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मंगलवार, 18 मार्च 2014

HOW TO START PREPARATION FOR UPSC

तैयारी की शुरुआत कैसे करे
प्रिय मित्रो ,  इस मंच के माध्यम से बहुत से नये साथियो से परिचित होने का अवसर मिल रहा है। कुछ ने मुझे मेसेज कर पूछा है कि बगैर कोचिंग के सफलता कैसे पायी जा सकती है , कहाँ से शुरुआत करें ? आज उनको ये पोस्ट समर्पित है।  

इस संसार में असंभव कुछ भी नही है बस डगर कठिन है। मैंने अभी तक सभी एग्जाम बगैर कोचिंग किये ही पास किये है।  सिविल सेवा के इंटरव्यू तक पहुचा हूँ। कुछ लापरवाही कहे या जॉब की व्यस्तता , अंतिम रूप से सफलता न मिल पायी है। हमारी विडंबना यही है कि जब हमारे पास समय खूब होता है तब संसाधन नही होते और जब हम संसाधन जुटा लेते है तो समय नही होता है कि कई घंटे लगातार पढ़ाई कर सके। यहाँ से दो तरह के लोग सामने आते है एक वो जिनके पास संसाधन का अभाव है पर समय खूब है दूसरे वह जिनके पास समय का अभाव है पर संसाधनो का नही ( जॉब करते हुए तैयारी करना ) दोनों लोगो के लिए अलग अलग रणनीति है। (वैसे मैंने "जॉब करते हुए तैयारी कैसे करे " लिख रखी है जल्द ही उसे भी पोस्ट करुगा। ) यहाँ पर मै संक्षेप में सभी के लिए उपयोगी शुरुआती चरण लिख रहा हूँ। 

सबसे पहले आप एक अपनी निजी डायरी बनाये। उसमे अपने विचारो को लिखना शुरू करे तय करे कि आप को कैसे , चुनौतियों से निपटना है। अपने प्लान उसमे में लिखते रहे। प्रायः हम बहुत से अच्छे प्लान बनाते है पर उन पर अमल नही कर पाते है। आप की निजी डायरी आप याद दिलाती रहेगी कि आप को क्या करना है।

सिविल सेवा का विज्ञापन उसकी वेबसाइट से डाउनलोड करे। विज्ञापन से आप को आवश्यक योग्यता , उम्र सीमा , अवसरों की संख्या पता चल जायेगी। 

मुख्य परीक्षा के लिए अपनी रूचि के अनुकूल विषय का चयन करें।  उसके लिए जरूरी सामग्री जुटाए , नोट्स बनाना प्रारम्भ  कर दे। इतिहास और हिंदी साहित्य विषय की तैयारी मेरे साथ इस पेज के साथ कर सकते है ( आने वाले दिनों में मै मुख्य परीक्षा में पूछे गये प्रश्नो का हल इस पेज पर पोस्ट करने वाला हूँ। हमारे साथ बने रहिये )

प्रारंभिक  और  मुख्य परीक्षा दोनों चरणों  के पुराने प्रश्न पत्र संघ लोक सेवा आयोग की वेबसाइट से डाउनलोड कर ले। 

कैसे प्रश्न आते है और कहाँ  से आते है इसको समझने की कोशिस करे। यह सबसे महत्वपूर्ण प्रकिया है।  यह चीज सीख गये तो सफलता मिलने में अधिक देर नही लगेगी। 

मुझे लगता है कि शुरुआत के लिए इतना काफी है। समय समय पर मै इस लेख को बढ़ाता रहूगा। कल मै सामान्य अध्ययन के लिए 5 सबसे महत्वपूर्ण किताबों की बात करुँगा। ( पोस्ट कैसी लगी कृपया टिप्प्णी करे।  कुछ जगहो पर भाषागत अशुद्धि दिख सकती है पर आप भाव लीजिये। हिन्दी में पोस्ट करना समयजन्य कार्य है। एक और विशेष बात , कई बार मै ऑनलाइन मोबाइल के माध्यम से होता हूँ उस पर बात कर पाना कठिन है। आप अपने मेसेज डाल दीजिये , समय मिलते ही आप को जबाब दूँगा।  





















Essay on success in Hindi (3)

विषयः- सफलता योग्यता निर्भीकता और साहस से मिलती है। (तीसरा और अंतिम  भाग )
                                      आशीष कुमार


