नीचे तसवीर में प्रेम जी साथ में हैं। पिछले साल लोकसभा tv के सिविल सेवा में हिंदी माध्यम से जुड़े एक मुद्दे के दौरान मुलाकात हुई थी। मोबाइल no का आदान प्रदान हुआ और हमेशा की तरह कि कभी मिलते है जैसे वाक्य से विदा ले ली।
बीच बीच में जनसत्ता में उनके लेख भी पढ़ता रहा और प्रभावित भी होता रहा। लिखने पढ़ने वाले लोग मुझे विशेष आकर्षित करते रहे हैं। बीच बीच में उनके बुलावा मिलते रहे कि जब भी वक़्त मिले घर आना।
तमाम बार मुलाकात टलती रही..एक दिन ऑफिस से निकलकर पूछा ..आप घर पर हैं.. मुझे लोकेशन भेजिए मैं 30 मिनिट में पहुँच रहा हूँ। मैंने ऐसा तमाम बार किया जब कोई बार काम बार 2 टलता रहे तो उसे एक दिन किसी भी हालत पर, किसी भी शर्त पूरा कर देता हूँ।
मन में तमाम आशंका भी थी कि कोरोना के टाइम जाना ठीक होगा भी या नहीं..
पता नहीं उनकी शाम की क्या प्लानिंग हो ..पर उस दिन इसी मूड में था कि आज लंबे समय से टल रही मुलाकात को पूरा करना ही है..
सर के घर पहुँच कर पाया कि वो बड़ी प्रसन्नता से प्रतीक्षा कर रहे थे। उचित दूरी बनाते चाय नाश्ते के साथ उनसे तमाम बातें हुई। सर, ने भी काफी संघर्ष के साथ 3 दशक पूर्व सिविल सेवा में चयनित हुए थे। भारत सरकार के संयुक्त सचिव (js) पद से सेवानिवृत्त हुए हैं पर सामाजिक सरोकारों में उनकी सक्रियता अभी भी बनी हुई है। सेवा के दिनों से ही तमाम समाचार पत्रों में उनके लेख प्रकाशित होते रहे हैं। विविध मुद्दों में उनकी कई किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। आप उन्हें कई बार tv पर डिबेट में देख सकते हैं।
प्रेम सर से प्रेमपूर्वक तमाम बातें होती रही .. उन्होंने कहा कि मेरी जैसी ही पृष्टभूमि से वो भी आये हैं.. सर के छोटे भाई भारतीय राजस्व सेवा ( इनकम टैक्स ) में काफी सीनियर पद पर कार्यरत हैं और वो भी लिखते हैं। बातें हमारी और भी होती पर मेरा ड्राइवर काफी समय से वेट कर रहा था.इसलिए सर से फिर मिलने के वादे के साथ विदा की।
चलते समय सर ने अपने हस्ताक्षर की हुए कुछ पुस्तकें भेंट की, ऐसी भेंट, हमेशा से बहुत पसंद आती रही हैं.
© आशीष कुमार, उन्नाव
26 जुलाई, 2020।
achi mulakat
जवाब देंहटाएंAap or prem sir jaise hi log hai Jo sangarsh krne walo ke liye prernastrot hai.
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