आइसलैंड से भारत के क्या सीख ले सकता है ?
हाल में ही आइसलैंड में महिलाओ के लिए पुरुषो के समान वेतन देने लिए क़ानूनी अधिकार दिया गया है। वह विश्व का पहला देश है जिसने निजी व सरकारी क्षेत्र महिलाओ को सही मायने में लैंगिक समता लिए कानून का सहारा लिया है। अगर को इसे नही मानता है तो उस पर आर्थिक जुरमाना लगाया जायेगा। विश्व आर्थिक मंच जोकि समकालीन समय का बेहतरीन थिंक टैंक है ने ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में आइसलैंड को २०१५ में पहला स्थान दिया था। भारत को इस इंडेक्स में काफी निम्न स्थान था।
वस्तुत भारत में समान कार्य के समान वेतन के लिए नीति निर्देशक तत्व में प्रावधान किया गया है। इसके चलते यह राज्य के लिए बाध्यकारी नही है। यही वजह है कि भारत में निजी क्षेत्र में महिलओं को पुरुषो के मुकाबले निम्न वेतनमान दिया जाता है। इसके चलते भारत में लैंगिक समता एक स्वप्न मात्र है। भारत को आइसलैंड से सीख लेते हुए इस तरह के नूतन विचार को अपनाना चाहिए। इससे न केवल लैंगिक समता आयेगी साथ ही आर्थिक विकास दर में भी काफी तेजी आयेगी।
आशीष कुमार
उन्नाव उत्तर प्रदेश।
हाल में ही आइसलैंड में महिलाओ के लिए पुरुषो के समान वेतन देने लिए क़ानूनी अधिकार दिया गया है। वह विश्व का पहला देश है जिसने निजी व सरकारी क्षेत्र महिलाओ को सही मायने में लैंगिक समता लिए कानून का सहारा लिया है। अगर को इसे नही मानता है तो उस पर आर्थिक जुरमाना लगाया जायेगा। विश्व आर्थिक मंच जोकि समकालीन समय का बेहतरीन थिंक टैंक है ने ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में आइसलैंड को २०१५ में पहला स्थान दिया था। भारत को इस इंडेक्स में काफी निम्न स्थान था।
वस्तुत भारत में समान कार्य के समान वेतन के लिए नीति निर्देशक तत्व में प्रावधान किया गया है। इसके चलते यह राज्य के लिए बाध्यकारी नही है। यही वजह है कि भारत में निजी क्षेत्र में महिलओं को पुरुषो के मुकाबले निम्न वेतनमान दिया जाता है। इसके चलते भारत में लैंगिक समता एक स्वप्न मात्र है। भारत को आइसलैंड से सीख लेते हुए इस तरह के नूतन विचार को अपनाना चाहिए। इससे न केवल लैंगिक समता आयेगी साथ ही आर्थिक विकास दर में भी काफी तेजी आयेगी।
आशीष कुमार
उन्नाव उत्तर प्रदेश।
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