सफलता के इन महत्वपूर्ण गुणों  के साथ साथ व्यक्ति में लगातार जूझने की क्षमता होनी चाहियें। परिस्थितियाॅ कैसी भी क्यों न हो सदैव हैासला बनाये रखना चाहिये। इसके बाद भी यदि असफलता मिलती है तो आचार्य श्री राम शर्मा के कथन पर विचार करना चाहिये। वे कहते हैं कि असफलता बताती है कि कार्य पूरे मन से नहीं किया गया है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी कमजोरियों से वाकिफ रहता है। ऐसा नहीे है कि विजेता के अन्दर कोई कमजोरी नही होती है। विजेता निरतंतर अपनी कमजोरियों पर विजय पाने का प्रयास करता रहता है।
इस संदर्भ में शिव खेड़ा का कथन याद आता है कि विजेता कोई अलग इंसान नही होते है वरन् उनके काम करने का तरीके अलग होते है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप लीक से हटकर कितना सोच सकते है। इन बातो का ख्याल रखें आप निश्चय ही सफलता का वरण करेंगे।
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उक्त विवेचना से स्पष्ट है कि सफलता के लिये आपकी पृष्ठभूमि , आपके संसाधन कतई मायने नहीं रखते हैं। पृष्ठभूमि एवं संसाधन की बात इसलिये कर रहा हूॅ क्योकि असफल व्यक्ति का इन बिन्दुओं पर जोर सर्वप्रथम रहता है कि उसकी पृष्ठभूमि कमजोर थी उसके पास संसाधन नहीं थे। वास्तव में सफलता में पृष्ठभूमि और संसाधन की भूमिका अति सीमित होती हैं। सफलता तो योग्यता, निर्भीकता और साहस से मिलती है।

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रविवार, 16 मार्च 2014

Essay on success in Hindi (2)

विषयः- सफलता योग्यता निर्भीकता और साहस से मिलती है। (दूसरा भाग )
                                      आशीष कुमार

विषय पर आगे बढ़ने से पूर्व सफलता के लिये आवश्यक तीनों गुणों का विश्लेषण कर लिया जाय।सफलता के सबसे पहला गुण है-योग्यता। व्यक्ति को अपनी योग्यता के अनुरूप लक्ष्य निर्धारित करने चाहिये। यदि आपके लक्ष्य बहुत बडे़ हैं तो निश्चित तौर पर आपको उसी अनुरूप अपनी योग्यता का दायरा बढ़ाना होगा। इस बात ख्याल हमेशा रखना होगा कि योग्यता के अभाव में लक्ष्य भले ही कितना आकर्षक,सुंदर क्यों न हो असफलता से दो चार होना तय है।
सफलता के लिये दूसरा अपेक्षित गुण है निर्भीकता। निर्भीकता का तात्पर्य भय रहित होने से है किसी विद्वान ने क्या खूब कहा है कि यदि आपको लगता है कि आप हार जायेगें तो निश्चित तौर आप हार जायेगें। सच तो यह है कि सफलता व्यक्ति की सोच पर निर्भर करती है। एक निर्भीक व्यक्ति की सोच कभी नकारात्मक नही होती है। भय से रहित मन में संशय नहीे होता है। वह सिर्फ सफलता के बारे में सोचता है उसे असफलता का भय नहीें सताता है इसी से वह सफलता के आवश्यक कर्म पूरे मन से कर पाता है।
सफलता के लिये तीसरी अपेक्षा व्यक्ति के साहसी होने की है। साहस के अभाव में तो पवनपुत्र हनुमान भी संशयग्रस्त थे। जामवंत ने जब उन्हें उनकी शक्ति की याद दिलाई यह कहते हुये कि का चुप साधि रहा बलवाना  तभी वह समुद्र को पार कर सके। सच्चा साहसी व्यक्ति कभी निराश नहीं होता है। साहस के चलते व्यक्ति अप्रत्याशित सफलतायें पा सकता है। वास्तव में साहसी व्यक्ति ही महत्वाकांक्षी लक्ष्यों का निर्धारण करता है। वह सफल हो पायेगा कि नहीं ऐसे विचार उसके मन में कभी नहीं आतें हैं। सिविल सेवा में सफल टापर्स के साक्षात्कार में इसकी पुष्टि होती है। बहुत ही सामान्य पृष्ठभूमि के टापर्स ने स्वीकारा कि उनकी सफलता में साहस की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रही है।

Essay on success in Hindi (1)

विषयः- सफलता योग्यता निर्भीकता और साहस से मिलती है।
                                      आशीष कुमार

स्वामी रामतीर्थ ने सफलता का सूत्र बताते हुये बड़ी अच्छी बात कही है वे कहते हैं कि अपने आपको योग्य बना लो सफलता स्वयंमेव तुम्हारे पास आ जायेगी। विडम्बना है कि आज का मनुष्य सफलता की घोर आकांक्षा रखता है पर योग्यता को जरा भी महत्व नहीं देता है।
इतिहास के किसी भी काल पर नजर डाले तो कोई भी सफल विजेता/शासक में तीन गुण निश्चित तौर पर मिलेंगे । वह योग्य होगा निर्भीक होगा और उसमें साहस कूट कूटकर भरा होगा। वास्तव में सफलता इन्हीें तीन गुणों पर निर्भर करती है। इतिहास में कितनी ही घटनाओं में मिलता है कि मुठ्ठी भर सेना नें हजारों लाखों की सेना पर विजय पायी। वास्तव में भले ही ऐसी सेना भले ही संख्या में कम थी पर उनमें साहस की कमी न थी। उनके सेनानायक निर्भीक थे।
वास्तव में सफलता का मूलमंत्र इन्हीं तीन गुणों पर आधारित है। यह देश काल से परे हैं। अतीत में भी इनका महत्व था। वर्तमान में भी है और भविष्य में भी सफलता इन्हीं गुणों पर निर्भर करेगी।
आज के प्रतिस्पर्धा भरे युग मे सफलता चंद लोगों को ही मिल पाती ज्यादातर व्यक्ति असफल हो जाते हैं। ऐसे असफल अपनी कमियों पर घ्यान न देकर अपनी असफलता का दोष दूसरे पर मढ़ देते हैं। (यह निबंध कुछ दिनों पहले एक पत्रिका के लिए लिखा था कुछ बड़ा है इसलिए तीन भागो में पोस्ट करुगा। सभी मित्रो को होली की हार्दिक शुभकामनाये )

शनिवार, 15 मार्च 2014

WE ARE ON FACEBOOK NOW

दोस्तों , मुझे खुशी हो रही है कि मैंने कुछ सार्थक कार्य शुरू किया है। बहुत तेजी से नये मित्र हम तक पहुँच रहे है। आज से मै आप से नियमित संवाद  करता रहूगा।  अब समय है आप के बारे में जानने का और हमारे बारे में भी।  इस पेज पर आपको आईएएस के लिए सामग्री से ज्यादा , उससे जुड़े अनुभव के बारे में पढ़ने को मिलेगा। कहा भी गया है कि अनुभव कि कोई किताब नही होती है यह आप को खुद जानना होता है।
इस पेज पर कुल चार तरह के लोग आ सकते है।  पहले वो जो अभी शुरुआत करने जा रहे है (सबसे ज्यादा ) दूसरे वो जो तैयारी कर रहे है (सबसे महत्वपूर्ण क्योकि अनुभवी है ) तीसरे वो जो मैदान से बाहर हो चुके है  चौथे वो जो सफलता पा चुके है (दुर्लभतम )
जो मेरे लिए नये है कृपया  आप मुझे मेसेज कर बता दे कि आप किस वर्ग में है चाहे तो आप सार्वजानिक तौर पर पोस्ट कर सकते है।   ताकि मुझे पता चले कि कैसी पोस्ट करना ज्यादा जरूरी है।
कुछ अपने पेज के बारे में। मै इस पेज में अभी मोटिवेशनल पोस्ट ज्यादा करुँगा। 24 अगस्त 2014 को प्रारम्भिक परीक्षा होगी। 20 दिसंबर २०१४ से मुख्य परीक्षा होनी है।  मई माह से आपको मै मुख्य परीक्षा के लिए उत्तर लेखन से जुडी पोस्ट प्रस्तुत करने कि कोशिश  करुगा। जून से अगस्त तक   प्रारम्भिक परीक्षा पर जोर रहेगा।
आप से निवेदन है कि यहाँ पर सामग्री से ज्यादा आप आईएएस से जुड़े अनुभव प्रस्तुत करे।  ज्यादा नही तो कम से कम इस दिनों आप क्या पढ़ रहे है इतना ही पोस्ट कर दे। हिन्दी में पोस्ट करना  जटिल है पर अगर कर सकते है तो जरुर करे। हिंदी में पढ़ना ज्यादा अच्छा लगता है।
(इस पेज पर आप और मुझ में कोई अंतर नही है बस साथ साथ चलना है। उन दोस्तों का विशेष तौर पर धन्यवाद जो इस पेज के साथ अपना जुड़ाव समझ कर यहा पर  ज्यादा से ज्यादा सक्रियता दिखा रहे है। मै आपसे कल तक के लिए विदा लेता हुँ धन्यवाद )
IAS KI PREPARATION HINDI ME


