योग के दूसरे पहलू
२१ जून को को तीसरा विश्व योग दिवस मनाया गया। भारत की इस अदभुत प्राचीन कला की लोकप्रियता , पिछले कुछ दशक में बहुत तेजी से बढ़ी है। इस समय विश्व के सभी भागों में योग से लोग परिचित हो रहे है। स्वास्थ्य रक्षा के लिए योग का कोई विकल्प नहीं।
यह समय भारत के लिए कई तरह से स्वर्णिम कहा जा सकता है। योग की खोज भारत में की गयी थी , यह बात विश्व ने जान और मान लिया है। अब समय है भारत को इस में वैश्विक नेतृत्व करने की। हार्वर्ड विश्वद्यालय के प्रोफेसर जोसफ नुए ने जिस सॉफ्ट पावर की बात की थी , उसमें भारत योग के माध्यम से बढ़िया भूमिका निभा सकता है।
इस समय सारा विश्व तनाव , अकेलापन , अलगाव , हताशा जैसी मानसिक व्याधियों से जूझ रहा है। भारत योग के माध्यम से सारे विश्व को इन समस्याओं से मुक्ति दिला सकता है साथ ही भारतीय संस्कृति के सुंदर पहलुओं से परिचित करा सकता है।
ऐसोचैम की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में योग के लिए 3 लाख गुरुओं की आवश्यकता है। इस पता चलता है कि हमारी योग को लेकर तैयारी अभी निम्न स्तर पर है। अगर भारत के लिए योग गुरु कम है तो विश्व को भारत कैसे योग प्रशिक्षक उपलब्ध कराएगा। कहने में भले अनुचित लगे पर योग को आर्थिक लाभ की नजर से भी भारत को देखना होगा। योग को अगर सेवा क्षेत्र का एक अभिन्न अंग मानते हुए , भारत को इस क्षेत्र के लिए सही कदम उठता है तो इसमें अपार सम्भावनाये छुपी नजर आएँगी।
अगर भारत योग को आधुनिक तकनीक से जोड़कर भारत वर्चुअल क्लास शुरू करे तो विश्व भारत को अन्य को मुकाबले वरीयता देगा। एक बार भारत सांस्कृतिक स्तर पर विश्व में बढ़त लेता है तो उसे वैश्विक नेता बनने से कोई नहीं रोक सकता। भारत को योग की शिक्षा प्राथमिक स्तर से शुरू करने के साथ , प्रशिक्षको के लिए विशेष कोर्स चलाने चाहिए।
प्रायः विविध वैश्विक रिपोर्ट में इस तरह की अक्सर बात कि जाती है कि भारत में महिलाओं की भागीदारी श्रमबल में बहुत कम है। योग गुरु के तौर पर भारतीय महिलाएं बढ़िया भूमिका निभा सकती है। इससे न केवल उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा , साथ ही उनकी आय भी हो सकेगी। इस तरह से यह भी माना जा सकता है कि योग ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में भारत को उच्च स्थान प्राप्त करने में सहायक होगा।
आशीष कुमार
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।
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