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शनिवार, 31 दिसंबर 2016

20 Best New Year Resolution for IAS Preparation



हेल्लो  दोस्तों , कैसे है  आप ? नया साल आपको बहुत बहुत मुबारक हो . आशा करता हूँ आप के लिए यह साल बहुत सी अच्छी अच्छी सौगात ले कर आयेगा . आज आपको कुछ ऐसे बिंदु बता रहा हूँ जो आपकी तयारी में बहुत धार देंगे . इन्हें आप नये साल के लिए संकल्प की तरह प्रयोग कर सकते है .


  1. diary लिखने की आदत डाले . 
  2. The hindu पढने की आदत डाले . 
  3. अपनी fitness का भी ध्यान जरुर रखे . 
  4. लिखने पर बहुत जोर दे . 
  5. नये और अच्छे words का प्रयोग करना सीखे . 
  6. अपने लिए एक time table बनाये . 
  7.  खुद के नोट्स बनाये . 
  8. अपनी हॉबी के लिए जरुर समय निकाले. 
  9. सुबह जल्दी उठने की आदत डाले . 
  10. Internet पर अपना टाइम बहुत सावधानी से use करे . 
  11. उन लोगों से बचे जो नकारात्मक होते है . 
  12. खुद से हर चीज सीखने का प्रयास करे . 
  13. हमेशा याद रखे कि आईएएस अपने सपनो को पूरा करने का एक जरिया मात्र है .
  14. आपकी जिन्दगी की हर चीज आईएएस पर ही नही निर्भर करती है .
  15. हमेशा याद रखे कि आप में योग्यता होगी तो आप आईएएस से इतर भी अपने आपको साबित कर देंगे .
  16. किसी से मदद ले तो उसके प्रति अहसानमंद होना सीखे . 
  17. अपनी प्राथमिकता तय करे . 
  18. अपने टारगेट को अपने टेबल के सामने चिपका दे . 
  19. हर रोज अपने टारगेट को दोहराए . 
  20. सोने से पहले सारे दिन का विश्लेष्ण करे और अगले दिन की प्लानिंग कर ले . 

आपको यह पोस्ट कैसी लगी और अपने नये साल के लिए क्या संकल्प लिया है कमेंट में जरुर बताना . थैंक्स . 


शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016

A story from my village





                        काफी दिनों बाद माँ से बात हुयी तो पता चला कि पड़ोस वाले खेत में बाड़बंदी हो गयी है। स्टील वाले तारों से पड़ोसी ने अपने खेत सुरक्षित कर लिए है। मैंने पूछा उनके खेत में क्या बोया गया है तो माँ बोली गेहूं ही है।  यह बात जरा चकित करने वाली थी क्योंकि मैं गेहूं को वैसी फसल नही मानता था जिसके लिए स्टील के तार लगवाने पड़े। फिर मुझे कुछ याद आया ऐसा क्यू हुआ होगा ? 

                       पिछली बार जब मेरा गांव जाना हुआ तो मैंने एक बात नोटिस की थी। रोड के किनारे , बागों में बाड़बंदी स्टील के तारो से करा दी गयी है। ये स्टील के तार बहुत तेज थे इनमें दोहरी धार थी। यह भी पता चला कि किसी की भैस इन तारों में फस कर मर गयी है।  मान लो सड़क से कोई मोटर साइकिल में जा रहा व्यक्ति अपना संतुलन खो दे और इन तारो में जा फसे तो मर ही जायेगा।  

