अपनी बात आगे बढ़ाने से पहले अपना छोटा सा परिचय दे दूँ। मै आशीष कुमार , उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले से हूँ। इस वर्ष (2017 ) सिविल सेवा परीक्षा में हिंदी माध्यम और हिंदी साहित्य विषय के साथ रैंक 817 से साथ चयनित हुआ हूँ। कुछ और जरूरी बातें भी साझा कर रहा हूँ। यह मेरा 9th और अंतिम प्रयास था। इससे पहले 5 मैन्स और 2 इंटरव्यू दे चूका था।
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BOOKS
रविवार, 7 अक्टूबर 2018
9 years in UPSC
अपनी बात आगे बढ़ाने से पहले अपना छोटा सा परिचय दे दूँ। मै आशीष कुमार , उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले से हूँ। इस वर्ष (2017 ) सिविल सेवा परीक्षा में हिंदी माध्यम और हिंदी साहित्य विषय के साथ रैंक 817 से साथ चयनित हुआ हूँ। कुछ और जरूरी बातें भी साझा कर रहा हूँ। यह मेरा 9th और अंतिम प्रयास था। इससे पहले 5 मैन्स और 2 इंटरव्यू दे चूका था।
शुक्रवार, 28 सितंबर 2018
DANGAL OF MY VILLAGE : PART02
किसी भी दंगल की पहचान , उसकी इनामी राशि से होती थी. मेरे गांव का दंगल कुछ खास बड़ा नहीं माना जाता था। उससे बड़ा दंगल मगरायर का होता था उससे भी बड़ा दंगल कठार का होता था। मैंने कभी कठार का दंगल नहीं देखा , हाँ मगरायर का दंगल जरूर देखने गया हूँ।
प्रसंगवश मगरायर की ख्याति हिंदी के प्रसिद्ध छायवादी आलोचक नन्द दुलारे बाजपेयी की जन्म स्थली से है। उसकी के पास गढ़ाकोला गांव है , जो ख्यातिलब्ध , छायावाद के आधारस्तम्भ , मुक्त छंद के प्रवर्तक, सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला जी की कर्म स्थली रही है। बिल्लेसुर बकरिया , चतुरी चमार, जैसी रचनाओं पात्र निराला जी ने इसी गढ़ाकोला गांव में पाए थे।
अब जब बात साहित्य की चल रही है तो उचगाव सानी गांव का नाम भला कैसे छूट सकता है। हिंदी के मूर्धन्य रचनाकार , मार्क्सवादी आलोचना के पितामह, डा. राम विलास शर्मा जी की जन्मस्थली उचगांव सानी ही है। ये तीनो जगह मेरे घर से बमुश्किल 5 किलोमीटर की दुरी पर होगी।
उत्तर प्रदेश का उन्नाव जिला कलम व तलवार के लिए जाना जाता है। प्रताप नारायण मिश्र , चित्रलेखा जैसे कालजयी उपन्यास के लेखक भगवती चरण वर्मा कुछ और बड़े नाम है , बाकि लिखने बैठूँ तो तमाम पन्ने भरे जा सकते हैं। साहित्य से लगाव रखने वाले लोग अक्सर उन्नाव भ्रमण पर आते रहते हैं।
बात दंगल की हो रही थी. मुझे पता ही न चला कब और कैसे दंगल बंद हो गया। अब उस जमीन पर एक सरकारी अस्पताल बना दिया गया है। काफी बड़ा अस्पताल है कभी गया नहीं पर इतना सुनता रहता हूँ कि डॉक्टर साहब वहाँ कभी कभार ही आते हैं। अब हर कोई डॉ प्रशांत ( मैला आंचल वाले ) जैसी भावना तो नहीं रख सकता है।
दंगल न रहा , पिता जी भी न रहे। अब वो पहलवान लोग भी न रहे। मोहल्ले में एक बुजुर्ग रहा करते थे। जवानी में पहलवानी की होगी इसलिए उनके नाम के साथ पहलवान जुड़ गया था। कई साल हुए पढ़ाई , नौकरी के चलते गांव से दूर चला आया। 4 -6 महीने में जब भी जाना होता , वो बाबा अक्सर मिलते प्रायः गांव की चक्की पर। लाठी लेकर चलते थे। मैं सामने पड़ जाता तो हाल - चाल जरूर ले लेते। मैं कहाँ हूँ और कैसा हूँ , घरवालों से पूछते रहते। मन में था कि एक बार कभी उनके साथ घंटो बैठकर बात करूंगा और उन्हें तमाम चीजे खिलाऊंगा। नौकरी , पढ़ाई और सिविल सेवा की तैयारी में ही उलझा रहा और एक दिन भाई का फ़ोन आया कि वो नहीं रहे। मन बड़ा दुखी हुआ। धीरे धीरे गांव के बुजुर्ग अपनी अंतिम यात्रा में जाते जा रहे है , हम शहरी दौड़ में उलझे और अकेले पड़ते जा रहे है। आज दंगल के बहाने ही सही उन पुराने दिनों , लोगों को याद कर बहुत सकून मिल रहा है।
( समाप्त )
©आशीष कुमार , उन्नाव , उत्तर प्रदेश।
मंगलवार, 25 सितंबर 2018
Dangal of my village :01
मंगलवार, 18 सितंबर 2018
Jodhpur Visit :3
आप सोच रहे होंगे कि जोधपुर के महल की कहानी बताते बताते , मैं बैटमैन और नोलन की बात क्यों करने लगा। दरअसल आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मेहरानगढ़ किले को आप बैटमैन राइज में भी देख सकते हैं। याद करें जब ब्रूस , एक गहरे कुवें से निकलने के लिए सीढ़ी चढ़ता और गिरता है। अंततः जब वो निकलता है तो मेहरानगढ़ के बाहरी परिसर में ही निकलता हैं। जोधपुर में तमाम फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है।
बात हो रही थी जब किले से रानियाँ जौहर के लिए निकलती थी। किले के अंदर जाते ही एक रेस्तरॉ है। किले के भीतर तमाम चीजे थे। पत्थरों की बहुत बारीक़ जालियाँ है जिनसे आप बाहर से कुछ नहीं देख सकते है जबकि भीतरी भाग में मौजूद व्यक्ति बाहर का सब कुछ देख सकता है। अंदर तमाम हथियार , पेटिंग्स , राजसी कपड़े के लिए अलग अलग कमरे हैं। अगर एक एक चीज पर गौर करने जाये तो पूरा दिन इसीमे निकल सकता है। हमने वहाँ पर 4 या 5 घंटे बिताये होंगे।
किले के पास ही जसवंत थड़ा है। इसे जोधपुर का ताजमहल कहा जाता है। राजपरिवार के तमाम सदस्यों को यहाँ पर दफन किया गया है। सफेद संगमरमर की इमारत में बहुत सकून महसूस होता है। राजेश और हम दोनों बहुत थक चुके थे। उम्मेद भवन पैलेस , किले से दिखता है , प्लान बना कल दोपहर बाद देखा जायेगा।
लौटते समय हम घंटाघर से आये। वहाँ पर कुछ स्थानीय नाश्ता किया , जैसे पालक पकौड़ी और चाय। यह चाय की बहुत प्रसिद्ध दुकान थी और अनोखे तरीके से चाय बन रही थी। एक तरफ चाय का पानी उबल रहा था और एक ओर दूध उबाल कर रखा गया था। चाय का टेस्ट बहुत बढ़िया था पर दुकान में साफ सफाई, जगह की कमी हैं। राजेश को चाय इतनी बढ़िया लगी कि उसने 2 गिलास पी।
घंटाघर , जोधपुर के प्रमुख मार्किट है। सैकड़ो की संख्या में विदेशी सैलानी दिख रहे थे। हमने भी कुछ शॉपिंग की और घर लौट आये। अगले दिन राजेश का ras का पेपर था , मैं भी उसके साथ निकला और सेण्टर पर उसका इंतजार करता रहा। पेपर देने के बाद हम उम्मेद भवन पैलेस की ओर निकल गए।
उम्मेद भवन पैलेस , जोधपुर के महराजा का निजी सम्पत्ति है। महल का कुछ हिस्साा आम दर्शकों के लिए खोल दिया गया है। जहाँ तक याद आता है , इसके कुछ हिस्से में ताज होटल ग्रुप ने एक हेरिटेज होटल बना दिया है और उसके कुछ कमरो का किराया एक रात का 2 लाख रूपये तक है। एक दिन का न्यूनतम 50000 रूपये है।
उम्मेद भवन एक पहाड़ी पर बना है। भीतर विंटेज कारों का एक म्यूज़ियम भी है। रोल्स रॉयस , कडियाक, मरसडीज और भी न जाने कौन कौन सी कारे खड़ी है। कारे 1920 से आगे के दशक की हैं और देखने में बहुत भव्य है। रॉल्स रॉयस के इंजन किसी रेल के इंजन सरीखा दिखता है।
महल घूमने के बाद हमें जोरों की भूख लगी थी। काफी देर हम वहीं पता करते रहे कि जोधपुर में सबसे अच्छी जगह खाने की कौन सी और कहाँ है। एक युवा ने जिप्सी रेस्तरॉ का नाम बोला। नाम सुनकर ही लगा कि वहाँ जरूर जाना चाहिए।
जिस्पी पहुँच कर देखा कि वहाँ तो वेटिंग क्यू है। 4 बज रहे थे। बाहर इंडिया टुडे की एक पेपर कटिंग लगी थी और जिप्सी को उसमें काफी अच्छी जगहों में शुमार किया था. अगस्त का यह पहला रविवार था और शायद यह फ्रेंडशिप डे भी था। सामने एक बेकरी की दुकान थी। कुछ लड़कियाँ और लड़के फ्रेंडशिप डे सेलिब्रेट करने के लिए उधर जा रहे थे। उन्हें देख लगा कि जोधपुर , फैशन के मामले में काफी एडवांस हैं।
यह शहर में कुछ पॉश एरिया होते है। शायद हम जोधपुर की सबसे महत्वपूर्ण जगह पर थे। जिप्सी में अंदर जाकर पता चला कि उनकी जोधपुरी थाली वैगरह 3 बजे तक ही रहती है और शाम को 7 बजे के बाद फिर से शुरू होगी। इस बीच सिर्फ चुनी हुयी चीजे मिल पाएंगी। हमने दाल मखनी और गार्लिक नॉन लिया। स्वाद और सबसे महत्वपूर्ण साफ सफाई में जिप्सी का जबाब नहीं। गूगल से पता चला तो होटल का मालिक किसी आईपीएस का बेटा था और शौक के तौर पर इसे शुरू किया था जो अब बहुत अच्छे से चलने लगा था।
हमारी रात की ट्रैन थी। मेरी सीट कन्फर्म न थी उसी दिन टिकट बुक किया था। हालाकि सुमित , राजेश की सीट कन्फर्म थी। मुझे उनकी सीट पर बैठ कर रात काटनी थी। उन्होंने कहा की tt से बात करलो, अपना परिचय दे दो शायद कोई सीट हो। मैं मुस्कराया परिचय से ही बात बनानी होती तो सीट पहले ही कन्फर्म होती। जब तक घोर जरूरत न हो , आम बन कर ही जीने में मजा है।
उन दिनों नेटफ्लिक्स पर मैं वाइल्ड वाइल्ड कंट्री सीरीज देख रहा था। काफी रात तक उन्हें देखता रहा। सुमित रात में कई बार उठ कर मुझे सोने के लिए ऑफर किया पर मैं साइड सीट पर बैठा रहा और सोचता रहा यही तो जीवन है , दो साल फ्लाइट से चलने के बाद इस तरह स्लीपर डिब्बे में साइड सीट पर रात जागते हुए काटना , ये भी तो जरूरी अनुभव है। आखिर मेरा फलसफा है कि अनुभव ही जीवन है और जीवन ही लेखन है।
सोमवार, 17 सितंबर 2018
Jodhpur Visit : Part 02
(यात्रा के जुड़ी तमाम तस्वीरें मेरी इंस्टाग्राम प्रोफाइल @asheeshunaoo पर अपलोड हैं, उनके साथ आप इस यात्रा विवरण का बेहतर चित्र मनस पटल पर खींच सकते हैं )
शनिवार, 15 सितंबर 2018
Jodhpur Visit : part 1
( जारी_________)
© आशीष कुमार , उन्नाव , उत्तर प्रदेश।
गुरुवार, 13 सितंबर 2018
NETFLIX: WILD WILD COUNTRY
शनिवार, 1 सितंबर 2018
Life means travel and meeting with friends
शुक्रवार, 31 अगस्त 2018
letter
गुरुवार, 30 अगस्त 2018
Questions and answers
सवाल व जबाब
हम कई मसलों में जबाब देने के योग्य होते हैं और कई बार हमें खुद सवालों से घिरे होते है। दोनों ही मसलों में हमें बहुत मितव्ययिता बरतनी चाहिए । सवालों का अंत नही है और हर किसी से अपने सवालों को नहीं साझा करना चाहिए । उत्त्तर देने में भी हमें संयम बरतना चाहिए । जितने अधिक आप उत्तर देने जाओगे , अपने महत्व को कम करते जाओगे। कई बार , चुप रहना भी सबसे बेहतर जबाब होता है।
-आशीष, उन्नाव
सोमवार, 27 अगस्त 2018
Motivational : Three star of Hindi Medium
बुधवार, 22 अगस्त 2018
Vo jo ankho se ek pal n ojhal huye
रविवार, 19 अगस्त 2018
Success tips for upsc
अगर आप कोचिंग कर पाने में सक्षम नही हैं तो 2 चीजे जरूर ध्यान रखना
1. किताबें जितनी ज्यादा खरीद सको, खरीदते रहना।
2. जितना ज्यादा पढ़ सकते तो पढ़ते रहना
एक मजेदार तरीके में कहूं तो मैंने अपने वजन के 10 गुना ज्यादा किताबें खरीदी होंगी और उनमें कुछ 4 या 5 बार से ज्यादा पढ़ी गयी होंगी।
-आशीष कुमार
गुरुवार, 9 अगस्त 2018
That day
सोमवार, 6 अगस्त 2018
Continuity
निरंतरता
जीवन में कुछ भी हासिल करने के लिए निरंतरता सबसे महत्वपूर्ण होती है। सिविल सेवा में चयन के बाद से काफी खालीपन महसूस कर रहा था वजह क्योंकि अब किसी चीज के लिए पढ़ना न था। कोई लक्ष्य नजर न आ रहा था कि अब किया क्या जाय ?
पिछले दिनों कुछ अच्छे दोस्तों की सलाह , सुझाव के चलते अपने लिए कुछ नया काम तलाश लिया है, मजा आ रहा है क्योंकि फिर से पढ़ाई में व्यस्तता बढ़ रही है। देखा जाय तो सीखने के लिए इतनी चीजे है कि आप पूरे जीवन विद्यार्थी बने रह सकते है ।
©आशीष, उन्नाव
रविवार, 29 जुलाई 2018
वैश्विक उद्यमिता सम्मेलन
New India
Health Bima
Budget
Bank Fraud
Featured Post
SUCCESS TIPS BY NISHANT JAIN IAS 2015 ( RANK 13 )
मुझे किसी भी सफल व्यक्ति की सबसे महतवपूर्ण बात उसके STRUGGLE में दिखती है . इस साल के हिंदी माध्यम के टॉपर निशांत जैन की कहानी बहुत प्रेर...
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एक दुनिया समानांतर संपादक - राजेंद्र यादव एक दुनिया समानांतर , राजेद्र यादव द्वारा सम्पादित नयी कहनियों का ...
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निबंध में अच्छे अंक लाने के लिए जरूरी है कि उसमे रोचकता और सरसता का मिश्रण हो.........आज से कुछ लाइन्स या दोहे देने की कोशिश करता हूँ......
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पिछले दिनों किसी ने इस बारे में रिक्वेस्ट की थी। आज मैंने कुछ टॉपिक्स जुटाने की कोशिस की है। भूगोल बहुत बड़ा विषय है। इसमें बहुत से टॉपिक ...