वक़्त है कुछ सफाई कर ली जाए
हर पतियोगी की तरह आपको भी पुस्तको और मैगज़ीन्स से बहुत गहरा लगाव होगा। योजना , कुरुक्षेत्र , विज्ञानं पगति , frontline , क्रॉनिकल , प्रतियोगिता दर्पण जैसी कितनी ही पत्रिकाऍ आपके स्टडी रूम की शोभा बढ़ाती होंगी। जनरल स्टडी के हर सेक्शन जैसी इतिहास , भूगोल , के लिए भी कई कई टेक्स्ट बुक होगी। इसके साथ आपके ऑप्शनल की भी बहुत सी बुक होंगी। ncert की बहुत सी फोटोकॉपी भी अनिवार्य रूप से होंगी ही। ऐसे में आपका स्टडी रूम बहुत भरा भरा लगता होगा। अच्छा लगता है कि जॉब चाहो जो मन हो वो पढ़ो। पर कई बार इस लगाव और चाव के चलते काफी दिक्क़ते भी फेस करनी पड़ सकती है। जरूरत के वक़्त वांछित पुस्तक नही मिलती है उसे खोजने में काफी वक़्त जाया करना पड़ता है न मिलने पर मानसिक तनाव अलग से कि किसी साथी ने उड़ा तो नही दी।
अगर आप किस्मत के धनी है और वैसे भी धनी है तो अलग बात है नही तो प्रशासनिक सेवा में आने के लिए औसतन ४ से ५ साल लगना तय है। इतने समय में आप के पास इतनी पुस्तके जमा हो जाती है कि छोटा मोटा पुस्तकालय खोल ले। अगर इस बीच में आपको कमरा चेंज करना पड़े तो बोरे चाहे कितने ही लादना पड़े पर आपसे एक पुस्तक या मैगज़ीन छोड़ी नही जाती। मैगज़ीन या पुस्तक से न जाने कैसा लगाव होता है कि उन्हें बेचने का दिल नही करता वो भी कबाड़ी के पास।
पर मित्र सफाई तो करनी ही होगी वरना एक रोज आपका यह लगाव बोरियत में बदल जायेगा। शुरुआत में आप पुरानी मैगज़ीन कि छटनी कर ले। मेरे अनुसार मासिक मैगज़ीन ६ माह से पुरानी रखने का कोई मतलब नही है। बेचना नही चाहते है तो अपने आस पास के किसी ऐसे लड़के को दे दीजिए जिसने अभी अभी इंटर पास किया हो यकीन मानिये उसके लिए यह बहुत अच्छा तोहफा होगा और आपको भी अच्छा लगेगा। उससे यह कहना मत भूलना कि हर सरकारी नौकरी का रास्ता इन मैगज़ीन से होकर जाता है। टेक्स्ट बुक को हटाना उचित न होगा पर उनमे भी छटनी की जा सकती है मान लीजिये अपने दर्पण का अर्थव्यस्था वाला अतिरिक्तांक २ साल पहले लिया था तो उसका वर्तमान में सीमित उपयोग होगा। इसी नजरिये से आप अपने स्टडी रूम की अव्यवस्था काफी हद तक कम कर सकते है।
( पोस्ट कैसी लगी ? अपने अनुभव और सुझाव प्लीज हमसे शेयर करे।)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें