वो दिन
आज भी घूम फिर कर बात उसी दिन पर आ टिकी थी। उन दोंनो के शार्ट रिलेशन में वो दिन बहुत महत्वपूर्ण था। यूँ तो उन्होंने कोई ब्रेकअप की बात न की थी पर वो धीरे धीरे दूर होते गए। चैटिंग से जो रिश्ता शुरू हुआ था उसका चरम वो दिन था। उस दिन के बाद धीरे धीरे मरता हुआ रिश्ता अब फिर चैटिंग पर भी आ कर रुका था। लगभग 5 साल होने को थे उनके रिलेशन को।
वो एक सफल इंसान था जो अपनी धुन में मस्त था। दूसरी ओर गीत का कॉलेज का आखिरी साल था। गीत उम्र के उस पड़ाव पर थी जहाँ उसे किसी अपने की बेहद जरूरत थी। उसे खुद नहीं पता कि वो क्यू तनहा सा महसूस करने लगी थी। उन्ही दिनों , गीत ने उसे देखा। हाँ , फेसबुक पर ही। चैटिंग शुरू हुयी , बात आगे बढ़ी। कुछ दिनों में वो घंटो बातें करने लगे। दोनों ने कुछ भी न सोचा , बस बातें करते रहे। उन बातों में बहुत रस था। बेकरारी , बेचैनी , मिलने की घोर तड़प सब कुछ था उस खूबसूरत रिश्ते में। दोनों को अपनी दुनिया बहुत सुंदर दिखती थी।
उनके रिश्ते को महीना होने वाला था जब वो मिले। वो जुलाई का एक सुहाना दिन था। पिछले दिन बारिश हुयी थी। वो बाइक लेकर , उसका वेट कर था। गीत पहली बार अपने घर से झूठ बोलकर निकली थी। उसे घर से निकलने में जरा देर हो गयी थी वजह उसकी नेलपॉलिश बनने की जगह बिगड़ गयी थी। दरअसल उसने गीत से कहा था कि उसे लड़कियों की पतली अंगुलियों में करीने से लगी नेलपॉलिश बहुत अच्छी लगती है।
जब वो मिले तब नेल पोलिश की बात न हुयी। बातें कुछ और ही होती रही। एक मिनट , सच कह रहा हूँ उन्होंने केवल बातें की। ऐसा नहीं कि उन्हें एकांत न मिला , वो एक कम व्यस्त जगह मिल रहे थे। कई मौके थे पर उन्होंने सिर्फ बात की। काफी देर तक वो बाइक पर घूमते रहे। उसने एक हाथ से बाइक को साधा और अपने दूसरे हाथ से गीत के बालों सहलाया। गीत , आगे झुक सी गयी। उसने अपने हैंडबैग को जो दोनों के बीच में था , हटा लिया और उसकी पीठ के सहारे आगे झुक आयी।
उन्होंने एक कॉफीहॉउस में काफी पी। हाथों में हाथ लेकर तमाम बातें की। दोनों बहुत खुश थे। उसने उसी कॉफीहाउस से एक मग खरीद कर गीत को भेंट के तौर पर दिया। शाम को जब गीत ने उससे विदा ली तो दोनों संसार के सबसे खुश इंसान थे। गीत ने पहले ही उसके लिए एक वालेट खरीद कर रख लिया था। गीत ने अपनी एक तस्वीर , उस वालेट में रखी और चलते समय उसे दे दी।
बस यही दिन और एकलौता यही दिन , दोनों के जीवन का सबसे खूबसूरत दिन है। सवाल तमाम हैं कि आखिर वो साथ क्यूँ न है ? आखिर क्या हुआ जो दोंनो अलग हो गए। जबाब भला मैं क्या जानू , मेरा काम तो कहानी कहना था जो मैंने कह दी। देखिये शायद गीत और वो आपके आस -पास ही होंगे। हो सकता है वो आपके भीतर ही हों।
© आशीष कुमार , उन्नाव , उत्तरप्रदेश।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें