आप ने यह बात बहुत दिनों या सालों से सुनी होगी कि सरकार का एक लक्ष्य यह भी ही सभी गांव को 24 घंटे बिजली मिल सके । कई योजनाएं भी चल रही है ।
पिछले कुछ दिनों से मुझे यह ख्याल आता है कि यह कभी नही होने वाला है क्योकि बिजली कितनी ही बना ली जाय वह शहर में ही खत्म हो जायेगी । सोचो कैसे । एक example देता हूँ अब शहर में आम लोगो के घरो में भी a.c. दिखने लगा है । बड़े घरो में हर कमरे में यह दिखने लगे है । मुझे ऐसा लगता है कि आने वाले समय में बिजली की खपत शहरों में कई गुना बढ़ने वाली है , बिजली चूँकि मूल्य चुकाने पर ही मिलती है इसलिए जिसके पास आमदनी होगी वह इसे खरीद सकेगा
गुरुवार, 8 सितंबर 2016
Villages vs. Cities
शुक्रवार, 2 सितंबर 2016
Just for talk
बहुत बार , कुछ खास मित्रो आग्रह रहा है कि उनसे मुलाकात हो .
17 सितम्बर २०१६ को बहुत संभव है कि मेरा Mukherji Nagar , delhi में २ बजे से ६ बजे evening के बीच आना हो.
इच्छुक मित्र जो delhi में है , अपना नंबर इनबॉक्स में कर सकते है . हलाकि मुझे भी समझ नही आ रहा है इस मुलाकात का कोई उद्देश्य भी हो सकता है या कोई मिलना भी चाहेगा . खैर , मेरे लिए कभी कभी बिना उद्देश के , अजनबी लोगो से मिलना, संवाद करना काफी रोचक रहता है.
लम्बे समय से मै शांत सा हूँ इसका मतलब यह नही कि मै खत्म हो गया हूँ .......बस यह समय ही ऐसा चल रहा है जब शांत रहना ही ज्यादा मुनासिब लगता है.........
Have a good time......keep reading .
सोमवार, 22 अगस्त 2016
Do you work yourself
प्रिय दोस्तों , आप कैसे है ? आशा है आप सभी की पढ़ाई अच्छे से चल रही होगी। लंबे समय से आप लोगो से मैंने कोई संवाद नही किया है। व्यस्त तो पहले से ही रहता था पर अगले २ साल तक , मेरी पोस्टिंग बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण जगह पर रहेगी इसलिए मुझे जरा भी वक़्त नही मिल पाता है। पहले मैं रोज , नियमित ब्लॉग, पेज पर समय दे पाता था , आप लोगो के सवालो का जबाब देना अच्छा लगता था पर अब कई कई दिनों तक मैं , इन्टरनेट से दूर रहता हूँ। आप लोगो के सवाल मिलते है ,पर चाह कर मैं जबाब नही दे पाता। मुझे अच्छा नही लगता किसी को अवॉयड करना पर , मेरे पास कोई विकल्प नही है।
इसलिए दोस्तों , आप को मैं आज एक रास्ता बताता हूँ जो आपको आसानी से सफलता की ओर ले जायेगा -
१. सफलता की सुरुआत होती है आप से , आप जितना ज्यादा अपने लक्ष्य के बारे में सोचेगे उतना ही आप को अपनी सफलता आसान लगेगी
२. दूसरी सबसे जरूरी बात है अपने आप पर यकीन करना , भले कोई भी आप पर यकीन न करे आप कभी भी अपने ऊपर सन्देह न करे। बहुत बार , आप निराश होंगे पर हिम्मत न हारे। हर सफल इंसान , पहले पहले असफल ही होता है इसलिए असफलता से सीखे। उससे मिले सबक को नोट करके रखे।
३. जो कुछ भी आप जानते है उससे लोगो के साथ शेयर करना सीखे। कभी अपने सोचा है कि मैं यह सब क्यू करता हूँ। मैंने जिंदगी में , बहुत सी ख़ुशी , सफलताये पायी है छोटी उम्र में ही खूब नाम हो गया था ( इतना ज्यादा भी नही पर मेरी नजर में काफी -----) . अब मुझे न तो नाम की जरूरत है , न ही पैसे की। न ही यह सब करने से किसी की हेल्प होगी , ऐसा भी नही मानता हूँ। यह सब बस इसलिए कयूकि मुझे इसमें ख़ुशी मिलती है। अच्छा लगता है। आप भी यही भावना रखे। यह दुनिया खूबसूरत है आप कोई अपेक्षा न रखे अपनी क्षमता भर लोगो की हेल्प करते रहे।
४. कुछ भी ऐसा न करे जो आपको मानसिक पीड़ा दे।
५. आपने आप सब कुछ सीखे , यह मत सोचे कि कोई आप को पर्सनल गाइड कर देगा। मेरे पास बहुत बार ऐसे मेसेज आते है , जिनको पढ़ कर यह लगता है कि कोई छोटा बच्चा है जो इंतजार कर रहा है कि कोई उसे चम्मच से पानी पिला दे। यह कभी न होगा। आप ज्यादा से ज्यादा गूगल करे। हर चीज सीखे। जब कभी मुझे डॉ दवा देते है , मै गूगल कर देखता हूँ कि क्या खाने जा रहा हूँ। यानी कुछ दिनों बाद , मै डॉ बनने वाला हूँ ( जस्ट जोकिंग ). मेरा मतलब है गूगल से बहुत कुछ किया जा सकता है।
thanks , keep reading .