                       इन चीजो के तह में गया तो एक बड़ा पहलू नजर आया।  मेरा जिला घोषित / अघोषित तौर पर चमड़े का उत्पादक जिला है। दही चौकी में कई ऐसी फैक्ट्री है जो पशुओं का मांस निर्यात करती है। सुनने में आता है कि इन फैक्ट्री में काफी सशक्त लोगों की हिस्सेदारी है। जब से गाय पर प्रतिबंध लगा तब से चीजे बदली।  वैसे भी इन फैक्ट्री में कटने ले लिए , पशु ट्रकों में लद कर रात में आते थे पर अब सख्ती के चलते बहुत बार ट्रक में पशु पकड़े गए तो वो पशु आवारा छोड़ दिए गए। धीरे धीरे पुरे शहर और गांवो में इस तरह के आवारा पशुओं की तादाद बढ़ने लगी। 

                    पहले ये मरियल , कमजोर पशु थे पर अब ये खेतों में आवारा रूप से चरने लगे। अब खूब तगड़े और बड़े झुण्ड खेतों में दिखने लगे। ये न केवल खड़ी फसल चरते थे बल्कि जिस खेत से गुजरते है पूरा खेत चौपट हो जाता है। इस समस्या में बहुत से पहलू है। जो लोग इससे पीड़ित है उनके पास कोई हल नही है। सुनने में यहाँ तक आ रहा है कि यह मुद्दा यूपी के चुनाव में बड़ा असर डालेगा। कभी कभी दबी जुबान में लोग इसकी चर्चा भी करते है। 

                    अभी हाल में मैंने पढ़ा कि राजस्थान में इस तरह के आवारा पशु की समस्या से निपटने के लिए , ट्रैकिंग id  लगाई जाएँगी जोकि एक अच्छा विकल्प हो सकता है। एक प्रश्न उठता है कि जब तक पशु दूध दे तक तो किसान उसे पालता है पर गैर दुधारू पशु को खुला छोड़ देना या कटने के लिए दे देना कहा तक सही होगा। 

                   इन सब चीजो में किसानी , खेती की बड़ी हानि हो रही है।  वैसे भी खेती में लागत दिनों दिन बढ़ती जा रही है।  सरकार कृषि को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।  तरह तरह की योजनाए चलाई जा रही है पर इस तरह के पहलू पर कौन ध्यान देगा।  हर कोई बाड़बंदी नही करा सकता है काफी लागत लगती है और यह रिस्की भी है।  

फुटनोट :-  टीपू की कहानी 


                     टीपू की उम्र ज्यादा न होगी पर बड़ा सयाना हो गया है। उसके बाल पुरे भूरे है अंग्रेज जैसे। शुरू के दिनों में इस चीज का काफी मजाक उड़ाया जाता था कि उसके बाल ऐसे कैसे हो गए है। उसके सयानेपन का एक उदाहरण देता हूँ।  आज से ६ साल पहले जब मेरे पिता जी की डेथ हुयी थी तो टीपू मुश्किल से ७ या ८ साल का रहा होगा। मेरे पास आकर बोला " अब आपके पापा तो मर गए है अब तुमको ही सब देखना है। " इस तरह के बहुत से उदाहरण है आप सुने तो हैरान हो जायेंगे उन पर फिर कभी।  

                        टीपू ने ऊपर वर्णित आवारा पशुओ में एक गाय का छोटा बच्चा पकड़ लिया। दरअसल अब उन झुंडो में ऐसे भी पशु है जो उपयोगी भी हो सकते है। टीपू ने सोचा इसे पाल पोश ले तो दूध भी मिलेगा और बाद में उसे बेच कर कुछ रूपये मिल जायेगे। उसकी मम्मी और भाई ने मना भी किया पर माना नही।  कुछ दिन तो वो बच्चा रहा पर एक दिन जब टीपू उसे चराने ले गए तो उसने टीपू पर हमला कर दिया। टीपू को बुरी तरह घायल कर , वो जंगल में भाग गया।  



Copyright - Asheesh Kumar . ( Do not copy & paste . Please give your valuable comment . ) 




