आज अहा जिंदगी का फरवरी का अंक लाया। यह मैगज़ीन मैंने इसके शुरआती दिनों में पढ़ी थी तब भी ज्यादा समझ में नही आयी थी और इन दिनों भी कुछ खास समझ में नही आती है। यह अलग बात है कि Nishant Jain , Ias Topper 2015 ने जब से इसके बारे में बताया है तब से इसे फिर से लेने लगा हु।
इस बार के अंक में एक जापानी कहानी का अनुवाद ' सुंदरी ' आया है। काफी दिनों बाद कुछ पढ़ कर मन को अच्छा लगा। अरसा हो गया साहित्य को शौक की तरह पढ़े।
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self dependent तो १६/१७ की उम्र से ही हो गया था। जब regular job २१ साल में लगी। २२ की उम्र में central government में कार्य करने लगा था । आज एक बात मै आप से share करना चाहता हु। पहले पहल जब जॉब लगी बड़ी खुशी हुई। पहले से सारे दुःख दर्द सब दूर हो गए। सोचा अब खूब पैसे मिलेंगे तो मन चाहे brand के कपड़े , जुते , mobile आदि रख सकूंगा। कुछ हद तक यह सच भी था पर कुछ दिनों ही बाद मुझे एक चीज बहुत खलने लगी।
student life में , दिन में २ घंटे सोना एक अनिवार्य सा नियम है , मुझे भी दिन में सोना बहुत अच्छा लगता है। रात में पढ़ते पढ़ते १ या २ बज ही जाते है सो सभी दिन में सोते है। जॉब में आने के बाद यह आदत सबसे ज्यादा परेशान की। उस दिन से आज तक कभी free mind होकर सो न सका। तो यह है सरकारी नौकरी के नकारात्मक पहलू। हलाकि क्रेन्दीय सेवा में २ दिन यानि Saturday , Sunday छुट्टी होती है इसके बाद भी यह सच है कि नौकरी में आकर पहले सी आजादी कहाँ .
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