अकेले में
पहले के दिनों में
जब भी अकेले होता
मिलता स्व से
करता चिंतन, मनन
व आत्मावलोकन।
इन दिनों
जबकि मैं
आपके प्रेम में हूँ,
अकेले में मेरे विचारों
का क्रेंदबिंदु केवल व केवल
आपका ही ख्याल आता हैं।
अकेले में
बुनता हूँ तुमसे जुड़े
तमाम ख्वाब
हवा देता हूँ
तमाम कल्पनाओं को
अकेले में
सोचा करता हूँ
तुम्हारी बिल्लौरी आँखों
की असीम गहराई,
घनी बदली सरीखे
तुम्हारे लहराते बालों
से खेला करता हूँ.
अकेले में याद आती
आपकी वो चितवन,
मोहक मुस्कान,
हँसमुख चेहरा
साथ ही वो
तमाम कहानियाँ
जो तुमने सुनाई
आशीष कुमार , उन्नाव
29 जुलाई , 2020
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