मनरेगा की सफलता का आलोचनात्मक मूल्याकन
१.मनरेगा को ग्रामीण इलाके में रोजगार स्रजन , गरीबो को आर्थिक सहायता , ग्रामीण मजदूरों को शहरी क्षेत्रो में पलायन रोकने की टूल के तौर पर जाना जाता रहा है .
२. अपने पहले ही साल से यह योजना , गावो में अपने उद्देशो की पूर्ति में सफल रही
३. समय बीतने के साथ ही यह योजना कई खामियों यथा फर्जी जॉब कार्ड , गैर लाभदायक कार्य ( तालाब खुदवाने के नाम पर मिट्टी इधर उधर मात्र करना ) के चलते अलोकप्रिय होने लगी .
४. आशय यह कि भले ही इससे बहुत से लोगो को रोजगार मिल रहा था पर इस योजना में खर्च किया जा रहा धन , किसी भी तरह से देश को आर्थिक लाभ न दे रहा था .
५. सरकार ने इसमें धन आवंटन कम किया , प्रशासन ने भी रूचि कम कर दी . लोगो को कम रोजगार , धन भुगतान होने लगा . इस तरह से योजना अपने उद्देश से भटक गयी .
२. अपने पहले ही साल से यह योजना , गावो में अपने उद्देशो की पूर्ति में सफल रही
३. समय बीतने के साथ ही यह योजना कई खामियों यथा फर्जी जॉब कार्ड , गैर लाभदायक कार्य ( तालाब खुदवाने के नाम पर मिट्टी इधर उधर मात्र करना ) के चलते अलोकप्रिय होने लगी .
४. आशय यह कि भले ही इससे बहुत से लोगो को रोजगार मिल रहा था पर इस योजना में खर्च किया जा रहा धन , किसी भी तरह से देश को आर्थिक लाभ न दे रहा था .
५. सरकार ने इसमें धन आवंटन कम किया , प्रशासन ने भी रूचि कम कर दी . लोगो को कम रोजगार , धन भुगतान होने लगा . इस तरह से योजना अपने उद्देश से भटक गयी .
मनरेगा योजना के लिए कई तरह के सुझाव दिए गये है जिससे इस योजना में खर्च किया जा रहा धन , ग्रामीण भारत की तस्वीर बदल सकता है . इस लिए जरूरी होगा कि इस खत्म करने के बजाय इसको संसोधन कर जारी रखा जाय .
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