शुक्रवार, 14 मार्च 2014

FOR UNSUCCESSFUL PERSON

कई बार ऐसा होता है कि बहुत मेहनत करने पर भी असफलता का सामना करना पड़ता है। मन बहुत दुखी होता है क्योंकि आप ही जानते है आपने इसके लिए क्या क्या नही किया। आईएएस का नशा है कि उतरता ही नही। अकेले रहना जॉब करना सब कुछ अपने आप ही मैनेज करना। ऑफिस में सभी बोलेंगे कि मेहनत करो यहा से निकल जाओ पर छुट्टी के नाम पर चुप। बाते व्यकितगत है पर वास्तविकता यही है शादी को आप टाल जा रहे है कि एक बार आईएएस में हो जाये तभी करेगे। दोस्तों इसी का नाम जिंदगी है हमेशा आप के सोचने के अनुसार नही होता है।  इस बार भी हिंदी माध्यम का रिजल्ट बहुत हताशाजनक रहा। मेरे ज्यादातर दोस्तों या कहु सभी को मैंस परीक्षा से बाहर होना पड़ा है। गड़बड़ी कहा हुई ये तो नंबर आने के बाद ही पता चलेगा। इस साल के प्रारंभिक परीक्षा को पास करने वाले को ये भी नही कह सकते है कि वो होनहार नही है।  नये पैटर्न पर पहला एग्जाम था इसलिए कुछ पता नही था कि पेपर कैसे आयेगे। एक बार अपने मैंस के पेपर निकाल कर देखिये क्या आपने वाकई उत्तर गुणवत्तापूर्ण लिखे थे। उत्तर होगा लिखा तो बहुत था पर उनमे गुणवत्ता नही थी। दूसरा एक प्रमुख कारण बहुत ज्यादा सामग्री पढ़ना भी हो सकता है। चौथे पेपर के लिए क्या क्या पढ़ा पर मतलब क्या निकला। उसमे कुछ भी न पढ़ा होता तो भी कोई फर्क न पड़ता। 
अब अफ़सोस करने से क्या फायदा। नये सिरे से जुटा जाये। किताबो और नोट्स से धूल मिट्टी साफ कर पुनः पढ़ाई शुरू। अबकी बार अभी से सामान्य अधययन के चारो पेपर के लिए उत्तर लेखन के लिए अभ्यास किया जाय। शुरुआत पिछले साल के पेपर के प्रश्नो को हल करने से की जा सकती है। इसके साथ ही प्रारंभिक परीक्षा के लिए विशेष तैयारी जारी रखनी होगी क्योंकि उसे हलके में लेने की भूल नही की जा सकती है। 


सिविल सेवा की प्रारम्भिक परीक्षा में इस समय बहुत ही जटिल प्रष्न पूछे जा रहे है। पहला पेपर जो कि सामान्य अध्ययन का है, उसके लिये हिन्दी माध्यम में सटीक सहायक साम्रगी का आभाव है। बाजार में कितनी ही किताबें उपलब्ध है पर उन को पढना अपने समय को जाया करना है। यहाॅ पर एक ऐसी वेबसाइट का पता दे रहा हूॅ जो कि हिन्दी में सामान्य अध्ययन के पेपर हेतु आपको बहुत ही सटीक जानकारी देगी। मैं इस बात का यकीन दिलाता हूॅ कि यदि आप इस को नियमित तौर पर देखते रहे तो आपको यह सिविल से में बहुत उपयोगी साबित होगी। इसका नाम है पत्र सूचना कार्यालय। यह भारत सरकार की वेबसाइट है। यहाॅ पर आप नियमित तौर पर आकर अपने लिये महत्वपर्ण नोट्स तैयार कर सकते है।
PRESS INFORMATION BUREAU

बुधवार, 12 मार्च 2014

पंचशील सिद्धांत

 29 अप्रैल 1954  को भारत और चीन के बीच तिबबत को लेकर एक संधि हुई थी जिसमे पहली बार पंचशील सिद्धांत को मान्यता दी गयी।

  1. एक दूसरे की प्रादेशिक अखंडता और प्रभुसत्ता का सम्मान करना 
  2. एक दूसरे के विरुद्ध आक्रामक कार्यवाही न करना 
  3. एक दूसरे के आंतरिक मसलो में हस्तक्षेप न करना 
  4. समानता और परस्पर लाभ की नीति का पालन करना 
  5. शांतिपूर्ण सह - अस्तित्व बनाये रखना 

Millennium Development Goals in Hindi

  1. अत्यधिक गरीबी और  भूख का उन्मूलन 
  2.  सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करना 
  3. लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना 
  4.  शिशु मृत्यु को कम करना 
  5. मातृ स्वास्थ में सुधार लाना 
  6.  एचआईवी /एडस मलेरिया और अन्य बीमारी की रोकथाम करना 
  7.  पयावरणीय स्थिरता को सुनिश्चित करना 
  8.  विकास के लिए एक वैसविक भागीदारी विकसित करना  

