शनिवार, 8 जुलाई 2017

Indo-china relations


भारत चीन सम्बन्ध 

भारत के चीन के साथ सम्बन्ध काफी समय से मधुर चले आ रहे थे। दोनों देशो के बीच व्यापार काफी बढ़ गया है। पिछले माह में चीन द्वारा भूटान के ढोकलंग क्षेत्र में भारतीय सैनिको से मुढभेड़ , दोनों देशों के बदलते सम्बन्धो की झलक भर है। 

चीन की आक्रामक नीति किसी से छुपी नहीं है। विश्व में शायद यही ऐसा देश है जिसका अपने सभी पड़ोसी देशो से सीमा विवाद अभी तक सुलझा नहीं है। दक्षिणी चीन सागर में चीन द्वारा अधिपत्य को लेकर वियतनाम, फिलीपीन्स के साथ विवाद चल रहा है। 

चीन ने भारत का कई जगह पर विरोध किया है। 48 देशो के संघ एन.यस.जी. में  भारत को  मेंबर बनाये जाने का विरोध चीन द्वारा किया जा रहा है। संयुक्त राष्ट की सुरक्षा परिषद के विस्तार में चीन अवरोध बना रहा है। जब भारत ने कुख्यात आतंकवादी मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट में वैश्विक आतंकी घोषित करवाने का प्रयास किया तो चीन ने तकनीकी आधार पर उसे वीटो कर दिया। भारत चीन द्वारा बनाये जा रहे चीन -पाक आर्थिक गलियारा का विरोध करता है क्युकि यह कश्मीर के विवादित क्षेत्र से गुजरता है और यह  भारत की सम्प्रभुता पर चोट पहुँचाता है। भारत चीन की वन बेल्ट -वन रोड पहल का विरोध कर रहा है और भारत के इस विरोध में भूटान ने भी खुल कर साथ दे रहा है। यही वजह है कि चीन भूटान पर परोक्ष रूप से दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। 

ताजा विवाद चीन द्वारा डोकलांग में एक सड़क निर्माण से शुरू हुआ। इस सडक से 40 टन वजन वाले टैंकर गुजर सकते है।  भूटान के साथ भारत की सामरिक संधि है , इसके चलते भारत उसकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। वैसे भी चीन और भूटान में काफी पहले एक समझौता हुआ था जिसके तहत इस क्षेत्र में किसी भी निर्माण पर रोक लगी थी। इस प्रकार इस ताजा विवाद की जड़ चीन की आक्रामक सीमा नीति में छुपी है। यह क्षेत्र भारत की पूर्वोत्तर भारत से सम्पर्क करने वाले चिकन नेक गलियारे के पास है। इसी जगह पर गोरखालैंड में स्वायत्ता को लेकर आंदोलन चल रहा है। इस बात के कई सबूत है कि चीन पूर्व के राज्यों में अलगावाद , हिंसा , चरमपंथ को बढ़ावा देकर भारत के इस हिस्से को अस्थिर करने की कोशिश करता रहा है।  ऐसे में भारत के लिए अपरिहार्य हो जाता है कि वह चीन की आक्रामकता का विरोध करे।

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

गुरुवार, 6 जुलाई 2017

A Story : Sabri



सबरी 

सिविल सेवा में हिंदी साहित्य में एक दुनिया समानांतर में "सबरी " कहानी की कथावस्तु बेहद रोचक , पठनीय है।  कहानी की शुरआत एक पार्टी से होती है जिसमे नायक विमिटो ( शायद यह कोल्ड ड्रिंक थी )  पीता दिखाया जाता है। काफी साल पहले वह कलकत्ता एक शोध के लिए गया था वहां पर मकान मालिक की लड़की से उसका परिचय होता है।   लड़की उस समय शायद कक्षा 9 या 10 में पढ़ती थी। उस समय नायक को यह समझ नहीं पाया कि उस लड़की में उसके प्रति चाहत के भाव है। कहानी में इसे कई तरह से दिखाया गया है मसलन वो अपनी कमर की पेटी खूब कसकर बांधती है , एक बंगाली गीत गुनगुनाती है और भी बहुत कुछ। वह सब कथानायक के लिए ही करती थी।  उन दिनों वो लड़की , कथा नायक से खूब लड़ती थी और वो उसे भींच लेता था। कथानायक की शादी हो गयी है बच्चे भी है और अब जाकर उसे अहसास हुआ कि वो लड़की तो उसे प्रेम करती थी। उसे हर कार्य , तंतु जुड़ते नजर आते है और हर चीज यह अहसास दिलाती है कि वो लड़की उस समय सब कुछ समझती थी। वह भींचे जाने के लिए ही उससे झगड़ा करती थी।   कुछ साल बाद नायक का छोटा भाई उसी घर रहने पहुँचता है और उसी लड़की से वो शादी कर लेता है। कहानी की शुरुआत में जो पार्टी का जिक्र है वो उसी लड़की और छोटे भाई की शादी की है। यह बड़ी ही विडंबना है कि वो उसके छोटे भाई की पत्नी बनती है। सबरी के शीर्षक का आशय जुठेपन से है। जैसे राम कथा में सबरी जूठे बेर राम को खिलाती है। इस कहानी में कथानायक को यह लगता है कि वो सबरी की तरह है।  

एक दुनिया समान्तर की सभी कहानियाँ बेहतरीन है। कितनी ही बार उनको पढ़ा है और हर बार नए संदर्भ , नई समझ विकसित हुयी है। कहानी आप जितनी बार पढते है उतनी ही बार नई नई चीजे पता चलती है। सबरी कहानी मुझे पहले खास न लगी थी पर इस बार पढ़कर बहुत अच्छा लगा पूरी कहानी में प्रतीक , अन्योक्ति के माध्यम से प्रेम का बहुत उम्दा वर्णन हुआ है। 


सोमवार, 3 जुलाई 2017

Prime Minister visit to Israel


प्रधानमंत्री की इजरायल यात्रा के निहितार्थ 


भारत से पहली बार कोई प्रधानमत्रीं पश्चिम एशिया के सबसे महत्वपूर्ण देश इजराइल को अपनी यात्रा के लिए चुना है। भारत की विदेश नीति लिंक वेस्ट का यह एक अहम है। इसके तहत सभी देशों से मधुर सम्बन्ध बनाये रखना है।  

इजराइल के साथ भारत के रक्षा सम्बन्ध बेहद मजबूत है। आधुनिक सैन्य उपकरण , नवीनतम जासूसी उपकरण इजराइल भारत को उपलब्ध कराता रहा है। इस यात्रा में प्रधानमंत्री ने कुछ नए क्षेत्रो यथा साइबर सुरक्षा , जल प्रबंधन आदि सहयोग सम्बन्ध विकसित करने की बात कही है।  

इजराइल की ख्याति विश्व में सबसे आधुनिकतम जल प्रबंधन तकनीक विकसित करने के तौर पर भी है। शहरी अवशिष्ट जल शोधन , समुद्री खारे जल का शोधन , सूक्ष्म सिचांई तकनीक में इजराइल विश्व में काफी आगे है। भारत एक कृषि प्रधान देश है। यद्धपि भारत में काफी बारिश होती है तथापि यह देश सही , कारगर जल प्रबंधन के आभाव के चलते हर साल बाढ़ और सूखा दोनों ही आपदाओं से जूझता है। महाराष्ट में जल को ट्रैन से पहुंचाया जाना , दिखलाता है कि किस तरह से जल प्रबंधन का आभाव, आर्थिक व सामाजिक विपदा बन सकती है। भारत की 7000 किलोमीटर लम्बी समुद्री सीमा में कुछ जगहों पर समुद्री जल शोधन तकनीक विकसित की गयी है। इजराइल के साथ जल शोधन तकनीक में सहयोग भारत के लिए नए द्वार खोलेगा। 

आने समय में जल को लेकर तीसरा विश्व युद्ध होने की होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। ऐसे में जो देश जल प्रबंधन में सफलता हासिल करेगा वही अपने नागरिकों को खाद्य सुरक्षा , पेयजल उपलब्ध करा सकेगा।  

साइबर सुरक्षा आज के समय की सबसे महत्वपूर्ण जरूरत है। इसके आभाव में किसी भी देश की सारी व्यवस्था , ठप पड़ जाएगी। मई में वाना क्राई नामक रैनसमवेयर ने सारे विश्व में तबाही मचाई थी। अभी हाल में पैटिया नामक साइबर हमले ने यूक्रेन सहित विश्व के कई देशो में तबाही फैलाई है। इस साइबर हमले को वाईपर हमला कहा जा रहा है क्युकि यह फाइल्स को इस तरह से नष्ट करता है जिसे पुनः रिकवर नहीं किया जा सकता है। इसीलिए इस हमले को किसी देश द्वारा प्रायोजित माना जा रहा है जिसको साइबर फिरौती के बजाय किसी देश को पंगु करने में ज्यादा रूचि है।  

भारत में समय समय पर चीन , पाकिस्तान से हैकर साइबर हमला करते रहे है। ऐसे में भारत का इजराइल के साथ  साइबर सुरक्षा में सहयोग भविष्य को देखते काफी अहम होगा।   

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  




शुक्रवार, 30 जून 2017

Goods and Service Tax : Importance

वस्तु और सेवा कर के मायने 


1 जुलाई 2017 भारत के लिए बेहद अहम दिन बन गया। लम्बे से टल रहे वस्तु एवं सेवा कर को बड़ी धूम धाम से लागू कर दिया गया है। एक राष्ट और एक कर के नारे के साथ लागू किये कर को आम नागरिक के साथ साथ खास नागरिक को यह समझने में दिक्क्त आ सकती है कि जब क्रेन्द्र, राज्य व संघ राज्य क्षेत्र  के लिए अलग -अलग जी यस टी लागु किये जा रहे है और करों की दर चार प्रकार ( 5 , 12 , 18 और 28 प्रतिशत ) की रखी गयी है तब उस एक कर और एक राष्ट के नारे के मतलब क्या हुआ ?  

मानव का यह मूल स्वभाव है जब कोई बड़ा बदलाव होता है तो उसे स्वीकार करने में हिचकिचाता है वजह उसे बने बनाये ढर्रे में  रहने की आदत पड़ चुकी होती है। वस्तु एवं सेवा कर को लेकर भी यही बात कही जा सकती है। पिछले सदी के अंतिम दशक में जब बैंक में कम्प्यूटर लगाए गए तो उनका जम कर विरोध किया गया था , ऐसी आशंका व्यक्त की गयी थी कि यह बैंक में रोजगार को सीमित  कर देंगे। जबकि आज कम्प्यूटर के बगैर बैंक की कल्पना नहीं की जा सकती है। 

जी यस टी के लिए भले अभी राष्ट की तैयारी पूरी न हुयी हो पर इसे लागु करने में देर नहीं की जा सकती है। अप्रत्यक्ष करों में इनपुट क्रेडिट की चोरी बहुत बढ़ गयी थी। फर्जी इनवॉइस लगा कर क्रेडिट लेकर कंपनी बड़ी मात्रा में कर चोरी कर रही थी। इनपुट क्रेडिट की चोरी को लेकर लाखों केस विभिन्न कोर्ट , ट्रिब्यूनल में चल रहे है। वस्तु एवं सेवा कर की सबसे अच्छी बात इनवॉइस का डिजिटल होना है। इसमें एक चैन की तरह इनवॉइस में दर्ज वैल्यू आगे बढ़ेगी , इसके चलते इनपुट क्रेडिट की चोरी नहीं की जा सकेगी। इनपुट क्रेडिट लेने के लिए वस्तु एवं सेवा कर के नेटवर्क में आना ही पड़ेगा। इस तरह से टैक्स बेस भी बढ़ने की आशा की जा रही है। भारत में विकसित देशो की तुलना में कर आधार बेहद निम्न है।

 वस्तु एवं सेवा कर में डिजिटल व्यवस्था के चलते पारदर्शिता आएगी जिसके चलते सरकार की आय बढ़ेगी जिससे सरकार के पास सामाजिक व्यय करने की क्षमता बढ़ेगी।  इस प्रकार वस्तु एवं सेवा कर भारत के आर्थिक क्षेत्र के साथ साथ सामाजिक क्षेत्र में भी बदलाव लाएगा।     

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

गुरुवार, 29 जून 2017

New time zone for north east state


पुर्वोत्तर भारत के लिए नया टाइम जोन


भारत के पूर्वी प्रदेशो से नए टाइम जोन की मांग लम्बे समय से की जा रही है। हाल में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री की ओर भी इसकी मांग की गयी है। इस मांग के पीछे कई महत्वपूर्ण पहलू देखे जा सकते है। पूर्वोत्तर प्रदेशो में लगभग ४.30  बजे सवेरा हो जाता है और शाम को ४.30  बजे से अंधेरा होने लगता है। ऐसे में सरकारी कार्यलय का समय १० बजे से शाम ६ बजे होने के चलते पूर्वी भारत में जनबल तथा ऊर्जा का समुचित लाभ नहीं मिल पाता है।

