चीन की बेल्ट और रोड पहल : भारत के लिए मायने
चीन ने 2013 में विश्व के कई देशो से गुजरने वाली बेल्ट और रोड पहल की घोषणा की थी। चीन की आक्रामक निवेश नीति के चलते प्रारंम्भ में सभी देश इस नीति को लेकर सशंकित थे। चीन में इस योजना से जुड़ा पहला फोरम अभी हाल में समाप्त हुआ है। 130 देशों के प्रतिभाग तथा कम से कम 65 देश इस 900 बिलियन डॉलर की पहल से सीधे जुड़ना , इस योजना की लोकप्रियता को दर्शाता है।
भारत इस पहल का शुरू से विरोध कर रहा है क्युकि इस विशाल परियोजना का सबसे महत्वपूर्ण कहा जाने वाला हिस्सा चीन -पाकिस्तान आर्थिक गलियारा जोकि पाक अधिकृत कश्मीर से गुजरता है , भारत की स्वायत्तता में दखल देने जैसा है।
चीन इस समय एक ऐसे दौर से गुजर रहा है जो उसे इस तरह की विशाल परियोजना तैयार करने को बाध्य कर रही है। उसकी अर्थव्यस्था में अब फैलाव के लिए जगह नहीं बची है। इस बेल्ट और रोड पहल से वह अपने लिए बाजार विस्तृत तो करेगा ही साथ ही इससे जुड़े देशो को विविध ऋण देकर उनकी नीतियों में भी दखल देगा। भारत को इस से जुड़े गंभीर पहलू को अपने पड़ोसी देशो यथा नेपाल , भूटान , बांग्लादेश , म्यांमार तथा श्री लंका से साझा करना चाहिए। आज के समय सारे विश्व में सस्ते , घटिया चीनी मॉल से बाजार भरे पड़े है। रोड और बेल्ट पहल के पुरे होने पर , अन्य देशो के घरेलू उद्योग के लिए बेहद सीमित अवसर रह जायेंगे। इन पहलुओं को देखते , भारत का विरोध उचित व सार्थक कहा जा सकता है।
आशीष कुमार ,
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।
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