पुर्वोत्तर भारत के लिए नया टाइम जोन
भारत के पूर्वी प्रदेशो से नए टाइम जोन की मांग लम्बे समय से की जा रही है। हाल में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री की ओर भी इसकी मांग की गयी है। इस मांग के पीछे कई महत्वपूर्ण पहलू देखे जा सकते है। पूर्वोत्तर प्रदेशो में लगभग ४.30 बजे सवेरा हो जाता है और शाम को ४.30 बजे से अंधेरा होने लगता है। ऐसे में सरकारी कार्यलय का समय १० बजे से शाम ६ बजे होने के चलते पूर्वी भारत में जनबल तथा ऊर्जा का समुचित लाभ नहीं मिल पाता है।
अगर उस क्षेत्र के लिए नया टाइम जोन बना दिया जाएगा तो पूर्वी भारत के विकास में तेज गति आएगी। भारत म्यांमार से होते हुए थाईलैंड तक रोड बनाने की पहल कर रहा है। आज नहीं तो कल उसे पूर्वी एशिया से रोड के माध्यम से जुड़ना होगा। ऐसे में भारत के मध्य भाग से पूर्वी भाग का समय में लगभग २ घंटे का अंतर् , विकास व् उद्यमिता को गहरे से प्रभावित करेगा। भारत सरकार एक्ट ईस्ट पर काफी समय से जोर दे रही है। इस पहल के तहत सरकार पहले की तुलना में ज्यादा सक्रिय , प्रभावी एवं जनपयोगी नीति अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है। कुछ समय पहले भारत सरकार ने पूर्वोत्तर भारत को तेज , सुविधजनक तथा सुरक्षित संपर्क साधन के तौर पर लोहित नदी सादिया - धोला पुल दिया है। यह सही समय है कि भारत पूर्वी भारत के लिए काफी समय से उठ रही माँग के तौर पर नए टाइम जोन को स्वीकार कर ले। भारत इस मामले में विश्व के बड़े देशो जैसे रूस से सबक ले सकता है जहां पर 11 टाइम जोन है। भारत पड़ोसी तथा चिर प्रतिद्वंदी देश चीन में 5 टाइम जोन प्रयोग में लाये जाते है।
पूर्वोत्तर भारत के लिए नया टाइम जोन अपना कर भारत उस भाग के जनबल , प्राकतिक संसाधन का ज्यादा बेहतर , कुशल व प्रभावी दोहन कर सकेगा। पूर्वोत्तर भारत के विकास के लिए वहां के पर्यटन में असीम सम्भावनाये छुपी है जो एक मानक व व्यवहारिक समय जोन न होने की वजह से पूर्ण रूप में विकसित न हो सकी है। आज के इस तेज , गतिशील विश्व में जहां पर पल पल की बहुत कीमत हो गयी है , भारत के लिए 2 घंटे व्यर्थ गुजरे यह उचित नहीं कहा जा सकता। भारत सरकार को इस मसले पर विचार करना चाहिए।
आशीष कुमार
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।
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