दौड़
इंटर करते ही जीवन की दौड़ शुरू हो गयी , जूझता रहा, गिरा , चोट भी खाई पर आगे बढ़ता गया ... अभी भी दौड़ खत्म न हुयी है पर अब कभी कभी सकून से सांस लेता हूँ ........ पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो बहुत अच्छा लगता है ............... ज़िंदगी मे हासिल काफी कुछ कर लिया है ........... मन मे अब उतनी छटपटाहट भी नही रहती ........... कुल जमा खुश रहता हूँ ..
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हम सब में कुछ न खास हुनर होता है बस जरूरत होती है उसे पहचानने की उसमें दक्ष होने की । एक बार इस सिद्धान्त को समझ गए तो फिर देखो जिंदगी का आनंद बहुत शानदार है ये जिंदगी
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