रचनाशीलता का सीधा संबंध मन की मुक्ति से होता है यानि जितना आप सहज और सुकून में होंगे उतना ही आपके पास विचारों का जमावड़ा होगा। आपको बहुत कुछ नया और अनोखा सूझेगा करने के लिए।
पिछले कुछ महीनों में मैं छुट्टी पर था न जाने कितने ही विचार , संकल्पना। सोचता था यह लिखूंगा , वह लिखूंगा। बिलकुल अलग , अनूठी चीजे। जैसे ही ऑफिस जॉइन किया , धीरे धीरे सब ठप होने लगा। वही रूटीन सी जिंदगी। वैसे भी लम्बी छुट्टी से लौटने पर ऑफिस में बहुत काम जमा हो जाता है , जम कर काम पड़ रहा है। यह लगातार तीसरा शनिवार होगा जिसमें भी काम जारी रहेगा। अब न वो पहले सा सकून है , न ही वे अनूठे विचार। कितनी ही चीजों पर लिखने के लिए वादे कर रखे है खुद से पर ऐसा लगता है वो सुनहरे दिन आने से रहे। बहुत पहले गेहूं और गुलाब ( रामवृक्ष बेनीपुरी ) पर एक निबंध पढ़ा था। चाहत तो गुलाब की है पर गेहूं बगैर काम नहीं चल सकता। मतलब यह कि नौकरी न करोगे तो गेहूं कैसे मिलेगा। इसलिए गुलाब के बारे में यानि सौंदर्य के बारे सोचना , कल्पना करना अच्छी बात है पर गेहूं की फ़िक्र में गुलाब के ख्याल मरते जा रहे है।
आशीष कुमार
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें