BOOKS

गुरुवार, 18 मई 2017

Energy Security


ऊर्जा सुरक्षा 

पिछले दिनों भारत ने अपनी तकनीक के आधार पर 10 नुक्लिएर रिएक्टर 700 mw के विकसित करने का निर्णय लिया। भारत की भविष्य की ऊर्जा जरूरतों के मद्देनजर यह फैसला कई मायनों में बेहद अहम है। इस तकनीक के विकास से भारत न केवल अपनी जरूरतों को पूरा करेगा वरन वह आगामी समय में इस तकनीक का निर्यातक बन सकता है।  
हमारा भविष्य स्वच्छ ऊर्जा के विकास पर निर्भर करता है। भारत ने जलवायु संकट पर की गयी पेरिस संधि का हस्ताक्षर कर्ता है। इस संधि के स्वैछिक अनुपालन हेतु भारत  ऊर्जा के परम्परागत साधनों से अपनी निर्भरता धीरे धीरे कम कर रहा है। भारत ने 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा के लिए 175 गीगावाट के उत्पादन का लक्ष्य रखा है।  
परमाणु ऊर्जा जोकि यूरेनियम , थोरियम पर आधृत होती है , अपने सीमित संसाधनों के चलते इसे भी परम्परागत ऊर्जा में ही रखा जाता है यद्पि यह स्वच्छ ऊर्जा मानी जाती है। अभी तक भारत रूस , फ्रासं , जापान और अमेरिका की इस क्षेत्र में कार्यरत कंपनी के भरोसे रहता था। समय के मांग के अनुरूप भारत ने इस क्षेत्र में दक्षता हासिल करने की ठानी है। यह भारत के बढ़ते विश्वास का भी परिचायक है।  

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश। 

बुधवार, 17 मई 2017

India's Relation with Palestine



भारत -फिलीस्तीन सम्बन्ध 

भारत विश्व में अपने लोकत्रांतिक मूल्यों के चलते सभी तरह के देशों से शांतिपूर्ण सम्बन्धो का हिमायती रहा है। विश्व के विविध देशों के मध्य चल रहे तनाव को खत्म करने में भारत का एक शानदार अतीत रहा है। इसी कड़ी में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा आगामी जुलाई में  इजरायल यात्रा के पूर्व फिलिस्तीन के राष्ट्पति महमूद अब्बास को अपने यहाँ आंमत्रित कर, दोनों देशों के प्रति अपनी शांतिपूर्ण प्रतिबद्धता को दर्शाया है। इसे दोनों देशों के प्रति भारत की बैलेंसिंग एक्ट की नीति कही जा रही है।  
इजरायल -फिलिस्तीन के संबध काफी तनाव पूर्ण रहे है। भारत एक और जहाँ इजरायल से रक्षा संबधो को बढ़ावा देता रहा है वही दूसरी ओर इजरायल द्वारा गाजा पट्टी पर मानवाधिकार हनन की खुल कर आलोचना करता रहा है। किसी भी राष्ट की सम्प्रभुता की हिमायत करना, विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाना भारत की विदेश नीति का अभिन्न अंग रहा है।
पश्चिम एशिया विश्व के लिए हमेशा संवेदनशील मुद्दा रहा है। यहां पर धार्मिक , नृजातीय पहचान को लेकर लम्बे समय से विवाद चलते रहे है। भारत ने पश्चिम एशिया के प्रति 'लिंक वेस्ट ' की नई नीति घोषणा की है, जिसमें पश्चिम एशिया के देशो  से अपने संबंधों को और  उचाईयों तक ले जाने के लिए , भारत प्रतिबद्ध है। महमूद अब्बास की यात्रा को इसी रूप में देखा जाना चाहिए। 

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश। 

सोमवार, 15 मई 2017

china's belt and road initiative


चीन की बेल्ट और रोड पहल : भारत के लिए मायने 


चीन ने 2013 में विश्व के कई देशो से गुजरने वाली बेल्ट और रोड पहल की घोषणा की थी। चीन की आक्रामक निवेश नीति के चलते प्रारंम्भ में सभी देश इस नीति  को लेकर सशंकित थे। चीन में इस योजना से जुड़ा पहला फोरम अभी हाल में समाप्त हुआ है। 130 देशों के प्रतिभाग तथा कम से कम 65 देश इस  900  बिलियन डॉलर की पहल से सीधे जुड़ना , इस योजना की लोकप्रियता  को दर्शाता है। 
भारत इस पहल का शुरू से विरोध कर रहा है क्युकि इस विशाल परियोजना का सबसे महत्वपूर्ण कहा जाने वाला हिस्सा चीन -पाकिस्तान आर्थिक गलियारा जोकि पाक अधिकृत कश्मीर से गुजरता है , भारत की स्वायत्तता में दखल देने जैसा है। 
चीन इस समय एक ऐसे दौर से गुजर रहा है जो उसे इस तरह की विशाल परियोजना तैयार करने को बाध्य कर रही है। उसकी अर्थव्यस्था में अब फैलाव के लिए जगह नहीं बची है। इस बेल्ट और रोड पहल से वह अपने लिए बाजार विस्तृत तो करेगा ही साथ ही इससे जुड़े देशो को विविध ऋण देकर उनकी नीतियों में भी दखल देगा। भारत को इस से जुड़े गंभीर पहलू को अपने पड़ोसी देशो यथा नेपाल , भूटान , बांग्लादेश , म्यांमार तथा श्री लंका से साझा करना चाहिए। आज के समय सारे विश्व में सस्ते , घटिया चीनी मॉल से बाजार भरे पड़े है। रोड और बेल्ट पहल के पुरे होने पर , अन्य देशो के घरेलू उद्योग के लिए बेहद सीमित अवसर रह जायेंगे। इन पहलुओं को देखते , भारत का विरोध उचित  व सार्थक कहा जा सकता है।  

आशीष कुमार ,
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  













रविवार, 14 मई 2017

Importance of cyber security

जरूरी है साइबर सुरक्षा

कल विश्व के 100 से अधिक देशो में हुए साइबर हमले ने एक बार हमें अपनी तकनीकी उपलब्धियों पर पुनः विचार करने पर मजबूर कर दिया है। निश्चित ही तकनीक हमारा भविष्य है पर अगर वह गलत हाथों में पड़ जाये तो इसका खामियाजा सारे समाज को  भुगतना पड़ता है।

कल हुए साइबर हमले में पहले विविध कंप्यूटर पर फाइल्स को हैक कर लिया गया और उन्हें खोलने के एवज में बिटक्विने में रकम मांगी गयी। ब्रिटेन में कई अस्पतालों में कंप्यूटर काम करना बंद कर दिया और बड़ी संख्या में मरीजों को वापस भेजा रहा था। ब्रिटेन के ही एक अनाम व्यक्ति ने किल स्विच की मदद से इस हमले को बढ़ने से रोक दिया।

आज के दौर में जब समाज का बहुतायत हिस्सा , कंप्यूटर पर निर्भर है।  स्वास्थ्य सेवा ,व्यापार , मनोरंजन , परिवहन , सेना , प्रशासन , दूर संचार आदि कंप्यूटर और इंटरनेट के बगैर चल पाना संभव नही हैं । अतः सारे विश्व को इस मसले पर साथ आना चाहिए और सहयोग के आधार पर इसका न केवल निराकरण करना चाहिए , अपितु  भविष्य के लिए मजबूत रणनीति भी बनानी होगी।

आशीष कुमार
उन्नाव , उत्तर प्रदेश। 

शनिवार, 13 मई 2017

Few lines for essay in hindi

पिछले दिनों किसी ने मुझसे निबंध के लिए नई लाइन्स लिखने का आग्रह किया था ।
एक छोटा सा वीडियो बनाया था । आज शेयर कर रहा हु , कैसा है बताना जरूर ।

Great laksmikant book

लक्ष्मीकांत की कालजयी पुस्तक का नया संस्करण

मैंने आज एक मित्र के पास लक्ष्मीकांत की संविधान वाली बुक का 2017 का संस्करण देखा।एक पल को चौक गया । बहुत मोटी हो गयी है । अंदर देखा तो बस कुछ नए पन्ने जोड़े है । टाटा मैक हिल की बुक अच्छी तो होती है पर पन्ने की बर्बादी बहुत होती है । आप खुद देखे , जो बात आधे पन्ने में खत्म की जा सकती है उसके लिए 4 पन्ने भर देंगे । बेचारा नया लड़का तो किताब का वजन देख कर ही टेंसन में आ जाये ।
अब दाम भी बहुत बढ़ गए है इसके 😊

शुक्रवार, 12 मई 2017

Genetically modified mustard


जीन संवर्धित सरसों 

हाल में ही पर्यावरण मंत्रालय से संबद्ध जेनेटिक इंजीनीररिंग अप्रूवल कमेटी ने जीन संवर्धित सरसों के व्यवसायिक उपयोग के लिए अनुमति दी है। इसके  साथ ही एक बार फिर इस बात की चर्चा शुरू हो गयी है कि  जी एम फसलें हमारे लिए उपयोगी है या नहीं।  

भारत में अभी तक जीन संवर्धित  कपास को ही अपनाया गया है। बी टी ब्रिंजल यानि बैगन को अनुमति नहीं दी गयी थी। जीन संवर्धित फसलों की उपयोगिता, उनके उत्पादकता में वृद्धि तथा प्रतिरोधकता को लेकर होती है। यह सूखा से भी निपटने में सहायक होती है। देखा जाय तो जनसख्या में वृद्धि के साथ साथ खाद्य सुरक्षा के मद्देनजर जीन संवर्धित फसल हमारे समय की मांग है। 

विश्व के कुछ देशो यथा अमेरिका  में जहां जीन फसलों को सफलतापूर्वक उगाया जा रहा है तो कुछ देशो में इसका विरोध भी किया जाता रहा है। भारत जैसे देश जहां पर आज भी बहुतायत भाग कृषि पर निर्भर है और निम्न फसल उत्पादकता है, जीन परिवर्धित फसल एक अच्छा विकल्प साबित हो सकती है।  

वस्तुतः कोई भी तकनीक अच्छी या बुरी हो सकती है। यह निर्भर करता है कि आप उसे कैसे प्रयोग करते है। जीन फसलों के विरोध के सबसे महत्वपूर्ण कारको में एक,  इसका विदेशी कम्पनी मोनसैंटो द्वारा इन फसलों के बीज पर एकाअधिपत्य को लेकर भी रहा है। भारत के कई किसानों की यह चिंता स्वाभाविक है कि भारत की कृषि , विदेशी कम्पनी के अधिपत्य में न चली  जाय। महाराष्ट में  कपास उत्पादकों द्वारा की गयी कुछ आत्महत्यों से उक्त शंका  निराधार नहीं कही जा सकती  है।  

ऐसे में सरकार द्वारा सावधानी पूर्वक कदम उठाये जाये चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस मसले पर कहा कि जनता की सहमति सर्वोच्च होनी चाहिए। अभी इस जीन परिवर्धित सरसों को पर्यावरण मंत्री की सहमति के बाद कृषि मंत्रालय द्वारा इसकी फसल की उपयोगिता का एक पूर्व आकलन किये जाने के बाद ही यह आम जन के लिए उपलब्ध कराई जाएगी। एक अनुमान के मुताबिक इसमें ४ से ५ वर्ष लग जायेगे तब तक भारत में इन फसलों के प्रति आम सहमति बना ली जाय तो अच्छा होगा। चुकि यह परिवर्धित सरसों भारत के सरकारी संस्थान की उपलब्धि है इसलिए कम से कम किसानो को  , इसके दाम को लेकर ज्यादा आशंकित नहीं होना चाहिए। 
आशीष कुमार , 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

गुरुवार, 11 मई 2017

Sri Lanka and India relation

भारत और श्री लंका के संबंध : एक नया दौर 


भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की 14 वे वैशाख दिवस के अवसर पर श्रीलंका की गयी यात्रा कई मायनों बेहद अहम है। भारत श्रीलंका के सम्बन्ध शुरू से ही काफी मधुर रहे है। अलगावादी लिट्टे संगठन से निपटने में भारत ने बहुआयामी सहयोग की भूमिका अदा की थी। यद्पि पूर्व राष्टपति महेंद्र राजपक्षे के समय इन सम्बन्धो में गिरावट आ गयी थी। महेंद्र के कार्यकाल में श्रीलंका ने चीन से ज्यादा लगाव दिखाया था। हंबनटोटा बंदरगाह , कोलंबो पोर्ट सिटी जैसी प्रोजेक्ट में चीन ने भारी  निवेश किया था। इस समय चीन को लेकर श्रीलंका विशेष उत्साह नहीं दिखा रहा है क्यूकि चीन पर राष्टपति के चुनाव में महेंद्र राजपक्षे का सहयोग करने के आरोप लगे थे साथ ही चीन द्वारा निवेश को लेकर आक्रामक नीति को लेकर भी वहां की कंपनियों में असंतोष है।  

इस समय मैत्रीपाला सिरिसेना के नेतृत्व में श्रीलंका ने भारत से सम्बन्धो को नई उचाई पर ले जाने के लिए विशेष रूचि दिखाई है। पिछले दिनों भारत द्वारा दश्रिण एशिया उपग्रह का प्रक्षेपण के माध्यम से स्पेस डिप्लोमेसी की शुरुआत की गयी है। यह भारत द्वारा विदेशी नीति के अहम पहलू गुजराल डॉक्ट्रिन का एक सशक्त उदाहरण है जिसमे भारत को अपने पड़ोसी देशों से बगैर किसी अपेक्षा के सहयोग करने की बात कही गयी थी।
भारत को श्रीलंका से मछुवारों के प्रति एक पारदर्शी नीति लागू करवाने पर भी जोर देना होगा। अक्सर तमिल मछुवारे , श्रीलंका द्वारा पकड़ लिए / मार दिए जाते है। कचातीव द्वीप 1976 में भारत ने श्रीलंका को दे दिया था यद्पि उस करार में भारत के मछुवारो को द्वीप के पास तक मछली मारने का हक दिया गया था। आपसी सहयोग से इस संवेदनशील मुद्दे पर भी सहमति बनानी होगी।    


इस समय चीन द्वारा भारत के प्रति स्ट्रिंग ऑफ़  पर्ल की नीति , वन बेल्ट वन रोड की नीति के अपना रहा है। इसमें भारत के पड़ोसी देशो में चीन द्वारा भारी मात्रा में निवेश किया जा रहा है। चुकि भारत की आर्थिक स्थिति , चीन से कमतर है ऐसे में भारत को हार्ड पावर का जबाब सॉफ्ट पावर की नीति से देना होगा। 

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

बुधवार, 10 मई 2017

The integrated case management information system


एकीकृत केस प्रबंधन सुचना प्रणाली 

कल सर्वोच्च न्यायालय में डिजिटल इंडिया के एक भाग के तौर पर एकीकृत केस प्रबंधन सुचना प्रणाली की शुरुआत कई मायनों में काफी अहम है। यह सरल, पारदर्शी , त्वरित प्रकिया आम जन को बहुविध तरीके से न्याय सुलभ कराएगी। पेपरलेस तकनीक के अनुप्रयोग से भारत अपनी पर्यावरण प्रतिबद्धता को दर्शाता है। गौरतलब है कि एक पेपर बनाने में 10 लीटर पानी खत्म होता है। 

 इस तकनीक के चलते , मुकदमे के नंबर और केस के आधार को उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल कर सकता है , बाकि फाइल डिज़िटल तरीके से स्वतः उच्च न्यायालय से ऊपर पहुंच जाएगी। इसमें मुकदमे की फ़ीस , लगने वाला अनुमानित समय का भी उल्लेख रहेगा। इसमें सम्बंधित सरकारी विभाग को स्वतः केस दाखिले के बारे में सुचना मिलने का भी प्रावधान किया गया है।   

भारत में लगभग 3 करोड़ो मुकदमे निचली अदालतों , 60 हजार मुकदमे सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। यह हमारे जीवंत लोकत्रंत के लिए अभिशाप है क्यूकि कहा जाता है कि न्याय में विलम्ब , न्याय की अवमानना है। इस तकनीक से आशा की जानी चाहिए कि भारत में न्याय प्रकिया में तेजी आएगी। 

आशीष कुमार , 
उन्नाव, उत्तर प्रदेश  

South korea president election


विश्व शांति की ओर एक कदम 

विश्व में पश्चिम  एशिया के बाद सबसे संवेदनशील माने जाने वाले क्षेत्र दक्षिण कोरिया से एक अच्छी खबर आयी है। मानव अधिकार  कार्यकर्ता , वकील 64  वर्षीय मून जे को राष्टपति चुना गया है। वह अपने चिर प्रतिद्वंदी देश उत्तर कोरिया से अच्छे सम्बन्ध रखने के हिमायती है।  मून जे के पिता 1950  में उत्तर कोरिया के साम्यवादी शासन से भाग कर दक्षिण कोरिया आ गए थे।  
मून जे , अमेरिका के उत्तर कोरिया ऊपर लगाए गए प्रतिबंधों की आलोचना करते रहे है। वह दोनों देशों के साथ बातचीत के द्वारा मुद्दों को सुलझाए जाने के हिमायती रहे है।  मून की सनशाइन पालिसी इस बात का अच्छा उदाहरण है। उन्होंने यहाँ तक आशा कि है एक दिन दोनों देश एक हो जायेंगे। 
उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच प्रारम्भ से ही तनावपूर्ण रिश्ते रहे है। अमेरिका ने हाल में ही टर्मिनल हाई अलटीटूड एरिया डिफेन्स ( थाड ) सिस्टम को दक्षिण कोरिया में तैनात किया था। मून ने इस पर समीक्षा करने के संकेत दिए है दरअसल अमेरिका ने अपने द्वारा दी जाने वाली सुरक्षा के बदले धन की मांग भी की थी जिसे बाद में वापस ले लिया था। अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच 1953 में एक सहयोग संधि की गयी थी जिसके तहत 29000 अमेरिका के  सैनिक इस देश में तैनात है।  
वस्तुतः मून जे की चुनाव में जीत से  अमेरिका को एक झटका लगा है । वैसे भी इन दिनों , बहुध्रुवीय विश्व में , शांति और स्थिरता के लिए सीमा व् अन्य विवाद आपसी बातचीत से सुलझाना ज्यादा बेहतर होगा। अमेरिका को इस तरह के विवादों में न उलझकर उसे अपना ध्यान अन्य गंभीर वैशिवक मुद्दों यथा जलवायु परिवर्तन , अकाल , गरीबी , भुखमरी , रिफ्यूजी समस्या आदि में देना चाहिए।

-आशीष कुमार, उन्नाव , उत्तर प्रदेश

(This article has been published in jansatta editorial as letter on dated 11.05.2017)

सोमवार, 8 मई 2017

Essay

फ्रान्स में मैक्रॉ की राष्ट्पति के तौर पर  जीत विश्व  के लिए कई मायनो में अहम है । उन्होंने ली पेन को हराया जो प्रबल राष्टवाद, संरक्षणवाद की हिमायती थी। इस तरह से यूरोप की एकता की जीत हुयी है । ब्रिटेन की eu से अलग होना, ट्रम्प की जीत के बाद से विश्व में एक अलग तरह का माहौल दिखने लगा था। eu में शरणार्थी का मुद्दा, रोजगार को लेकर सभी देशों में प्रबल राष्टवाद का उभार हुआ है जिसमें सभी अपनी सीमा विश्व के लिए बंद करने का दबाव बना रहे है । वस्तुतः यह वैस्वीकरण के पीछे हटने जैसा था ।
अगर ऐसा होता तो भारत जैसे विकाशसील देशों के लिए काफी मुश्किल भरा होता क्यूकि इन देशों में एक बड़ा बाजार बन्द हो जाता ।
आशा की जा सकती है कि अब विश्व में बदलाव आएगा यह देखना रोचक होगा कि जर्मनी में मर्केल की जीत होती है या नही ।

( यह लघु लेख ,जनसत्ता में १० मई २०१७ को पत्र के तौर पर प्रकाशित हुआ है।  ) 

शुक्रवार, 5 मई 2017

गोंडा

गोंडा

कल से यह नाम काफी चर्चा में है । स्वच्छता रैंकिंग में नीचे से टॉप किया है । मुझे प्रसंगवश राग दरबारी का रिक्शा वाला याद आ गया । श्री लाल शुक्ल जी के काल जयी उपन्यास राग दरबारी में शुरूआती पन्नों में ही इसका जिक्र है जिसमें एक रिक्शा चलाने वाले गोंडा वाले रिक्शे चालक को हिकारत भरी बातों से अपमानित करता है ।
सच कहु काफी साल पहले जब पहली राग दरबारी पढ़ी थी तो गोंडा के लिए वही छबि बनी रही ।
हमेशा सोचता रहा कि शुक्ल जी की गोंडा से क्या अदावत थी ? कल की रैंकिंग से यही समझ कि शुक्ल जी कितने ज्यादा दूरदर्शी थे । वैसे एक और बड़ी रोचक बात बताता हु पिछले कुछ वर्षो से नए लेखक , व्यंगकार एक हिंदी शब्द का प्रयोग बहुत करने लगे है "लौंडे" । काफी दमदार शब्द है पर यह भी शुक्ल जी ही देन मानी जा सकती है । राग दरबारी में इस शब्द के भरपूर, सार्थक प्रयोग किया गया है ।

गुरुवार, 4 मई 2017

Knowledge economy vs. Remittances economy

For essay

भारत एक नॉलेज पॉवर होने के साथ ही रेमिटेंस इकॉनमी है । भारत की अर्थव्यवस्था में विदेश से आने वाले धन की मात्रा विश्व में सर्वाधिक है । पश्चिम एशिया में तनाव, खनिज तेल के गिरते दाम के चलते , रिमिटेन्स में काफी गिरावट आई है । भारत को अमेरिका में H 1 visa isuue
के साथ साथ पश्चिम एशिया के देश में रहने वाले मजदूरों की प्रॉब्लम पर विशेष ध्यान देना होगा । इस विषय में यह उल्लेखनीय होगा कि मध्य एशिया के प्रवाशी भारतीय , अमेरिका में काम करने वाले लोगों से ज्ञान व् धन में कमजोर है , इसलिए भारत सरकार को inko prathmikta deni hogi.

Space diplomacy

स्पेस डिप्लोमेसी

भारत ने पड़ोसी देसो को आधुनिक अंतरिक्ष सेवाओं हेतु दक्षिण एशिया उपग्रह लांच किया है । इसके माध्यम से भारत के पड़ोसी देशों के साथ सम्बन्ध बेहतर होंगे । इसे चीन की स्ट्रिंग ऑफ़ पर्ल नीति से निपटने में मदद मिलेगी । यह भारत की विदेश नीति के अहम सिद्धान्त गुजराल डॉक्ट्रिन के अनुरूप है जिसमें भारत से आशा की जाती है कि वह अपने पड़ोसी देशों से बगैर अपेक्षा के सहयोग करे ।

विश्व में संरक्षणवाद पर जोर दिया जा रहा है । ट्रम्प ने कई नीतियों यथा tpp से हटना , पेरिस संधि से हटना के माध्यम से इस दिशा में अहम संकेत दिया है । ब्रिटेन का eu से अलग होना, इटली के चुनाव आदि के माध्य्म से भी यही देखा जा रहा है । ऐसे में भारत जैसे उभरने वाले देश जिसको अपने मॉल की विक्री के लिए बाजार की जरूरत है , पड़ोसी देश अच्छा विकल्प साबित हो सकते है क्योंकि यह अभी कम विकसित है ।

सोमवार, 1 मई 2017

History repeats

इतिहास स्वयं को दोहराता है

इतिहास में शुरू से गहन रूचि रही है । कुछ नामचीन पुस्तकें ही पढ़ी है पर बहुतायत बार ।
आज फिर पढ़ा कि प्लिनी इस बात पर रोता है कि रोम से हर साल बड़ी मात्र में सोना भारत आ रहा है वो भी गोल मिर्च, हाथी दांत , मोती व् मलमल के लिए । यह ईशा पूर्व की बात है ।
इसके बाद कुषाण काल में रेशम मार्ग पर अधिकार से भारत ने विश्व व्यापार में खूब धन कमाया ।
आगे गुप्त काल को स्वर्ण काल भी कहा जाने लगा । फिर पतन का दौर शुरू हुआ 10 वी सदी तक भारत से सोने की वापसी होने लगी । गजनवी ने भारत से खूब सोना लूटा यानि सोना फिर पश्चिम गया ।
12 सदी से भारत में 3 नगरीकरण शुरू हुआ । सल्तनत काल और मुग़ल काल में फिर भारत में सोना जमा हुआ । इसमें भी गोल मिर्च का बड़ा हाथ माना जाता है बाकि सूती कपड़े तो भारत के थे ही उत्तम ।
इसके बाद अंग्रेज आये और फिर भारत से सोना ब्रिटेन गया । जब भारत आजाद हुआ तो पूरी तरह से बदहाल करके गए थे अंग्रेज । जाते जाते विभाजन के रूप में रोग दे गए । रोग की चर्चा फिर कभी ।
पिछले कुछ सालों से भारत सबसे ज्यादा सोना आयात करने वाला देश है । यानी फिर सोना भारत में जमा हो रहा है  बाकी आप पर छोड़ता हूँ सोचिये और बताईये कि इतिहास से सबक ले तो क्या लगता है इस बार इस सोने की वापसी कैसे होगा ?

शनिवार, 22 अप्रैल 2017

Prayag station : A story




ऊपर आप एक तस्वीर देख पा रहे है. ठीक है अपने क्या देखा ? नहीं मै इस काली चोटी और लम्बी डोरी की बात नहीं कर रहा हूँ। दरअसल अगर मै चाहता तो इसे tasvir se हटा भी सकता था और क्रॉप करके सिर्फ वही दिखाता जिस पर यह कहानी है। दरअसल अक्सर हम वो नहीं देख पाते है जो हमें देखना होता है। 

खैर यह तस्वीर चोरी से ली गयी थी। दरअसल आप इस तस्वीर में तारीख और समय तो खुद ही देख पा रहे है बाकि चीजे मै बता देता हूँ। उस दिन उस समय मै प्रयाग स्टेशन पर था। मेरी ट्रैन काफी लेट थी। बुक स्टाल से कुछ पत्रिका खरीदी। हंस ने मार्च में रहस्य कथा विशेषांक छापा था। बड़े चाव से खरीदा और भी कुछ मैगज़ीने खरीदी और उसी में डूबा था। इस लड़की जोकि अपनी बीमार माँ ( या चाची ) के साथ ऊब रही थी और सो जा रही थी। 
चलो अब बता भी देता हूँ आप तस्वीर को फिर से देखे। हा वही आदमी जो हँस रहा है (क्या वो वाकई हँस रहा है ). बस इसी की कहानी है आज। उस आदमी को मै काफी देर से सुन रहा था और समझ भी रहा था कि क्या हो रहा है मेरे पीछे की सीट पर। तब तक मेरे मन में उस पर लिखने का कोई विचार नहीं सुझा था और न ही तस्वीर ली थी। तभी उस आदमी ने कहा - 
" हा भाई साहब , अब को समझाता हूँ , दरअसल मै एक समय में एक आदमी को ही समझाता हूँ " बस उसकी इसी पंक्ति ने  मुझे चोरी से तस्वीर लेने पर बाध्य कर दिया।  अब मै उस आदमी पर पूरा ध्यान देकर सुनने लगा।  
दरअसल वो एक स्कीम समझा रहा था कि ९ हजार रूपये जमा करो। उससे साड़ी या लड़की के सूट पीस वगैरा खरीदो। आपके पैसे तो कपड़े लेने से ही वापस आ जायेंगे। बाकि आप आगे मेंबर बनाओ और लाखो कमाओ। मैंने एक बार फिर सोचा और सुना। यह २०१७ है और आज भी ऐसी स्कीम चल रही है मुझे सच में हैरानी हो रही थी। एक पल को लगा कि उसकी कहानी का खुलासा कर दूँ और उसे समझाओ कि ये स्कीम कैसे चलती है पर उस आदमी की मेहनत देख कर मै चुप ही रहा। दरअसल वो बहुत लगन से स्कीम समझा रहा था। मजे की बात यह थी कि उसके सुनने वाले भी रोचक लोग थे। एक ठेकेदार जो उड़ीसा से कुछ मजदूर लाया था ये मजदूर किसी ब्रिक के कारखाने में काम करने जा रहे थे।  

दरअसल मै उस आदमी को पूरी तरह से समझा नहीं पा रहा हूँ उसकी बाते बहुत रोचक थी। भाषा भोजपुरी थी। ठेठ ग्रामीण था पर शुद्ध भाषा में बात कर रहा था। बाते इतनी जोर हो रही थी एक और आदमी ने स्कीम में रूचि दिखाई। यह आदमी सरकारी नौकरी में था इसलिए उस स्कीम बेचने वाले रोचक आदमी ने अपने सर को फोन लगाया और बोला ये सरकारी आदमी है आप इनको अच्छे से समझा दीजिये।  

कभी कभी मुझे लगता है कि ज्यादा पढ़ना और ज्यादा सोचना दोनों ही घातक होता है। मै बहुत कुछ सोच रहा था। सरकार देश के लिए क्या क्या नहीं कर रही है ? मेक इन इंडिया , स्किल इंडिया , इन्क्लूसिव गोथ , १०० से अधिक स्कीम पर लोग अभी भी इस तरह की स्कीम में पड़े है।  वो आदमी बार बार बोल रहा था कि कंपनी इंटरनेट पर है देख लो , चेक कर लो। मैंने देखा दिल्ली से किसी ठग ने इसकी शुरआत की थी।  वो आदमी बार बार बोल रहा था अपनी मेहनत है चाहो तो साल में ५० लाख कमाओ।  

पिछले दिनों लोग फेसबुक पर like करने वाली कम्पनी में करोड़ो डुबो दिए। मुझे रामाधीर सिंह का वो कालजयी कथन याद है जो गैंग्स ऑफ़ वासेपुर में बोला था। 
" जब तक फिल्मे है लोग चूतिया बनते रहेंगे। " 
इसी को संसोधित करके ऐसा कहा जा सकता है -जब तक लालच है तब तक लोग---------  बनते रहेंगे। इस बीच उस आदमी ने लखनऊ में किसी को फोन लगाया और बोला कि "बहुत दिन हो गए आप से मुलाकात नहीं हुयी है मिलने आ रहा हूँ।" कहने कि जरूरत नहीं कि वो लखनऊ किस लिए जा रहा था। 

copy right - Asheesh Kumar 

friends , i think you also know such type person & company . what do you think why these are still growing ? 













शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017

चाँदनी चंदन सदृश

" चांदनी चन्दन सदृश हम क्यों कहे,
हाथ हमें कमल सरीखे क्यों दिखे ,
हम तो कहेंगे कि चांदनी उस सिक्के सी है
जिसमें चमक है पर खनक गायब है ।"

जगदीश कुमार

नई कविता में नए उपमानों पर जोर देते हुए ।

रविवार, 2 अप्रैल 2017

बहुत सयानी है वो मुझे use करती है



एक आत्मीय जन का कल फ़ोन आया। बातों  ही बातों में कहने लगे उनके साथ एक लड़की काम करती है। बहुत सयानी है। काम निकलवाने के लिए किसी से भी दोस्ती कर लेती है देखना एक दिन pcs भी बन जाएगी।  
मित्रों , इस तरह की बाते इन दिनों बहुत स्वाभाविक है। मेरी नजर में इस तरह का सयानापन होना कोई बुरी बात नही। बस हर किसी को अपनी सीमाएं बहुत अच्छे से पता होनी चाहिए। 

अगर आप को लगता है कि कोई आप को use कर रहा है तो यह आपकी कमजोरी का लक्षण है। आखिर आप इतना कमजोर कैसे हो सकते हो ? चाहे मित्रता हो या प्रेम , भावनाओं से अधिक अपने मस्तिष्क पर जोर देना चाहिए। यह दुनिया दिनों दिन काफी जटिल होती जा रही है। हर कोई आगे आना चाहता है चाहे इसके लिए उसे किसी के ऊपर से चढ़ कर आना पड़े , चाहे किसी को कुचलना ही क्यू न पड़े। आप भगदड़ की कल्पना करे जिसमे आप गिर पड़े है और लोग आप के ऊपर से गुजर रहे है , भले ही आप कौन हो ? ऐसे में आप कहे सब मुझे use कर रहे है तो इमसें लोगो का क्या दोष हर कोई अपनी जान बचाने में पड़ा है। आप गिरते ही क्यू है ? 

जीवन में सफलता का आधार , अपनी भावनाओं पर काबू पाने से होता है। मैंने बहुतायत लोगों को देखा है लंबी & लंबी फ़ोन पर बाते , घंटो चैट। भाई , कमाल लगता है कि लोगों के पास कितना वक़्त है। एक पुरानी पोस्ट में मैंने , आपको अपनी कीमत निकालने को कहा था। मान लीजिये आप जॉब करते है और आपको महीने के ३०००० रूपये मिलते है और रोज ८ घंटे काम करते है। महीने के ४ रविवार निकाल दीजिये। २६ दिन , ८ घंटे यानि कुल २०८ घंटे।  आप आपको पता चलता है कि आपकी हर घंटे कीमत लगभग १४५ रूपये है। 

इसी तरह अगर आप जॉब न भी कर रहे हो तो भी आप अपने घंटे की कीमत निकाल सकते है , कैसे ? बताता हूँ।  example के तौर पर आप सिविल सेवा की तैयारी रहे है तो आप अपने लिए एक आईएएस का वेतन माने। एक मोटे तौर पर अगर सिर्फ सैलरी को ऊपर वाली गणित से निकाले तो यह लगभग ८०० रूपये प्रति घंटे होगा।  

तो आप कितनी देर चैट या फ़ोन पर टाइम waste करते है ? या तो आप वक़्त की कीमत समझ जाईये या फिर बर्बाद होते रहिये और रोते रहिये कि वो बहुत सायानी है हमको use करती रहती है। 

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Copy right - Asheesh Kumar


  

मैंने कब कहा


मैं नया कवि हूँ
इसी से जानता हूँ
सत्य की चोट बहुत गहरी होती है ;
मैं नया कवि हूँ
इसी से मानता हूँ
चश्में के तले ही दृष्टि बहरी होती है,
इसी से सच्ची चोटे बाँटता हूँ
झूठी मुस्काने नहीं बेचता

सर्वेसवर

शनिवार, 1 अप्रैल 2017

फर्क नही पड़ता है


पर सच तो यह है
कि यहाँ या कहीं भी फर्क नही पड़ता ।
तुमने जहां लिखा है ' प्यार '
वहाँ लिख दो ' सड़क '
फर्क नही पड़ता ।
मेरे युग का मुहावरा है :
' फर्क नही पड़ता '।

केदारनाथ सिंह ( नई कविता)

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