एक सुहानी रात
तुमने कहा कि
मैं लिखूँ एक प्रेमपत्र
जिसमें बतलाऊँ कि
मेरे हदृय में क्या
जगह है आपकी,
क्या मायने है आपके होने
मेरे जीवन में।
सुनो प्रिय,
मैं कोई उपमा
नहीं दे सकता
जो परिभाषित कर
सके हमारे
अनाम रिश्ते को
मैं अमिधा में
ही कहूँगा कि
तुम सबसे खास हो
सबसे करीब,
सबसे राजदार
तुम्हें सुन सकता हूँ
अनवरत, अविचल
बोल सकता हूँ तुमसे
हर वो बात जो
किसी से कभी नहीं
कहता,
कर सकता हूँ वर्षों इंतजार
आपके आने का,
नहीं रखता अपेक्षा जरा सी भी
न ही कोई उम्मीद।
तुम जब भी साथ होती हो
तब महसूस करता हूँ
दुनिया की सबसे अनमोल खुशी
आँखों में आ जाती है
बयाँ न कर सकने वाली चमक।
दिसंबर की सबसे ठंढी शाम
पार्क की कोने वाली बेंच पर,
बैठ सकता हूँ कई घंटे
तुम्हारे साथ,
बस हाथों में लेकर हाथ।
दे सकता हूँ और भी
लंबे, चौड़े व गहरे
आत्मीय बयान
शर्त यह है कि आप
समझ सके मुझे
और माप सके
अपनी जगह को
मेरे हदृय में ।
*5 जनवरी, 2020
© आशीष कुमार, उन्नाव
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