BOOKS

शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016

A story from my village





                        काफी दिनों बाद माँ से बात हुयी तो पता चला कि पड़ोस वाले खेत में बाड़बंदी हो गयी है। स्टील वाले तारों से पड़ोसी ने अपने खेत सुरक्षित कर लिए है। मैंने पूछा उनके खेत में क्या बोया गया है तो माँ बोली गेहूं ही है।  यह बात जरा चकित करने वाली थी क्योंकि मैं गेहूं को वैसी फसल नही मानता था जिसके लिए स्टील के तार लगवाने पड़े। फिर मुझे कुछ याद आया ऐसा क्यू हुआ होगा ? 

                       पिछली बार जब मेरा गांव जाना हुआ तो मैंने एक बात नोटिस की थी। रोड के किनारे , बागों में बाड़बंदी स्टील के तारो से करा दी गयी है। ये स्टील के तार बहुत तेज थे इनमें दोहरी धार थी। यह भी पता चला कि किसी की भैस इन तारों में फस कर मर गयी है।  मान लो सड़क से कोई मोटर साइकिल में जा रहा व्यक्ति अपना संतुलन खो दे और इन तारो में जा फसे तो मर ही जायेगा।  

                       इन चीजो के तह में गया तो एक बड़ा पहलू नजर आया।  मेरा जिला घोषित / अघोषित तौर पर चमड़े का उत्पादक जिला है। दही चौकी में कई ऐसी फैक्ट्री है जो पशुओं का मांस निर्यात करती है। सुनने में आता है कि इन फैक्ट्री में काफी सशक्त लोगों की हिस्सेदारी है। जब से गाय पर प्रतिबंध लगा तब से चीजे बदली।  वैसे भी इन फैक्ट्री में कटने ले लिए , पशु ट्रकों में लद कर रात में आते थे पर अब सख्ती के चलते बहुत बार ट्रक में पशु पकड़े गए तो वो पशु आवारा छोड़ दिए गए। धीरे धीरे पुरे शहर और गांवो में इस तरह के आवारा पशुओं की तादाद बढ़ने लगी। 

                    पहले ये मरियल , कमजोर पशु थे पर अब ये खेतों में आवारा रूप से चरने लगे। अब खूब तगड़े और बड़े झुण्ड खेतों में दिखने लगे। ये न केवल खड़ी फसल चरते थे बल्कि जिस खेत से गुजरते है पूरा खेत चौपट हो जाता है। इस समस्या में बहुत से पहलू है। जो लोग इससे पीड़ित है उनके पास कोई हल नही है। सुनने में यहाँ तक आ रहा है कि यह मुद्दा यूपी के चुनाव में बड़ा असर डालेगा। कभी कभी दबी जुबान में लोग इसकी चर्चा भी करते है। 

                    अभी हाल में मैंने पढ़ा कि राजस्थान में इस तरह के आवारा पशु की समस्या से निपटने के लिए , ट्रैकिंग id  लगाई जाएँगी जोकि एक अच्छा विकल्प हो सकता है। एक प्रश्न उठता है कि जब तक पशु दूध दे तक तो किसान उसे पालता है पर गैर दुधारू पशु को खुला छोड़ देना या कटने के लिए दे देना कहा तक सही होगा। 

                   इन सब चीजो में किसानी , खेती की बड़ी हानि हो रही है।  वैसे भी खेती में लागत दिनों दिन बढ़ती जा रही है।  सरकार कृषि को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।  तरह तरह की योजनाए चलाई जा रही है पर इस तरह के पहलू पर कौन ध्यान देगा।  हर कोई बाड़बंदी नही करा सकता है काफी लागत लगती है और यह रिस्की भी है।  

फुटनोट :-  टीपू की कहानी 


                     टीपू की उम्र ज्यादा न होगी पर बड़ा सयाना हो गया है। उसके बाल पुरे भूरे है अंग्रेज जैसे। शुरू के दिनों में इस चीज का काफी मजाक उड़ाया जाता था कि उसके बाल ऐसे कैसे हो गए है। उसके सयानेपन का एक उदाहरण देता हूँ।  आज से ६ साल पहले जब मेरे पिता जी की डेथ हुयी थी तो टीपू मुश्किल से ७ या ८ साल का रहा होगा। मेरे पास आकर बोला " अब आपके पापा तो मर गए है अब तुमको ही सब देखना है। " इस तरह के बहुत से उदाहरण है आप सुने तो हैरान हो जायेंगे उन पर फिर कभी।  

                        टीपू ने ऊपर वर्णित आवारा पशुओ में एक गाय का छोटा बच्चा पकड़ लिया। दरअसल अब उन झुंडो में ऐसे भी पशु है जो उपयोगी भी हो सकते है। टीपू ने सोचा इसे पाल पोश ले तो दूध भी मिलेगा और बाद में उसे बेच कर कुछ रूपये मिल जायेगे। उसकी मम्मी और भाई ने मना भी किया पर माना नही।  कुछ दिन तो वो बच्चा रहा पर एक दिन जब टीपू उसे चराने ले गए तो उसने टीपू पर हमला कर दिया। टीपू को बुरी तरह घायल कर , वो जंगल में भाग गया।  



Copyright - Asheesh Kumar . ( Do not copy & paste . Please give your valuable comment . ) 




गुरुवार, 22 दिसंबर 2016

A question from my IAS interview 2015




      2015 के आईएएस  इंटरव्यू जोकि मई 2016 था , में मुझसे एक सदस्य ने पूछा कि इन दिनों ग्रामीण लोग किस चीज पर सबसे ज्यादा पैसा खर्च कर  रहे है। मैंने कहा  " खेती में " क्योंकि इन दिनों  निवेश लागत काफी बढ़ गयी है। बात मेरी सही थी पर वो सदस्य संतुष्ट न लगे।  उन्होंने ने जबाब दिया कि  स्वास्थ्य पर। 


बाद में मैंने कई जगह इस बारे में पढ़ा वो वाकई सही कह रहे थे।  अभी हाल  में ही मैंने कही  पढ़ा  कि हर साल जितने आदमी , गरीबी से बाहर  निकलते है उसके आधे फिर से गरीबी में पहुच जाते है क्योंकि उनका हेल्थ पर खर्च , उनकी आय से कई गुना ज्यादा होता है। वैसे भी आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति शुद्ध पेयजल , पोषण युक्त  भोजन तथा स्वच्छ परिवेश के आभाव में जल्द बीमार पड़ जाता है या यूँ कहे कि उसके बीमार होने का अनुपात ज्यादा होता है।  

ऐसे में इस समस्या के निपटने के लिए बहुआयामी कदम उठाये जाने चाहिए।  एक और स्वास्थ्य सेवाओं तक सबकी पहुँच आसानी से होनी चाहिए दूसरी ओर सरकार की ओर से चलाई जा रही स्कीम्स का उचित क्रियान्वयन , सटीक निगरानी के साथ साथ इनसे जुड़े अधिकारियों की जबाबदेही भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इस दिशा में विश्व स्वास्थ संगठन द्वारा चलाये जा रहे सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज कार्यक्रम की भी उपयोगिता साबित होगी।  

अपने पढ़ा होगा कि भारत विश्व का सबसे युवा देश है उसको आने वाले वर्षो में डेमोग्राफिक डिविडेंड यानी जनसंख्या लाभांश प्राप्त होगा। ऐसे में भारत की बड़ी आबादी द्वारा स्वास्थ पर बढ़ता खर्च , इस दिशा में भारत के सपनों को चूर कर सकता है। पर्याप्त आय के आभाव में ग्रामीण परिवार शिक्षा पर ज्यादा खर्च भी नही कर  पाएंगे इसलिए ग्रामीण क्षेत्र के लिए वैकल्पिक रोजगार का भी बड़ी मात्रा में सृजन  किया जाना चाहिए। इसके लिए सरकार द्वारा रुबन मिशन चलाया जा रहा है जिसमे क्लस्टर आधारित विकास पर जोर दिया गया है।  

( दोस्तों , इस तरह के लेख , एक प्रकार से निबंध के लिए मेरी प्रैक्टिस है जो किसी भी विचार पर छोटे छोटे लेख के रूप में लिखने की कोशिस करता हूँ।  आप इन पर अपनी अमूल्य राय , समीक्षा जरूर दीजियेगा।  थैंक्स। ) 

By  - आशीष कुमार 


बुधवार, 21 दिसंबर 2016

Some real problems




कभी कभी मै सोचता हूँ कि क्यू दिनो दिनों विषमता बढ़ती जा रही है। सरकार की सैकड़ो स्कीम चल रही है पर उनका समाज पर प्रभाव नही दिखता है।  अगर  इनसे जुडी रिपोर्ट का अवलोकन करे तो पाएंगे कि  आजादी के बाद धन , पूंजी कुछ सीमित  वर्ग तक ही इकठा होती रही। इन सब के पीछे बहुत सी वजह है पर मैंने एक चीज विशेष तौर पर महसूस किया है कि  इस बढ़ती विषमता के पृष्ठ में सबसे बड़ी वजह आम  लोगो तक खास ज्ञान की पहुँच  न होना या सिमित होना है।  

उदाहरण के तौर पर मैं बहुत रोचक बात बताता हूँ।  सिविल सेवा के एग्जाम में मुझे बहुत लंबा अनुभव रहा है।  मैंने बहुत बार इस एग्जाम में ऐसी चीजो से जुड़े प्रश्न देखे है जो समाज में प्रचलित होने में २ या ३ साल लग गए। कहने  आशय  यह कि  जैसे पिछले साल आईएएस के प्री  एग्जाम में li-fi से जुड़ा प्रश्न पूछा गया था।  अब यह तकनीक इतनी एडवांस है कि  भारत में इसे प्रचलित होने में ५ साल से कम क्या समय लगेगा।  इसी तरह काफी पहले wi fi  के बारे  में पूछा था जो अब हर व्यक्ति तक पहुच गयी है।  

हलाकि इस तरह के उदाहरण ज्यादा सटीक नही होते है क्योंकि सिविल सेवा , सर्वोत्तम का चयन करती है पर अगर कोई आम व्यक्ति इसकी तैयारी  करता है और उस तक सर्वोत्तम ज्ञान की पहुँच नही है तो इसमें उसका क्या दोष है ? 

इससे तो यही लगता है कि सिविल सेवा जोकि विषमता दूर करने का एक बड़ा , बढ़िया माध्यम हो सकता है पर वो हो न पायेगा।  अब हर कोई the  hindu , test series , english  में expert नही हो सकता है इन सब के लिए जरूरी है कि उम्मीदवार की आर्थिक दशा बहुत अच्छी  हो।  

इसी लेख में आप उन कारणों को भी खोज सकते है जो कि  हिंदी / क्षेत्रीय भाषा में  चयन के निरन्तर गिरते स्तर का कारण  है।  



By - आशीष कुमार।  

सोमवार, 12 दिसंबर 2016

That 48 hours





                आम तौर पर जब पास के मार्किट से सामान लेने जाना होता है तो पैदल ही जाता हूँ पर कभी कभी आलसवश बाइक से भी चला जाता हूँ।  ५० मीटर भी दुरी न होगी।  उस दिन मुझे दूध लेने जाना था तो बाइक लेकर गया।  दूध ले रहा था दूसरी और केले दिखे। इन दिनों केले बहुत मीठे आते है। उन्हें लेने चला गया। केले ले रहा था तो चौराहे के तीसरी ओर मुझे सेब दिखे।  काफी दिन हो गये थे सेब खाए सोचा आज ले ही लिए जाये।  फलाहार अच्छी चीज होती है मन में सोचा। सेब तौला रहा था कि मुझे बहुत सोधी खुशबू की महक आई।  यकीनन अहमदाबाद में यह खुशबू विस्मय का विषय थी।  ऐसा लगा कि up वाली स्टाइल में कही पास आलू की टिक्की बनाई जा रही हो। इसमें लेश मात्र झूठ नही , उसकी दुकान मैंने खुशबू से ही खोजी।





मार्केट में उसकी दुकान दिखती नही थी क्युकी उसकी ठेलिया पीछे लगती थी। मैंने अपने हाथो में दूध , केला और सेब लिए उसके पास पहुच गया। ५ मिनिट में सारी जानकारी ले डाली।  इटावा का आदमी था , पहले चंडीगढ़ में आलू टिक्की बेचा करता था अब ३ महीने से यही है।  मैंने उससे हर चीज जानने की कोशिस की कितनी लागत लगती है , बिक्री कितनी होती है , बचत कितने की होती है।  उसके किराये के तौर पर कितने रूपये देने पढ़ते है। इन सब के पीछे वजह यह थी कि मुझे अपने प्रान्त का आदमी मिल गया था और अपने घर जैसा कुछ खाने को मिलता। २० रूपये में दो टिक्की दिया।  बहुत स्वादिष्ट थी।  कुल मिलाकर वो ३ चीजे बेच रहा था।  मैंने बाकि चीजे दुसरे दिन खाने का वादा करके चला आया। चलते चलते उसे कुछ बिजनेस से जुड़े कुछ टिप्स भी दिए।  आपको पता ही होगा सरकारी आदमी , हमेशा धंधे की ओर आकर्षित होता है और धंधे वाला आदमी , सरकारी नौकरी के प्रति आकर्षित रहता है। वैसे भी इन दिनों स्टार्ट up का खूब चलन है मैंने उसे ऐसे ज्ञान दिया जैसे मै आईआईएम , अहमदबाद से पढाई करके निकला हूँ।  उसकी दुकान से जब चला तो मेरे मन में यह बात घूम रही थी मान लो यह आदमी का धंधा खूब चल निकला और इसने अपनी ठेलिया की चैन सीरिज खोल दी तो। 


अगले दिन में ऑफिस न जाकर , फील्ड पर जाना था।  गाड़ी लेने आई थी।  सारा दिन काम किया और रात में देर तक पढाई की। अगले दिन भी गाड़ी लेने आई। फिर सारा दिन काम किया और रात में पढाई की। तीसरे दिन मुझे ऑफिस जाना था।  सुबह देर से उठा पता न क्या सुझा सोचा आज खाना भी बना लिया जाय। खाना बनाते बनाते ११ बज गया।  जल्दी से खाना पैक कर , हेलमेट उठा कर नीचे गया। मेरा नया रेड कलर का हेलमेट बड़ा प्यारा है इसलिए इसे बाइक के साथ न रख फ्लैट में रखता हूँ।  

नीचे जाकर देखा तो बाइक न दिखी। एक पल को यकीन न हुआ। आखे मीच कर देखा तो भी बाइक न थी।  मेरी जान सूख गयी। सोसाइटी में कैमरे भी लगे है , सोचा यहाँ से कौन ले जा सकता है। इतना तो यकीन था जो भी बाइक की चोरी की होगी पकड़ा तो जायेगा ही।  हाथ में हेलमेट लिए मै गेट तक आ गया।  दिमाग पर जोर डालने लगा , कही मै ही तो बाइक नही ले गया था। अगर गया भी होगा तो पास तक ही।  सच में , दोस्तों आपको अजीब लग रहा होगा मुझे जरा भी याद नही आ रहा था कि बाइक कब और कहाँ तक ले गया था।  पता नही किस विश्वास से मै चौराहे तक आ गया।  मुझे दो जगह की संका हो रही थी या तो मै दूध लेने गया होऊंगा या फिर अगले चौराहे तक होटल में खाना खाने। 

चौराहे के दूसरी ऑर एक गन्दी सी बाइक दिखी। मुझे अपनी बाइक पहचाने में जरा भी देर न लगी।  पुरे ४८ घंटे वह वही खड़ी रही। मैंने डेरी वाले से बोला मेरी यह बाइक है और मै ले जा रहा हूँ। उसने कहा ले जाओ तुम्हारी ही है न ? मै ने उसे यकीन दिलाया हा मेरी ही है।  बाइक उठाते वक्त , मैंने चारो तरह नजर डाली , बाइक डेरी के बाहर लगे एक कैमरे के दायरे में थी। शायद किसी ने उसे उस जगह तक खिसका दिया था।  


Copyright - ASHEESH KUMAR 

( दोस्तों , कैसी लगी यह घटना ( यह कहानी नही हकीकत है . ) ................ क्या आप भी कभी इस तरह कुछ भूले है . ) 





शनिवार, 10 दिसंबर 2016

BOOKS LIST, TIPS, STRATEGY FOR PHILOSOPHY IAS MAINS ( HINDI ME )



प्रिय दोस्तों , आपने  ने बहुत बार मुझसे वैकल्पिक विषय के बारे में पूछा है।  मैंने बहुत से लोगो को हिंदी साहित्य के लिए बोला पर कुछ लोगो को यह कठिन लगता है।  इसलिए आज आपके लिए एक बहुत अच्छे सब्जेक्ट  के बारे में बताने जा रहा हूँ।  यह आईएएस के लिए सबसे लघु सब्जेक्ट माना जाता है . यह सब्जेक्ट है दर्शन शास्त्र . यह लेख मेरे एक मित्र के दिए गये सुझाव के आधार पर लिखा गया है . वह आईएएस के कई मैन्स लिख चुके है तथा १ इंटरव्यू भी दे चुके है . जल्द ही वह सफल भी होंगे ऐसी मुझे आशा , विश्वास है . हमारे पाठको के लिए यह सुविधा भी है कि वह उनसे आईएएस से जुडी टिप्स के लिए मेल भी कर सकते है . उनका मेल मै लेख के अंत में उपलब्ध करा दूंगा . 

दर्शन शास्त्र

  •  पहला पेपर -  १. भारतीय दर्शन  २. पाश्चात्य दर्शन 
  • दूसरा पेपर  -   १. सामाजिक राजनीतक दर्शन २. धर्म दर्शन 

  1.  अन्य विषयों की तुलना में छोटा पाठ्यक्रम लेकिन विषय वस्तु पर गहराई आवश्यक है . 
  2.  अच्छे नंबर लाने के लिए अभ्यास बहुत जरूरी है . 
  3. सभी दर्शनों का तुलनात्मक अध्यन जरूरी है . 
  4. भारतीय दर्शन की पाश्चत्य दर्शन से तुलना करने का अभ्यास जरूरी है . 
  5. भारतीय दर्शन में कई संस्कृत के श्लोक अगर लिख दिए जाये तो अंक बहुत ही उम्दा मिलते है . 
  6. कुछ टॉपिक एक बार पढने से शायद समझ में न आये पर धीरे धीरे आपको ज्ञान होने लगता है .
  7. इस विषय को दोबारा याद करने में सबसे कम समय लगता है . 
  8. इस विषय को लेने से , इसमें दक्ष होने से आप में तार्किकता आती है जिसका लाभ निबंध , अन्य पेपर भी पढ़ता है . 

जरूरी किताबे 


  1.  भारतीय दर्शन की रुपरेखा -  H. P. SINHA 
  2. पाश्चत्य दर्शन   -  याकूब मसीह 
  3. समकालीन पाश्चत्य दर्शन - बी. के. लाल 
  4.  धर्म दर्शन - वेद प्रकाश वर्मा 
  5. सामाजिक राजनीतक दर्शन - ओ.पी. गाबा 
  6. पंतजलि या इग्नाइटेड माइंडस के प्रिंटेड नोट्स 


दोस्तों , हिंदी माध्यम के लिए कुछ सबसे अच्छे विषयों में एक दर्शन शास्त्र के लिए जरूरी टिप्स और बुक्स आपको कैसी लगी बताना जरुर . जिन लोगो को आईएएस / दर्शन शास्त्र से जुडी अन्य कोई हेल्प चाहिए तो आप इस kundanex@gmail.com  पर कॉन्ट्रैक्ट कर  सकते है .


SEVEN SOCIAL SIN BY MAHATMA GANDHI IN HINDI



इस साल आईएएस मैन्स 2017 के एग्जाम में , एथिक्स के पेपर में महात्मा गाँधी द्वारा बताये गए ७ सामाजिक पाप पूछे गए है।  बहुत से लोगो के लिए यह नया  प्रश्न था।  आज आपको भी उन ७ पापो के बारे में परिचय दे रहा हूँ।  


  • बिना सिद्धान्तों  के राजनीति 
  • बिना काम के धन 
  • बिना अन्तःकरण के आराम 
  • बिना चरित्र के ज्ञान 
  • बिना नैतिकता के व्यापार 
  • बिना मानवता के विज्ञानं 
  • बिना बलिदान के पूजा 

यह 1925 में गाँधी जी के समाचार पत्र ' यंग इंडिया ' में प्रकाशित हुए थे।  

शुक्रवार, 11 नवंबर 2016

That old man :how sad


वो बुढा आदमी



पिछले दिनों मेरा kanpur से Ahmedabd bus से आना हुआ . हैरान मत हो इतने लम्बे सफर के लिए भी बस चलती है ओर बहुत बार यह रेल से कम समय भी लेती है . festival season था इसलिए यही पकडनी पड़ी . २५ से २७ घंटे के सफर में बस बहुत जगह रूकती हुयी चलती है .

ऐसे ही एक जगह (होटल ) पर  बस  रुकी थी . सभी लोग जल्दी से उतर रहे थे . किसी को चाय पीने की जल्दी थी तो किसी को हल्का होना था . मै भी जल्दी से wash room की ओर गया . hotel अच्छा था . बाथरूम काफी साफ था . उसी समय मैंने कुछ ऐसा देखा जो बहुत ही वीभत्स था .

एक बुढा आदमी कमोड के निकलने वाले पानी को हाथो में लेकर , अपना मुह धो रहा था , साथ ही साथ देसी स्टाइल में कुल्ला भी कर रहा था . जाहिर है वो आदमी कमोड और वाश बेसिन में फर्क नही कर पा रहा था . दरअसल उन्ही कमोड के बगल में , एक wash basin भी लगा था ओर लोग वहा मुह धो रहे थे . शायद उस बूढ़े आदमी को लगा कि कमोड भी इसी लिए बने है वैसे भी उनमे उपर से पानी गिर रहा था जिसे वो आदमी अपने हाथो के सहारे रोक कर अंजुरी भर रहा था .

ऐसे में किसी को टोकना , उसे अपमानित करने सरीखा होता है वो आदमी भडक सकता है पर मुझसे रहा न गया . मैंने उसे बोला यह क्या कर रहे हो . नीचे मूत रहे हो और उपर के पानी से कुल्ला कर रहे हो . उस आदमी ने मेरी ओर देखा और बगैर कुछ कहे वाशरूम से निकल आया .

भारत में काफी दिनों से स्वच्छ भारत अभियान चल रहा है . मेरी समझ में साफ - सफाई की समझ के लिए लोगों को शिक्षित करना बहुत जरूरी है . वो आदमी , अपने मुह की सफाई तो कर रहा था पर अनजाने में शायद कुछ बीमारी को invite कर रहा था .


- by Asheesh kumar 

Finally, chintak ji joined his Department

अंततः चिंतक जी अपना विभाग ज्वाइन कर लिया



             बहुत सी उथल पुथल वाली खबरों के बीच चिंतक जी  ने 2 नवंबर को अपना पद ग्रहण कर लिया ।बहुत से रोचक अनुभव भी शेयर किया । अब उनके पास जियो सिम भी है और बहुत तेजी से तकनीक ग्रहण कर रहे है
पता नही ,जब वो अपनी सारी कहानी पढ़ेंगे तो क्या रियेक्ट करेंगे ।

मंगलवार, 8 नवंबर 2016

When i gave 100 rupees to a drinker

मैंने एक शराबी को 100 रूपये क्यों दिए ?


पिछले साल आईएएस mains के ethics वाले पेपर में एक question था .कोई ऐसी घटना लिखो जो नैतिक रूप से सही हो पर कानूनी रूप में गलत .कोई ऐसी घटना लिखो जो कानूनी तौर पर सही  हो पर नैतिक रूप में गलत . जटिल प्रश्न था आप सोचे और कि इसका क्या उत्तर हो सकता है एक घटना मैं share कर रहा। हु।


इसी दीवाली के दिन के बात है । घर गया था । सुबह अपनी बाग से बागवानी कर लौट रहा था तो रास्ते में वो दिख गया ।  वो मुझसे एक क्लास आगे पढ़ता था पढ़ने में काफी अच्छा था पर बाद में संगत गलत पड गयी ।हम देश दुनिया की चर्चा करते थे . साथ साथ cheap novel भी पढ़ा करते थे ।

Job  लगने के बाद वही एक ऐसा था जो मुझसे दुआ सलाम करना जारी रखा बाकि लोगो की नजर में अब मै घमंडी , बड़ा आदमी , reserve person हो गया हूँ .  जब कभी गाँव जाता हूँ तो सामने पड़ने पर भाई नमस्कार हो जाता है । मुझे पता है कि अब वो देसी wine खूब पीने लगा है । उसके पिता ने  भी उसका रोज का खर्च फिक्स कर दिया है कि उसे रोज 50 रूपये दे दिए जाते है , चाहे दारु पिए या जुआँ खेले । उसका परिवार भी काफी परेसान रहता है पर अब इतनी देर हो चुकी है कि उसका कोई हल नही । उसके छोटे भाई की marriage भी कर दी गयी है ।

अब वो जब भी सामने पड़ता है तो हम दोनों ही कतराते है। इस बार उसने मुझे दूर से देख कर रुक गया।  जब मैं  पास पहुँचा तो मुझे अंदाजा  लग गया था कि  क्या होने वाला है।  वो पास आकर बोला , भाई DIWALI है।  तो मैंने कहा  बोलो क्या कर  दू..... मैंने भाई की ओर  देखते हुए कहा  शाम तक इनके लिए एक देसी बोतल जुटा  देना। पर उसने मना  कर  दिया।  उसका मन था कि उसे रूपये दे दूँ. मैंने कहा  घर आना दे दूंगा।  

शाम के बजाय वह  २ घंटे बाद ही दरवाजे पर आ गया।  मैंने उसे देखते ही जल्दी से १०० रूपये दे दिए। उसके चेहरे पर जो भाव थे उन्हें मैं  देखना नही चाहता था। जाहिर है उसे बहुत संकोच , अफ़सोस हो रहा होगा। उसने कुछ कहा  भी पर मैं  सुन न सका।  मैं  चाहता था कि  वो बस  चला जाय क्योंकि वो  पल मेरे लिए बहत भारी थे।  

दोस्तों , आप अपनी राय  दे क्या यह गलत था या सही . 


BY- ASHEESH KUMAR 

Air pollution in delhi


             Delhi की हवा बहुत खराब हो गयी है । इस खबर को सुनकर मुझे बहुत से ख्याल आते है , एक आने वाले समय में शुद्ध हवा भी बिकेगी । दूसरा जैसे 2 प्रदूषण बढ़ेगा बहुत से नए प्रकार के bussiness शुरू होंगे । जैसे air filter, mask जैसी चीजे आने वाले समय में important चीजे बन जाएँगी । 

              शायद अपने भी एक news सुनी हो चीन में एक innovative person ने शुद्ध हवा बेचने का धंधा शुरू किया है । वह जंगल में जाकर , अपने विशेष टैंक में शुद्ध हवा भरता है और शहर में वो हवा थोड़ी थोड़ी बेचता है । लोग इसे पसन्द भी कर रहे है । भारत में भी इस तरह की चीजें शुरू की जा सकती है । 
              एक और चीज , यह समस्या भी गरीबो के लिए ही ज्यादा नुकसान दायक होगी । सक्षम लोग अपने घरों में एयर फ़िल्टर लगवा लेंगे , मास्क खरीद लेंगे । लग्जरी कार से खूब pollution करेंगे , बस आम जनता ही विकास की कीमत चुकायेंगे ।

By - asheesh kumar

शनिवार, 5 नवंबर 2016

Silence

मौन सर्वोत्तम भाषण है अगर बोलना है तो कम से कम बोले । एक शब्द में काम चले , तो दो नहीं           -      गाँधी

बुधवार, 2 नवंबर 2016

4 most useful books for ias/UPSC


Ias की preparation के लिए जरूरी है अच्छी, गुणवत्तापूर्ण books पढ़ी जाय । पिछले दिनों मैंने अपनी study room के लिए कुछ बुक्स खरीदी है । कुछ आपके साथ शेयर कर रहा हूँ ।

1- पहली book ,  nitin sighaniya , ias द्वारा लिखी है art और culture की book है । nitin जी के notes लंबे समय से इंग्लिश मीडियम के स्टूडेंट के बीच बहुत फेमस रहे है । TMH publication क़ी बुक है । जरा सा मंहगी है पर बहुत अच्छी बुक है ।

2- दूसरी बुक drishti publication से निकली essay क़ी बुक है । खास बात यह है कि इसमें nishat jain , ias के लिखे 9 essay भी है जोकि इसे काफी उपयोगी बनाते है ।


3- तीसरी book भी drishti पुब्लिकेशन क़ी है  ecology & environment पर । अभी पढ़ी नही है पर एक dost की सलाह पर खरीद ली है ।

4- एक book और शेयर कर रहा हूँ नंदन नीलकेणी क़ी बुक emerging india का हिंदी अनुवाद । यह book सिविल से जुडी नही है पर इसको पढ़ने से आपका दिमाग खुलेगा ।

यह books जरा महंगी है पर मुझे लगता है इनमे निवेश करना बुरा न होगा । इन्हें ias 2017 pre के लिए जरूर पढ़े और अपना review भी बताना । आपकी नजर में कोई और book भी आई हो तो बताना ।

By -  asheesh kumar

सोमवार, 31 अक्टूबर 2016

When u are in job and preparing IAS

जॉब करते हुए ias की तैयारी करना ।
दोस्तों आज बहुत गहरी बात कहने जा रहा हूँ । ias की तैयारी में काफी समय लगता है यह बात जानते ही है । 
आज कुछ बेसिक बाते बताने जा रहा हूँ कि बहुत बार इसमें लगने वाला समय हमारे खुद के कारण होता है । 
अब हर किसी को काफी attempt भी मिलने लगे । इसलिए शुरू के प्रयासों में हमारा मन भी इस बात के लिए तैयार रहता है कि इस बार न सही अगली बार सही । ऐसा करते करते काफी अटेम्प्ट खत्म हो जाते है।  इसलिए इस तरह के ख्याल मन में न पैदा होने दे  । 
Job करने वाले लोग दो तरह से पीछे रह जाते है एक तो वह अपनी जॉब में काफी हद तक संतुष्ट हो जाते है दूसरे leave न मिल पाने का लफड़ा । 
अगर मैं अपनी बात करूँ तो लीव तो हर एटेम्पट में ली पर बहुत कम समय के लिए छूटी पर गया । इसके चलते हुआ यह कि mains और इंटरव्यू तो दिए पर final सिलेक्शन न हो सका । अब लगता है कि मुझे एक बार ही लंबी छुट्टी ले लेनी चाहिए थी । 
दोस्तों , जिंदगी में बड़ी चीज पाने के लिए बड़ा रिस्क भी उठाना पड़ता है । hope मेरी बात समझ गए होंगे । एक ही बार , में काम तमाम करने की सोचे । वरना लोग आपकी असफलता के लिए जीने नही देंगे ।

शनिवार, 29 अक्टूबर 2016

विश्रामपुर का संत

श्री लाल शुक्ल द्रारा रचित " राग दरबारी " से काफी पहिले से ही परिचय हो गया था . यह  novel मुझे बहुत बहुत ज्यादा प्रसंद है . इसे न जाने कितने बार पढ़ा हूँ . इसको पढ़ कर ही शुक्ल जी अन्य रचनाये पढने की इच्छा लम्बे समय से पनप रही थी . मैंने काफी जगह खोजा पर Raag Darbari  के आलावा कोई दूसरी रचना book store पर उपलब्ध नही रहती . शुक्ल जी रचनाये मुझे lucknow के भूतनाथ मार्किट में यूनिवर्सल बुक डिपो में जा कर मिली . अच्छी बात यह थी उनकी सभी चर्चित किताबे एक साथ , एक ही जगह मिल गयी . यह बहुत ही खुशी की बात थी . 
पहले जल्दी जल्दी सभी बुक को देख लिया पर आराम से पढने का अवसर लखनऊ से डेल्ही आते हुए मिला . कुछ भाग गुवाहाटी से आने वाली राजधानी में पढ़ा ओर बाकि नई डेल्ही के waiting room  में . एक बेहद उमस भरी दोपहर में , पसीने से तर लोगो का हुजूम वेटिंग रूम को किसी मेले का आभास देता हुआ प्रतीत हुआ . मै शुक्ल जी के दुसरे प्रसिद्ध नोवल " विश्रामपुर का संत " के सानिध्य में ५ घंटे बिताये . मेरा प्लान इस तरह से था कि ५ घंटे के गैप में मुखेर्जी नगर जा कर कुछ लोगो से मिलना था पर इस नावेल की रोचकता के चलते , चुपचाप वेटिंग रूम में गुजार दिए . 
जिस तरह से " राग दरबारी " में क्रेद्रिय वक्तित्व के रूप में " वैद जी " है उसी तरह से विश्रामपुर के संत में एक पूर्व जमीदार , सेवा मुक्त राज्यपाल कुवँर जयंती प्रसाद है . भारत में आजादी के बाद पतनशील समाज , विविध योजनायों की खामियों के बारे में बेहद चुटीली भाषा में नावेल की रचना की गयी है . नावेल में एक रहस्यमयी नारी " सुन्दरी " के बारे में बीच बीच में जो वर्णन है वह नावेल को रोचक ओर प्रवाह बनाये रखने में सफल रहता है 
आप ने भूदान आन्दोलन , ग्राम दान के बारे में जरुर सुना होगा . यह विनोबा भावे द्वारा शुरू किये गये थे . आजादी के बाद , यह सबसे महत्वपूर्ण आन्दोलन माने गये . पर इससे जुडी विसंगति , भ्रस्टाचार , आडम्बर , छलावे के बारे जानने के लिए उक्त उपन्यास पढना सबसे अच्छा रहेगा . 
कुछ चीजे मेरे लिए भी इसमें वाकई नई ओर सोचने पर बाध्य करने वाली मिली . जब भी मौका मिले इनको पढना जरुर . बाकि किताबो के बारे में भी लिखुगा पर पहले उन्हें पढ़ तो लू . 

How to prepare IAS 2017 pre


प्रिय दोस्तों , ias 2017  के लिए कुछ बातें नोट कर ले ।
1 नोटिस 22 फ़रवरी 17 को आएगी ।
2 फॉर्म 17 मार्च तक / को भरे जायेंगे ।
3  pre एग्जाम 18 जून 17 को होगा 
4 mains 28 ऑक्टूबर से शुरू होगा ।

सभी लोग अपना अपना mains के लिए subject चुन ले ।
पहले last years के पेपर देखे ।
सब्जेक्ट वही ले जो आप हैंडल कर सके ।
अभी दिसंबर तक अपना ऑप्शनल पढ़ते रहे ।
हो सके तो नोट्स भी बना डाले ।
जनवरी से ias pre 2017 के लिए पढ़ना suru करना ।
जरूरी बाते मैं समय समय पर share  करता रहूंगा ।

मंगलवार, 25 अक्टूबर 2016

How to audit your life ?

अपनी जिंदगी का लेखा जोखा कैसे करे ?

By Asheesh kumar

           शायद पिछली पोस्टों में बताया होगा कि इन दिनों मैं ऑडिट में काम कर रहा हूँ । ऑडिट यानी लेखा जोखा । कम समय में ज्यादा चीजों का निरीक्षण करना । mistakes को जल्दी पकड़ना यही है लेखा जोखा ।

जैसा कि मैं बहुत बार कह चूका हूँ thoughts मुझे सोने नही देते । हर night मैं न जाने क्या क्या सोचते हुए सोता हूँ । एक रोज ख्याल आया कि हर किसी को अपनी life का भी ऑडिट करते रहना चाहिए ।

मेरे ज्यादातर पाठक, दोस्त 20 से 25 वर्ष वाले उम्र के है । मेरी नजर में यह जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है । 20 की आयु से आप कुछ प्रयोग करना शुरू कर देते है और 25 तक आप को अपने प्रयोगों के results आना शुरू हो जाते है ।
हमारी लाइफ एक है और जिंदगी में करना बहुत कुछ । मसलन पढ़ाई, सामाजिक सम्बन्ध , भावनात्मक सम्बन्ध , पर्यटन , अपनी पहचान बनना, धन कमाना आदि आदि । करना बहुत कुछ और समय बहुत थोडा ।

जिंदगी का सबसे बड़ा सबक मेरी नजर यही है कि आप संतुलन कैसे साधते हैं ? एक वाकया जोकि एक मित्र ने ही बताया , संक्षेप में बताता हूँ । उनके कोई मित्र 40 साल की आयु में SDM बने और इच्छा कि marriage करेंगे तो किसी षोडसी यानी 16 साल की बाला से । समझा जा सकता है कि उनकी ऐसी चाहत क्यू हुयी होगी । सारी उम्र पढ़ने में ही खत्म कर दी । पता नही उनका क्या हुआ पर अगर उनकी desire पूरी भी हो गयी होगी तो उनकी दशा प्रेमचंद की कहानी " नया विवाह " के पात्र लाला डंगामल जैसी ही होगी ।

अब एक प्रश्न उठता है कि संतुलन कैसे बनाये । इस प्रश्न को कभो आराम से विचार करेंगे आज आपको आपकी जिंदगी का ऑडिट करने का तरीका बताते है ।

आप अपनी dairy ( मेरे सभी पाठक डायरी जरूर लिखते होंगे यह अपेक्षा रखता हूँ ) में अपनी आयु लिखे ।
15 वर्ष से पहले
15- 25
25-40 वर्ष

आप अपने तरीके से इसे बाट सकते है और इनके सामने दो कॉलम बनाये । आप को क्या करना था और आप ने क्या किया । सभी बाते बिंदुवार लिख ले । देखे कि आप ने क्या खोया और क्या पाया ?

विषय अच्छा है और मेरे पास विचार भी बहुत अच्छे अच्छे है पर मैं सफर में हूँ और रात के 12 . 30 हो गए है इसलिए विराम लेता हूँ । अंत एक मजेदार वाकये से - भागीदारी भवन लखनऊ में बहुत से पढ़ाकू और टेलेंट लड़के मुझसे एक चीज से काफी परेसान रहते थे वजह मैं सबसे एक ही बात कहता था कि मैंने छोटी उम्र में ही खूब मजे कर लिए और उनके चेहरों पर उदासी छायी रहती कि वो पढ़ाई से इतर कुछ भी न कर पाये । कहने कि जरूरत नही कि वो मजे का मतलब प्रेम प्रसंग से लिया करते थे जबकि मेरा सन्दर्भ आपने विविधता भरे, बहु आयामी अनुभवों और नई नई चीजों में दक्ष होने से हुआ करता था । जैसी जिसकी सोच- बागा(तारक मेहता का उल्टा चश्मा )

कॉपीराइट - asheesh kumar

* l m thankful to my special readers , who remind me that सर बहुत दिन हो गए लिखा नही अपने कुछ अच्छा सा, अलग सा ।






रविवार, 9 अक्टूबर 2016

Focus


आमतौर पर हम सब में बहुत क्षमताये होती है पर हम एक साथ बहुत सी चीजों में अपनी ऊर्जा लगाते रहते है जिसके चलते हम बार बार असफल असफल होते रहते है ।

इसलिए अच्छा होगा जो सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य हो उस पर पूरी ऊर्जा लगाये । अपनी समस्त इच्छाओं को एक जगह पर क्रेंदित करने से सफलता से जल्दी मुलाकात होगी ।

गुरुवार, 6 अक्टूबर 2016

DUM LGA KE HAISA


कल की रात गरबे के शोर में गयी . रात २ बजे तक सोसेइटी में अर्केरस्त्त्र बजता रहा . न तो मै उसे देखने गया ओर न ही सो पाया . इसे ही विडंबना कहते है . खैर आज मुझे कल की तरह से रात नही गुजरने थी .  इस लिए लगा कि अच्छा होगा लैपटॉप पर कोई फिल्म देखते हुए टाइम गुजारा जाय . 


दम लगा के हैएशा , इसे काफी पहले देख चूका था उस समय भी अच्छी लगी थी पर आज बहुत ही अच्छी लगी . बहुत ध्यान से देखा . हर पहलू पर नजर गयी . फिल्म इतनी सजीव लगती है कि ऐसा लगता है कि अपने ही आस पास की बात है , अन्शुमान खुराना , विक्की डोनर के समय से मुझे अलग लगने लगा था . मस्त , बिंदास ओर उसके बोलने की स्टाइल बिलकुल अलग है . भूमि का भी अभिनय बहुत सजीव है . संजय मिश्रा , हमेशा तरह जबरदस्त अभिनय करते है . संजय मिश्र के बारे में मेरे प्रयोगधर्मी दोस्त का कहना है कि वो अपने दम पर पूरी पिक्चर को उठा देते है . संजय मिश्र को नही जानते अरे वही " DHODHU JUST CHILL "  वाले . पूरी फिल्म आप को बांध कर रखने में कामयाब है बस शर्त यह कि आपको इस तरह की फिल्म पसंद आये . शाखा , का प्रसंग , उससे जुडी शुद्ध हिंदी बेहद रोचक लगती है . फिल्म का हर प्रसंग , बहुत जीवंत व सजीव है . 

फिल्म में प्रसंग  बेमेल विवाह का है . बेमेल विवाह , आज के समय कि कटु सच्चाई है . लगभग हर कोई इससे गुजरता है . समझदार , एडजस्ट कर लेते है बाकि अभिशप्त जीवन जीने के लिए बाध्य रहते है . साहित्य में भी इस मुद्दे पर खूब लिखा गया है . मोहन राकेश की कहानी " एक ओर जिन्दगी " ओर राजेंद्र यादव कि कालजयी कहानी " टूटना " में भी कुछ इस तरह का प्रसंग है जहाँ नायक , अपने बेमेल विवाह के चलते , दोहरे जीवन जीने के लिए बाध्य दिखाई देते है . फिल्मे में अच्छी बात है कि अंत सुखद है ऐसा कही से नही लगता कि यह सुखद अंत थोपा हुआ है . चीजे धीरे धीरे ही सुलझती है . फिल्म में सबसे मार्मिक द्रश्य वो है जो प्रेम के द्वारा आत्महत्या करने के प्रयास के बाद आते है . आप महसूस कर सकते है कि प्रेम कैसे पनपता है . आपको भी प्रेम की अनुभूति होती है .

मैंने कही पढ़ा था कि राजेद्र यादव का उपन्यास " सारा आकाश " , हर किसी नवविवाहित को पढ़ लेना चाहिए . इस उपन्यास पर फिल्म भी बनी है . मैंने यह नावेल पढ़ा तो जरुर है पर काफी पहले और बस टाइम पास की नजर से . इस नावेल में राजेंद्र ने भी दिखलाया है कि नई शादी के बाद , आपस में सामजस्य बनाना काफी कठिन होता है ओर इसके चलते शुरु के दिनों के आनंद से दंपत्ति वंचित रह जाते है . 

फिल्म के कुछ सीन से मुझे अपने बी.एड. के एक दोस्त याद आ गये . उनकी शादी , काफी पहले ही हो गयी थी तो वह अपने प्रसंग , हम बच्चो को बहुत मजे से सुनाते थे उम्र तो उनकी भी मुश्किल से २१ या २२ रही होगी पर अंतर यह था कि वह कक्षा के सीमित विवाहित परुष में एक थे . एक प्रसंग यह था कि रात में वो अपनी वाइफ का वेट करते थे वो अपने कमरे में होते हुए भी कान बाहर दिए रहते थे . अनुमान लगाते रहते कि अब वो बर्तन धुल रही होगी , अब अपनी सास के पैर दबा रही होगी . जैसे ही वो सारे काम खत्म करके आती , मेरे साथी जल्दी से अभिनय करते हुए सोने लगते . वाइफ कहती " सुनो जी , सो गये हो क्या ? " मित्र ,अपनी मीचते हुए कहते " क्या हुआ ". ब्स यही उनके विवरण रुक जाते . सच में , वो कमाल का दोस्त था . सम्पर्क टुटा हुआ है अगर कोई बाराबंकी का हो तो उसे यह स्टोरी पढ़ा देना . उसने LLB भी कर रखा था . कोई खजुरिया बाग एरिया का नाम बताया करता था . अब तो मुझे उसका नाम भी याद नही आ रहा है . बी.एड. हम दोनों ने दयानंद कॉलेज , बछरावां , रायबरेली से किया था . 



अब बस बाकि बाते फिर कभी ........................


ALL RIGHTS RESERVED - Asheesh Kumar 




सोमवार, 3 अक्टूबर 2016

Positive thinking

सुविचार

जैसे जैसे आप बड़े होते जाएंगे आप पाएंगे कि आपके पास दो हाथ है एक खुद के लिए तो दूसरा लोगों की मदद करने के लिए है-ब्रायन ट्रेसी

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