसा नहीे है कि विजेता के अन्दर कोई कमजोरी नही होती है। विजेता निरतंतर अपनी कमजोरियों पर विजय पाने का प्रयास करता रहता है।
इस संदर्भ में शिव खेड़ा का कथन याद आता है कि विजेता कोई अलग इंसान नही होते है वरन् उनके काम करने का तरीके अलग होते है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप लीक से हटकर कितना सोच सकते है। इन बातो का ख्याल रखें आप निश्चय ही सफलता का वरण करेंगे।
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उक्त विवेचना से स्पष्ट है कि सफलता के लिये आपकी पृष्ठभूमि , आपके संसाधन कतई मायने नहीं रखते हैं। पृष्ठभूमि एवं संसाधन की बात इसलिये कर रहा हूॅ क्योकि असफल व्यक्ति का इन बिन्दुओं पर जोर सर्वप्रथम रहता है कि उसकी पृष्ठभूमि कमजोर थी उसके पास संसाधन नहीं थे। वास्तव में सफलता में पृष्ठभूमि और संसाधन की भूमिका अति सीमित होती हैं। सफलता तो योग्यता, निर्भीकता और साहस से मिलती है।

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रविवार, 16 मार्च 2014

Essay on success in Hindi (2)

विषयः- सफलता योग्यता निर्भीकता और साहस से मिलती है। (दूसरा भाग )
                                      आशीष कुमार

विषय पर आगे बढ़ने से पूर्व सफलता के लिये आवश्यक तीनों गुणों का विश्लेषण कर लिया जाय।सफलता के सबसे पहला गुण है-योग्यता। व्यक्ति को अपनी योग्यता के अनुरूप लक्ष्य निर्धारित करने चाहिये। यदि आपके लक्ष्य बहुत बडे़ हैं तो निश्चित तौर पर आपको उसी अनुरूप अपनी योग्यता का दायरा बढ़ाना होगा। इस बात ख्याल हमेशा रखना होगा कि योग्यता के अभाव में लक्ष्य भले ही कितना आकर्षक,सुंदर क्यों न हो असफलता से दो चार होना तय है।
सफलता के लिये दूसरा अपेक्षित गुण है निर्भीकता। निर्भीकता का तात्पर्य भय रहित होने से है किसी विद्वान ने क्या खूब कहा है कि यदि आपको लगता है कि आप हार जायेगें तो निश्चित तौर आप हार जायेगें। सच तो यह है कि सफलता व्यक्ति की सोच पर निर्भर करती है। एक निर्भीक व्यक्ति की सोच कभी नकारात्मक नही होती है। भय से रहित मन में संशय नहीे होता है। वह सिर्फ सफलता के बारे में सोचता है उसे असफलता का भय नहीें सताता है इसी से वह सफलता के आवश्यक कर्म पूरे मन से कर पाता है।
सफलता के लिये तीसरी अपेक्षा व्यक्ति के साहसी होने की है। साहस के अभाव में तो पवनपुत्र हनुमान भी संशयग्रस्त थे। जामवंत ने जब उन्हें उनकी शक्ति की याद दिलाई यह कहते हुये कि का चुप साधि रहा बलवाना  तभी वह समुद्र को पार कर सके। सच्चा साहसी व्यक्ति कभी निराश नहीं होता है। साहस के चलते व्यक्ति अप्रत्याशित सफलतायें पा सकता है। वास्तव में साहसी व्यक्ति ही महत्वाकांक्षी लक्ष्यों का निर्धारण करता है। वह सफल हो पायेगा कि नहीं ऐसे विचार उसके मन में कभी नहीं आतें हैं। सिविल सेवा में सफल टापर्स के साक्षात्कार में इसकी पुष्टि होती है। बहुत ही सामान्य पृष्ठभूमि के टापर्स ने स्वीकारा कि उनकी सफलता में साहस की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रही है।

Essay on success in Hindi (1)

विषयः- सफलता योग्यता निर्भीकता और साहस से मिलती है।
                                      आशीष कुमार

