गोदान
- प्रेमचन्द्र द्वारा १९३६ में रचित , उनका अंतिम और MOST IMPORTANT NOVEL
- ग्रामीण संस्कृति , उत्सव , पर्व
- धार्मिक कुरीतियाँ , अशिक्षा , अन्धविश्वास
- महाजनी , उधार लेने की प्रवत्ति
- ग्रामीण -शहर के मध्य का अंतर -गोबर की चेतना में बदलाव इसके चलते दातादीन को सिर्फ ७० रूपये देने की बात करता है
- परस्त्री गमन
- दलित चेतना -ब्राह्मण मातादीन को हरखू और चमारों द्वारा हड्डी मुँह में डालना
- बालमन का सूक्ष्म , सटीक चित्रण -रूपा और सोना के संवादों में
- JOINT FAMILY र का टूटना - गोबर को झुनिया का शहर ले जाना
- सास-बहू का झगड़ा -झुनिया -धनिया
- उस समय की HEALTH सुविधाओं की कमी का जिक्र - धनिया के २ पुत्र बीमारी में मर गए
- तंखा -दलबदलू , दलाल वर्ग के प्रतिनिधि
- दहेज की समस्या - रायसाहब की बेटी का विवाह
- बेवजह की मुकदमेबाजी , कमीशनबाजी -राय साहब से खन्ना का कमीशन मांगना
- " मगर यह समझ लो कि धन ने आज तक नारी के ह्रदय पर विजय नही पायी , और न कभी पायेगा। " मालती का खन्ना को जबाब - प्रेम की व्याख्या
- मुहावरो का बहुलता से USE - अपना सोना खोटा तो सोनार दोस ,
- लोकगीत - हिया जरत रहत दिन रैन , आम की डरिया कोयल बोले , तनिक न आवत चैन " होरी
- पूँजीवाद - जिंगरी सिंह जोर से हसा -तुम क्या कहते हो पंडित , क्या तब संसार बदल जायेगा ? कानून और न्याय उसका है , जिसके पास पैसा है।
- मुठी भर अनाज के लिए सिलिया -मातादीन में विवाद
- बाल विवाह , CHILD MARRIAGE
- बेमेल विवाह --नोहरी -भोला ( नोहरी ने मारे जूतों के भोला की चाँद गंजी कर दी.) मीनाक्षी ने दिग्विजय पर सटा सट हंटर जमाये।
- मरजाद - " खेती -बारी बेचने की मै सलाह न दूंगी। कुछ नही है , मरजाद तो है। " दुलारी होरी से कहती है। धनियां -" यह तो गौरी महतो की भलमनसी है ; लेकिन हमें भी तो अपने मरजाद का निबाह करना है। " जरा सोच लेने दो महराज ! आज तक कुल में कभी ऐसा नही हुआ। उसकी मरजाद भी तो रखना है। होरी का दातादीन से कथन जब वह रूपा का विवाह रामसेवक से करना चाहते थे।
- जवान रूपा का किसी लड़के से कोई RELATION न बन जाये इसका भी डर होरी को है
- बेटा अपने पिता को लातो से मारता है वजह पिता ने बुड्ढे होने के बावजूद दूसरी शादी कर ली ( कामता -भोला प्रकरण )
- नारी के मन का बहुत बारीकी से चित्रण - "नोहरी मर्दो को नचाने की कला जानती थी। अपने जीवन में उसने यही विद्या सीखी थी। "
- मिल मजदूर -हड़ताल की समस्या
- ह्दय परिवर्तन -गोबर का झुनिया के प्रति , खन्ना का गोविंदी के प्रति , मेहता का मालती के प्रति
- प्रेमचंद की परखी नजर का एक उदाहरन -" सिलिया जब सोना के घर रात में गयी तो उसे मथुरा ने रात में दबोचना चाहा " . मानव के चरित्र का जितना सटीक चित्रण गोदान में है उतना और कहाँ। मथुरा लम्पट न था फिर भी
- नारी परीक्षा नही प्रेम चाहती है - मालती मेहता से
- पीढ़ीगत अंतर - रायसाहब - रुद्र्पाल, होरी -गोबर
- " संकटों में ही हमारी आत्मा को जाग्रति मिलती है बुढ़ापे में कौन अपनी जवानी की भूलो पर दुखी नही होता " मिर्जा खुर्सेद के विचार , वेशाओ की नाटक मण्डली खोलना
- " जो अपना धरम पाले , वही ब्राह्मण है , जो धरम से मुँह मोड़े , वही चमार "- मातादीन के कथन में सामाजिक बदलाव की झलक
- गोदान में तात्कालिक भारत का सम्रग चित्र , देखा जा सकता है।
- सारा कथानक " मरजाद " यानि मर्यादा के परिधि में घूमता है , किसान टूट गया है फिर भी " मरजाद " के लिए विचलित है।
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