और अंततः उसे सरकारी नौकरी मिल गयी
भूमिका - काफी समय से पहले मैंने एक योजना के तहत मोटिवेशनल स्टोरी /लेख लिखना बंद कर दिया था और अपना लेखन समंसामियक विषयों की ओर मोड़ लिया था। हालांकि मोटिविशनल लेख को लोग ज्यादा पसंद कर रहे थे उसके बावजूद मैंने अपनी योजना के अनुरूप उनको लिखना बंद कर दिया था।
पिछले काफी समय से जब मै एकांतवास कर रहा था ( मतलब फेसबुक , ब्लॉग आदि से कटा था ) मुझे तीन कहानियां लिखने के विचार सूझ रहे थे। पहली कथा डॉक्टर की , दूसरी कथा रोबोट की और तीसरी एक लड़की की। इनका यही क्रम था। जब डॉक्टर के बारे में लिखने के बारे में सोच रहा था तो लगा कि इसकी कहानी शानदार है। फिर रोबोट के बारे जब सोचना शुरू किया तो लगा कि यह पोस्ट तो लोगों के दिलों में पढ़ाई की आग लगा देगी। आपको जिज्ञासा हो रही होगी कि आखिर रोबोट कौन है? दरअसल पिछले दिनों में लड़का मिला जिसको देखकर लगा कि चिंतक जी के बाद यही गुरु बनाने के लायक है , उसके बारे ज्यादा बाते फिर कभी , बस रोबोट के मतलब बता देता हूँ उसके पढ़ाई के घंटे देख कर मेरे मन में शीर्षक के तौर पर रोबोट का ही खायल आया। आईये आप उसकी बात शुरू करे जिसकी कहानी आज आप पढ़ने वाले है। कॉपी पेस्ट के दौर में आपको सचेत करते हुए बता दू यह कहानी आशीष कुमार , उन्नाव , उत्तर प्रदेश द्वारा उनके ब्लॉग व फेसबुक पेज हेतु लिखी गयी है। )
मुझे ठीक से यह याद नहीं है कि बात 2013 या 2014 की है पर इतना जरूर याद है कि शुरुआती दिनों में मैंने उसे झिड़क दिया था ( उसके मुताबिक मै उन दिनों भाव खाता था ) वजह थी उसके हर रोज , सुबह , शाम गुड मॉर्निंग तथा गुड नाईट के मेसेज। मेरी यह समस्या रही है कि लोगो की हेल्प करना तो बहुत अच्छा लगता है पर जैसे मुझे अहसास होता है कि मेरे समय जाया हो रहा तो बहुत ऊबता हूँ। यही कारण था कि उसकी यह हरकत मुझे अच्छी न लगती थी। उस डॉट के बाद जब उसने अपने बारे में बताया तो मुझे बहुत दुःख हुआ।
वो एक गावं से थी। पिता जी की मौत हो गयी थी। माँ और एक छोटे भाई के साथ जीवन संघर्ष कर रही थी। वह टूशन पढ़ाती थी ( इंटर मैथ के , मेरे लिए यह काफी महत्व की थी , दरअसल इंटर के दिनों से ही मेरी मैथ खराब होती गयी। हलांकि मैंने मैथ से b.sc. कर रखा है और सेन्ट्रल गवर्नमेंट की उस जॉब में हूँ जिसके लिए अच्छी मैथ सबसे जरूरी है। दरअसल अपनी अंकगणित शानदार रही है और एग्जाम में वही काम आती है। कैलकुलस को मैंने जॉब के एग्जाम में ज्यादा उपयोगी न पाया। ). चुकि वो गांव से थी , गरीब थी ,छोटी उम्र में आत्मनिर्भर थी , मेरे उसके साथ सम्पर्क गहन होते गए। मुझे ऐसे लोगों से बहुत जुड़ना बहुत अच्छा लगता है जो अपनी दम पर , अपनी किस्मत बदलने के लिए जूझते है।