स्वामी रामतीर्थ ने सफलता का सूत्र बताते हुये बड़ी अच्छी बात कही है वे कहते हैं कि अपने आपको योग्य बना लो सफलता स्वयंमेव तुम्हारे पास आ जायेगी। विडम्बना है कि आज का मनुष्य सफलता की घोर आकांक्षा रखता है पर योग्यता को जरा भी महत्व नहीं देता है।
इतिहास के किसी भी काल पर नजर डाले तो कोई भी सफल विजेता/शासक में तीन गुण निश्चित तौर पर मिलेंगे । वह योग्य होगा निर्भीक होगा और उसमें साहस कूट कूटकर भरा होगा। वास्तव में सफलता इन्हीें तीन गुणों पर निर्भर करती है। इतिहास में कितनी ही घटनाओं में मिलता है कि मुठ्ठी भर सेना नें हजारों लाखों की सेना पर विजय पायी। वास्तव में भले ही ऐसी सेना भले ही संख्या में कम थी पर उनमें साहस की कमी न थी। उनके सेनानायक निर्भीक थे।
वास्तव में सफलता का मूलमंत्र इन्हीं तीन गुणों पर आधारित है। यह देश काल से परे हैं। अतीत में भी इनका महत्व था। वर्तमान में भी है और भविष्य में भी सफलता इन्हीं गुणों पर निर्भर करेगी।
आज के प्रतिस्पर्धा भरे युग मे सफलता चंद लोगों को ही मिल पाती ज्यादातर व्यक्ति असफल हो जाते हैं। ऐसे असफल अपनी कमियों पर घ्यान न देकर अपनी असफलता का दोष दूसरे पर मढ़ देते हैं। (यह निबंध कुछ दिनों पहले एक पत्रिका के लिए लिखा था कुछ बड़ा है इसलिए तीन भागो में पोस्ट करुगा। सभी मित्रो को होली की हार्दिक शुभकामनाये )

शनिवार, 15 मार्च 2014

WE ARE ON FACEBOOK NOW

दोस्तों , मुझे खुशी हो रही है कि मैंने कुछ सार्थक कार्य शुरू किया है। बहुत तेजी से नये मित्र हम तक पहुँच रहे है। आज से मै आप से नियमित संवाद  करता रहूगा।  अब समय है आप के बारे में जानने का और हमारे बारे में भी।  इस पेज पर आपको आईएएस के लिए सामग्री से ज्यादा , उससे जुड़े अनुभव के बारे में पढ़ने को मिलेगा। कहा भी गया है कि अनुभव कि कोई किताब नही होती है यह आप को खुद जानना होता है।
इस पेज पर कुल चार तरह के लोग आ सकते है।  पहले वो जो अभी शुरुआत करने जा रहे है (सबसे ज्यादा ) दूसरे वो जो तैयारी कर रहे है (सबसे महत्वपूर्ण क्योकि अनुभवी है ) तीसरे वो जो मैदान से बाहर हो चुके है  चौथे वो जो सफलता पा चुके है (दुर्लभतम )
जो मेरे लिए नये है कृपया  आप मुझे मेसेज कर बता दे कि आप किस वर्ग में है चाहे तो आप सार्वजानिक तौर पर पोस्ट कर सकते है।   ताकि मुझे पता चले कि कैसी पोस्ट करना ज्यादा जरूरी है।
कुछ अपने पेज के बारे में। मै इस पेज में अभी मोटिवेशनल पोस्ट ज्यादा करुँगा। 24 अगस्त 2014 को प्रारम्भिक परीक्षा होगी। 20 दिसंबर २०१४ से मुख्य परीक्षा होनी है।  मई माह से आपको मै मुख्य परीक्षा के लिए उत्तर लेखन से जुडी पोस्ट प्रस्तुत करने कि कोशिश  करुगा। जून से अगस्त तक   प्रारम्भिक परीक्षा पर जोर रहेगा।
आप से निवेदन है कि यहाँ पर सामग्री से ज्यादा आप आईएएस से जुड़े अनुभव प्रस्तुत करे।  ज्यादा नही तो कम से कम इस दिनों आप क्या पढ़ रहे है इतना ही पोस्ट कर दे। हिन्दी में पोस्ट करना  जटिल है पर अगर कर सकते है तो जरुर करे। हिंदी में पढ़ना ज्यादा अच्छा लगता है।
(इस पेज पर आप और मुझ में कोई अंतर नही है बस साथ साथ चलना है। उन दोस्तों का विशेष तौर पर धन्यवाद जो इस पेज के साथ अपना जुड़ाव समझ कर यहा पर  ज्यादा से ज्यादा सक्रियता दिखा रहे है। मै आपसे कल तक के लिए विदा लेता हुँ धन्यवाद )
IAS KI PREPARATION HINDI ME