गुरुवार, 22 दिसंबर 2016

A question from my IAS interview 2015




      2015 के आईएएस  इंटरव्यू जोकि मई 2016 था , में मुझसे एक सदस्य ने पूछा कि इन दिनों ग्रामीण लोग किस चीज पर सबसे ज्यादा पैसा खर्च कर  रहे है। मैंने कहा  " खेती में " क्योंकि इन दिनों  निवेश लागत काफी बढ़ गयी है। बात मेरी सही थी पर वो सदस्य संतुष्ट न लगे।  उन्होंने ने जबाब दिया कि  स्वास्थ्य पर। 


बाद में मैंने कई जगह इस बारे में पढ़ा वो वाकई सही कह रहे थे।  अभी हाल  में ही मैंने कही  पढ़ा  कि हर साल जितने आदमी , गरीबी से बाहर  निकलते है उसके आधे फिर से गरीबी में पहुच जाते है क्योंकि उनका हेल्थ पर खर्च , उनकी आय से कई गुना ज्यादा होता है। वैसे भी आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति शुद्ध पेयजल , पोषण युक्त  भोजन तथा स्वच्छ परिवेश के आभाव में जल्द बीमार पड़ जाता है या यूँ कहे कि उसके बीमार होने का अनुपात ज्यादा होता है।  

ऐसे में इस समस्या के निपटने के लिए बहुआयामी कदम उठाये जाने चाहिए।  एक और स्वास्थ्य सेवाओं तक सबकी पहुँच आसानी से होनी चाहिए दूसरी ओर सरकार की ओर से चलाई जा रही स्कीम्स का उचित क्रियान्वयन , सटीक निगरानी के साथ साथ इनसे जुड़े अधिकारियों की जबाबदेही भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इस दिशा में विश्व स्वास्थ संगठन द्वारा चलाये जा रहे सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज कार्यक्रम की भी उपयोगिता साबित होगी।  

अपने पढ़ा होगा कि भारत विश्व का सबसे युवा देश है उसको आने वाले वर्षो में डेमोग्राफिक डिविडेंड यानी जनसंख्या लाभांश प्राप्त होगा। ऐसे में भारत की बड़ी आबादी द्वारा स्वास्थ पर बढ़ता खर्च , इस दिशा में भारत के सपनों को चूर कर सकता है। पर्याप्त आय के आभाव में ग्रामीण परिवार शिक्षा पर ज्यादा खर्च भी नही कर  पाएंगे इसलिए ग्रामीण क्षेत्र के लिए वैकल्पिक रोजगार का भी बड़ी मात्रा में सृजन  किया जाना चाहिए। इसके लिए सरकार द्वारा रुबन मिशन चलाया जा रहा है जिसमे क्लस्टर आधारित विकास पर जोर दिया गया है।  

( दोस्तों , इस तरह के लेख , एक प्रकार से निबंध के लिए मेरी प्रैक्टिस है जो किसी भी विचार पर छोटे छोटे लेख के रूप में लिखने की कोशिस करता हूँ।  आप इन पर अपनी अमूल्य राय , समीक्षा जरूर दीजियेगा।  थैंक्स। ) 

By  - आशीष कुमार 


बुधवार, 21 दिसंबर 2016

Some real problems




कभी कभी मै सोचता हूँ कि क्यू दिनो दिनों विषमता बढ़ती जा रही है। सरकार की सैकड़ो स्कीम चल रही है पर उनका समाज पर प्रभाव नही दिखता है।  अगर  इनसे जुडी रिपोर्ट का अवलोकन करे तो पाएंगे कि  आजादी के बाद धन , पूंजी कुछ सीमित  वर्ग तक ही इकठा होती रही। इन सब के पीछे बहुत सी वजह है पर मैंने एक चीज विशेष तौर पर महसूस किया है कि  इस बढ़ती विषमता के पृष्ठ में सबसे बड़ी वजह आम  लोगो तक खास ज्ञान की पहुँच  न होना या सिमित होना है।  