गुरुवार, 13 फ़रवरी 2014

Topics for upsc interview 2014 in hindi

           दिसंबर में जब मुख्य़ परीक्षा दे रहे थे तो सोचा था कि एग्जाम खत्म होते ही इंटरव्यू  की तैयारी में जुट जायेगे। पर ऐसा न हुआ कुछ दिन सोचा कि छुट्टी मना ली जाये। और तब से छुट्टी ही मनायी जा रही है। 
समझ में न आता कि पढ़ा क्या जाय ? कई ब्लॉग पर भी जाकर देखा सब जगह इंतजार हो  रहा है कि mains का रिजल्ट आ जाये फिर शुरुआत की जाये।  

        काफी दिनों से सोच रहा कि कुछ इंटरव्यू पर लिखा जाये। प्रारम्भ कुछ ज्वलंत मुद्दो से। IAS INTERVIEW ये महत्वपूर्ण नही होता है कि आप कितने प्रश्नो के जबाब दे पाते है वरन आप जो जबाब दिए है वो कितने आयामो को समेटे हुए थे यह ज्यादा मायने रखता है । आप कठिन प्रश्नो पर घबराये नही बस आप शांति से सही मौके का वेट करे। और जैसे ही आप से सरल , परिचित प्रश्न पूछा जाये आप उससे जुड़े सभी आयामो पर प्रकाश डालते हुए जबाब दे। INTERVIEW BOARD को पता चलना चाहिए कि आप का ज्ञान बहुआयामी है। यहा पर कुछ टॉपिक है जिनसे प्रश्न पूछे जाने कि पूरी सम्भावना है। आप को इनसे जुड़े सभी पहलू पर नजर डाल लेनी चाहिए।  

१. लोकपाल एवं लोकायुक्त विधेयक : आप को पता होना चाहिए कि इसका चयन कैसे होगा और क्या यह प्रभावी होगा। 

२. तेलेंगाना : किसी नए राज्य का गठन कैसे होता है और आप का क्या नजरिया है। 

३. बांग्लादेश में हुए चुनाव और भारत : विपक्ष  ने चुनाव का क्यों  बहिस्कार किया ? 

४. नेपाल की राजनैतिक दशा : काफी दिनों से NEPAL मे गतिरोध क्या बना है और सुशील कोइराला के प्रधानमंत्री चुने जाने से क्या स्थिति में सुधार आयेगा या नही 
५. लोकसभा चुनाव और भष्टाचार : यद्धपि आयोग राजनैतिक प्रश्न नही पूछता है पर आम आदमी पार्टी के उदय , भ्रस्टाचार के उन्मूलन , और लोकसभा चुनाव पर कुछ पूछे जा सकते है।

६   देवयानी खोबगडे और वियना समझौता


७  श्रीलंका में तमिल और भारत

 ८  लेखानुदान (इस वर्ष क्यों )

९   निर्वाचन आयोग और चुनाव प्रकिया

१०. राज्य में राष्टपति शासन  कैसे और क्यों (दिल्ली में उचित या अनुचित )

११ फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलना : आपका का क्या नजरिया है ?

१२ यूक्रेन संकट : COLD WAR का नया दौर 

१३ SEBI  और सहारा विवाद 





आशा है आप के पढ़ाई से जुड़े ठहराव को कुछ गति देने में यह लेख कुछ मदद करेगा।  

सोमवार, 10 फ़रवरी 2014

Beggary in india



भीख : कुछ विचार 
मै और मनोज सुबह नास्ता करने के लिए निकले। गुरकुल रोड (अहमदाबाद) में एक हनुमान जी का मंदिर है। उसी के पास  रोड पर ही भिखारिन बैठी थी। सामने मंदिर से एक  युवती निकली। मैंने उत्सुकतावश वहा नज़र टिका दी कि देखे कितने रूपये देती है। युवती ने 500 रूपये का नोट उस भिखारिन को थमा दिया। मुझे ये बात हजम न हो पाई कि जो 500 भीख दे सकती है वो कैसी जॉब करती होगी। मैंने मनोज इस बारे में बात की उसने काफी संतोषजनक जबाब दिया। कई बार हम पॉकेट जब हाथ डालते है तो खुले रूपये न होने पर ऐसे ही करना पड़ता है। मैंने भिखारिन पर फिर नजर डाली मुझे लगा कि आज के लिए उसके पास रुपए हो गये है शायद अब वो वहा से चली जाये। मै गलत था उसने तेजी से नोट अंदर रख लिया और दूसरे लोगो से भीख मागने लगी।

