TOPIC 42
निरपेक्ष कैसे रहा जा सकता है ?
पिछले दिनों कई मित्रो ने मुझे हिंदी से जुड़े आंदोलन की कई पोस्ट से मुझे टैग किया पर कमेंट करना तो दूर लाइक भी न किया पता नही क्यू। ऐसा लगता था कि इससे उदासीन ही रहू तो बेहतर है। वजह बेहद साफ है। मुझे डर लगता था कि मन जो रोष भरा है उसे संतुलित तरीके से कैसे व्यक्त करू।
कल शाम को एक मित्र से बातो बातो में लगा कि इससे निरपेक्ष कैसे रहा जा सकता है। दिल्ली में आंदोलन की कुछ तस्वीरें देखी जिसमे रात में सड़क पर साथी लेटे है। इन सबसे कोई कैसे और कब तक निरपेक्ष रह सकता है खास कर जब इसी बात की ताजी ताजी मार खुद खा चूका हो।
हमारी भी कुछ सीमाये है। कुछ नियमो के अधीन है। इस लिए विशेष कर अपने इस पेज पर हमेशा संतुलित और अनुशासित पोस्ट की है। इस पोस्ट को भी बहुत चुन कर , नपे तुले शब्दों में लिखने का प्रयास कर रहा हूँ। मेरा विशेष निवेदन है कि प्लीज इस पेज की गरिमा बनाये रखना। गंभीर , अनुशासित टिप्पणी का स्वागत रहेगा।
मन्नू भंडारी की नावेल महाभोज में एक पात्र है विशू। अपनी दशा भी कुछ वैसी ही है। हाल में जिस तरह से लोग अपने अधिकार की मांग कर रहे है वो तो होना ही था। मै इतनी बारीकी से उस पर नजर नही रख पा रहा हूँ। अपने कुछ अनुभव जरूर शेयर करुगा और आप देखेगे की हिंदी की आयोग में इतनी दुर्गति क्यू है।
सभी को लगता है कि हिंदी से आयोग में इंटरव्यू दिया जा सकता है पर सच इससे इतर है। मेरा इंटरव्यू एक मैडम के बोर्ड में पड़ा था जिनके बारे में मशहूर है कि वो बहुत मूडी है। उनका पहला प्रश्न था कि what is conventional energy sources ? आज मै केंद्रीय सरकार में कार्य कर रहा हूँ काफी हद तक इंग्लिश समझ और बोल सकता हूँ। पर उन दिनों मै ऐसा न था। मुझे कन्वेंशनल का मतलब समझ में नही आया। मैंने अनुमान से कहा कि आप नवीकरणीय ऊर्जा की बात कर रही है। मैडम ने बहुत अजीब नजरो से देखा और कहा तुम्हे कन्वेंशनल का मतलब नही पता। खैर बात इतनी नही थी। रूम के कोने में दुभाषिया बैठा था। मैडम ने उनकी और देखा। उसने मेरी और देखते हुए कहा अरे कन्वेंशनल मतलब कन्वेंशनल …… . मैडम ने उसकी ओर और तीखी नजरो से देखा। तो वो अपने सर में हाथ मरते हुए बोला कि वो दिमाग में है पर जुबान में नही आ रहा है कि कन्वेंशनल का हिंदी में मतलब क्या होता है ? अब बाकी आप पाठको पर छोड़ता हूँ कि हिंदी की आयोग में इस दशा पर क्या टिप्पणी करनी चाहिए।
बातें बहुत सारी है धीरे धीरे लिखता रहूँगा पर जो लोग इस बार २४ अगस्त को pre देने जा रहे है उनसे यही कहुगा। आप उस पर ज्यादा या कहु पूरा ध्यान दे। वरना इस बार pre में ही बाहर हो गए तो हिंदी २६ से और कम पर सिमट जाएगी। अब अधिक दिन बचे नही है और बार pre मेरे अनुमान से सबसे कठिन होने वाला है। हाँ अगर आप इस बार pre में भाग नही ले रहे है और किसी के अधीन कार्यरत नही है तो इसमें जरूर प्रतिभाग करे। यह हमारी अस्मिता का प्रश्न है। इससे निरपेक्ष रह कर आप सकून से नही रह सकते।
मुझे लगता है कि दिल्ली में बत्रा सिनेमा के बगल में कुछ साथी जमा हुए है। काश मै वहाँ एक भाषण दे पाता
!
मांगो में मुझे कुछ सबसे जरूरी चीजो का आभाव दिख रहा है। सबसे बड़ी मांग होनी चाहिए आयोग में हिंदी से जुड़े लोगो को मेंबर बनाया जाये। आपको तो पता ही है हिंदी को आज इस दशा में में लाने के पीछे कुछ प्रयोगधर्मी लोगो का हाथ है।
दूसरा सबसे जरूरी , हिंदी की जो कॉपी चेक करते है। उनको अपने दिमाग में भी यह बात लानी चाहिए कि १० अंक से सवाल में ८ अंक भी दिए जा सकते है। हिंदी में ऐसा पता नही क्यू है शुरू से देख रहा हूँ पूरे अंक देना अच्छा नही माना जाता है। इंग्लिश बोर्ड में ९५ या ९८ प्रतिशत अंक लाना बहुत आम बात है। हिंदी में इधर कुछ सालो में ९०, ९२ प्रतिशत अंक आने लगे है वरना पुराने दिन तो याद ही है आपको। मेरे कहने का मतलब बस इतना है कि हिंदी की कॉपी भी इंग्लिश की तरह कुछ उदार हो कर चेक की जानी चाहिए।
( समय का बहुत आभाव है बहुत कुछ लिखा जाना शेष है फिर किसी रोज। कुछ लोग मेरे नाम को कमेंट में लिख देते है। प्लीज , पर्दे में ही मुझे रहने दे। नाम को आगे रख पुरे मन से न लिख पाउँगा। )