अगर उस क्षेत्र के लिए नया टाइम जोन बना दिया जाएगा तो पूर्वी भारत के विकास में तेज गति आएगी। भारत म्यांमार से होते हुए थाईलैंड तक रोड बनाने की पहल कर रहा है। आज नहीं तो कल उसे पूर्वी एशिया से रोड के माध्यम से जुड़ना होगा। ऐसे में भारत के मध्य भाग से पूर्वी भाग का समय में लगभग २ घंटे का अंतर् , विकास  व्  उद्यमिता को गहरे से प्रभावित करेगा। भारत  सरकार एक्ट ईस्ट पर काफी समय से जोर दे रही है। इस पहल के तहत सरकार पहले की तुलना में ज्यादा सक्रिय , प्रभावी एवं जनपयोगी नीति अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है। कुछ समय पहले भारत सरकार ने पूर्वोत्तर भारत को तेज , सुविधजनक तथा सुरक्षित संपर्क साधन के तौर पर लोहित नदी  सादिया - धोला  पुल दिया है। यह सही समय है कि भारत पूर्वी भारत के लिए काफी समय से उठ रही माँग के तौर पर नए टाइम जोन को स्वीकार कर ले। भारत इस मामले में विश्व के बड़े देशो जैसे रूस से सबक ले सकता है जहां पर  11 टाइम जोन है। भारत  पड़ोसी तथा चिर प्रतिद्वंदी देश चीन में 5 टाइम जोन प्रयोग में लाये जाते है। 

 पूर्वोत्तर भारत के लिए नया टाइम जोन अपना कर भारत उस भाग के जनबल , प्राकतिक संसाधन का ज्यादा बेहतर , कुशल व प्रभावी दोहन कर सकेगा। पूर्वोत्तर भारत के विकास के लिए वहां के पर्यटन में असीम सम्भावनाये छुपी है जो एक मानक व व्यवहारिक समय जोन न होने की वजह से पूर्ण रूप में विकसित न हो सकी है।   आज के इस तेज , गतिशील विश्व में जहां पर पल पल की बहुत कीमत हो गयी है , भारत के लिए 2 घंटे व्यर्थ गुजरे यह उचित नहीं कहा जा सकता। भारत सरकार को इस मसले पर विचार करना चाहिए। 

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश। 

बुधवार, 28 जून 2017

India & America Bilateral relations


प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा के मायने 


अमेरिका में नए राष्ट्पति के चुने जाने के बाद भारत के प्रधानमंत्री की पहली  अमेरिका यात्रा कई मायनों में बेहद अहम व समय की मांग के अनुरूप है। कुछ समय पहले अमेरिका ने पेरिस जलवायु संधि से अपने को अलग करते हुए चीन के साथ साथ भारत पर बेहद गंभीर आक्षेप लगाए थे। उससे पूर्व भारतीयों के वीजा को लेकर भी अमेरिका का रुख नकारात्मक रहा था।  

भारत ने इस यात्रा से  अमेरिका से आधुनिक ड्रोन की प्राप्ति , पाक में शरण पाए एक आंतकवादी को वैश्विक आतंकवादी घोषित करवाने जैसी उपलब्धि हासिल की है। यहाँ विदित हो कि भारत पहला गैर नाटो देश है जिसके साथ अमेरिका ने ड्रोन का सौदा किया है। इससे भारत को अपने तटीय सुरक्षा और सीमा पर घुसपैठ रोकने में  में मदद मिलेगी।  

भारत को संयक्त राष्ट की सुरक्षा परिषद में सदयस्ता , नुक्लेअर सप्लायर ग्रुप में मेंबर बनने के लिए अमेरिका के समर्थन की अहम जरूरत है।  चीन के बेल्ट और रोड पहल के सफल प्रतिरोध के लिए , भारत अमेरिका का अच्छे से स्तेमाल कर सकता है। इस समय भारत के रूस के संबंधो में गिरावट आयी है। रूस का पाक और चीन के साथ गढजोड़ बनता नजर आने लगा है। ऐसे में भारत को  एशिया के साथ साथ विश्व में अपनी प्रभावी  भूमिका   बनाये रखने के लिए भारत को अमेरिका के साथ अपने रिश्तो को मधुर बनाये रखना ही होगा। 

आशीष कुमार ,
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।   

शुक्रवार, 23 जून 2017

other aspects of yoga



योग के दूसरे पहलू 


२१ जून को को तीसरा विश्व योग दिवस मनाया गया। भारत की इस अदभुत प्राचीन कला की लोकप्रियता , पिछले कुछ दशक में बहुत तेजी से बढ़ी है। इस समय विश्व के सभी भागों में योग से लोग परिचित हो रहे है। स्वास्थ्य रक्षा के लिए योग का  कोई विकल्प नहीं। 

यह समय भारत के लिए कई तरह से स्वर्णिम कहा जा सकता है। योग की खोज भारत में की गयी थी , यह बात विश्व ने जान और मान लिया है। अब समय है भारत को इस में वैश्विक नेतृत्व करने की। हार्वर्ड विश्वद्यालय के प्रोफेसर जोसफ  नुए ने जिस सॉफ्ट पावर की बात की थी , उसमें भारत योग के माध्यम  से बढ़िया भूमिका निभा सकता है। 

इस समय सारा विश्व तनाव , अकेलापन , अलगाव , हताशा जैसी मानसिक व्याधियों से जूझ रहा है। भारत योग के माध्यम से सारे विश्व को इन समस्याओं से मुक्ति दिला सकता है साथ ही भारतीय संस्कृति के सुंदर पहलुओं से परिचित करा सकता है। 

ऐसोचैम की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में योग के लिए 3 लाख गुरुओं की आवश्यकता है। इस पता चलता है कि हमारी योग को लेकर तैयारी अभी निम्न स्तर पर है। अगर भारत के लिए योग गुरु कम है तो विश्व को भारत कैसे योग प्रशिक्षक उपलब्ध कराएगा। कहने में भले अनुचित लगे पर योग को आर्थिक लाभ की नजर से भी भारत को देखना होगा। योग को अगर सेवा क्षेत्र का एक अभिन्न अंग मानते हुए , भारत को इस क्षेत्र के लिए सही कदम उठता है तो इसमें अपार सम्भावनाये छुपी नजर आएँगी। 

अगर भारत योग को आधुनिक तकनीक से जोड़कर भारत वर्चुअल क्लास शुरू करे तो विश्व भारत को अन्य को मुकाबले वरीयता देगा। एक बार भारत सांस्कृतिक स्तर पर विश्व में बढ़त लेता है तो उसे वैश्विक नेता बनने से कोई नहीं रोक सकता। भारत को योग की शिक्षा प्राथमिक स्तर से शुरू करने के साथ , प्रशिक्षको के लिए विशेष कोर्स चलाने चाहिए। 

प्रायः विविध  वैश्विक रिपोर्ट में इस तरह की अक्सर बात कि जाती है कि भारत में महिलाओं की भागीदारी श्रमबल में बहुत कम है। योग गुरु के तौर पर भारतीय महिलाएं बढ़िया भूमिका निभा सकती है। इससे न केवल उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा , साथ ही उनकी आय भी हो सकेगी। इस तरह से यह भी माना जा सकता है कि योग  ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में भारत को उच्च स्थान प्राप्त करने में सहायक होगा। 


आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश। 

बुधवार, 21 जून 2017

ADHAR CARD



आधार कार्ड की अनिवार्यता

आधार कार्ड को हाल में ही बैंक खाते के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। आकंड़ो के अनुसार 129  करोड़ आबादी वाले भारत देश में 117 करोड़ आधार कार्ड उपलब्ध करा दिए गए है। आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर समय समय पर सवाल उठाये जाते रहे है। 

इससे पूर्व इनकम टैक्स एक्ट की धारा 139 AA के माध्यम से इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए भी पैन कार्ड के साथ आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया गया था। इस मामले में दायर एक याचिका में सर्वोच्च न्यायलय ने हाल में एक फैसला सुनाया है। निजता बनाम सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता में न्यायलय का रुख सरकार के अनुरूप रहा है। 

आधार कार्ड पर सरकार इसलिए जोर दे रही है क्युकि इस कार्ड को बनवाने के लिए व्यक्ति को बायो मीट्रिक पहचान देनी होती है जिसके चलते इस को फर्जी बनवा पाना कठिन है। भारत जैसे देश में विविध योजनाओ में रूपये का बहुत रिसाव होता रहा है। काफी पहले राजीव गाँधी ने कहा था कि दिल्ली से जारी 1 रूपये में मात्र 15 पैसे ही वांछित व्यक्ति तक पहुंच पाते है। चाहे पैन कार्ड हो , या राशन कार्ड या फिर ड्राइविंग लाइसेंस , बड़ी संख्या में लोग फर्जी   तरीके से इसे बनवा लेते है। 

आधार कार्ड का उपयोग निश्चित ही नवाचारी कहा जा सकता है।  आज नहीं तो कल इसे अपना ही पड़ेगा। इसलिए इसका विरोध उचित नहीं कहा जा सकता। इसके साथ ही सरकार को आधार कार्ड के डाटा की गोपनीयता का विश्वास दिलाना होगा।

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।        

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