उदाहरण के तौर पर मैं बहुत रोचक बात बताता हूँ।  सिविल सेवा के एग्जाम में मुझे बहुत लंबा अनुभव रहा है।  मैंने बहुत बार इस एग्जाम में ऐसी चीजो से जुड़े प्रश्न देखे है जो समाज में प्रचलित होने में २ या ३ साल लग गए। कहने  आशय  यह कि  जैसे पिछले साल आईएएस के प्री  एग्जाम में li-fi से जुड़ा प्रश्न पूछा गया था।  अब यह तकनीक इतनी एडवांस है कि  भारत में इसे प्रचलित होने में ५ साल से कम क्या समय लगेगा।  इसी तरह काफी पहले wi fi  के बारे  में पूछा था जो अब हर व्यक्ति तक पहुच गयी है।  

हलाकि इस तरह के उदाहरण ज्यादा सटीक नही होते है क्योंकि सिविल सेवा , सर्वोत्तम का चयन करती है पर अगर कोई आम व्यक्ति इसकी तैयारी  करता है और उस तक सर्वोत्तम ज्ञान की पहुँच नही है तो इसमें उसका क्या दोष है ? 

इससे तो यही लगता है कि सिविल सेवा जोकि विषमता दूर करने का एक बड़ा , बढ़िया माध्यम हो सकता है पर वो हो न पायेगा।  अब हर कोई the  hindu , test series , english  में expert नही हो सकता है इन सब के लिए जरूरी है कि उम्मीदवार की आर्थिक दशा बहुत अच्छी  हो।  

इसी लेख में आप उन कारणों को भी खोज सकते है जो कि  हिंदी / क्षेत्रीय भाषा में  चयन के निरन्तर गिरते स्तर का कारण  है।  



By - आशीष कुमार।  

सोमवार, 12 दिसंबर 2016

That 48 hours





                आम तौर पर जब पास के मार्किट से सामान लेने जाना होता है तो पैदल ही जाता हूँ पर कभी कभी आलसवश बाइक से भी चला जाता हूँ।  ५० मीटर भी दुरी न होगी।  उस दिन मुझे दूध लेने जाना था तो बाइक लेकर गया।  दूध ले रहा था दूसरी और केले दिखे। इन दिनों केले बहुत मीठे आते है। उन्हें लेने चला गया। केले ले रहा था तो चौराहे के तीसरी ओर मुझे सेब दिखे।  काफी दिन हो गये थे सेब खाए सोचा आज ले ही लिए जाये।  फलाहार अच्छी चीज होती है मन में सोचा। सेब तौला रहा था कि मुझे बहुत सोधी खुशबू की महक आई।  यकीनन अहमदाबाद में यह खुशबू विस्मय का विषय थी।  ऐसा लगा कि up वाली स्टाइल में कही पास आलू की टिक्की बनाई जा रही हो। इसमें लेश मात्र झूठ नही , उसकी दुकान मैंने खुशबू से ही खोजी।





मार्केट में उसकी दुकान दिखती नही थी क्युकी उसकी ठेलिया पीछे लगती थी। मैंने अपने हाथो में दूध , केला और सेब लिए उसके पास पहुच गया। ५ मिनिट में सारी जानकारी ले डाली।  इटावा का आदमी था , पहले चंडीगढ़ में आलू टिक्की बेचा करता था अब ३ महीने से यही है।  मैंने उससे हर चीज जानने की कोशिस की कितनी लागत लगती है , बिक्री कितनी होती है , बचत कितने की होती है।  उसके किराये के तौर पर कितने रूपये देने पढ़ते है। इन सब के पीछे वजह यह थी कि मुझे अपने प्रान्त का आदमी मिल गया था और अपने घर जैसा कुछ खाने को मिलता। २० रूपये में दो टिक्की दिया।  बहुत स्वादिष्ट थी।  कुल मिलाकर वो ३ चीजे बेच रहा था।  मैंने बाकि चीजे दुसरे दिन खाने का वादा करके चला आया। चलते चलते उसे कुछ बिजनेस से जुड़े कुछ टिप्स भी दिए।  आपको पता ही होगा सरकारी आदमी , हमेशा धंधे की ओर आकर्षित होता है और धंधे वाला आदमी , सरकारी नौकरी के प्रति आकर्षित रहता है। वैसे भी इन दिनों स्टार्ट up का खूब चलन है मैंने उसे ऐसे ज्ञान दिया जैसे मै आईआईएम , अहमदबाद से पढाई करके निकला हूँ।  उसकी दुकान से जब चला तो मेरे मन में यह बात घूम रही थी मान लो यह आदमी का धंधा खूब चल निकला और इसने अपनी ठेलिया की चैन सीरिज खोल दी तो। 


अगले दिन में ऑफिस न जाकर , फील्ड पर जाना था।  गाड़ी लेने आई थी।  सारा दिन काम किया और रात में देर तक पढाई की। अगले दिन भी गाड़ी लेने आई। फिर सारा दिन काम किया और रात में पढाई की। तीसरे दिन मुझे ऑफिस जाना था।  सुबह देर से उठा पता न क्या सुझा सोचा आज खाना भी बना लिया जाय। खाना बनाते बनाते ११ बज गया।  जल्दी से खाना पैक कर , हेलमेट उठा कर नीचे गया। मेरा नया रेड कलर का हेलमेट बड़ा प्यारा है इसलिए इसे बाइक के साथ न रख फ्लैट में रखता हूँ।  

नीचे जाकर देखा तो बाइक न दिखी। एक पल को यकीन न हुआ। आखे मीच कर देखा तो भी बाइक न थी।  मेरी जान सूख गयी। सोसाइटी में कैमरे भी लगे है , सोचा यहाँ से कौन ले जा सकता है। इतना तो यकीन था जो भी बाइक की चोरी की होगी पकड़ा तो जायेगा ही।  हाथ में हेलमेट लिए मै गेट तक आ गया।  दिमाग पर जोर डालने लगा , कही मै ही तो बाइक नही ले गया था। अगर गया भी होगा तो पास तक ही।  सच में , दोस्तों आपको अजीब लग रहा होगा मुझे जरा भी याद नही आ रहा था कि बाइक कब और कहाँ तक ले गया था।  पता नही किस विश्वास से मै चौराहे तक आ गया।  मुझे दो जगह की संका हो रही थी या तो मै दूध लेने गया होऊंगा या फिर अगले चौराहे तक होटल में खाना खाने। 

चौराहे के दूसरी ऑर एक गन्दी सी बाइक दिखी। मुझे अपनी बाइक पहचाने में जरा भी देर न लगी।  पुरे ४८ घंटे वह वही खड़ी रही। मैंने डेरी वाले से बोला मेरी यह बाइक है और मै ले जा रहा हूँ। उसने कहा ले जाओ तुम्हारी ही है न ? मै ने उसे यकीन दिलाया हा मेरी ही है।  बाइक उठाते वक्त , मैंने चारो तरह नजर डाली , बाइक डेरी के बाहर लगे एक कैमरे के दायरे में थी। शायद किसी ने उसे उस जगह तक खिसका दिया था।  


Copyright - ASHEESH KUMAR 

( दोस्तों , कैसी लगी यह घटना ( यह कहानी नही हकीकत है . ) ................ क्या आप भी कभी इस तरह कुछ भूले है . ) 





शनिवार, 10 दिसंबर 2016

BOOKS LIST, TIPS, STRATEGY FOR PHILOSOPHY IAS MAINS ( HINDI ME )



