एक और साल बीत गया !
तमाम सालों से एक आदत सी पड़ गई है, डायरी में हर साल का विश्लेषण करना। यह साल कई मायनों में अलग रहा, इस साल सबसे कम पढ़ना हुआ, एक तरह से किताबों से दूर हो गया। लिखना भी कम ही हुआ पर हमेशा की तरह कम लिखा पर जोभी लिखा गया, कहीं न कहीं प्रकाशित हुआ, जिसमें कादम्बनी जैसी ख्यातिलब्ध पत्रिका में एक कविता "आत्मबोध" का प्रकाशित होना, एक रूप में काफी बढ़िया उपलब्धि रही।
साल की सबसे अच्छी बातों में एक यह रहा कि इस साल फिटनेस के लिए अच्छा समय मिल और तमाम वर्षो की दबी हुई ख्वाहिश पूरी होने के करीब है। 14 kg वजन कम करना , खान पान से समझौता किये बगैर काफी सुखद, सुकून भरा रहा।
इसी दिसम्बर से सुबह उठने की भी आदत पड़ गई। कितने ही साल से मैं हमेशा देर रात तक जगता और सुबह 9 बजे उठा करता था। जिम के शौक के चलते, रात में जल्दी सोने की व सुबह जल्दी उठने की आदत पड़ गई है। सुबह जल्दी उठने के गजब मजे होते हैं, जिस्म में एक अलग सी स्फूर्ति महसूस होती है। लेट उठने से सारा दिन आलस बना रहता था।
साल के अंत में आते 2 दिल्ली भी भाने लगा। शुरू के कुछ महीने बड़े आलस में गुजरे थे, पिछले कुछ समय से खूब घूमना फिरना शुरू कर दिया।
यात्रायें इस वर्ष तमाम हुई प्रायः सरकारी दौरे लक्षद्वीप से गंगोत्री तक खूब कदम फिरे।
नए साल के लिए दो चीजें मुख्य फोकस पर रहेंगी
1. फिटनेस
2. लेखन
इनके साथ 2 यह भी उम्मीद करता हूँ कि आप सब मित्रों, पाठकों, आत्मीय जनों से सम्बंध और ज्यादा मधुर, गहरे व सुस्थाई होंगे।
नए लक्ष्यों को निर्धारित करें, जो भी करें पूरे जुनून, उत्साह व साहस के साथ जीवन के मजे लेते हुए करें।
सभी को नया साल मुबारक ..
आपका ही
आशीष , उन्नाव।
Ap ko bhi mubarak ho sir
जवाब देंहटाएं