all rights reserved .Ⓒ asheesh kumar
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मंगलवार, 19 जुलाई 2016
Every rainy season reminds us something .......
हर बारिश कुछ याद दिलाती है .........
हमारी संस्कृति व् साहित्य में बारिश का
मौसम बहुत ही खास माना गया है . यु तो जब से अहमदाबाद में रहने लगा तब से बारिश के
आनंद से वंचित सा रहने लगा हूँ पर इस साल हमारे शहर में खूब बारिश हो रही है . आगे
बढ़े से पहले नीरज जी वो प्रसिद्ध लाइन्स याद आ गयी
अबकी सावन में यह शरारत मेरे साथ हुयी
मेरे घर को छोड़ सारे शहर में बरसात हुयी
मुझे बारिश में लिखने का बहुत दिनों से मन हो रहा था पर टालता
रहा , पर आज रविवार ,
शाम जब सारा दिन पढ़ते पढ़ते उब गया तो
लगा अब कुछ रच ही लिया जाय . यह अच्छा संयोग है कि बेडरूम की बालकनी वाला दरवाजा
खुला है सामने जोर से बारिश हो रही है .
साहित्य में बारिश के मौसम को उद्दीपन के तौर पर देखा गया है
यानि कि इस मौसम में अपने आप ही कुछ होने लगता है .मुझे लिखने का मन होने लगा .
बहुतायत प्रेम पीड़ा से ग्रस्त लोग भी इसे बरसात का असर मानते है . जायसी ने
पद्मावत में बारिश को विरह से जोड़ कर लिखा है .
बरसे मघा झकोरी झकोरी ...............
उस दिन ऑफिस से जब लौट रहा था मैंने रास्ते में कुछ अनोखा देखा
. आगे एक्टिवा में २ लडकियाँ थी . पीछे बैठी लडकी बारिश में सेल्फी ले रही थी .
आगे एक और एक्टिवा में एक लडकी जा रही थी उसमे भी यही चल रहा था बारिश बस कहने को
हो रही थी यानी वो लडकियाँ सेल्फी खीच कर बारिश का लुफ्त के रही थी . अब
इसमें सोचने वाली बात यह है कि मुझे इसमें विचित्र क्या दिख गया . क्या करू कमबख्त
अपनी नजर ही कुछ ऐसी है जो सामान्य चीजो में असामान्य चीजे देख लेती है . मै हैरान
इसलिए था कि वो इस बात की परवाह क्यू न कर रही थी कि उनका फ़ोन खराब भी हो सकता है
पर क्या फर्क पढ़ता है .. दूसरा यह कि वो सेल्फी ले कर क्या करेगी फेसबुक में या
व्हाट एप पर डालेगी . अगर अज्ञेय जी संवत्सर निबंध पढ़े तो यह सब विचित्र ही लगेगा
. बारिश में भीगना ज्यादा महत्वपूर्ण है या सेल्फी के रूप में उन पलों को कैद करना
......
भीगने से अपने एक प्रयोगधर्मी मित्र याद आ गये जो अक्सर बारिश
में भीगने को इस तरह से वर्णित करते कि किसी का भी मन बारिश में जा कर भीगने का
होने लगे . जब भी बारिश होती वो बाइक पर निकल जाते सडक के किनारे गर्म चाय पीते .
पिछले साल की बात है . वस्त्रापुर लेक पास एक पुस्तकालय से
वापस आ रहा था कि बारिश होने लगी . मै हमेशा बारिश से बचता हूँ पर उस दिन मित्र का
वर्णन याद आ गया इसलिए बाइक रोकी नही चलता रहा . मेमनगर तक मुश्किल से २ किलोमीटर
की दुरी रही होगी पर .... . बारिश के साथ हवा भी चलने लगी मै एक सिंपल हाफ टी शर्ट
में था . मुझे उस दिन जो ठण्ड लगी हमेशा याद रहेगी . हाथ पैर दांत सब कपने लगे .