शुक्रवार, 14 मार्च 2014

FOR UNSUCCESSFUL PERSON

कई बार ऐसा होता है कि बहुत मेहनत करने पर भी असफलता का सामना करना पड़ता है। मन बहुत दुखी होता है क्योंकि आप ही जानते है आपने इसके लिए क्या क्या नही किया। आईएएस का नशा है कि उतरता ही नही। अकेले रहना जॉब करना सब कुछ अपने आप ही मैनेज करना। ऑफिस में सभी बोलेंगे कि मेहनत करो यहा से निकल जाओ पर छुट्टी के नाम पर चुप। बाते व्यकितगत है पर वास्तविकता यही है शादी को आप टाल जा रहे है कि एक बार आईएएस में हो जाये तभी करेगे। दोस्तों इसी का नाम जिंदगी है हमेशा आप के सोचने के अनुसार नही होता है।  इस बार भी हिंदी माध्यम का रिजल्ट बहुत हताशाजनक रहा। मेरे ज्यादातर दोस्तों या कहु सभी को मैंस परीक्षा से बाहर होना पड़ा है। गड़बड़ी कहा हुई ये तो नंबर आने के बाद ही पता चलेगा। इस साल के प्रारंभिक परीक्षा को पास करने वाले को ये भी नही कह सकते है कि वो होनहार नही है।  नये पैटर्न पर पहला एग्जाम था इसलिए कुछ पता नही था कि पेपर कैसे आयेगे। एक बार अपने मैंस के पेपर निकाल कर देखिये क्या आपने वाकई उत्तर गुणवत्तापूर्ण लिखे थे। उत्तर होगा लिखा तो बहुत था पर उनमे गुणवत्ता नही थी। दूसरा एक प्रमुख कारण बहुत ज्यादा सामग्री पढ़ना भी हो सकता है। चौथे पेपर के लिए क्या क्या पढ़ा पर मतलब क्या निकला। उसमे कुछ भी न पढ़ा होता तो भी कोई फर्क न पड़ता। 
अब अफ़सोस करने से क्या फायदा। नये सिरे से जुटा जाये। किताबो और नोट्स से धूल मिट्टी साफ कर पुनः पढ़ाई शुरू। अबकी बार अभी से सामान्य अधययन के चारो पेपर के लिए उत्तर लेखन के लिए अभ्यास किया जाय। शुरुआत पिछले साल के पेपर के प्रश्नो को हल करने से की जा सकती है। इसके साथ ही प्रारंभिक परीक्षा के लिए विशेष तैयारी जारी रखनी होगी क्योंकि उसे हलके में लेने की भूल नही की जा सकती है। 


सिविल सेवा की प्रारम्भिक परीक्षा में इस समय बहुत ही जटिल प्रष्न पूछे जा रहे है। पहला पेपर जो कि सामान्य अध्ययन का है, उसके लिये हिन्दी माध्यम में सटीक सहायक साम्रगी का आभाव है। बाजार में कितनी ही किताबें उपलब्ध है पर उन को पढना अपने समय को जाया करना है। यहाॅ पर एक ऐसी वेबसाइट का पता दे रहा हूॅ जो कि हिन्दी में सामान्य अध्ययन के पेपर हेतु आपको बहुत ही सटीक जानकारी देगी। मैं इस बात का यकीन दिलाता हूॅ कि यदि आप इस को नियमित तौर पर देखते रहे तो आपको यह सिविल से में बहुत उपयोगी साबित होगी। इसका नाम है पत्र सूचना कार्यालय। यह भारत सरकार की वेबसाइट है। यहाॅ पर आप नियमित तौर पर आकर अपने लिये महत्वपर्ण नोट्स तैयार कर सकते है।
PRESS INFORMATION BUREAU

बुधवार, 12 मार्च 2014

पंचशील सिद्धांत

 29 अप्रैल 1954  को भारत और चीन के बीच तिबबत को लेकर एक संधि हुई थी जिसमे पहली बार पंचशील सिद्धांत को मान्यता दी गयी।

  1. एक दूसरे की प्रादेशिक अखंडता और प्रभुसत्ता का सम्मान करना 
  2. एक दूसरे के विरुद्ध आक्रामक कार्यवाही न करना 
  3. एक दूसरे के आंतरिक मसलो में हस्तक्षेप न करना 
  4. समानता और परस्पर लाभ की नीति का पालन करना 
  5. शांतिपूर्ण सह - अस्तित्व बनाये रखना 

Millennium Development Goals in Hindi

  1. अत्यधिक गरीबी और  भूख का उन्मूलन 
  2.  सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करना 
  3. लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना 
  4.  शिशु मृत्यु को कम करना 
  5. मातृ स्वास्थ में सुधार लाना 
  6.  एचआईवी /एडस मलेरिया और अन्य बीमारी की रोकथाम करना 
  7.  पयावरणीय स्थिरता को सुनिश्चित करना 
  8.  विकास के लिए एक वैसविक भागीदारी विकसित करना  

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