बुधवार, 25 जनवरी 2017

A very important announcement

एक बेहद जरूरी सूचना

काफी समय से मुझसे इस चीज का अनुरोध हो रहा था कि what app group बनाउ तैयारी के लिए । अस्तु , एक योजना है केवल उनके लिए जो ias mains , हिंदी साहित्य से लिख चुके है या भविष्य में लिखने की योजना रखते है ।
कुछ चीजे ध्यान दे

1 यह सिर्फ हिंदी साहित्य के लिए है । शामिल होने के लिए प्रमाण देना जरूरी है , आप अपना mains का admit कार्ड मुझे यहाँ पर मेसेज कर सकते है ।

2 mains न लिखने वाले लोग भी शामिल हो सकते है उन्हें कुछ हिंदी साहित्य के स्तरीय answer लिख कर message करना है । इसके इतर अन्य कोई रास्ता नही । कोई सिफारिश नही । आंसर लिखे और शामिल हो ।

3 इस ग्रुप में अनिवार्य रूप से आपको हर वीक , अपने उत्तर लिखकर शामिल करना होगा । अगर आप नही लिखते है तो आप अनिवार्य रूप से बाहर कर दिए जायेंगे ।

4 आत्म अनुशासन और नियमबद्धता सबसे जरूरी नियम है । केवल कर्मठ लोग ही जुड़े । किसी तरह की लापरवाही झम्य् न होगी ।

5 यह telegram पर शुरू होगा न कि व्हाट app पर । इसलिए telegram download कर ले ।

6 सबसे जरूरी बात यह ग्रुप सहयोग आधार पर विकसित होगा । आप में ही कोई योग्य व्यक्ति इसके संचालन में प्रमुख भूमिका निभाएगा ।

फायदा क्या होगा

आपके आंसर इम्प्रूव होंगे । मेरे लिखे आंसर भी आपको देखने को मिल सकेंगे । हिंदी साहित्य के लिए कोई कोचिंग या टेस्ट सिरीज की जरूरत न पड़ेगी । साथ में मेहनत करें 250 से अधिक अंक लाना सम्भव ।

कृपया इस मेसेज को जरूरी व्यक्तियों तक पहुचाने का कष्ट करें । जुड़ने के लिए मेसेज या कमेंट करे ।

3 drama for ias mains Hindi sahitya

सिविल सेवा में हिंदी साहित्य में कुल 3 नाटक पढ़ने है ।
भारत दुर्दशा  -भारतेन्दु हरिश्चन्द
स्कन्दगुप्त   -जयशंकर प्रसाद
आषाढ़ का एक दिन - मोहन राकेश

तीनों इसी क्रम में रचे गए और उन पर तत्कालीन समय की मांग के अनुरूप विषय वस्तु रखी गयी । पहले 2 में गीतो की बहुलता है तो तीसरे में कोई गीत नही होते हुए भी आंतरिक लय उपलब्ध है ।

भारतेंदु का नाटक आत्मबोधक, लोगों को गुलामी के शासन के प्रति उद्देलित करने वाला है । यह मंचन की दृष्टि से सरल है ।

प्रसाद के नाटक की भाषा तत्सम बहुल , गुप्तकालीन संस्कृति को दिखलाती है । यह नाटक अपने विविध काल विस्तार, लंबे स्वगत कथन के चलते अभिनय की दृष्टि से जटिल रहा है ।

मोहन राकेश का नाटक की विषय वस्तु अतीत की है पर उसमें वर्णित प्रश्न समकालीन संदर्भ में महत्वपूर्ण रहे है । मंचन की दृष्टि से यह सबसे सफल रहा है ।

मंगलवार, 24 जनवरी 2017

Hindi sahitya for ias mains : Novels

आईएएस के लिए हिंदी साहित्य में कुल 4 novel पढ़ने है ।
गोदान - प्रेमचंद्र
दिव्या  -यशपाल
मैला आँचल  -रेणु
महाभोज - मन्नू भण्डारी

चारों नावेल अपनी विषयवस्तु , भाषा शैली , उद्देश्य की दृष्टि से सरस, रोचक , प्रभावी व अनूठे है । इनका रचनाकाल भी उक्त क्रम में ही है । गोदान में भारतीय किसान की महागाथा , दिव्या में नारी स्वत्रंत्रता , मैला आँचल में भारतीय गावँ तथा महाभोज में राजनीति , खोखले लोकत्रंत की विद्रूपता का मार्मिक , सजीव , जीवंत सरस व मन पर अमिट प्रभाव छोड़ने वाला वर्णन है ।

शनिवार, 21 जनवरी 2017

He is really different




उससे मुलाकात मेरी स्पीपा में हुयी थी।  हुआ यह कि  उसको किसी ने बताया कि मेरा भी हिंदी साहित्य वैकल्पिक सब्जेक्ट है। वही मुझे खोजता हुआ आगे वाली लाइब्रेरी में आया था वो पीछे वाली लाइब्रेरी में बैठता था।  
पहली बार में मुझे लगा यह इंसान जमाने से बहुत पीछे चल रहा है।  मुझे ऐसे लोग बहुत आकर्षक लगते है।  उनमे बहुत सी चीजे खास होती है , सरलता से हद से ज्यादा होती है चिंतक जी की तरह । धीरे धीरे हम काफी अच्छे मित्र बन गए।  इसमें एक बड़ा योगदान हम दोनों का ऑफिस पास पास होने का भी था। एक दो बार उसके ऑफिस भी गया। उसके जीवन में बहुत सी बाते थी जो मेरे बड़े काम की थी।  मैंने उससे कहा  कि  तुम पर एक कहानी लिखूंगा , यह बात मैं लगभग हर किसी के कहता हूँ क्योंकि हर किसी में मुझको कुछ न कुछ खास बात दिख ही जाती है यह अलग बात है कि वयस्ततो के चलते बहुत कम लोगो पर लिख पाया हूँ।  

अब आज अचानक उस पर लिखने की वजह कल उसका फ़ोन आना है।  पता चला कि  वो अब शहर छोड़ कर जा रहा है , उसका प्रमोशन हो गया है और वो रायपुर जा रहा है।  सुनकर मुझे अच्छा न लगा वजह उसके साथ मुझे बहुत सी चीजे सीखने  को मिली थी। उसके होने से मुझे सम्बल मिलता था भले मुलाकात न हो या बात न हो।  खैर अब कुछ चीजे आपके साथ भी शेयर कर  रहा हूँ जो आपको भी लगेगी वो खास क्यों है.

 १.  किस्मत से मजदूर बनने से बच गया -  उसके गाँव  से कुछ लड़के पढ़ाई छोड़ कर गुजरात में कमाने निकल रहे थे।  यह उत्तर प्रदेश , बिहार , झारखण्ड में आम बात है , लड़के बम्बई , गुजरात , पंजाब कमाने के लिए निकलते रहते है ( यह देश की बड़ी विडम्बना है विषम विकास ) . वो भी निकलना चाहता था पर ऐन वक्त पर उसके पास पर्याप्त पैसे न इकठे हो पाए और वो वही रह गया।  समझ सकते है कि  वो किस स्तर पर था।  

२. उसकी ईमानदारी - जब उससे मुलाकात हुयी वो सेंट्रल गवर्नमेंट में अच्छी जॉब में था। इससे पहले वो इनकम टैक्स में टैक्स असिस्टेंट की तरह जॉब कर चूका था। उसकी वर्तमान पोस्ट में भी काफी पैसा है।( मैं  बहुत सी चीजे अभी लिख नही रहा हूँ पर कभी भविष्य में उस पर जरूर लिखूंगा। मैंने बहुत तरह के लोग देखे जो लंबी , चौड़ी , आदर्शवादी बातें  करते थे पर जब वो कमाई वाली सीट पर पहुँचे  तो सारी  हदे  पार कर  दी आपको जानकर बहुत हैरानी होगी चिंतक जी , जिनको हमारे बहुत से पाठक आदर्श मानते है जैसे लोग************   खैर जाने दीजिये . ) इस मित्र ने बहुत सी इस विषय में बताई जो वाकई आज समय में दुर्लभ है . बहुत विरले ही हाथ में आये पैसे को वापस लौटा पाते है . फेसबुक पर एक चर्चित युवा ias जिसके लेख आप भी पढ़ते होंगे आपको शायद यह बात सुनाई पड़ी हो उसने 300 करोड़ में शादी की है। 300  करोड़ की बात ठीक से पता नही है पर उनकी एथिक्स वाली बाते बहुत ही प्रभावी है।  यही है जिंदगी का दोहरापन ( एक पाठिका ने यह सवाल बहुत बार पूछा था अब समझ गयी न जिंदगी का दोहरापन )  
३.  प्रॉब्लम आंतरिक होती है न कि बाहरी - पिछले साल हम दोनों ने सिविल की तैयारी के लिए एक लाइब्रेरी ज्वाइन की। मैंने तो कुछ खास पढ़ाई न की पर उसके साथ काफी बातो पर चर्चा होती थी।  उसका यह लास्ट एटेम्पट था। उसने पूरी दम लगा दी। उन्ही दिनों एक बात बहुत अच्छी  बात बताई कि हमारी प्रॉब्लम आंतरिक होती न कि बाहरी।  अगर हम अपने भीतरी भाग पर विजय पा ले तो सारी चीजो पर विजय पा सकते है। पिछले साल , मेरी तैयारी सबसे शिथिल थी वो खैर हमेशा रही है पर मेरा इंटरव्यू काल आ गया। यह मेरे साथ साथ अन्य मित्रो के लिए भी हैरानी भरा था।  सच कहूँ तो मैं भी अपने हाथ पैर ढीले कर रखे थे कि मैं  सिविल के लायक नही पर यह उसकी संगति का असर था कि मैं आसानी से ही कॉल पा  गया। उसकी चीजे , अनुभव मेरे काम आये थे।  अफ़सोस , आखरी प्रयास में भी वो सफल न हो सका  . वैसे  ज्यादा अफोसजनक नही है क्योंकि वो अपनी जॉब में ही काफी ऊपर तक जाने वाला है।  