प्रिय दोस्तों , आपने  ने बहुत बार मुझसे वैकल्पिक विषय के बारे में पूछा है।  मैंने बहुत से लोगो को हिंदी साहित्य के लिए बोला पर कुछ लोगो को यह कठिन लगता है।  इसलिए आज आपके लिए एक बहुत अच्छे सब्जेक्ट  के बारे में बताने जा रहा हूँ।  यह आईएएस के लिए सबसे लघु सब्जेक्ट माना जाता है . यह सब्जेक्ट है दर्शन शास्त्र . यह लेख मेरे एक मित्र के दिए गये सुझाव के आधार पर लिखा गया है . वह आईएएस के कई मैन्स लिख चुके है तथा १ इंटरव्यू भी दे चुके है . जल्द ही वह सफल भी होंगे ऐसी मुझे आशा , विश्वास है . हमारे पाठको के लिए यह सुविधा भी है कि वह उनसे आईएएस से जुडी टिप्स के लिए मेल भी कर सकते है . उनका मेल मै लेख के अंत में उपलब्ध करा दूंगा . 

दर्शन शास्त्र

  •  पहला पेपर -  १. भारतीय दर्शन  २. पाश्चात्य दर्शन 
  • दूसरा पेपर  -   १. सामाजिक राजनीतक दर्शन २. धर्म दर्शन 

  1.  अन्य विषयों की तुलना में छोटा पाठ्यक्रम लेकिन विषय वस्तु पर गहराई आवश्यक है . 
  2.  अच्छे नंबर लाने के लिए अभ्यास बहुत जरूरी है . 
  3. सभी दर्शनों का तुलनात्मक अध्यन जरूरी है . 
  4. भारतीय दर्शन की पाश्चत्य दर्शन से तुलना करने का अभ्यास जरूरी है . 
  5. भारतीय दर्शन में कई संस्कृत के श्लोक अगर लिख दिए जाये तो अंक बहुत ही उम्दा मिलते है . 
  6. कुछ टॉपिक एक बार पढने से शायद समझ में न आये पर धीरे धीरे आपको ज्ञान होने लगता है .
  7. इस विषय को दोबारा याद करने में सबसे कम समय लगता है . 
  8. इस विषय को लेने से , इसमें दक्ष होने से आप में तार्किकता आती है जिसका लाभ निबंध , अन्य पेपर भी पढ़ता है . 

जरूरी किताबे 


  1.  भारतीय दर्शन की रुपरेखा -  H. P. SINHA 
  2. पाश्चत्य दर्शन   -  याकूब मसीह 
  3. समकालीन पाश्चत्य दर्शन - बी. के. लाल 
  4.  धर्म दर्शन - वेद प्रकाश वर्मा 
  5. सामाजिक राजनीतक दर्शन - ओ.पी. गाबा 
  6. पंतजलि या इग्नाइटेड माइंडस के प्रिंटेड नोट्स 


दोस्तों , हिंदी माध्यम के लिए कुछ सबसे अच्छे विषयों में एक दर्शन शास्त्र के लिए जरूरी टिप्स और बुक्स आपको कैसी लगी बताना जरुर . जिन लोगो को आईएएस / दर्शन शास्त्र से जुडी अन्य कोई हेल्प चाहिए तो आप इस kundanex@gmail.com  पर कॉन्ट्रैक्ट कर  सकते है .


SEVEN SOCIAL SIN BY MAHATMA GANDHI IN HINDI



इस साल आईएएस मैन्स 2017 के एग्जाम में , एथिक्स के पेपर में महात्मा गाँधी द्वारा बताये गए ७ सामाजिक पाप पूछे गए है।  बहुत से लोगो के लिए यह नया  प्रश्न था।  आज आपको भी उन ७ पापो के बारे में परिचय दे रहा हूँ।  


  • बिना सिद्धान्तों  के राजनीति 
  • बिना काम के धन 
  • बिना अन्तःकरण के आराम 
  • बिना चरित्र के ज्ञान 
  • बिना नैतिकता के व्यापार 
  • बिना मानवता के विज्ञानं 
  • बिना बलिदान के पूजा 

यह 1925 में गाँधी जी के समाचार पत्र ' यंग इंडिया ' में प्रकाशित हुए थे।  

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