अपनी बात का कोई निश्चित टाइम न था। 3 महीने , 6 महीने में उसकी काल आती थी। उन दिनों जिओ का जमाना न था , उसके फ़ोन जब तक रूपये होते तब तक बात करती -नहीं तो पुरे हक से कहती मुझे काल करो। बात अपनी 30 से ४० मिनट होती। वही पढ़ाई लिखाई की बाते , घर की , माँ की , गांव की बाते। अक्सर वो आईएएस के बारे पूछती , किताबे के नाम आदि। सच कहु तो मुझे उसे झूठी दिलाशा देनी पड़ती कि पढ़ती रहो जॉब जरूर लगेगी। वो उस राज्य से है जहां पर सरकारी जॉब के लिए सबसे ज्यादा करप्शन है , समझ रहे हो न अरे वही जहाँ एक पूर्व cm जेल में है। खैर समय गुजरता रहा। लोग आते है जुड़ते है और चले जाते है वजह मेरे स्वभाव को झेलना, सबके वश की बात नहीं। वो जुडी रही और अपने संघर्ष में लगी रही। बीच में कोई प्राइवेट स्कूल ज्वाइन कर लिया था। तमाम बाते है पर उनका कोई विशेष मतलब नहीं। एक और बात जरूरी लग रही है बताना , कभी उसने अपने घर के संघर्ष के चलते परेशान होकर जहर पीकर आत्महत्या करने की कोशिश भी की थी और यह राज उसके अनुसार मेरे अलावां दुनिया में कोई नहीं जानता कि वो आत्महत्या थी। मुझे लगता है कि इतना काफी है यह समझने के लिए वो किस परिवेश से थी , वो अपने खेत में काम करती , भैंस का दूध दुहती , गोबर फेकती और मन में कही न कही आगे बढ़ने की आस लिए जीवन जीती जा रही थी।
इस ऑक्टूबर एक रोज मुझे अपने नंबर पर मैसेज मिला कि उसने मुझे कॉल लगाई थी। दरअसल पिछले ३ महीनों से मेरा मोबाइल अक्सर बंद ही रहता। यह वह समय था जब मुझे अपने 10 मिनट भी बहुत कीमती लग रहे थे पता नही क्या सोचा और उसे फ़ोन लगाया। कुछ फॉर्मल बातों यथा कैसे हो , घर में सब ठीक है आदि के बाद उसने कहा सर, एक ख़ुशख़बरी है। मेरा क्रेन्दीय विद्यालय में टीचर के पद पर सिलेक्शन हो गया है। सफलता की खबर हमेशा बहुत ऊर्जादायक होती है। अपने आँखो से मैंने न जाने कितने लोगो को संघर्ष करते और सफल होते देखा था पर इसकी बात निराली थी। काफी देर तक बात होती रही , उसका कहना था कि इस सफलता की एक बड़ी वजह आप है आपसे मैंने बहुत कुछ सीखा है। देखा जाय तो मैंने तो समय ( वैसे यह बहुत कीमती चीज है ) को छोड़ कुछ न दिया। फेसबुक की दोस्ती , कभी कोई रूबरू मुलाकात नहीं फिर भी मुझे बेहद खुशी हुयी शायद आपको भी पढ़कर बहुत खुशी महसूस हो रही होगी।
मैंने इन दिनों लोगों तो तमाम तरह का रोना देखा है - जनरल कैटगरी से हूँ , वेकन्सी नहीं आती है , सब पैसे से होता है , नौकरी पाने के लिए अच्छी कोचिंग की जरूरत होती , लड़की हूँ , घर में पढ़ाई का माहौल नहीं है। मेरे घर वाले एग्जाम दिलाने बाहर नहीं जाते। वो भी जनरल कैटेगरी से ही है बाकि परिवेश ऊपर बता ही चूका हूँ। मैंने उससे हर पहलू पर विस्तार से बात की मसलन इंटरव्यू देने कहाँ गयी , कैसे गयी , क्या पहना था आदि आदि। उसे 60 में 52 अंक मिले , उसका कहना था कि अगर उसके पास शूज होते तो शायद 55 मिल जाते क्युकी उनके बगैर सैंडल में अटपटा महसूस कर रही थी।
उसकी जॉइनिंग भी हो गयी है। उसका कहना था कि वो काफी बदल गयी है , मुझे लग रहा था कि शायद पहनावे में बदलाव हुआ पर नहीं मैंने उसे हमेशा कम आँका। पिछले 4 सालों से टच में होने के बावजूद मेरे पास उसकी कोई तस्वीर न थी। एक आध बार उसने व्हाट एप पर अपनी किसी फोटो की फोटो खींच कर भेजी थी पर मेरे दिमाग में उसका कोई चित्र था। हालांकि फेसबुक पर मै कभी किसी लड़की को रिक्वेस्ट सेंड नहीं करता और लड़की की रिक्वेस्ट आने पर उसकी तस्वीर मांगने पर पूरा जोर देता हूँ वजह हमेशा यही लगता है कि आखिर कोई अनजान लड़की मुझे रिक्वेस्ट क्यू सेंड करेगी। इसको कभी इंसिस्ट न किया। ग्रामीण परिवेश , अपने आप में विश्वास की वजह होता है।
