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बुधवार, 7 अक्तूबर 2015

GODAN : A NOVEL BY PREMCHAND



गोदान


  • प्रेमचन्द्र द्वारा १९३६ में रचित , उनका अंतिम और MOST IMPORTANT NOVEL 
  • ग्रामीण संस्कृति , उत्सव , पर्व 
  • धार्मिक कुरीतियाँ , अशिक्षा , अन्धविश्वास 
  • महाजनी , उधार  लेने की प्रवत्ति 
  • ग्रामीण -शहर के मध्य का अंतर -गोबर की चेतना में बदलाव इसके चलते दातादीन को सिर्फ ७० रूपये देने की बात करता है 
  • परस्त्री गमन 
  • दलित चेतना -ब्राह्मण मातादीन को हरखू और चमारों  द्वारा हड्डी मुँह  में डालना 
  • बालमन का सूक्ष्म , सटीक चित्रण -रूपा और सोना के संवादों में 
  • JOINT FAMILY र का टूटना - गोबर को झुनिया का शहर ले जाना 
  • सास-बहू  का झगड़ा -झुनिया -धनिया 
  • उस समय की HEALTH सुविधाओं की कमी का जिक्र - धनिया के २ पुत्र बीमारी में मर गए 
  • तंखा -दलबदलू , दलाल वर्ग के प्रतिनिधि 
  • दहेज की समस्या - रायसाहब की बेटी का विवाह 
  • बेवजह की मुकदमेबाजी , कमीशनबाजी -राय साहब से खन्ना का कमीशन मांगना 
  • " मगर यह समझ लो कि  धन ने आज तक नारी के ह्रदय पर विजय नही पायी , और न कभी पायेगा।  "  मालती  का खन्ना को जबाब - प्रेम की व्याख्या 
  • मुहावरो का बहुलता से USE - अपना सोना खोटा तो सोनार  दोस , 
  • लोकगीत - हिया जरत रहत दिन रैन , आम की डरिया  कोयल बोले , तनिक न आवत चैन " होरी 
  • पूँजीवाद - जिंगरी सिंह जोर से हसा -तुम क्या कहते हो पंडित , क्या तब संसार बदल जायेगा ? कानून और न्याय उसका है , जिसके पास पैसा है। 
  • मुठी भर अनाज के लिए सिलिया -मातादीन में विवाद 
  • बाल विवाह , CHILD MARRIAGE 
  • बेमेल विवाह --नोहरी -भोला ( नोहरी ने मारे जूतों के भोला की चाँद गंजी कर दी.) मीनाक्षी ने दिग्विजय पर सटा सट हंटर जमाये।  
  • मरजाद - " खेती -बारी  बेचने की मै सलाह न दूंगी। कुछ नही है , मरजाद तो है। " दुलारी होरी से कहती है। धनियां -" यह तो गौरी महतो की भलमनसी है ; लेकिन हमें  भी तो अपने मरजाद का निबाह करना है। "  जरा सोच लेने दो महराज ! आज तक कुल में कभी ऐसा नही हुआ।  उसकी मरजाद भी तो रखना है। होरी का दातादीन से कथन जब वह रूपा का विवाह रामसेवक से करना चाहते थे। 
  • जवान रूपा का किसी लड़के से कोई RELATION  न बन जाये इसका भी डर होरी को है 
  • बेटा अपने पिता को लातो से मारता है वजह पिता ने बुड्ढे होने के बावजूद दूसरी शादी कर ली ( कामता -भोला प्रकरण )
  • नारी के मन का बहुत बारीकी से चित्रण - "नोहरी मर्दो को नचाने की कला जानती थी।  अपने जीवन में उसने यही विद्या सीखी थी। "
  • मिल मजदूर -हड़ताल की समस्या 
  • ह्दय परिवर्तन -गोबर का झुनिया के प्रति , खन्ना का गोविंदी के प्रति , मेहता का मालती के प्रति 
  • प्रेमचंद की परखी नजर का एक उदाहरन -" सिलिया जब सोना के घर रात में गयी तो उसे मथुरा ने रात में दबोचना चाहा " . मानव के चरित्र का जितना सटीक चित्रण गोदान में है उतना और कहाँ। मथुरा लम्पट न था फिर भी 
  • नारी परीक्षा नही प्रेम चाहती है - मालती मेहता से 
  • पीढ़ीगत अंतर - रायसाहब - रुद्र्पाल, होरी -गोबर 
  • " संकटों में ही हमारी आत्मा को जाग्रति मिलती है बुढ़ापे में कौन अपनी जवानी की भूलो पर दुखी नही होता " मिर्जा खुर्सेद के विचार , वेशाओ की नाटक मण्डली खोलना 
  • " जो अपना धरम पाले , वही  ब्राह्मण है , जो धरम से मुँह  मोड़े  , वही  चमार "- मातादीन के कथन में सामाजिक बदलाव की झलक 
  • गोदान में तात्कालिक भारत का सम्रग चित्र , देखा जा सकता है। 
  • सारा कथानक " मरजाद " यानि मर्यादा के परिधि में घूमता है , किसान टूट गया है फिर भी " मरजाद " के लिए विचलित है।  

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