गुरुवार, 6 अक्टूबर 2016
DUM LGA KE HAISA
सोमवार, 3 अक्टूबर 2016
Positive thinking
सुविचार
जैसे जैसे आप बड़े होते जाएंगे आप पाएंगे कि आपके पास दो हाथ है एक खुद के लिए तो दूसरा लोगों की मदद करने के लिए है-ब्रायन ट्रेसी
सोमवार, 26 सितंबर 2016
A boy with 3rd grade : motivational story
लड़का गाँधी डिवीजन वाला
शीर्षक पढ़ कर शायद आपको समझ में न आये कि मैं क्या कहना चाहता हूँ पर आप उसकी कहानी पढ़े यकीनन आप उससे बहुत कुछ सीखेगें ।
मेरी उससे दोस्ती कब हुयी यह ठीक से याद नही पर एक समय उससे मेरी सबसे गहरी पटती थी । हम दोनों को ही सस्ते , घटिया नावेल पढ़ने का शौक था । केसव पण्डित , रीमा भारती, वेद प्रकाश , गुलज़ार, और न जाने कितने ही नावेल हम दोनों आपस में शेयर कर पढ़े । दरअसल यह नावेल आपस में पूरा गाँव ही पढ़ता था पर खरीदता कौन था यह कभी जान न सका । सब आपस में ही लेन देन चलता था । किसी को कुछ नावेल दो उससे बदले में दूसरे ले लो ।
हम दोनों के पिता ही टीचर थे । मेरे प्राइवेट , उसके सरकारी । हमारे पिता जी से उनके पिता जी की खूब पटती थी । पिता जी से ही पता चला कि उसके पिता उससे बहुत परेसान रहते है । उससे तरह तरह से जलील भी करते है । चूँकि वह 10 और 12 दोनों ही कक्षा में तृतीय डिवीजन से पास हुआ था इसलिए उसे गाँधी डिवीजन से पास है कहकर उसके पिता चिढाया करते थे । गाँधी डिवीजन का मतलब आज समझ में आता है कि गाँधी जी सदा तीसरे क्लास के डिब्बे में चलते थे इसीलिए उस लड़के के पिता उसे गाँधी डिवीजन के नाम से चिढ़ाते और जलील करते थे । वो मुझसे 1 क्लास आगे था ।
उस लड़के ने काफी स्ट्रगल किया । घर में काफी संपत्ति होने के बावजूद , बीच में किसी फैक्ट्री में भी काम करने लगा । मेरा उससे संपर्क काफी पहले टूट गया था । मेरी नौकरी काफी पहले गयी थी और जॉब में आने के बाद मैं काफी रिज़र्व रहने लगा था । रिज़र्व रहने की वजह थी अभी मुझे और आगे तैयारी करने थी । यारी दोस्ती के लिए चाह कर भी समय नही था ।
उसकी खबर मुझे मिलती रही । मुझे ऐसा लगने लगा कि शायद वह भी गाँव की भीड़ में गुम हो जायेगा । पर नही ऐसा नही हुआ।
पिछले दिनों मुझे पता चला कि उसको इक काफी अच्छी सरकारी नौकरी मिल गयी है । एक पल को यकीन न हुआ पर जिसने मुझे खबर दी उसके मुताबिक वह पिछले 2 सालों से शहर में गोपनीय तरीके से तैयारी में लगा था इतना जुनून था कि किसी भी त्यौहार में घर नही आया था।
संपर्क में न होने के बावजूद , मुझे बहुत ख़ुशी हुयी । अभी हाल में घर गया था तो सामने दिख गया पर चाह कर उससे बात न हो पायी वजह भी अजीब थी । दरअसल वो बाइक लिए नल के पास खड़ा था और मैं कार से उधर से निकला था । अगर मैं उसे आवाज देता तो मुझे पता है कि वह जरूर भड़क जाता मैं उसे बहुत अच्छे से जनता हूँ उसमे बहुत ज्यादा ही स्वाभिमान भरा है । शायद किसी दिन हम दोनों किसी रोज अपने आवरण को हटा कर , मिले और सुरेन्द्र मोहन पाठक के नए नावेल पर डिस्कस करे।
दोस्तों, उसने अभी हाल में ही नौकरी पायी है । आज जब हर तरफ 1st डिवीजन का हर तरह बोल बाला है तब भी गाँधी डिवीजन वाले अच्छी नौकरी पा रहे है । इसलिए आप भी बस जुट जाइए । हा , अपनी सफलता की खबर मुझे जरूर देना । सफलता की कहानियां पढ़ने के लिए यहां पर बहुत से पाठक इंतजार करते रहते है ।
Copyright -Asheesh kumar
Dear friends, please give your feedback. मेरा मानना है कि हर किसी की अपनी कहानी होती है । आप भी अपनी कहानी मुझे मुझे mail करिये ashunao@gmail.com पर । आधी अधूरी ही भेज दीजिये , पूरी मैं कर दूंगा ।
गुरुवार, 22 सितंबर 2016
Some lines
अहा जिंदगी का सितम्बर 16 का अंक पढ़ा । उसमें कुछ बहुत अच्छी लाइन्स मिली ।
1 तू अपनी आवाज में गुम है , मैं अपनी आवाज में चुप
दोनों बीच खड़ी है दुनिया आईना ए अल्फाज में चुप
- उबैदुलाह अलीम
2 समाज सामाजिक संबधो का जाल है - मैकाइवर और पेज
3 शब्द संसार में मौजूद सबसे प्रबल शक्ति है । हम इसका प्रयोग सृजन के लिए भी कर सकते है और ध्वंस के लिए भी - येहूदा बर्ग
4- कहती है प्रकति , बसंत की भाषा में
चलो पार्टी की जाय - रोबिन विलियम
शुक्रवार, 16 सितंबर 2016
Set your priority list
काफी दिनों से मुझे मोटिवेशनल पोस्ट लिखने के लिए रिक्वेस्ट आ रही थी। मै इस समय ट्रेन म इ सफर कर रहा हूँ बस बैठे बैठे इस पोस्ट का विचार आया । आशा है पोस्ट यह सबके लिए उपयोगी होगी ।
पायः हम सबकी लाइफ बहुत व्यस्त होती है । समझ में नही आता कि हमारा time कहा चला जाता है । ऐसे में आपके लिए एक बेहद उपयोगी टिप्स बता रहा हूँ आप हर रात सोने से पहले , अगले दिन के लिए plan बना ले । ज्यादा लम्बी चौड़ी लिस्ट नही बस 7 काम जो सबसे जरूरी हो । इससे ज्यादा नही , न ही इससे कम । इन कामों को प्राथमिकता के आधार पर नंबर दे दे । अगले दिन उन सबको जरूर पूरा करे और रात में उनका review करे ।
कहा जाता है कि कोई काम 21 दिन तक लगातार किया जाय तो habit बन जाती है । ऊपर वाली टिप्स अपना कर देखिये । बहुत कुछ बदलाव जरूर महसूस करेंगे ।
Written by -Asheesh kumar
गुरुवार, 15 सितंबर 2016
Experience Matter
पुराने पाठको को शायद मेरी एक लघुकथा याद हो -संत और बेरोजगार । उसमें विजय जी कहानी थी । वास्तव में विजय जी काल्पनिक पात्र न होकर , एक वास्तविक पात्र है । विजय जी , मुझसे एक बात कहा करते थे कि आशीष अनुभव की कोई किताब नही होती है । उनके कहने का मतलब यह था कि हर चीज आप किताबों से पढ़कर नही पा सकते ।
बंजर
मंगलवार, 13 सितंबर 2016
Hindi Day
निज भाषा उन्नति अहे ,निज भाषा सब मूल
बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटय न हिय को शूल
-भारतेंदु हरिश्चंद्र
आप सभी को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाये ।
सोमवार, 12 सितंबर 2016
The Indian Express
जन धन योजना
इंडियन एक्सप्रेस कमाल का और मेरा पसन्दीदा अख़बार है । आज एक शानदार खुलासा किया है इसमें । जन धन योजना से जुड़ा ।
यह सबको पता है कि इस योजना में जितनी तेजी से बैंक में खाते खोले गए उससे गिनीज बुक में रिकॉर्ड बन गया पर उससे जुडी हकीकत बहुत ही शर्मनाक है ।
आज के इंडियन एक्सप्रेस के खुलासे से पता चला कि बहुतायत बैंक खातों में 1 रुपए , 10 पैसे , जितना रुपया खुद बैंक से जुड़े कर्मचारियों ने जमा करा दिए । इससे जीरो बैलेंस खातों की संख्या में तेजी से कमी आई। जुगाड़ निकाल कर बेवकूफ बनाना , भारत में बड़ी आम बात है ।
आज यह सब पढ़ा तो मुझे कुछ याद आ गया । जब यह योजना की शुरुआत जोरों से हुयी थी उन्ही दिनों मेरा अपने शहर उन्नाव जाना हुआ । मैंने अपने मकान मालिक का जिक्र शायद पहले भी किया है उनकी ज्यादा खूबियों का जिक्र न कर बस इतना ही कहूँगा कि डेढ़ सयाना इंसान है । उसने मुझसे पूछा कि इस खाते (जन धन)से क्या फायदा होगा ? मैंने उसे बैंक खाते के सामान्य लाभ बताने शुरू कर दिए । उसने बात काटते हुए कहा कि सरकार कुछ रूपये देगी क्या ? मैं उसकी बात फिर समझ नही पाया । काफी देर बात मुझे समझ आया कि वो काले धन 15 लाख की बात कर रहा है । उसके पास पहले से ही 4 , 5 खाते रहे होंगे । मुझे मन में बहुत हंसी आई उसकी चतुराई या भोलेपन पर यह कह पाना मुश्किल है ।
Copyright -asheesh kumar
गुरुवार, 8 सितंबर 2016
Villages vs. Cities
आप ने यह बात बहुत दिनों या सालों से सुनी होगी कि सरकार का एक लक्ष्य यह भी ही सभी गांव को 24 घंटे बिजली मिल सके । कई योजनाएं भी चल रही है ।
पिछले कुछ दिनों से मुझे यह ख्याल आता है कि यह कभी नही होने वाला है क्योकि बिजली कितनी ही बना ली जाय वह शहर में ही खत्म हो जायेगी । सोचो कैसे । एक example देता हूँ अब शहर में आम लोगो के घरो में भी a.c. दिखने लगा है । बड़े घरो में हर कमरे में यह दिखने लगे है । मुझे ऐसा लगता है कि आने वाले समय में बिजली की खपत शहरों में कई गुना बढ़ने वाली है , बिजली चूँकि मूल्य चुकाने पर ही मिलती है इसलिए जिसके पास आमदनी होगी वह इसे खरीद सकेगा
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