यह मेरा नोट्स जैसा है। कभी कबीर पर लिखना पड़े तो इन को आधार बना कर उत्तर लिखा जा सकता है। जो
- मो को कहाँ ढूँढ़े रे बंदे, मैं तो तेरे पास में
- 'घर-घर में वह साईं बसता, कटुक बचन मत बोल रे'
- हिरदा भीतर आरसी, मुख देखणा न जाई/मुख तो तौपरि देखिए, जे मन की दुविधा जाई।'
- 'साईं इतना दीजिए जा में कुटुम समाय।
- मैं भी भूखा न रहूँ, साधु न भूखा जाय।'
- माया तजूँ, तजी न जाय/फिरि फिरि माया मोहे लिपटाय
- काहे रे मन दह दिसि धावै, विषिया संग संतोष न पावै'
- जब आवै संतोष धन, सब धन धूरि समान
- मैं मैं बड़ी बलाई है, सकै तो निकसि भाजि/ कब लग राखौ हे सखी, रूई पलेटी आग'
- कबीर अपने जीवते, एै दोई बातें धोई / लोभ बड़ाई कारणौ, अछता मूल न खोई
- जो तू बामन बामनी जाया, आन बाट तै क्यों न आया / जो तू तुरक तुरकनी जाया, भीतर खतना क्यों न कराया
- 'पाहन पूजे हरि मिले, मैं पूजूँ पहार।
- ताते या चाकी भली, पीस खाय संसार।'
- काँकर पाथर जोरि कै, मसजिद लई बनाय।
- ता चढ़ मुल्ला बाँग दे, बहरो भयो खुदाय।'
- 'निंदक नियरे राखिए'
- सुखिया सब संसार हे, खावै अरु सोवै
- दुखिया दास कबीर है, जागै अरु रोवै।'
- कबीरा खड़ा बजार में , मागे सबकी खैर।
- कबीरा यह संसार है जैसे सेमल फूल
- गुरु गोविन्द दोउ खड़े , काके लागु पाय
- बकरी पाती खात है , ताकि काढ़ि खाल
- जे नर बकरी खात है , उनके कौन हवाल
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें