चलो एक बार फिर से घूमने चले....
पढ़ाई के दिनों में जब कभी बाहर निकलना हुआ तो बस exam के सिलसिले में। Lucknow , Delhi , Allahabad और जबलपुर में एग्जाम दिए तो साथ में वहाँ दर्शनीय स्थल tourist place भी देख लिए। केवल घूमने के लिए कही निकलना तो जॉब में आने के बाद शुरू हुआ खासकर जब से अहमदाबाद , गुजरात में पोस्टिंग हुई। पिछले साल नल सरोवर से शुरुआत हुई और कच्छ की white desert वाली यात्रा तो जीवन के सबसे यादगार थी।
इस बार भी plan बन गया है बहुत जल्दी प्लान बनाया गया है सिर्फ ४ दिनों सारी प्लानिंग की गयी। बहुत ज्यादा रोमांचित महसूस कर रहा हूँ। दोस्तों के साथ घूमने का अलग ही मजा है। एक दोस्त का काम है प्लान बनाना , दूसरा बजट देखता है और कुछ सम्पर्क सूत्र तलाशता है ताकि यात्रा में कोई असुविधा न हो। मेरा काम है यात्रा अनुभव को शब्दबद्ध करना। सभी लोग अपनी अपनी जम्मेदारी बखूबी निभाते है और तब बनती है एक बेहतरीन यात्रा। न भुलाये जाने वाले पल।
यहाँ की ठंड बहुत अच्छी है गुलाबी गुलाबी। घूमने के लिहाज से बिलकुल मुफीद। दीव , पलिताना , गिर की lion सफारी , और न जाने क्या क्या। आप ने वो पंक्तियाँ तो सुनी ही होंगी
सैर कर दुनिया कि ग़ाफ़िल , ये जिंदगानी फिर कहाँ
जिंदगानी गर रही तो ये नौजवानी फिर कहाँ।
शुक्रिया दोस्तों ,इतना अच्छा प्लान बनाने के लिए। अकेले तो मै घूमने से रहा सच में ऐसे दोस्त न हो तो कभी शायद ही निकलना हो पाता।
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