मै अभी उसके व्यक्तित्व में आये बदलाव की बात कर रहा था। जोइनिंग के बाद उसने अपनी नई तस्वीर भेजी। सच कहता हूँ मै स्तब्ध रहा गया। उसने अपने बॉब कट बाल कटा लिए थे। सबसे पहला ख्याल दंगल गर्ल ( वो दंगल फिल्म का वो गाना तो सुना ही होगा , नेकर और टी शर्ट पहन कर आया ----------) का आया। संयोग से यह भी उसी स्टेट से है। मैंने पूछा यह क्यों और कब क से। "बस मेरी मर्जी , पिछले कई महीनों से ऐसे ही हूँ।" उसने कहा।
अब जा कर यही निष्कर्ष निकला जा सकता है। उसे अपनी मर्जी से जीना था। रूढ़ियाँ उसे पसंद नहीं। यह अंतिम बात सुनकर आपको कैसा लग रहा है। भारतीय समाज में लड़की के बाल , लड़कों जैसे रखने का चलन नहीं है। मुझे तो उसके बाल कटाने में भी लड़कियों की मुक्ति नजर आयी। हर लड़की की यह इच्छा होती है कि वह अपनी मर्जी से जिए , उसे कोई रोके , टोके न। मैंने इस बात तो हमेशा जोर दिया है कि अगर तुम्हे आजादी चाहिए , अपनी जिंदगी अपनी शर्तो पर जीनी है तो अपने पैरों पर खड़ी हो जाओ। रात दिन एक कर दो। जरूरी नहीं कि आईएएस , pcs ही बनो पर कुछ न कुछ अपने दम पर करो।
मेरे तमाम पाठकों , विशेष कर लड़कियों के लिए इससे उम्मदा, मोटिवेशनल उदाहरण कोई नहीं हो सकता है। अब वो आईएएस की तैयारी में लगी है , होगा या न होगा अलग बात है पर उसने जो आदर्श सामने रखा है , उससे मै बहुत प्रभावित हुआ। जाते जाते आपके लिए एक प्रश्न छोड़ कर जाता हूँ उत्तर जरूर देना।
एक लड़की जिसके माता पिता दोनों क्लास वन अधिकारी , 4 साल दिल्ली में आईएएस की कोचिंग , दिल्ली के नामचीन कॉलेज से पढ़ाई , अनुसूचित जाति ( इसका उल्लेख करना जरूरी न था पर इसको लेकर काफी बवाल हुआ था उस वक़्त अपनी राय न रखा था आज रख रहा हूँ , भारत में आरक्षण एक बड़ा और जटिल मुद्दा है। निश्चित ही कम से कम इतने आमिर और सशक्त परिवेश की लड़की द्वारा आरक्षण का लाभ लेना उचित न था। ऐसा करके वह अपने ही समुदाय / वर्ग का हिस्सा खा रही है। उन दिनों जब आईएएस टॉपर को लेकर विवाद हुआ था तो मेरी यही सोच थी कि इसका सलेक्शन तो तय ही था पर कोटे को लेकर वह अपने ही वर्ग की गरीब , कमजोर लड़की का हिस्सा , सीट खा गयी ) की लड़की आईएएस में जबरदस्त रैंक लाती है। पहला प्रयास , 21 साल की आयु , नाम का उल्लेख जरूरी नहीं पर आईएएस की तैयारी से जुड़ा हर कोई समझ सकता है कि मै किसकी बात कर रहा हूँ ?
आपके सामने दो लड़कियों की कहानी रख दी है। ऊपर वाली लड़की की नौकरी कोई बड़ी नहीं है , नीचे वाली लड़की की नौकरी सबसे बड़ी है। आप बताईये आप के लिए कौन ज्यादा प्रेरक है , सारी बातों को ध्यान में रख कर सोचिये , किसकी उपलब्धि बड़ी है और क्यों ?
( Dear reader, above mentioned girl is one of from you , even your views & comments will be read by her . Thanks , keep reading .)
- आशीष कुमार
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।
( e mail- ashunao@gmail.com )
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें