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सोमवार, 28 अगस्त 2017

75 years of Quit India Movement


भारत छोड़ो के 75 साल 


हाल में ही भारत छोड़ो आंदोलन के 75 वर्ष पुरे हुए है। इस विशेष अवसर पर हमारे प्रधानमंत्री ने आज के युवा वर्ग से एक आह्वान करते हुए कहा कि आज भारत को कई समस्याओं यथा गरीबी , कुपोषण , जातिवाद को भारत से छोड़ने के लिए बाध्य करना है। इस अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम 'संकल्प से सिद्धि ' की घोषणा भी की गयी। ऐसी आशा की गयी कि अगर हम आज उक्त वर्णित समस्याओं को दूर करने का संकल्प ले तो 2022 में भारत इन समस्याओं से आजाद हो जाएगा। जैसे 1942 के ठीक 5 वर्ष  बाद 1947  में भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी मिल गयी थी।  

प्रधानमंत्री ने पिछले दिनों देश के जिलाधिकारियों से सीधे संवाद किया। उन्हें फाइलों से भारत निकल कर जिले की हकीकत को देखते हुए काम करने को कहा गया। हर किसी को अपने स्तर पर लक्ष्य तय करने को कहा गया। निश्चित ही यह प्रशासन के परम्परागत रूप से काफी बदला नजर आता है। भारत को आजाद हुए 70 साल होने को है , इसके बावजूद भारत कुछ गंभीर विसंगतिओं का देश कहलाता है। एक भारत महाशक्ति कहलाने का आतुर दिखता है और कुछ मायने में महाशक्ति कहा भी जाने लगा है तो दूसरी ओर भारत में सबसे जयादा कुपोषित , गरीब , स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित आबादी रहती है। 

 जब भारत आजाद हुआ था तब भारत के समक्ष बेहद गंभीर चुनौती थी - शरणार्थी मुद्दा , राज्यों की एकता , भाषायी चुनौती , कश्मीर का मसला। निश्चित ही भारत ने आजादी के बाद काफी प्रगति की है। शिक्षा , खाद्य सुरक्षा , सीमा रक्षा , तकनीक  ऊर्जा के मसलों पर भारत ने सापेक्ष रूप में खूब प्रगति की है। भारत इन सालो में एक जटिल समस्या से जूझता रहा वह है विषमता। चाहे यह वर्गगत हो या क्षेत्रगत , भारत दोनों ही नजरिये से असफल रह है। ऑक्सफैम की रिपोर्ट के अनुसार , आजादी से समय से अब तक भारत में अमीर और गरीब के बीच की खाई और चौड़ी हुयी है। आखिर इसकी वजह क्या हो सकती है ?

दरअसल विकास के लाभ , भ्रस्टचार के चलते कुछ वर्गो तक ही सीमित रहे या कहे उनके द्वारा लपक लिए गए। भारत में अक्सर नीति पंगुता बनाम क्रियान्वयन असफलता पर बहस की जाती है। मेरे हिसाब से दोनों ही मसलों में भारत असफल रहा। लाइसेंस राज में लोग अपने उद्योग के विकास के बजाय मंत्रालय में जोड़ -तोड़ में लगे रहे। इसी तरह देश के एक प्रधानमंत्री ने खुद स्वीकारा कि दिल्ली से आने वाले 1 रूपये में मात्र 15 पैसे ही गरीब को पहुंच पाते है। आशा की जानी चाहिए कि  प्रधानमंत्री जी के इस नए, जोशीले नारा 'करेंगे और करके रहेंगे ' मात्र एक वाक्य न बन कर रह जाये।  समस्त देशवासी इस दिशा में गंभीरता से प्रयास करेंगे।

आशीष कुमार
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

शनिवार, 12 अगस्त 2017

20 years OF BIMSTEC


बिम्सटेक के 20 वर्ष 


हाल में ही नेपाल में बिम्सटेक के विदेश मंत्री स्तर की बैठक संपन्न हुयी। पिछले कुछ सालों में यह क्षेत्रीय संगठन भारत तथा पड़ोसी देशों के लिए सबसे लोकप्रिय , उपयोगी मंच बनकर उभरा है। 1997 में स्थापित यह बहुआयामी मंच , सार्क के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। विदित हो कि आंतकवाद, सम्पर्क के मसले पर पाकिस्तान के अड़ियल रुख के चलते सार्क की उपयोगिता कम होती जा रही है। पिछले सार्क की बैठक जोकि पाकिस्तान में होनी थी , भारत के साथ साथ श्रीलंका , भूटान के विरोध के चलते स्थगित हो गयी थी।  

बिस्मटेक के नेपाल बैठक में आतंकवाद के प्रति कड़ा रुख अपनाये जाने , क्षेत्रीय सहयोग वृद्धि , शांति व स्थिरता के लिए मिलकर काम करने की बात कही गयी है।  बिम्सटेक के इस साल अपनी स्थापना के 20 वर्ष पूरे हो रहे है। इन दो दशकों में इस संगठन ने आपसी सहमति , सहयोग के मसले पर काफी प्रगति की है। विज्ञानं , तकनीक , क्षेत्रीय सुरक्षा , आतंकवाद , व्यापार , सम्पर्क जैसे महत्वपूर्ण मसलों पर काफी प्रगति हुयी है। 2014 में ढाका में इसका सचिवालय स्थापित किया गया था।  2016 में भारत ने गोवा में आयोजित ब्रिक्स देशों की बैठक के साथ इस संगठन के सदस्य देशो को आमंत्रित कर , इसके बढ़ते महत्व को प्रतिबिम्बित किया था।  

बिम्सटेक , भारत की एक्ट ईस्ट , नेबरहुड फर्स्ट पालिसी के नजरिये से काफी महत्व रखता है। भारत , म्यांमार , थाईलैंड के बीच त्रिपक्षीय मार्ग बनाने की बात की जा रही है। भारत -म्यांमार -कलादान मल्टीमॉडल मार्ग को भी स्थापित किया जाना है। यह भारत के पूर्वोत्तर भाग में नए विकास -प्रगति के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। भारत ने इस साल साउथ एशिया सेटेलाइट को लांच किया है जो इस क्षेत्र के देशों को निःशुल्क उपग्रह सेवाओँ के लाभ प्रदान करेगा। आशा की जा सकती है कि भारत , इस मंच को अपने अनुभव , प्रगति को साझा करते हुए नई उचाईयों तक ले जायेगा। 

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

मंगलवार, 8 अगस्त 2017

WOMEN SECURITY : ANALYSIS


 महिला सुरक्षा : एक विश्लेषण 

चंडीगढ़ में एक आईएएस की बेटी के साथ हुयी घटना , उस पर पुलिस की ढीली कार्यवाही से एक फिर भारत की परम्परागत , रूढ़िगत सोच दिखाई दे रही है। निश्चित ही उस लड़की ने बेहद साहस दिखाते हुए पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई। आमतौर पर इस तरह की पीछा किये जाने की , गंदे कमेंट करने की गतिविधि एक भारतीय लड़की के लिए आम बात है। प्रायः लड़कियों को इस तरह के मामलों को अनसुना करने की हिदायत दे दी जाती है। पुलिस के पास , आम नागरिक कतराता है वजह पुलिस का असहयोग और उदासीनता का रवैया। चंडीगढ़ के उक्त मामले में भी पुलिस ने दबाव में कार्यवाही में शिथिलता बरती। वास्तव में पुलिस अक्सर सही धारा में केस नहीं दर्ज करती। रिपोर्ट में सारे खेल छुपे होते है। लड़की ने अपहरण के प्रयास के तहत रिपोर्ट दर्ज करानी चाही पर पुलिस ने सिर्फ छेड़खानी का मामला दर्ज किया। इससे केस कमजोर पड़ गया और आरोपी को जमानत मिल गयी। अपहरण के केस में उसे जमानत न मिलती।  पुलिस को कई CCTV  में कोई भी फुटेज न मिली। पुलिस की इसी तरह की गतिवधियों के चलते उनकी समाज में छवि खराब हुयी है। पुलिस सुधार के लिए बनी कई समितियों में यह कहा गया है कि उसे राजनीतिक दवाब में काम नहीं करना चाहिए। यहां पर यह जान लेना उचित है कि पुलिस , राजनीतिक दबाव में कार्य क्यू करती है ? उत्तर है कि  पुलिस अधिकारियों के कार्यकाल की कोई निश्चित सुरक्षा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी पुलिस सुधार पर चर्चित मामले प्रकाश सिंह में इस दिशा में कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए थे जिनका अनुपालन नहीं किया गया। 

किसी भी राष्ट की प्रगति के लिए जरूरी है कि वहां पर महिलाओं की सभी तरह की गतिविधिओं में समान भागीदारी बढ़े। भारत का मानव विकास सूचकांक , ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में बेहद निम्न स्थान है। इसका के बड़ा कारन , भारत में महिलाओं की सुरक्षा की लचर स्थति है।  केवल आर्थिक विकास ही , भारत के लिए महत्वपूर्ण नहीं है। सरकार को समाजिक विकास पर भी ध्यान देना होगा। इस तरह की घटनाओं में ही नहीं वरन सभी घटनाओ में जहाँ न्याय की अवहेलना होती हो , सक्रिय भूमिका निभानी होगी। समाज में इस तरह की घटनाये न हो , इसके लिए केवल पुलिस या सरकार का ही दायित्व नहीं है। आमजन को भी अपनी परम्परागत सोच में बदलाव लाना होगा। हमें पितृसत्तामक सोच से निकलना होगा। महिलाओं के लिए सामान अधिकारों की बात करनी होगी। तभी समाज में शांति व स्थिरता आएगी और देश सम्पूर्ण , समावेशी प्रगति के पथ पर गतिमान हो सकेगा।  

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।   

50 years of ASEAN


आसियान के 50 साल 

इस वर्ष आसियान , अपनी स्थापना के 50 साल मना रहा है। 1967 में स्थापित यह 10 देशों का संगठन , विश्व के सबसे सफल क्षेत्रीय संगठन बनकर उभरा है। आसियान देशों ने आर्थिक , सामरिक , संस्कृतक मसलो पर अच्छी , सफल भूमिका निभाई है। इसने अपने सदस्य देशों के आन्तरिक मसलों पर भी हस्तक्षेप किया ताकि संगठन में मजबूती व स्थिरता बनी रहे। इसका अच्छा उदाहरन म्यामार है , जहाँ पर सैनिक शासन की जगह  लोकत्रांतिक शासन की शुरुआत हुयी है। इसके रीजिनल इकनोमिक कॉम्प्रिहेंसिव पहल में कई देश शामिल होने के लिए उत्सुक है। भारत भी इसका सदस्य बन चूका है। भारत तथा अन्य दक्षिण एशिया के देशों को अपने क्षेत्रीय पहल सार्क को , इस तरह की सफलता नही मिल पाई है। साफ्टा पर सहमति बनने के बावजूद , अभी भी इन देशों के बीच संपर्क और व्यापार को ज्यादा सफलता नही मिल पाई है। सार्क देशों को भी , आसियान से प्रेरणा लेते हुए , आपसी मतभेद को भुला कर अपने आर्थिक , सामरिक तथा राजनीतिक संबंधो को वरीयता देनी चाहिए।  

आशीष कुमार , 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

शनिवार, 22 जुलाई 2017

Right to privacy

आधार कार्ड और निजता का अधिकार 

आशीष कुमार 
             हाल में सर्वोच्च न्यायालय ने निजता के अधिकार पर बहस के लिए संवैधानिक पीठ का गठन किया है। 9 सदस्यों वाली यह पीठ निजता को मौलिक अधिकार के दायरे में रखने / न रखने पर बहस कर रही है। निजता के अधिकार का प्रश्न 'आधार कार्ड ' की अनिवार्यता के मामले की सुनवाई करते वक़्त न्यायपालिका ने उठाया। 2009 में आधार कार्ड योजना की शुरुआत हुयी थी तब से लेकर आधार कार्ड के जरिये राज्य द्वारा नागरिकों के मूल अधिकारों यथा स्वत्रंता का अधिकार के हनन का आरोप लगता रहा है।   निश्चित  ही यह सही समय है कि न्यापालिका, निजता के अधिकार  पर नए सिरे से विचार करे। इससे पहले दो मामलों में न्यायपालिका ने निजता को मौलिक अधिकार नहीं माना था। यह मामले ऍम.पी. शर्मा व अन्य बनाम सतीश चन्द्र (1954 ) , खड़क सिंह बनाम उत्तर प्रदेश ( 1962 ) थे। जाहिर है तब से लम्बा समय बीत चुका है। उक्त फैसलों के बाद कई मामलों में न्यायपालिका की छोटी पीठ  ने निजता के अधिकार को स्वीकारा भी है। राज्य और नागरिक के समकालीन समय में बदले  सम्बन्धो को देखते हुए यह अपरिहार्य हो गया है कि इस पर  नए सिरे से विचार किया जाय। पिछले कुछ समय से राज्य का नागरिकों पर नियंत्रण ज्यादा बढ़ा है। विविध योजनाओं में आधार कार्ड की अनिवार्यता के संदर्भ में उक्त को समझा जा सकता है। 

           राज्य और नागरिक सम्बन्ध के बारे में पुरातन काल से विमर्श  चला आ रहा है कि इनकी सही सीमा क्या है ? राज्य के अस्तित्व के लिए , नागरिकों के अधिकारों को सीमित रखना उचित माना गया है। राज्य को अपने नागरिकों को कल्याणकारी शासन का उपलब्ध कराने का अहम  दायित्व  भी सौंपा गया है। वास्तव में राज्य को उसी सीमा तक नागरिकों के अधिकारों में हस्तक्षेप करना चाहिए जहां तक उसे अपने अस्तित्व व स्थिरता के लिए जरूरी हो। मौलिक अधिकार , राज्य की शक्ति को सीमित  करते है। संविधान ने 1978 में मेनका गाँधी मामले में अनुच्छेद 21 के तहत गरिमापूर्ण जीवन को मौलिक अधिकार मान चुकी है। यह विचारणीय होगा कि अगर नागरिक को निजता अधिकार नहीं होगा तो  उसकी गरिमा के अधिकार के क्या मायने होंगे ?  

            राज्य के तौर पर भारत को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इन चुनौतियों में सबसे जटिल भष्टाचार की चुनौती है। 'आधार कार्ड' को इससे से निपटने का अच्छा साधन माना जा रहा है।  यह कार्ड बायो पहचान से जोड़ा गया है; इसलिए इसमें जालसाजी की कोई जगह नहीं है। आधार कार्ड किस तरह से  भष्टाचार से निपटने में सहायक होगा आईये इसे  एक उदाहरण से समझते है। पहले बैंक में खाता खोलने के लिए  जो भी दस्तावेज जरूरी थे उनको फर्जी तरीके से बनवाया जा सकता था। इस तरह एक ही व्यक्ति अलग अलग पहचान के साथ कई बैंक खाते खोल सकता था। इन खातों का कई तरह से दुरूपयोग कर सकता था। जब आधार नंबर से बैंक खाते को जोड़ दिया जायेगा तब इस तरह की जालसाजी संभव न होगी। यही बात पैन कार्ड को आधार नंबर से जोड़ने की बात की गयी है ताकि आयकर विभाग दो या अधिक पैन कार्ड रखने वालों पर रोक लगा सके। इस सरकारी निर्णय को  सर्वोच्च न्यायालय ने 9 जून 2017 को दिए अपने एक निर्णय में सही माना है। 

                इसमें दो राय नहीं हो सकती है कि अगर राज्य , नागरिकों पर अपना नियंत्रण जरा भी शिथिल करें तो नागरिकों का कुछ हिस्सा मूल अधिकारों के नाम पर , अन्य नागरिकों के अधिकारों का हनन करने लगेगा। भारत की छिद्रिल सीमाओं के चलते , अवैध नागरिकों का काफी प्रवासन होने लगा है। पश्चिम बंगाल , असम , त्रिपुरा में बड़ी तादाद में बांग्लादेशी अवैध प्रवेश कर जाते है।  के आधार पर इन राज्यों में भारतीय नागरिकता पर दावा करने लगते है। पूर्वोत्तर भारत में यह समस्या काफी गंभीर व जटिल है। यह जटिल समस्या स्थानीय नागरिकों के मूल अधिकारों का अतिक्रमण  करती है। यह  भारत की एकता, अखंडता  और आंतरिक सुरक्षा  को देखते गंभीर चिंता का विषय है कि इन राज्यों में कुछ राजनीतिक दल इन्हे वोट बैंक के तौर पर देखने लगे है। इस तरह की  गंभीर व जटिल चुनौतियों से निपटने में 'आधार कार्ड' सटीक व तीव्र भूमिका निभा सकता है। 

आधार कार्ड के माध्यम से नागरिकों ने अपनी बायो पहचान के जरिये निजता , राज्य को सौप दी है। यह राज्य का दायित्व है कि इसका दुरूपयोग होने से रोके। डिज़िटल युग में राज्य के नागरिकों को आधार कार्ड जैसी बायो पहचान उपलब्ध कराना विकसित राज्य की निशानी है। लगभग सभी विकसित देशों में अपने नागरिकों का विस्तृत डेटा बेस होता है। इसके जरिये राज्य प्रशासन में काफी सुगमता होती है। यहाँ पर गौर करने वाली बात यह है पश्चिम के विकसित राज्य में  इस तरह का डाटा , बेहद सुरक्षित और सीमित एजेंसी /संस्थान की ही पहुंच में होता है। उसके दुरूपयोग किये जाने की सम्भावना न्यून होती है।  भारत में भी आधार कार्ड की बायो जानकारी की गोपनीयता , सुरक्षा की  दिशा में विचार किया जाना चाहिए। भारत में एक निजी दूर संचार कम्पनी ने अपने नए सिम , आधार कार्ड के आधार पर ही बाटे ; अन्य निजी सेवा प्रदाता भी इस बायो पहचान के लिए जोर दे रहे है। इस तरह निजी क्षेत्र के पास भी राज्य के नागरिकों का डेटा बेस तैयार होता जा रहा है। पिछले दिनों इस निजी डेटा बेस में एक हैकर ने सेंध लगा दी और बड़ी मात्रा में लोगों की बायो पहचान इंटरनेट के जरिये सार्वजनिक कर  दी। यद्यपि पुलिस ने जल्द ही इस मसले को सुलझा लिया तथापि यह घटना लोगों की आधार कार्ड की असुरक्षा और दुरूपयोग  पर  आशंका को सही साबित करती है। 

भारत को आधारकार्ड की सही व प्रभावी उपयोगिता के लिए दो जरूरी मसलों पर विशेष ध्यान होगा। पहला इसे सभी को सुगमता से उपलब्ध करा दिया जाय। अभी भी यह शत-प्रतिशत नागरिकों को आच्छादित नहीं कर सका है। दूसरा मसला इसकी सटीक सुरक्षा का है। डिज़िटल युग में डाटा सुरक्षा , राज्य के लिए बड़ी चुनौती है। पिछले दिनों 'वानाक्राई' जैसे रैनसम वेयर तथा 'पेट्रिया' नामक वाइपर हमले ने विश्व शासन प्रणाली   के समक्ष नए प्रश्न खड़े किये है। वाना क्राई नामक रैनसमवेयर का उद्देश्य जहां बिटक्वाइन के जरिये साइबर फिरौती वसूल करना था। पेट्रिया हमले का  उदेश्य राज्य (विशेषतः यूक्रेन ) की शासन प्रणाली को पंगु करना था।  यह फाइल वापसी  के लिए कोई विकल्प न देकर उसे हमेशा के लिए नष्ट कर दे  रहा था इसीलिए इसे वाइपर हमला कहा गया। इन दोनों साइबर हमले में भारत की भी डिज़िटल प्रणाली प्रभावित हुयी। अतः भारत को आधार कार्ड के डेटा बेस को बेहद कड़ी सुरक्षा में रखना होगा अन्यथा किसी भी दुश्मन देश के हाथ भारत के नागरिको की बायो पहचान जाने का खतरा बना रहेगा। 

संवैधानिक पीठ ने इस मसले पर अपनी शुरआती सुनवाई और बहस के आधार पर कहा है कि निजता के अधिकार को सम्पूर्ण नहीं माना जा सकता है। राज्य इस पर युक्तिसंगत रोक लगा सकते है। सर्वोच्च न्यायलय की संवैधानिक पीठ का फैसला निजता के अधिकार पर जो भी आये; यह तो तय है कि भारत सरकार करोड़ो रूपये के निवेश और वर्षों की मेहनत के बाद 'आधार कार्ड ' के मसले पर अपने कदम पीछे नहीं सकती है। न्यापालिका का फैसला , आधार कार्ड से जुडी कमियों  को दूर करने में सहायक होगा। यह अहम फैसला राज्य और नागरिक संबंधो को भी नए सिरे से परिभाषित करेगा ऐसी आशा की जा सकती है.

दिनांक - 23 जुलाई 2017                                                          आशीष कुमार , उन्नाव (उत्तर प्रदेश ) 


प्रसंगवश रामधारी सिंह 'दिनकर' की कुरुक्षेत्र की 'विज्ञानं' पर कुछ पंक्तियाँ याद आती है -
सावधान मनुष्य यदि विज्ञानं है तलवार , फेंक दे इसे तज मोह स्मृति के पार।

मंगलवार, 11 जुलाई 2017

Old age problems


वृद्धो की समस्या

फल न सही न दे , छाँव तो देगा
पेड़ बूढ़ा ही सही , घर में लगा रहने दीजिये। 

पिछले दिनों वृद्धों पर आयी एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में वृद्धों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। आंकड़ों के अनुसार 2026 तक भारत में 17.5  करोड़ बुजुर्ग होंगे।  2001 से 2011 के बीच 35 % की दर वृद्धों की आबादी भारत में बढ़ी।  भारत में वृद्धों की बढ़ती तादाद के अनुरूप सरकार की कोई तैयारी नही दिख रही है।  2011 में वी.मोहन गिरी समिति ने इस मसले में काफी अहम सुझाव दिए थे तथापि उस समिति की सिफारिशें धूल खा रही है। सरकार की तरफ से बुजुर्गों के लिए अटल पेंसन योजना चलायी गयी है , इसमें ब्याज दर , सरकारी पेंशन की दर से कम रखी गयी है , यह भी सरकार की उदासीनता का प्रतीक है। यही कारण है कि यह योजना ज्यादा लोगों को आकर्षित नहीं कर पायी है। 2008 में एक सुझाव के अनुसार सरकार द्वारा हर जिले में एक ओल्ड ऐज होम बनाने की योजना थी परन्तु आज तक एक भी जिले में इस दिशा में कार्य शुरू न हुआ। सरकार को इस मसले में सिंगापुर से सीख लेनी चाहिए जहां पर लड़के की आय का अनिवार्य रूप से 10 फीसदी अभिवावकों को दिया जाता है।  सरकार के साथ साथ निजी क्षेत्र , गैर सरकारी संगठन को भी बुजुर्गों के अनुभव , कौशल का दोहन करते हुए उन्हें सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया जाना चाहिए।  

वैश्वीकरण , बाजारवाद व नव उदारवाद का दुष्परिणाम संयुक्त परिवारों के विघटन व एकल परिवारों में वृद्धि के तौर पर देखा जाता है। आज के समय लगभग एक तिहाई बुजुर्ग हिंसा के पीड़ित है, सरकार को इसलिए लिए समर्पित हेल्पलाइन , मनोवैज्ञानिक , वकील आदि की निःशुक्ल व्यवस्था करनी चाहिए। सम्रग रूप से देश में इस मसले में एक सोच विकसित करने की जरूरत है ताकि जब भारत को इस गंभीर मसले पर चुनौतियों से निपटने में सहायता मिल सके।  

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश। 











शनिवार, 8 जुलाई 2017

Indo-china relations


भारत चीन सम्बन्ध 

भारत के चीन के साथ सम्बन्ध काफी समय से मधुर चले आ रहे थे। दोनों देशो के बीच व्यापार काफी बढ़ गया है। पिछले माह में चीन द्वारा भूटान के ढोकलंग क्षेत्र में भारतीय सैनिको से मुढभेड़ , दोनों देशों के बदलते सम्बन्धो की झलक भर है। 

चीन की आक्रामक नीति किसी से छुपी नहीं है। विश्व में शायद यही ऐसा देश है जिसका अपने सभी पड़ोसी देशो से सीमा विवाद अभी तक सुलझा नहीं है। दक्षिणी चीन सागर में चीन द्वारा अधिपत्य को लेकर वियतनाम, फिलीपीन्स के साथ विवाद चल रहा है। 

चीन ने भारत का कई जगह पर विरोध किया है। 48 देशो के संघ एन.यस.जी. में  भारत को  मेंबर बनाये जाने का विरोध चीन द्वारा किया जा रहा है। संयुक्त राष्ट की सुरक्षा परिषद के विस्तार में चीन अवरोध बना रहा है। जब भारत ने कुख्यात आतंकवादी मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट में वैश्विक आतंकी घोषित करवाने का प्रयास किया तो चीन ने तकनीकी आधार पर उसे वीटो कर दिया। भारत चीन द्वारा बनाये जा रहे चीन -पाक आर्थिक गलियारा का विरोध करता है क्युकि यह कश्मीर के विवादित क्षेत्र से गुजरता है और यह  भारत की सम्प्रभुता पर चोट पहुँचाता है। भारत चीन की वन बेल्ट -वन रोड पहल का विरोध कर रहा है और भारत के इस विरोध में भूटान ने भी खुल कर साथ दे रहा है। यही वजह है कि चीन भूटान पर परोक्ष रूप से दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। 

ताजा विवाद चीन द्वारा डोकलांग में एक सड़क निर्माण से शुरू हुआ। इस सडक से 40 टन वजन वाले टैंकर गुजर सकते है।  भूटान के साथ भारत की सामरिक संधि है , इसके चलते भारत उसकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। वैसे भी चीन और भूटान में काफी पहले एक समझौता हुआ था जिसके तहत इस क्षेत्र में किसी भी निर्माण पर रोक लगी थी। इस प्रकार इस ताजा विवाद की जड़ चीन की आक्रामक सीमा नीति में छुपी है। यह क्षेत्र भारत की पूर्वोत्तर भारत से सम्पर्क करने वाले चिकन नेक गलियारे के पास है। इसी जगह पर गोरखालैंड में स्वायत्ता को लेकर आंदोलन चल रहा है। इस बात के कई सबूत है कि चीन पूर्व के राज्यों में अलगावाद , हिंसा , चरमपंथ को बढ़ावा देकर भारत के इस हिस्से को अस्थिर करने की कोशिश करता रहा है।  ऐसे में भारत के लिए अपरिहार्य हो जाता है कि वह चीन की आक्रामकता का विरोध करे।

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

गुरुवार, 6 जुलाई 2017

A Story : Sabri



सबरी 

सिविल सेवा में हिंदी साहित्य में एक दुनिया समानांतर में "सबरी " कहानी की कथावस्तु बेहद रोचक , पठनीय है।  कहानी की शुरआत एक पार्टी से होती है जिसमे नायक विमिटो ( शायद यह कोल्ड ड्रिंक थी )  पीता दिखाया जाता है। काफी साल पहले वह कलकत्ता एक शोध के लिए गया था वहां पर मकान मालिक की लड़की से उसका परिचय होता है।   लड़की उस समय शायद कक्षा 9 या 10 में पढ़ती थी। उस समय नायक को यह समझ नहीं पाया कि उस लड़की में उसके प्रति चाहत के भाव है। कहानी में इसे कई तरह से दिखाया गया है मसलन वो अपनी कमर की पेटी खूब कसकर बांधती है , एक बंगाली गीत गुनगुनाती है और भी बहुत कुछ। वह सब कथानायक के लिए ही करती थी।  उन दिनों वो लड़की , कथा नायक से खूब लड़ती थी और वो उसे भींच लेता था। कथानायक की शादी हो गयी है बच्चे भी है और अब जाकर उसे अहसास हुआ कि वो लड़की तो उसे प्रेम करती थी। उसे हर कार्य , तंतु जुड़ते नजर आते है और हर चीज यह अहसास दिलाती है कि वो लड़की उस समय सब कुछ समझती थी। वह भींचे जाने के लिए ही उससे झगड़ा करती थी।   कुछ साल बाद नायक का छोटा भाई उसी घर रहने पहुँचता है और उसी लड़की से वो शादी कर लेता है। कहानी की शुरुआत में जो पार्टी का जिक्र है वो उसी लड़की और छोटे भाई की शादी की है। यह बड़ी ही विडंबना है कि वो उसके छोटे भाई की पत्नी बनती है। सबरी के शीर्षक का आशय जुठेपन से है। जैसे राम कथा में सबरी जूठे बेर राम को खिलाती है। इस कहानी में कथानायक को यह लगता है कि वो सबरी की तरह है।  

एक दुनिया समान्तर की सभी कहानियाँ बेहतरीन है। कितनी ही बार उनको पढ़ा है और हर बार नए संदर्भ , नई समझ विकसित हुयी है। कहानी आप जितनी बार पढते है उतनी ही बार नई नई चीजे पता चलती है। सबरी कहानी मुझे पहले खास न लगी थी पर इस बार पढ़कर बहुत अच्छा लगा पूरी कहानी में प्रतीक , अन्योक्ति के माध्यम से प्रेम का बहुत उम्दा वर्णन हुआ है। 


सोमवार, 3 जुलाई 2017

Prime Minister visit to Israel


प्रधानमंत्री की इजरायल यात्रा के निहितार्थ 


भारत से पहली बार कोई प्रधानमत्रीं पश्चिम एशिया के सबसे महत्वपूर्ण देश इजराइल को अपनी यात्रा के लिए चुना है। भारत की विदेश नीति लिंक वेस्ट का यह एक अहम है। इसके तहत सभी देशों से मधुर सम्बन्ध बनाये रखना है।  

इजराइल के साथ भारत के रक्षा सम्बन्ध बेहद मजबूत है। आधुनिक सैन्य उपकरण , नवीनतम जासूसी उपकरण इजराइल भारत को उपलब्ध कराता रहा है। इस यात्रा में प्रधानमंत्री ने कुछ नए क्षेत्रो यथा साइबर सुरक्षा , जल प्रबंधन आदि सहयोग सम्बन्ध विकसित करने की बात कही है।  

इजराइल की ख्याति विश्व में सबसे आधुनिकतम जल प्रबंधन तकनीक विकसित करने के तौर पर भी है। शहरी अवशिष्ट जल शोधन , समुद्री खारे जल का शोधन , सूक्ष्म सिचांई तकनीक में इजराइल विश्व में काफी आगे है। भारत एक कृषि प्रधान देश है। यद्धपि भारत में काफी बारिश होती है तथापि यह देश सही , कारगर जल प्रबंधन के आभाव के चलते हर साल बाढ़ और सूखा दोनों ही आपदाओं से जूझता है। महाराष्ट में जल को ट्रैन से पहुंचाया जाना , दिखलाता है कि किस तरह से जल प्रबंधन का आभाव, आर्थिक व सामाजिक विपदा बन सकती है। भारत की 7000 किलोमीटर लम्बी समुद्री सीमा में कुछ जगहों पर समुद्री जल शोधन तकनीक विकसित की गयी है। इजराइल के साथ जल शोधन तकनीक में सहयोग भारत के लिए नए द्वार खोलेगा। 

आने समय में जल को लेकर तीसरा विश्व युद्ध होने की होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। ऐसे में जो देश जल प्रबंधन में सफलता हासिल करेगा वही अपने नागरिकों को खाद्य सुरक्षा , पेयजल उपलब्ध करा सकेगा।  

साइबर सुरक्षा आज के समय की सबसे महत्वपूर्ण जरूरत है। इसके आभाव में किसी भी देश की सारी व्यवस्था , ठप पड़ जाएगी। मई में वाना क्राई नामक रैनसमवेयर ने सारे विश्व में तबाही मचाई थी। अभी हाल में पैटिया नामक साइबर हमले ने यूक्रेन सहित विश्व के कई देशो में तबाही फैलाई है। इस साइबर हमले को वाईपर हमला कहा जा रहा है क्युकि यह फाइल्स को इस तरह से नष्ट करता है जिसे पुनः रिकवर नहीं किया जा सकता है। इसीलिए इस हमले को किसी देश द्वारा प्रायोजित माना जा रहा है जिसको साइबर फिरौती के बजाय किसी देश को पंगु करने में ज्यादा रूचि है।  

भारत में समय समय पर चीन , पाकिस्तान से हैकर साइबर हमला करते रहे है। ऐसे में भारत का इजराइल के साथ  साइबर सुरक्षा में सहयोग भविष्य को देखते काफी अहम होगा।   

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  




शुक्रवार, 30 जून 2017

Goods and Service Tax : Importance

वस्तु और सेवा कर के मायने 


1 जुलाई 2017 भारत के लिए बेहद अहम दिन बन गया। लम्बे से टल रहे वस्तु एवं सेवा कर को बड़ी धूम धाम से लागू कर दिया गया है। एक राष्ट और एक कर के नारे के साथ लागू किये कर को आम नागरिक के साथ साथ खास नागरिक को यह समझने में दिक्क्त आ सकती है कि जब क्रेन्द्र, राज्य व संघ राज्य क्षेत्र  के लिए अलग -अलग जी यस टी लागु किये जा रहे है और करों की दर चार प्रकार ( 5 , 12 , 18 और 28 प्रतिशत ) की रखी गयी है तब उस एक कर और एक राष्ट के नारे के मतलब क्या हुआ ?  

मानव का यह मूल स्वभाव है जब कोई बड़ा बदलाव होता है तो उसे स्वीकार करने में हिचकिचाता है वजह उसे बने बनाये ढर्रे में  रहने की आदत पड़ चुकी होती है। वस्तु एवं सेवा कर को लेकर भी यही बात कही जा सकती है। पिछले सदी के अंतिम दशक में जब बैंक में कम्प्यूटर लगाए गए तो उनका जम कर विरोध किया गया था , ऐसी आशंका व्यक्त की गयी थी कि यह बैंक में रोजगार को सीमित  कर देंगे। जबकि आज कम्प्यूटर के बगैर बैंक की कल्पना नहीं की जा सकती है। 

जी यस टी के लिए भले अभी राष्ट की तैयारी पूरी न हुयी हो पर इसे लागु करने में देर नहीं की जा सकती है। अप्रत्यक्ष करों में इनपुट क्रेडिट की चोरी बहुत बढ़ गयी थी। फर्जी इनवॉइस लगा कर क्रेडिट लेकर कंपनी बड़ी मात्रा में कर चोरी कर रही थी। इनपुट क्रेडिट की चोरी को लेकर लाखों केस विभिन्न कोर्ट , ट्रिब्यूनल में चल रहे है। वस्तु एवं सेवा कर की सबसे अच्छी बात इनवॉइस का डिजिटल होना है। इसमें एक चैन की तरह इनवॉइस में दर्ज वैल्यू आगे बढ़ेगी , इसके चलते इनपुट क्रेडिट की चोरी नहीं की जा सकेगी। इनपुट क्रेडिट लेने के लिए वस्तु एवं सेवा कर के नेटवर्क में आना ही पड़ेगा। इस तरह से टैक्स बेस भी बढ़ने की आशा की जा रही है। भारत में विकसित देशो की तुलना में कर आधार बेहद निम्न है।