एक सैकड़ा बाते है पर अब मुझे विराम लेना होगा। भविष्य में उस पर जरूर लिखूंगा मुझे चीजे याद रहती है।  आशा है आपको इसमें कुछ बाते आपने  मतलब की मिल जाएँगी।  आपको पढ़ कर  अधूरापन लग रहा है , मेरी सबसे बड़ी शिकायत यही है मैं चीजे अधूरी छोड़ देता हूँ , मैं भी जानता हूँ कि हर पोस्ट , बहुत ही जल्दबाजी में लिखता हूँ पर कभी न कभी सब चीजे पूरी करूँगा , तुम पर भी लिखूंगा हाँ हाँ तुम पर भी 

कॉपी राईट - आशीष कुमार 

बुधवार, 18 जनवरी 2017

Your aim and arrow

आपका लक्ष्य और आपके तीर

आप के पास 6 या 9 या असीमित तीर हो सकते है पर लक्ष्य केवल एक । अपने तीरों को waste मत करे , चुन कर प्रयोग करे । एक ही तीर का प्रयोग करे। समय ले उसे तीक्ष्ण करे ताकि एक ही प्रयास में लक्ष्य भेद सके ।

if you read, try to write also


जमकर पढ़े और खूब लिखे 


अभी एक मित्र से बात हो रही थी । उनमे काफी समभावनए भी मुझे दिखती है । संभव है किसी दिन वो सिविल सेवा मे सफल भी हो । वो बता रहे थे कि अभी हाल मे ही the argumentative indian  पढ़ी । यह किताब , अमर्त्य सेन की सबसे  बेहतरीन किताबों मे एक है । मैंने उनसे कहा जो भी अच्छा पढ़ो , उस पर अपने विचार जरूर व्यक्त करो । 

हम मे बहुत से लोग बहुत सी अच्छी २ किताबे पढ़ते रहते है और भी बहुत सी चीज सीखते है पर उनको अपने तक ही बनाकर रखते है।  मेरी समझ से यह आपके ज्ञान के लिए उचित नही है। आप ज्ञान का परिवर्धन तभी कर  सकते है जब अपनी समझ को अभिव्यक्त करते रहे।  

आजकल तो सोशल साइट आपको बढ़िया प्लेटफॉर्म उपलब्ध करती है।  हर किसी को अपने विचार जरूर व्यक्त करने चाहिए। हो सकता है आपको कोई न पढ़े या ध्यान न दे पर उससे फर्क क्या पड़ता है। आपकी बातो में निखार धीरे धीरे ही आएगा और एक दिन आप पाएंगे कि आप तो बहुत अच्छे व्यक्तित्व के मालिक बन चुके है।  

अतीत में तो महान लोगो को अपनी बात रखने के लिए किसी चौराहे , मैदान में भीड़ को जुटाना पड़ता था।  आपको शायद पता ही होगा कि सुकरात , अपने विचार रखने के लिए सड़क पर लोगो को पकड़ लेते थे। मेरी बात आप समझ रहे होंगे। आज के समय अगर आप समाज , देश , विषमता के लिए कुछ अपने विचार नही रखते तो आप जीवित होते होये भी  मृत  है।  

आज से अपनी timeline पर लिखना शुरू करिये। बस यह ध्यान रखना कि आप जो भी लिखे वो मौलिक हो। किसी के विचार , कविता या कॉपी पेस्ट कर अपनी timeline को गन्दा मत करना।  आपकी पहचान तभी बनेगी जब आप खूब पढ़े और  मौलिक लिखे 


Copyright. asheesh kumar . 

मंगलवार, 17 जनवरी 2017

Nagmti ka virh

नागमती विरह वर्णन

हिंदी साहित्य में जायसी के पद्मावत में जैसा विरह वर्णन मिलता है वैसा अन्योक्त उपलब्ध नही । इन लाइन्स का आशय यह कि नागमती  कौवे और भवरें को संबोधित करते हुए कहती है कि आप मेरे प्रियतम से जाकर मेरी व्यथा कहो उनसे कहना कि  आपकी प्रियतमा , आपके वियोग में सुलग रही है और उसके धुएं से ही हम काले हो गए है ।

कितनी सरस,मार्मिक व रसमय व्याख्या है कि नागमती जल नही वरन सुलग रही है । अगर कोई चीज जलती है तो उससे धुँवा नही निकलता। नागमती तो तिल तिल मर रही है ।
एक और विशेष बात गौर करने वाली है , सूरदास ने भी गोपियों के विरह का वर्णन किया है जिसमे वह भी दिखलाते है कि गोपियं भी पेड़ो से बात करती है उनको धिकारती है ,
मधुवन तुम कत रहत हरे ,,,,,

पर यह उतना मार्मिक नही । इसीलिए नागमती का विरह वर्णन को रामचंद्र शुक्ल जी हिंदी की अमूल्य निधि माना है ।

सोमवार, 16 जनवरी 2017

Short essay

जागरूकता

जब तक आप सामान्य आदमी की तरह जीवन जीते है तब तक कोई फर्क नही पड़ता पर जैसे ही आप गहन अध्ययन, मनन व् चिंतन करने लगते है तो आप को बहुत चीजे विचलित करने लगती है। जब आप महसूस करते है कि राजनीति, व्यापारी, मीडिया व शासन के मध्य एक अदृश्य समझौता है तब आप को बड़ी कोफ्त होती है । आज 2017 में भी भारत की बड़ी आबादी निरक्षर है विशेषकर महिला । ऐसे में जब तक हम पूर्ण साक्षरता का लक्ष्य नही पा लेते तब तक चीजों में विशेष बदलाव नही देखेगे । विडंबना ही है कि आज भी देश में चुनाव में जाति, धर्म , धन का बोल बाला है ।

रविवार, 15 जनवरी 2017

देवसेना और स्कन्दगुप्त का प्रेम

हिंदी साहित्य

देवसेना व् स्कन्दगुप्त का प्रेम , पाठकों के लिए अबूझ पहेली सा रहा । पहले देवसेना मोहित थी पर बाद में उदासीन हो गयी । यह कुछ कुछ गोदान की मालती और मेहता के बीच live in relationship जैसा भी न है ।
देवसेना प्रेम बहुत करती है पर सम्बन्ध में बंधने के लिए विमुख हो जाती है क्योंकि प्रेम में पड़कर स्कन्द देश के लिए समय न दे पाता । दिव्या में भी यही द्वन्द है पर उसमें दिव्या विवाह से पूर्व ही अपने प्रेमी को सौंप देती ताकि वह पूर्ण मन से युद्ध में भाग ले पर इस अनैतिक कृत्य के लिए उसे बिन ब्याही माँ बन ना पड़ता है और पुरे उपन्यास में उसे संघर्ष करते चित्रित किया गया है ।

सिविल सेवा में हिंदी साहित्य का पाठ्यक्रम बहुत रोचक व् जीवनदृष्टि विकसित करने वाला है । लंबे समय से इसे पढ़ते हुए , मेरी जीवन, समाज, प्रेम,  के प्रति विशेष समझ विकसित हुयी है जिसके फलस्वरूप इन जटिल विषयों पर सरलता व् सहजता से विचार अभिव्यक्त कर पाता हूँ । thanks

शनिवार, 14 जनवरी 2017

A story from Agra




पिछले दिनों मुझे किसी काम से Agra जाना हुआ . सुबह जब Ahmedbad से मेरी ट्रेन आगरा फोर्ट पर रुकी तो मैंने पाया इस शहर में बहुत ही ठंढ हो रही है . मै इसके लिए तैयारी से ही गया था . फोर्ट के बाहर जैसे ही आप निकलेंगे तो पाएंगे कि वहां पर बहुत ही ज्यादा भीड़ है . ऑटो वाले आपको प्लेटफोर्म से ही पकड़ने लगते है खैर यह तो हर जगह की कहानी है . बाहर निकल कर मैंने अपना उबेर एप ( डिजिटल इंडिया ) खोल कर देखा इस शहर की क्या पोजीशन है . पहले तो मुझे कुछ गाड़ी दिखी पर फिर बाद में न जाने क्या हुआ एप चला ही नही ( free jio service , न जाने कब धोखा दे जाये . ) 

फोर्ट स्टेशन से १०० मीटर की दुरी पर एक चौराहा है . वही से मुझे ऑटो पकड़ना था अपने एक रिश्तेदार के घर जाना था . बहुत भीड़ वाली जगह थी . चारो तरह लाइन से ऑटो खड़े थे . एक ऑटो में जा कर बैठ गया . 

(अब यहाँ से एक विचार मेरे मन में चलने लगा जो बड़ा ही रोचक है . आपको लगेगा यह गलत तरीका है पर फिर भी आप इसके लिए कोई सही तरीका नही सोच पायेगे . ) 

मै पीछे की सीट में बैठा था . मुझ को मिला कर ३ लोग बैठे थे . तभी एक लडकी आई पुरी तरह से पैक ( चेहरे को कपड़े से ढकना पता नही सही है गलत . यह तो कोई बुद्धिजीवी ही बता सकता है . आपको क्या लगता है ?) दूसरी साइड से आकर कुछ बोली . जब तक मै समझता ऑटो वाला लड़का आकर बोला कि आगे पीछे होकर बैठ जाओ  पीछे ४ लोग बैठते है . यह आगे पीछे वाला तरीका पहली बार नही सुन रहा था . पर शायद सालो बाद ऐसा करना पड़ रहा था . खैर आगे पीछे होकर सारे लोग सेट हो गये . आगे भी चालक को मिला कर ४ लोग थे . एक साइड २ सवारी , राईट साइड में १ सवारी . भगवान ही जाने वो कैसे बैठे थे . 

पिछली सीट में मेरे मन में बहुत सी चीजे चल रही थी . Smart City हम कितनी दूर खड़े है . मुझे एक चक्र महसूस हो रहा था . ऐसा तो नही है कि पुलिस , परिवहन विभाग के नजर में यह बात नही होगी . उनका हफ्ता बंधा होगा . एक चीज और भी सोचने वाली बात है कि लोग इस तरह की बदतर व्यवस्था को अस्वीकार क्यों नही करते . इसके पीछे भी वही बात है , हर कोई जल्दी में है . कोई बाद से ऑटो से नही आना चाहता है . अगर कोई चाहे भी तो कम से कम चौराहे से तो उसे ऑटो वाले नही मिलेंगे . उनका संगठन ऐसा न करने देगा . तो अपने देखा कि इस चक्र में हर कोई खुश लग रहा है . ऑटो वाले , यात्री , सरकार ( पुलिस, परिवहन विभाग ) . 

अब मान लो आप ऐसे किसी शहर में प्रशासक बन कर पहुचते हो तो आप एक चक्र को कैसे तोड़ोगे . क्युकी इसमें हर कोई खुश है . आपके नवाचारी परन्तु प्रक्टिकल सुझाव जरुर सुनना पसंद करूंगा . वैसे आपको भी आगे पीछे होकर बैठना  आता है कि नही . ( इसे ही desi bhasha me जुगाड़ कहा जाता है . ) 


Copyright _ Asheesh Kumar . 

आपके लिए एक जरूरी सुचना है , मैंने अपना फेसबुक पेज फिर से activate कर दिया है . आप फेसबुक पर इसी  ias ki preparation hindi me नाम से इसे खोज कर जुड़ सकते है . अपने पाठको से मै कभी नही कहता कि मेरी पोस्ट शेयर करो या लाइक करो पर मै हमेशा उनकी टिप्पणी की अपेक्षा करता हूँ . अगर आप टिप्पणी देना सीख जाते है तो एक दिन आप भी अच्छे लेखक बन सकते है . keep reading & be in touch. 

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