हिम्मत न हो रही थी कि बाइक रोक दूँ क्यूकि अगर रुकता तो उस दिन घर पहुचने मुश्किल
हो जाता . तब से मुझे बारिश में भीगने का मन नही होता है . हा बारिश आते ही मन
भीगने लगता है . कुछ याद आता . याद आते है गाव में बिताये दिन .
खेतो में पानी भर जाता . बड़े बड़े मेढक निकलते और जोर जोर से
आवाज लगाते . मिट्टी से बहुत सोधी सोधी खुसबू आती . इसी समय बहुत से त्यौहार होते
है . मुझे गुडिया का त्यौहार बहुत पसंद था क्यूकि इस दिन घर से छुट मिलती तालाब
में जाकर नहाने की . मेरे गावं में एक ही बढिया तालाब था जिसे बाबा का ताल कहते थे
. उसमे मैंने घर से छुप छुप कर खूब नहाया है . छुपने की वजह यह थी आस पास के गाव
में बहुत बार लडके तालाब में नहाते वक्त डूब कर मर गये थे इसलिए घर वाले कभी नही
चाहते थे कि तालाब में जाकर कलाबाजी करू . अब वो तालाब सूख गया है . उसके पास एक
खेल का मैदान है जिसमे साल में एक दो क्रिकेट के टूनामेंट होते है .
बारिश के दिनों में ही आम गुठली से छोटे छोटे पौधे
निकलना शुरु होते थे . उनसे हम सीटी बनाते थे . पता नही आज वो सिटी बनती है या नही
. इसमें भी डाट मिलती थी क्युकि बहुत बार आम की गुठली में सांप का बच्चा निकल आता
पर नही सांप ही होता या केचुआ पर घरवाले सतर्क रहते .
जब मै कक्षा ९ पहुचा तो पढने के लिए १० किलोमीटर दूर पहाडपुर
नामक गाँव जाना पड़ा . रास्ता बहुत खराब होता उन दिनों . बीच में बहुत जगह पर पानी
इस कदर भर जाता था कि साइकिल अनुमान से ही चलानी पडती थी . इस अनुमान में बहुत बार
हम रास्ते के बगल में बनी खायी में साइकिल सहित घुस गये है . जब हम घुसे तो और
दोस्त मजा लेते जब वो जाते तो हमे भी खूब मजा आता . हमारे बस्ते में एक बड़ी सी पोलीथिन
होती जो पडोस के आंगनबाड़ी से ली गयी होती जिसमे पजीरी आती . पजीरी आती गर्भवती
महिलाओ, बच्चो के बाटने के लिए होती थी पर वो अक्सर ब्लैक में बिक जाती
जिसे लोग अपनी गाय भैस को खिलाते . बहुत लोगो का दावा था कि इससे दूध में अपार
वर्धि होती है .
तो पाठकों ,
बारिश से मुझे यह सब याद आता है
................अब जब बारिश बंद हो गयी है तो हम भी लिखना बंद कर दे वरना मेरे
पास तो किस्सों की कमी नही आप भी कहेगे की बहुत समय खा गया हूँ .
all rights reserved .Ⓒ asheesh kumar
गुरुवार, 7 जुलाई 2016
Education
"शिक्षा सबसे ताकतवर हथियार है , जिसका इस्तेमाल आप दुनिया बदलने के लिए कर सकते है " - नेलसन मंडेला
वर्तमान समय में जो विसंगतियां दिखती है उसकी बड़ी वजह सब की शिक्षा तक समान रूप पहुंच न होना है। जिस देश , प्रदेश , समुदाय , लिंग को जितनी अच्छी और आधुनिक शिक्षा मिली वो आगे निकल गए। अपने मानवीय पुँजी के बारे में सुना होगा।
भारत जल्द ही सबसे बड़ा आबादी वाला देश बन जायेगा। अगर वह अपने नागरिकों पर शिक्षा , स्वास्थ्य पर सही तरीके से निवेश करता है तो उसे डेमोग्राफिक डिविडेंड का लाभ मिलेगा।
सोमवार, 27 जून 2016
PREPARATION TIPS FOR ECONOMICS
- दत्त & सुंदरम
- डा. लाल & लाल
- रमेश सिंह
- प्रतियोगिता दर्पण का अतिरिक्तक
- NCERT की बुक्स
- इकनोमिक सर्वे
इसके अलावा आप MRUNAL PATEL के VIDEO भी देख सकते है काफी अच्छे है।
गुरुवार, 23 जून 2016
thought/ lines for essay writing
एक निबंध की रूप रेखा -
कभी कभी बहुत अच्छी चीजे पढ़ने को मिल जाती है जिनको पढ़कर मन ,बहुत दूर तक सोचने लगता है. मैंने हाल में कुछ बहुत ही अच्छी बात पढ़ी।
