मदद कही से मिल सकती है
वो भागीदारी भवन , Lucknow के दिन थे . बहुत ही
तंगहाली मुफलिसी में गुजर रहे थे . hostel में ज्यादातर लोग इलहाबाद से थे , उनसे
बहुत से चीजे सीखी . आपको याद हो मेरी चिन्तक जी से यही मुलाकात हुई थी . इसी जगह
पर रह कर मैंने सिखा कि पढाई के लिए कितना त्याग किया जा सकता है .
Dipawali का Festival था . कोई इलहाबाद अपने घर नही
जा रहा था . मै भी नही जाना चाह रहा था क्यूकि मेरे पास बहुत कम रूपये बचे थे . घर
आने जाने में १०० रूपये तक खर्च हो जाने थे . दोपहर तक मै अनिश्चय में था कि घर
जाऊ या यही रह कर दिवाली मना लू . शाम होते होते , घर जाने की ललक खूब जागी. मैंने
अपना एक बैग लिया और चारबाग रेलवे स्टेशन पहुच गया .
टिकट काउंटर में बहुत लम्बी लम्बी लाइन लगी थी .
मै भी एक लाइन में लग गया . मेरे आगे ४०/४५ आदमी रहे होंगे . तभी एक नेपाली जोकि
फौजी ड्रेस में था , मेरे पास आकर कुछ कहने लगा .. उसको कोई टिकट कैंसिल करानी थी
, जल्दी में था और चाह रहा था कि उसे टिकट खिड़की पर सबसे पहले लग जाने दिया जाय .
उसने अपनी मजबूरी बताई कि उसकी वाइफ कही दूसरी जगह वेट कर रही है और उसे जल्दी से
जाना है . उसने बोला कि मै लाइन में सबसे से पूछ कर आगे जाना चाहता हूँ ..ताकि उसे
कोई गाली न दे ..उसके अनुसार यहाँ के लोग बहुत गन्दी गन्दी गाली देते है ..
मै तो लाइन में बहुत पीछे था मुझे क्या फर्क पड़ता
मैंने मुस्कराते कहा भाई जरुर ले लो आपको जल्दी है तो ले लो ... मैंने देखा वो
नाटा , गोरा फौजी लाइन में लगे कुछ और लोगो की सहमती लेता हुआ ....आगे तक गया ...
अच्छा ...अगर को कोई लखनऊ या उत्तर प्रदेश को अच्छे
से जानता हो तो आसानी से अनुमान लगा सकता कि लाइन पर सबसे आगे आदमी ने ..उस फौजी
को क्या जबाब दिया होगा ..
“ घुसो @#%$ के ...लाइन में आओ ..ये कहानी और
किसी से पेलना ....” ऐसा ही कुछ जबाब रहा होगा क्यूकि मैंने पीछे से देखा कि आगे
माहौल गर्म होने लगा ... लम्बी लाइन में
लगे भले से भले आदमी का मूड भी अल्टर हो जाता है ..
भारत में गाली – गलौच बेहद आम बात है ..आम जन
जीवन से लेकर साहित्य ( कासी का असी –कशीनाथ सिंह ) , सिनेमा ( gangs of wasseypur) में यह रची और बसी है .. इनके प्रयोग से प्रयोगकर्ता कुछ विशेष हनक महसूस करता
है ..
मुझे हैरानी तब हुई जब वो गोरखा फौजी जो कि गाली
न देने की दुहाई दे रहा था.... तैश में आकर गाली देने लगा .. उसकी टिकट कैंसिल नही
हो पाई तो वो लाइन में लगे लोगो को अपनी टिकट दिखा कर बोला ... लो इसे बत्ती बना
कर अपनी @#$% में डाल लो ..” उसमे अपनी टिकट लपेट कर जमीन में फेक दी और गाली देता
हुआ .. वहां से चला गया ..
इस संसार में सबसे जादुई चीज है दिमाग .. ...यह
तमाशा तो बहुतो ने देखा पर दिमाग में घंटी मेरे तुरंत बजी ... मुझे टिकट cancellation के बारे में पूरी तरह से पता नही था फिर भी मैंने जल्दी से वो टिकट उठा
ली और लाइन में अपनी बारी की बहुत आराम से प्रतीक्षा की . अपनी बारी आने पर मैंने
वो फौजी वाला टिकट .. clerk को कैंसिल
करने को दिया मुझे लग रहा था कि वो कोई
डिटेल या id मागेगा पर उसने बगैर कुछ बोले बताया कि २४० रूपये वापस होंगे ...
मैंने उससे अपनी ख़ुशी छुपाते हुए ..एक उन्नाव के लिए टिकट मागी .. उनसे मुझे
उन्नाव की टिकट से साथ २२५ रूपये वापस कर दिए ...
मेरी ट्रेन अभी भी कुछ देरी से थी . मै स्टेशन से
बाहर आ गया .. मैंने बहुत गहरी सकून भरी साँस ली .. चारबाग के सामने कोने पर एक
छोटी सी गुमटी है ...उसके बहुत सी स्वादिष्ट जायकेदार चीजे ..जैसे ब्रेड पकौड़ा ,
समोसे , छोले भटूरा ..मिलती है .. . आज
याद नही पर उस रोज जो कुछ भी खाया .. बहुत लजीज रहा होगा .
जयपुर में एक
दोपहर |
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