मंगलवार, 13 मई 2025

किताबें और रेड सैंडल्स


    2014  -15  के बीच में मुझे लिखने का बहुत जूनून सा हो गया था। डायरी से बाहर दिन प्रतिदिन के अनुभव , प्रेक्षण आदि अब ब्लॉग , फेसबुक पर आने लगे थे। लोगों को सरल शब्दों में अपनी बात रखने का तरीका बड़ा पसंद आया। धीरे धीरे फैन फॉलोविंग भी बढ़ी। देश में ही नहीं विदेश में भी अपने कुछ पाठक थे। हजारों कहना तो गलत होगा पर , सैकड़ो की संख्या में लोग , पोस्ट को बड़ी रूचि से पढ़ा करते थे। उनमें तमाम बार लोग लाइक , कमेंट  से बढ़कर इनबॉक्स में भी आ जाते। 

    उन दिनों अहमदबाद में अपनी सर्विस चल रही थी। सिविल सेवा की तैयारी भी चल रही थी पर कोई खास जोश न था। प्री , मैन्स , इंटरव्यू के क्रमिक असफलताएं ने मुझे डिजिटल दुनिया में ज्यादा रमने में बाध्य कर दिया था। मैं लोगों से बात करता था , तमाम बार चैट से बाहर फ़ोन , मेसेज , व्हाट ऍप तक लोग आ जाते। लोग मतलब विपरीतलिंगी। तो उनमें दर्जनों लोग होंगे , जिनसे तमाम बातें हुयी। एक मैडम स्वीडन से थी , इंडियन थी। उच्च शिक्षित , उच्च कुल से पर प्रेम मुस्लिम लड़के से हो गया। दोनों विदेश सेटल हो गए। कैडबरी , में बड़ी पोस्ट पर थी। लड़का भी उच्च वेतनमान पर था , पर इसके बावजूद घर वालों से सहयोग न मिला। ऐसे में तमाम बार , अपने बातों को सुनाने के लिए मेरा इनबॉक्स मुफीद जगह थी। तमाम बार स्वम् से  अपने पिक्स शेयर किये जोकि पहली बार में फेक से लगे पर वो वाकई बहुत सुन्दर थी , दरअसल लड़का भी परफेक्ट था। उनकी कहानी फिर कभी , किसी दूसरी पोस्ट में। मुझे नहीं पता , हो सकता हो अभी भी हो फेसबुक पर जुडी हो।  

    आज कहानी ऐसे ही एक दूसरे व्यक्ति की , जिससे ऐसे ही सम्पर्क हुआ। धीरे धीरे तमाम बातें होने लगी। उनकी किशोरावस्था थी। बातों में बड़ी रूचि व आकर्षण था। जब हम किसी अच्छे लगने वाले विपरीतलिंगी से बातें करते हैं तो धीरे धीरे हर बात शेयर करने लगते है। ऐसे ही एक रोज वो प्रकरण हुआ था। 

    इन दिनों , हर घर , सोसाइटी में ऐमज़ॉन , फ्लिपकार्ट , मिंत्रा से समान मांगना बड़ी आम बात हो गयी है। उन दिनों चलन था पर काफी कम स्तर पर। मैं इन प्लेटफार्म से किताबें मंगाया करता था। तो उस दिन उसने बातों बातों में बताया कि आज उसने रेड सैंडल  ऑनलाइन मंगाई है साथ ही उनकी तस्वीर भी भेज दी। 

    सच कह रहा हूँ , मैं चौंक  गया. मै हैरान था , मेरे समझ में न आ रहा था कि इनसे भी सैंडल भी मगाई जा सकती है। मैंने बोला - मै पहली बार सुन रहा हूँ , कि फ्लिपकार्ट से कोई सैंडल भी माँगता है।      मैंने   तो बस किताबें ही मंगाई हैं।  अब चौकने की बारी सामने वाले की थी। फिलिपकार्ट से बुक्स , भला कौन मंगवाता है ? मैं पहली बार सुन रही हूँ कि कोई किताबें ऑनलाइन मंगवाता है।  हम दोनों बहुत दिनों तक , इस प्रकरण को लेकर हसते रहे। यह किस्सा , मैंने तमाम बार अपने मित्र मण्डली में सुनाया है। आज आपसे शेयर कर रहा हूँ क्युकि पिछले दिनों फ्लिपकार्ट में मेगा सेल लगी थी और कुछ जल्दी सोने वाले लोग भी उस दिन जग कर इसका इंतजार कर रहे थे तो मुझे पुराने किस्से याद आ गए।   

©आशीष कुमार , उन्नाव।

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