" सारा विश्व पानी की प्रॉब्लम से जूझ रहा है और हमे पता है कि सिंचाई में पानी की जरूरत बहुत ज्यादा होती है। भारत में कुछ क्रॉप्स , बहुत ज्यादा पानी खपत करती है। जैसे धान , गन्ना। हम इनके जुड़े उत्पाद बाहर भी भेजते है। चीन अपने यहां पर ऐसी फसलों को ज्यादा महत्व दे रहा है जो पानी की सिमित खपत करती है। ज्यादा पानी वाली फसले , वह बाहर से आयात कर लेता है।
ऐसे में भारत को भी दूर की सोचते हुये , अपने पानी के सिमित भंडार को सुरक्षित रखने के लिए विचार करना चाहिए. पिछले २ सालो से भारत में सूखा पड़ रहा है। जिसके चलते भारत के बड़ा हिस्सा , सूखे से जूझ रहा है। अगर बात महाराष्ट्र की करें तो एक और लातूर में रेल से पानी भेजना पड़ता है तो दूसरी तरह वह गन्ने का बड़ा उत्पादक है। इस राज्य में पानी की कमी नहीं है कमी है उचित प्रबंधन की।
आने वाले समय में ऐसा कहा जा रहा है की पानी के लिए विश्व युद्ध हो सकता है। भारत की अवस्थिति बहुत अच्छी है। इसके चलते भारत में वर्षा काफी मात्रा में होती है। वर्षा के जल को संरक्षित किया जाना चाहिए।
मंगलवार, 21 जून 2016
kbhir ki famous lines / dohe
यह मेरा नोट्स जैसा है। कभी कबीर पर लिखना पड़े तो इन को आधार बना कर उत्तर लिखा जा सकता है। जो
- मो को कहाँ ढूँढ़े रे बंदे, मैं तो तेरे पास में
- 'घर-घर में वह साईं बसता, कटुक बचन मत बोल रे'
- हिरदा भीतर आरसी, मुख देखणा न जाई/मुख तो तौपरि देखिए, जे मन की दुविधा जाई।'
- 'साईं इतना दीजिए जा में कुटुम समाय।
- मैं भी भूखा न रहूँ, साधु न भूखा जाय।'
- माया तजूँ, तजी न जाय/फिरि फिरि माया मोहे लिपटाय
- काहे रे मन दह दिसि धावै, विषिया संग संतोष न पावै'
- जब आवै संतोष धन, सब धन धूरि समान
- मैं मैं बड़ी बलाई है, सकै तो निकसि भाजि/ कब लग राखौ हे सखी, रूई पलेटी आग'
- कबीर अपने जीवते, एै दोई बातें धोई / लोभ बड़ाई कारणौ, अछता मूल न खोई
- जो तू बामन बामनी जाया, आन बाट तै क्यों न आया / जो तू तुरक तुरकनी जाया, भीतर खतना क्यों न कराया
- 'पाहन पूजे हरि मिले, मैं पूजूँ पहार।
- ताते या चाकी भली, पीस खाय संसार।'
- काँकर पाथर जोरि कै, मसजिद लई बनाय।
- ता चढ़ मुल्ला बाँग दे, बहरो भयो खुदाय।'
- 'निंदक नियरे राखिए'
- सुखिया सब संसार हे, खावै अरु सोवै
- दुखिया दास कबीर है, जागै अरु रोवै।'
- कबीरा खड़ा बजार में , मागे सबकी खैर।
- कबीरा यह संसार है जैसे सेमल फूल
- गुरु गोविन्द दोउ खड़े , काके लागु पाय
- बकरी पाती खात है , ताकि काढ़ि खाल
- जे नर बकरी खात है , उनके कौन हवाल
सोमवार, 20 जून 2016
Your words are so precious
शब्द आपके बहुत कीमती होते है इन्हे बहुत सोच कर , सम्भल कर प्रयोग करें। यह मोती है। इन्हे व्यर्थ में मत खर्च करें।
शुक्रवार, 17 जून 2016
Important book for environment
- वैसे मैंने जुरुरी किताबों पर पहले भी पोस्ट कर चुका हूँ , एक जरूरी बूक बताने को भूल गया था। ईराक भरूचा की environment वाली बूक बहुत ही सरल और सटीक है।
- लगभग सारे प्रश्न इसमें छुपे है।
- यह पुस्तक इसलिए भी जरूरी है क्युकी इसके आधार पर बहुत से एस्से लिखे जा सकते है।
- अगर आप जल्दबाजी में इसे पढ़े तो आपको कुछ भी नहीं मिलेगा।
- इसलिए बहुत सरल तरीके से अंडरलाइन करते हुए पढ़े आपको मजा आएगा।
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निबंध में अच्छे अंक लाने के लिए जरूरी है कि उसमे रोचकता और सरसता का मिश्रण हो.........आज से कुछ लाइन्स या दोहे देने की कोशिश करता हूँ......
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