 वस्तु एवं सेवा कर में डिजिटल व्यवस्था के चलते पारदर्शिता आएगी जिसके चलते सरकार की आय बढ़ेगी जिससे सरकार के पास सामाजिक व्यय करने की क्षमता बढ़ेगी।  इस प्रकार वस्तु एवं सेवा कर भारत के आर्थिक क्षेत्र के साथ साथ सामाजिक क्षेत्र में भी बदलाव लाएगा।     

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

गुरुवार, 29 जून 2017

New time zone for north east state


पुर्वोत्तर भारत के लिए नया टाइम जोन


भारत के पूर्वी प्रदेशो से नए टाइम जोन की मांग लम्बे समय से की जा रही है। हाल में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री की ओर भी इसकी मांग की गयी है। इस मांग के पीछे कई महत्वपूर्ण पहलू देखे जा सकते है। पूर्वोत्तर प्रदेशो में लगभग ४.30  बजे सवेरा हो जाता है और शाम को ४.30  बजे से अंधेरा होने लगता है। ऐसे में सरकारी कार्यलय का समय १० बजे से शाम ६ बजे होने के चलते पूर्वी भारत में जनबल तथा ऊर्जा का समुचित लाभ नहीं मिल पाता है।

अगर उस क्षेत्र के लिए नया टाइम जोन बना दिया जाएगा तो पूर्वी भारत के विकास में तेज गति आएगी। भारत म्यांमार से होते हुए थाईलैंड तक रोड बनाने की पहल कर रहा है। आज नहीं तो कल उसे पूर्वी एशिया से रोड के माध्यम से जुड़ना होगा। ऐसे में भारत के मध्य भाग से पूर्वी भाग का समय में लगभग २ घंटे का अंतर् , विकास  व्  उद्यमिता को गहरे से प्रभावित करेगा। भारत  सरकार एक्ट ईस्ट पर काफी समय से जोर दे रही है। इस पहल के तहत सरकार पहले की तुलना में ज्यादा सक्रिय , प्रभावी एवं जनपयोगी नीति अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है। कुछ समय पहले भारत सरकार ने पूर्वोत्तर भारत को तेज , सुविधजनक तथा सुरक्षित संपर्क साधन के तौर पर लोहित नदी  सादिया - धोला  पुल दिया है। यह सही समय है कि भारत पूर्वी भारत के लिए काफी समय से उठ रही माँग के तौर पर नए टाइम जोन को स्वीकार कर ले। भारत इस मामले में विश्व के बड़े देशो जैसे रूस से सबक ले सकता है जहां पर  11 टाइम जोन है। भारत  पड़ोसी तथा चिर प्रतिद्वंदी देश चीन में 5 टाइम जोन प्रयोग में लाये जाते है। 

 पूर्वोत्तर भारत के लिए नया टाइम जोन अपना कर भारत उस भाग के जनबल , प्राकतिक संसाधन का ज्यादा बेहतर , कुशल व प्रभावी दोहन कर सकेगा। पूर्वोत्तर भारत के विकास के लिए वहां के पर्यटन में असीम सम्भावनाये छुपी है जो एक मानक व व्यवहारिक समय जोन न होने की वजह से पूर्ण रूप में विकसित न हो सकी है।   आज के इस तेज , गतिशील विश्व में जहां पर पल पल की बहुत कीमत हो गयी है , भारत के लिए 2 घंटे व्यर्थ गुजरे यह उचित नहीं कहा जा सकता। भारत सरकार को इस मसले पर विचार करना चाहिए। 

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश। 

बुधवार, 28 जून 2017

India & America Bilateral relations


प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा के मायने 


अमेरिका में नए राष्ट्पति के चुने जाने के बाद भारत के प्रधानमंत्री की पहली  अमेरिका यात्रा कई मायनों में बेहद अहम व समय की मांग के अनुरूप है। कुछ समय पहले अमेरिका ने पेरिस जलवायु संधि से अपने को अलग करते हुए चीन के साथ साथ भारत पर बेहद गंभीर आक्षेप लगाए थे। उससे पूर्व भारतीयों के वीजा को लेकर भी अमेरिका का रुख नकारात्मक रहा था।  

भारत ने इस यात्रा से  अमेरिका से आधुनिक ड्रोन की प्राप्ति , पाक में शरण पाए एक आंतकवादी को वैश्विक आतंकवादी घोषित करवाने जैसी उपलब्धि हासिल की है। यहाँ विदित हो कि भारत पहला गैर नाटो देश है जिसके साथ अमेरिका ने ड्रोन का सौदा किया है। इससे भारत को अपने तटीय सुरक्षा और सीमा पर घुसपैठ रोकने में  में मदद मिलेगी।  

भारत को संयक्त राष्ट की सुरक्षा परिषद में सदयस्ता , नुक्लेअर सप्लायर ग्रुप में मेंबर बनने के लिए अमेरिका के समर्थन की अहम जरूरत है।  चीन के बेल्ट और रोड पहल के सफल प्रतिरोध के लिए , भारत अमेरिका का अच्छे से स्तेमाल कर सकता है। इस समय भारत के रूस के संबंधो में गिरावट आयी है। रूस का पाक और चीन के साथ गढजोड़ बनता नजर आने लगा है। ऐसे में भारत को  एशिया के साथ साथ विश्व में अपनी प्रभावी  भूमिका   बनाये रखने के लिए भारत को अमेरिका के साथ अपने रिश्तो को मधुर बनाये रखना ही होगा। 

आशीष कुमार ,
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।   

शुक्रवार, 23 जून 2017

other aspects of yoga



योग के दूसरे पहलू 


२१ जून को को तीसरा विश्व योग दिवस मनाया गया। भारत की इस अदभुत प्राचीन कला की लोकप्रियता , पिछले कुछ दशक में बहुत तेजी से बढ़ी है। इस समय विश्व के सभी भागों में योग से लोग परिचित हो रहे है। स्वास्थ्य रक्षा के लिए योग का  कोई विकल्प नहीं। 

यह समय भारत के लिए कई तरह से स्वर्णिम कहा जा सकता है। योग की खोज भारत में की गयी थी , यह बात विश्व ने जान और मान लिया है। अब समय है भारत को इस में वैश्विक नेतृत्व करने की। हार्वर्ड विश्वद्यालय के प्रोफेसर जोसफ  नुए ने जिस सॉफ्ट पावर की बात की थी , उसमें भारत योग के माध्यम  से बढ़िया भूमिका निभा सकता है। 

इस समय सारा विश्व तनाव , अकेलापन , अलगाव , हताशा जैसी मानसिक व्याधियों से जूझ रहा है। भारत योग के माध्यम से सारे विश्व को इन समस्याओं से मुक्ति दिला सकता है साथ ही भारतीय संस्कृति के सुंदर पहलुओं से परिचित करा सकता है। 

ऐसोचैम की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में योग के लिए 3 लाख गुरुओं की आवश्यकता है। इस पता चलता है कि हमारी योग को लेकर तैयारी अभी निम्न स्तर पर है। अगर भारत के लिए योग गुरु कम है तो विश्व को भारत कैसे योग प्रशिक्षक उपलब्ध कराएगा। कहने में भले अनुचित लगे पर योग को आर्थिक लाभ की नजर से भी भारत को देखना होगा। योग को अगर सेवा क्षेत्र का एक अभिन्न अंग मानते हुए , भारत को इस क्षेत्र के लिए सही कदम उठता है तो इसमें अपार सम्भावनाये छुपी नजर आएँगी। 

अगर भारत योग को आधुनिक तकनीक से जोड़कर भारत वर्चुअल क्लास शुरू करे तो विश्व भारत को अन्य को मुकाबले वरीयता देगा। एक बार भारत सांस्कृतिक स्तर पर विश्व में बढ़त लेता है तो उसे वैश्विक नेता बनने से कोई नहीं रोक सकता। भारत को योग की शिक्षा प्राथमिक स्तर से शुरू करने के साथ , प्रशिक्षको के लिए विशेष कोर्स चलाने चाहिए। 

प्रायः विविध  वैश्विक रिपोर्ट में इस तरह की अक्सर बात कि जाती है कि भारत में महिलाओं की भागीदारी श्रमबल में बहुत कम है। योग गुरु के तौर पर भारतीय महिलाएं बढ़िया भूमिका निभा सकती है। इससे न केवल उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा , साथ ही उनकी आय भी हो सकेगी। इस तरह से यह भी माना जा सकता है कि योग  ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में भारत को उच्च स्थान प्राप्त करने में सहायक होगा। 


आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश। 

बुधवार, 21 जून 2017

ADHAR CARD



आधार कार्ड की अनिवार्यता

आधार कार्ड को हाल में ही बैंक खाते के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। आकंड़ो के अनुसार 129  करोड़ आबादी वाले भारत देश में 117 करोड़ आधार कार्ड उपलब्ध करा दिए गए है। आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर समय समय पर सवाल उठाये जाते रहे है। 

इससे पूर्व इनकम टैक्स एक्ट की धारा 139 AA के माध्यम से इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए भी पैन कार्ड के साथ आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया गया था। इस मामले में दायर एक याचिका में सर्वोच्च न्यायलय ने हाल में एक फैसला सुनाया है। निजता बनाम सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता में न्यायलय का रुख सरकार के अनुरूप रहा है। 

आधार कार्ड पर सरकार इसलिए जोर दे रही है क्युकि इस कार्ड को बनवाने के लिए व्यक्ति को बायो मीट्रिक पहचान देनी होती है जिसके चलते इस को फर्जी बनवा पाना कठिन है। भारत जैसे देश में विविध योजनाओ में रूपये का बहुत रिसाव होता रहा है। काफी पहले राजीव गाँधी ने कहा था कि दिल्ली से जारी 1 रूपये में मात्र 15 पैसे ही वांछित व्यक्ति तक पहुंच पाते है। चाहे पैन कार्ड हो , या राशन कार्ड या फिर ड्राइविंग लाइसेंस , बड़ी संख्या में लोग फर्जी   तरीके से इसे बनवा लेते है। 

आधार कार्ड का उपयोग निश्चित ही नवाचारी कहा जा सकता है।  आज नहीं तो कल इसे अपना ही पड़ेगा। इसलिए इसका विरोध उचित नहीं कहा जा सकता। इसके साथ ही सरकार को आधार कार्ड के डाटा की गोपनीयता का विश्वास दिलाना होगा।

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।        

सोमवार, 19 जून 2017

A lesson for India

आइसलैंड से भारत के क्या सीख ले सकता है ?


हाल में ही आइसलैंड में महिलाओ के लिए पुरुषो के समान वेतन देने लिए क़ानूनी अधिकार दिया गया है। वह विश्व का पहला देश है जिसने निजी व सरकारी क्षेत्र  महिलाओ को सही मायने में लैंगिक समता  लिए  कानून का सहारा लिया है। अगर को इसे नही मानता है तो उस पर आर्थिक जुरमाना लगाया जायेगा।  विश्व आर्थिक मंच जोकि समकालीन समय का बेहतरीन थिंक टैंक है ने ग्लोबल जेंडर  गैप इंडेक्स में आइसलैंड  को  २०१५ में पहला स्थान दिया था। भारत को इस इंडेक्स में काफी निम्न स्थान था।

वस्तुत भारत में समान कार्य के समान वेतन के लिए नीति निर्देशक तत्व में प्रावधान किया गया है। इसके चलते यह राज्य के लिए बाध्यकारी नही है। यही वजह है कि भारत में निजी क्षेत्र में महिलओं को पुरुषो के मुकाबले निम्न वेतनमान दिया जाता है। इसके चलते भारत में लैंगिक समता एक स्वप्न मात्र है। भारत को आइसलैंड से सीख लेते हुए इस तरह के नूतन विचार को अपनाना चाहिए। इससे न केवल लैंगिक समता आयेगी साथ ही आर्थिक विकास  दर में भी काफी तेजी आयेगी।

आशीष कुमार
उन्नाव उत्तर प्रदेश।  

गुरुवार, 8 जून 2017

QS World University Ranking 2018 & India Education Sector


क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2018 तथा भारत में उच्च शिक्षा की दशा और दिशा 

क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2018 में भारत के जिस संस्थान ने उच्चतम जगह पायी है वह है दिल्ली का आई आई टी। इसे 172 स्थान मिला है। रैंक  200 के भीतर अन्य दो संस्थान आईआईटी बॉम्बे , आईआईएससी बेंगलौर  है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भारत की स्थिति कितनी खराब है। यद्धपि इस रैंकिंग की भी कुछ बिंदुओं पर आलोचना भी की जाती रही है कि इसके मानक पश्चिमी देशों के शिक्षा संस्थानों के ज्यादा अनुरूप है। इस आलोचना में भी कुछ हद तक सच्चाई भी है। इस रैंकिंग में आधे से ज्यादा भार संस्थान की रोजगार प्रदाता की नजर में प्रतिष्ठा को दिया गया है। इस तरह के मानक में भारत के सस्थान पिछड़ जाते है। 

इसके बावजूद भारत की उच्च शिक्षा की बदहाल स्थिति को नकारा नहीं जा सकता है। भारत में उच्च शिक्षा में कई तरह की गंभीर समस्याए है। हर साल बड़ी संख्या में लाखो की तादाद में इंजीनियर , डॉक्टर निकल रहे है। बहुत अजीब लगता है जब एक उच्च शिक्षित इंजीनियर , प्राइमरी टीचर के लिए जॉब के लिए आवेदन करता है।  बीच बीच में ऐसी भी खबर आती है कि चपरासी के पद के लिए पीएचडी वाले लोगों ने आवेदन किया। यह कल्पना से परे है कि वह व्यक्ति जो शोधकर के किसी सरकारी कार्यालय में बाबू या चपरासी की नौकरी करता होगा उसे कितनी घुटन होती होगी। एक परिचित जिसने एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय से गणित में एमएससी की थी लेखपाल की नौकरी करने को बाध्य है। वजह उसे पता है कि सरकारी नौकरी ही , सुरक्षा की गारंटी है। विदेशो में निजी क्षेत्र में भी उच्च शिक्षित लोगो के लिए बहुत अच्छे अवसर होते है पर भारत में भी यह स्वप्न ही है कि निजी क्षेत्र , सरकारी क्षेत्र से अच्छा और सुरक्षित हो सके। 

शिक्षा में गुणवत्ता , उच्च शिक्षा संस्थान में प्रशासन जैसे मसलों पर भारत को ध्यान देने की विशेष जरूरत है। भविष्य में ज्ञान अर्थव्यस्था (KNOWLEDGE ECONOMY ) पर अपनी  महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए भारत को शिक्षा खासकर उच्च शिक्षा को शीर्ष प्राथमिकता देना चाहिए। अभी हाल में उच्च शिक्षा के लिए हीरा (Higher Education Empowerment Regulation Agency) बनाने की घोषणा की गयी है। आशा की जानी चाहिए कि यह पूर्व की खामियों को दूर करने में सहायक होगा। 

आशीष कुमार ,
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

100 IMPORTANT TOPICS FOR IAS PRE 2017 ( PART-2)


डिअर फ्रेंड्स , जैसा कि मैंने आपसे वादा किया था। IAS PRE के लिए नए टॉपिक लिस्ट तैयार की है। कैसे है जरूर बताना। YOU CAN ALSO SHARE YOUR NOTES OR TOPIC FOR IAS PRE 2017 IN COMMENT . THANKS


  1. किलकारी योजना 
  2. नई मंजिल योजना 
  3. STRANDED CARBON
  4. BALAMRUTHAM PROGRAM
  5. NARGRID
  6. BHARAT INNOVATON FUND
  7. E-PACE
  8. WORLD BANK WDR
  9. SPECIAL SAFEGUARD MECHANISM
  10. कुरील द्वीप 
  11. आर वी  ईश्वर पैनल 
  12. मानव विकास रिपोर्ट 
  13. ऐरोसोल 
  14. धीरेन्द्र सिंह समिति 
  15. अज़म्पशन द्वीप 
  16. दीपक मोहंती समिति 
  17. नैरोबी पैकेज 
  18. सुगम्य भारत अभियान 
  19. मानव पैपिलोमा वायरस 
  20. sankalp yojna
  21. top scheme
  22. Mission 11 million
  23. kambala
  24. AMAN 2017
  25. महिला शक्ति क्रेंद्र 
  26. टेक इंडिया 
  27. प्रगति 
  28. मदद 
  29. स्ट्राइव 
  30. मिशन अंत्रोदय 
  31. इंद्रधनुष योजना 
  32. राष्टीय रेलवे सुरक्षा कोष 
  33. उदय 
  34. ग्रास रूट इनोवेशन 
  35. सहकारी संघवाद 
  36. राजकोषीय घाटा 
  37. BNHS
  38. PISA
  39. TROPEX 17
  40. STICK 
  41. DISHA  PROJECT
  42. SSM
  43. सक्षम 
  44. सारथी 
  45. रोसेटा मिशन 
  46. डान मिशन 
  47. रैपिड 
  48. हेग आचार सहिंता 
  49. हरित जलवायु कोष 
  50. स्विफ्ट 
  51. बर्न कन्वेंशन 
  52. पाइक विद्रोह 
  53. चरक पूजा 
  54. ऑपरेशन ओमेरी 
  55. वसेनार समझौता 
  56. बाल्टिक इंडेक्स 
  57. अमक 
  58. ऑपरेशन निर्भीक 
  59. मेजेनिन निवेश 
  60. तपन राय पैनल 
  61. दीपक मोहंती समिति 
  62. कटोच समिति 
  63. समर एप 
  64. सफर एप 
  65. प्रोजेक्ट स्वर्ण 
  66. अनुभव सॉफ्टेवर 
  67. नसीम अल बहर 
  68. प्रोजेक्ट ट्रिडेंट 
  69. मालवीय समिति 
  70. सुंदर समिति 
  71. रतन वटल समिति 
  72. बैजेलाल समिति 
  73. वल्चर फण्ड 
  74. मारपोल 
  75. चेंचू 
  76. परजा जनजाति 
  77. जुआंग जनजाति 
  78. डच डिसीज 
  79. जेमू ग्लेसियर 
  80. 547 वीसा 
  81. मानक 
  82. संकल्प 
  83. तनसट उपग्रह 
  84. सोफिया 
  85. सचेत पोर्टल 
  86. ग्रेप्स -3 
  87. कुटुबं श्री 
  88. एडवांस रूलिंग 
  89. डम्पा 
  90. मोरा 
  91. हॉप आइलैंड 
  92. मधुकर गुप्ता समिति
  93. बसदि 
  94. बेल्मोंट फोरम 
  95. भूर सिंह 
  96. ओटावा घोषणा 
  97. मिशन फिंग़रलिंग 
  98. माँ 
  99. शक्ति 
  100. प्रोजेक्ट 15 

बुधवार, 7 जून 2017

Shangai Cooperation Organisation & India


शंघाई सहयोग संगठन और भारत 


शंघाई सहयोग संगठन की इस साल अस्ताना में होने वाली बैठक में भारत को मध्य एशिया के महत्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन में पूर्ण सदयस्ता मिल जाएगी। 2001 में स्थापित  संगठन मुख्यतः आतंकवाद,सहयोग , सम्पर्क , आर्थिक संबध जैसे मुद्दों पर अपनी प्राथमिकता रखता है। भारत के साथ साथ पाकिस्तान को भी इस बैठक में पूर्ण सदस्य बनाया जाएगा।

मध्य एशिया के देश तेल व गैस से भरपूर समद्ध है। भारत इस संघ के माध्यम से इस देशो के साथ अपने सम्पर्क बढ़ा कर अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूती प्रदान कर सकता है। इसके साथ ही वैश्विक आतंकवाद के लिए भारत को अपनी आवाज उठाने के लिए यह मंच बेहद उपयोगी साबित हो सकता है. रूस व चीन इस संघ के बड़े सदस्य है। इसमें चीन पाकिस्तान का और रूस भारत का लम्बे समय से पक्ष लेते रहे है। 

भारत को इस अवसर का सावधानी से लाभ उठाना होगा। उसे न केवल अपने लिए आर्थिक हितों को तलाशना होगा वरन सामरिक व कूटनीतिक पहलुओं पर विशेष महत्व देना होगा। इसके साथ ही सभी सदस्यो को इस बात का भी ख्याल रखना होगा कि वह आपसी टकराव को इस संघ पर हावी न होने दे वरना इसको अन्य प्रभावहीन  क्षेत्रीय संघ बनते देर न लगेगी।

आशीष कुमार
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।

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