New car लेकर kanpur जाना हुआ। एक शॉप पर रुक कर कुछ खरीद रहा था। एक आदमी पास आया और बोला " आपकी कार बहुत चमक रही है। " मै मुस्कराया और बोला "अभी जल्दी ही निकली है तो चमकेगी ही"। वो कुछ बेचैन लग रहा था। वो बोला "भाई साहब , कार में कुछ लगा लीजिये , बहुत चमक रही है कही नजर न लग जाये। कुछ कालिख पोत लीजिये। मै हँसने लगा और बोला कालिख तो मिल नही रही है आप कहो तो एक black पालीथीन पीछे एंटीना में लटका लूँ । हँसी मजाक करने की मेरी भी बहुत आदत है।
खैर वहां से मै निकल कर बेनाझाबर रोड तरफ आ गया। कार में कुछ सजवाना चाहता था। नयी कार थी। Road पर डर लग रहा था कही कोई खरोच न मार दे। अचानक मेरी नजर अपने कार में अगले दरवाजे पर गयी मेरा दिल धक से रह गया। वाइट कलर पर निशान तुरंत पता चल जाते है। मैंने दुखी मन से दरवाजे पर हाथ फिरा कर देखा तो मुस्कुरा उठा। निशान न थे। वो काली ग्रीस थी जो किसी न जाने कब पोत थी।
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