आश्रम एक्सप्रेस से अहमदाबाद से दिल्ली  जा रहा था। कैंट स्टेशन से एक छोटी लड़की चढ़ी। वो करतब दिखा रही थी। एक छोटे लोहे के छल्ले से निकल रही थी (ऐसे करतब आपको हर ट्रैन में देखने को मिल सकते है ) . खेल दिखाने के बाद उसने भीख मांगना शुरू किया। मै दुविधा में था मुझे भीख देना पसंद नही क्योंकि जरूरतमंद लोगो की मदद करना उचित होता है। लड़की को चंद सिक्के देने से कुछ भला न होने वाला था। मेरे पास बैग में काफी पेन पड़े थे। मैंने उसे एक पेन दे दिया। लड़की भी थोडा हिचकी और मुझे भी अजीब लग रहा था कि मैंने क्या किया। खैर काफी दिनों तक मै उसके बारे में सोचता रहा कि उसने पेन का क्या किया होगा। पता नही उसे पढ़ना लिखना आता भी होगा या नही। मुझे लगता है कि मैंने उसको कुछ हद तक सोचने पर मजबूर कर दिया  था ।
इसी ट्रैन में मेरे साथी कुंदन भी थे पुरानी दिल्ली में उतरने पर इसी बात होने लगी। वो बहुत नाराज थे कि लड़की को ऐसे करतब दिखने कि क्या जरूरत है।  उनका कहना था कि जब हर जगह  जगह सरकारी स्कूल है फीस भी नही लगती है। तो उसे ये सब करने कि क्या जरूरत है। मै उसे पेन देकर बहुत अच्छा किया। कुंदन ने बताया कि उन्होंने एक बुढ़िया को भीख दी क्योंकि वो बहुत लाचार थी। मै इस बारे सहमत न हूँ कई बार पेपर में ऐसी न्यूज़ पढ़ने को मिलती है कि कुछ भिखारियो के पास मरने के बाद लाखों रूपये मिले।
ऐसे बहुत सी घटनाये है पर यक्ष प्रश्न है कि भीख देनी चाहिए या नही। अगर देनी चाहिए तो किसको ? अगर हम  भीख देते है तो कुछ लोगो को आश्रित बना रहे होते है। वास्तव में जिन्हे सच में हेल्प कि जरूरत होती है वो कभी मांग ही नही पाते है। अगर आप ऐसे लोगो कि हेल्प कर पाते है तो निश्चित ही आप को अच्छा लगेगा। अगर समय हो तो आप भी अपने विचार प्रस्तुत करे। 





















गुरुवार, 26 दिसंबर 2013

Vienna Convention on Diplomatic Relations in Hindi

      Vienna Convention हाल में काफी चर्चित रहा है। भारत की एक राजनयिक Devyani khobragade   को अमेरिका में जिस तरह से बंदी बनाया गया वो Vienna Convention की भावना के अनुरूप नही माना गया।  यहाँ मै उस  के बारे में कुछ जानकारी share कर रहा हूँ। 

      इसे 18 अप्रैल 1961 में पारित किया गया था पर लागू  24 APRIL 1964 से किया गया।  इसमें  हस्ताक्षर करने वाले देशों के द्वारा दूसरे देशो के राजनयिकों को विशेष सुविधाए उपलब्ध करायी जाती है ताकि राजनयिक बगैर किसी डर के अपने मूल देश के हितो के बारे में पक्ष रख सके।  इसमें 53 प्रावधान है।  जून 2013 तक विश्व के १८९ देशो ने इसे अनुमोदित किया था। 


गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

SAVE MONEY EARLIER, ENJOY LIFE IN FUTURE

           


           अपनी संस्कृति में बहुत सी अच्छी बाते है। हमें बचपन से ही सिखाया जाता है कि बुजुर्गो का कहना मानना चाहिए। मुझे एक सज्ज्न की दी हुई सीख बहुत प्रभावी लगी।  शायद यह आपको भी बहुत अच्छी लगी ।

              इस जॉब से पहले मै लखनऊ में INDIAN ARMY ऑडिटर के पोस्ट पर job  करता था।  अपने शहर UNNAO से रोज ट्रैन से LUCKNOW जाता था।  ट्रेन में हर रोज नये नए लोग मिलते थे। सबके पास कुछ न कुछ विशेष हुआ करता था बात करने के लिये।  मुझे उनके बारे ठीक से याद नही पर उनकी सलाह हमेशा याद  रहेगी।  मेरी नयी नयी जॉब थी। मुझे अपनी सैलरी बहुत लगती थी।  २००० रूपये महीने से सीधे २२००० रुपए मिलने लगे तो ऐसा ही महसूस होता है। पर महीने के अंत में मेरे अकाउंट में कुछ भी न बचता था।  ब्रांड का भूत उन दिनों बहुत हावी रहता था।  Army  की कैंटीन से न जाने क्या क्या खरीद लिया करता था।  

            उस रोज अंकल जी ने एक बात कही थी कि बेटा अभी कुछ साल बहुत सभल कर खर्च कर लो आगे बहुत मौज करोगे।  कभी भी रूपये कि किल्लत न होगी। यह बात मेरे मन में बैठ गयी।  उस रोज से सिर्फ जरूरत कि चीजे लेने लगा। एक example के तौर पर मुझे job करते ४ वर्ष हो गये है पर bike २ महीने पहले ही खरीदी वो भी भाई के लिए।  मुझे उसकी जरूरत ही नही लगती है। ऐसी बहुत सी चीजे है पर सार यही कि जहाँ तक हो अपनी आवश्कताएं सीमित रखकर बहुत सकून पाया जा सकता है।  पिता जी कि  death  के बाद सब कुछ मेरे पर आ गया था पर सब कुछ धीरे धीरे ठीक होता गया।  आज सब कुछ बहुत  अच्छा है दोनों भाइयो को job मिल गयी है बहुत ही सस्ती पढाई करके वो दोनों ही जॉब पा गये है। 

               Economics  तो मैंने कभी नही पढ़ी पर उन अंकल जी कि सीख में सबसे बड़ी इकोनॉमिक्स economics नजर आती है।  मुझे लगता है मुझे शायद ही कभी पैसे की किल्ल्त हो। बहुत अच्छा लगता जब किसी यार दोस्त को मै हेल्प कर पाता  हूँ खास कर जिनसे मै कभी उधार लिया करता था। अंकल जी पता नही कहा है पर मेरा जीवन तो सदा उनका आभारी रहेगा।

  © आशीष कुमार 
मेरी कुछ रोचक पोस्ट

मंगलवार, 17 दिसंबर 2013

PERSONALITY DEVELOPMENT




जिंदगी में कई बार ऐसे मुकाम आते है जब आपको कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लेने पड़ते है। आप से कोई सहमत नही होता है न घर न परिवार न यार न रिश्तेदार। सभी आपको को आसान, परम्परागत रास्ता चुनने को कहते है सलाह देते है। परम्पराओ को तोडना आसान नही होता है। अगर आप लीक से हटकर विकल्प को चुनते है तो आपको बहुत सा विरोध , तरह तरह कि बाते सुनने को मिलती है। आप के सामने या पीठ पीछे कहा जाता है कि पगला गया है , दिमाग खराब हो गया है, सटक गया है ( अवधी में) . और अंततः आप का साहस खत्म हो जाता है। चाह कर भी आप अपने तरीके से नही जी पाते है। प्राय : दूसरो की इच्छाओ का पालन करने में ही जीवन समाप्त हो जाता है।

रूसो ने लिखा है कि मनुष्य स्व्तंत्र पैदा होता है पर हमेशा जंजीरो में जकड़ा रहता है। हममे से कुछ लोग ही इन जंजीरो को तोड़ पाने का साहस जुटा पाते है। कभी ऐसे इंसान से आप मिले जिसने हमेशा परम्पराओं को तोडा हो। वह आपसे हमेशा यही कहेगा कि पहले पहल आपका खूब विरोध होगा पर जब आपके निर्णय सही साबित होने लगेगें सब आप के साथ आ जायगें।( किसने सोचा था कि आम आदमी मुख्यमंत्री को हरा देगा )

एक उम्र तक हम अपने माता पिता के अनुशासन में रहते है और रहना भी चाहिए। हमे पता नही होता है कि क्या उचित है और क्या अनुचित ? पर एक समय के बाद आपके विचारो में टकराव होना शुरू हो जाता है। पिता कहते है कि बेटा तुमसे न हो सकेगा ( गैंग्स ऑफ़ वसेपुर के रामधीर सिंह कि तरह ) .आप मन ही मन सोचते है कि तुम अभी देखना मै क्या कर दिखाऊगां।

पाओ कोहलो लिखते है कि आप तब तक स्व्तंत्र है जब तक आप विकल्प नही चुनते। एक बार आप ने विकल्प को चुना आप कि स्व्तंत्रता खत्म हुई। विकल्प कैसा ही हो आप को उसे सही साबित करना ही होगा।

वो जो लीक पर चल रहे है या चलने जा रहे है उनसे सहानुभूति जतायी जा सकती है। और वो जो परम्पराओ को तोड़ कर , सबकी बातो ,सलाहो को अनसुना कर अपने अनुसार , अपनी शर्तो पर , अपने बनाये नियमों पर , चल रहे है या चलने जा रहे है उनसे क्या कहा जाय। …… दोस्त जिंदगी तो आप ही जी रहे हो बाकि तो सब केवल जिंदगी काट रहे है।

© आशीष कुमार , उन्नाव उत्तर प्रदेश। 

UPSC INTERVIEW


हॉबी 


प्रायः हॉबी के बारे में दो ही बार सोचना पड़ता है या तो कही इंटरव्यू देना हो या फिर शादी का मामला हो ..........मुझे कुछ रोचक वाकिये याद आते हैं . पहले शादी से जुड़े . मेरे गुरु कम भइया जी की शादी की कही बात चल रही थी . भाई जी को साहित्य में बहुत गहरी रूचि थी . पता चला कि लड़की को भी ऎसी ही रूचि थी . भाई जी बहुत खुश हुए कैंसिल। एक और करीबी दोस्त कि वाइफ बहुत होनहार लगी। दोस्त ने बताया कि उसे पेंटिंग से बहुत गहरा लगाव है। मुझे भी सुनकर अच्छा लगा। शादी के बाद वो बहुत सी पेंटिंग भी साथ लेकर आयी थी। जब भी मै मित्र से मिलने जाता उन तस्वीरो को बहुत चाव से देखता। तस्वीरे वाकई सुन्दर थी। शादी के कई बरस बीत गये पर नई तस्वीरे न बनी। एक बार मैंने उन महान कलाकार से इस विषय पर बात की तो उनका कहना था कि शादी के बाद टाइम कहाँ रहता है ? सच ही तो कह रही थी वो। पर अफ़सोस एक रोज मैंने उन तस्वीरो को एक दुकान में थोक के भाव बिकते देखा तो वास्तविकता का पता चल गया।


अब कुछ वाकिये इंटरव्यू से जुड़े हो जाये। शुरुआत संघ लोक सेवा आयोग से कर रहा हूँ। मैं अपनी बारी कि प्रतीक्षा कर रहा था कि साथी काफी परेशान होकर बोर्ड रूम से बाहर निकले। पता चला कि उन्होंने अपनी हॉबी में लिखा था कुकिंग। इंटरव्यू लेने वाली मैडम ने उनसे पूछा कि बोलो नागालैंड, जम्मू, गुजरात और केरल में कौन से तैल में खाना पकाया जाता है ? जाहिर है परेशान होने वाली बात ही थी। आईपीएस में चुने गये एक दोस्त कि हॉबी थी बाँसुरी बजाना। बाद में उनसे जब मै मिला तो भाई साहब ने बताया कि उनको भी हॉबी को लेकर इंटरव्यू में असमंजस का सामना करना पडा था उनसे जुड़ा एक रोचक प्रश्न याद आ रहा है। उनसे पूछा गया कि क्रिकेट एक मूर्खो का खेल है क्या आप इससे सहमत हैं।


वैसे आज की तनाव भरी दुनिया में वो लोग खुसनसीब हैं जो अपनी हॉबी को वक़त दे पाते हैं।मुझे खशी इस बात कि रहती है कि मेरे उच्च अधिकारी हमेशा अच्छे ही मिलते हैं। कस्टम में इंस्पेक्टर बनने के बाद सबसे पहले सुपरिंटेंडेंट राठौड़ के अधीन काम करने का अवसर मिला। सर से मुझे बहुत सी अच्छी बाते सीखने को मिली। सर की एक बात हमेशा याद आती है। सर ने कहा था कि आशीष इस जॉब में रहना है तो कोई न कोई हॉबी जरुर रखना, ऑफिस की टेंसन से बचे रहोगे। सर खुद एक प्रसिद्ध वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर हैं।

जहाँ तक अपनी हॉबी के बारे में सोचता हूँ तो बचपन से मुझे नोवेल पढने का बड़ा शौक रहा है। अपने ग्रेजुएशन के दिनों तक मेरी छवि कुछ ऐसी ही थी। मौरावाँ के लाइब्रेरी से लेकर उन्नाव की दोनों लाइब्रेरी के हमेशा दो दो मेम्बरशिप कार्ड हुआ करते थे। रात दिन एक ही काम था नोवेल पढना। सच में वो दिन बहुत खूबसूरत थे। सुबह शाम कुछ स्टूडेंट को तुअशन पढ़ाना और बाकि टाइम अपने मन से अपनी जिंदगी जीना। अब नोवेल तो ऑनलाइन खरीद तो लेता हु पर पढने का पहले जैसा आंनद कहा।


डायरी लिखने का शौक क्लास ८ से ही शुरू होगया था। आज भी डायरी लिखी जा रही पर नियमित नही लिख पाता हुँ। सार यही कि जॉब में आने के बाद अपनी हॉबी को जारी रख पाना काफी मुश्किल होता है पर एक सफल और सुखद जीवन जीने के लिए , हॉबी की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है। लेख तो बहुत लम्बा होता जा रहा है पर अब विराम लेता हूँ। शेष भाग फिर कभी। आपकी कि टिप्पणियो का स्वागत रहेगा।

©Asheesh 

गुरुवार, 3 अक्तूबर 2013

WILL POWER

          सफलता में दृढ़ इच्छाशक्ति  का महत्व यदि हमारा लक्ष्य बहुत महत्वपूर्ण है तो हमें इसके महत्व को सदैव स्मृत रखना चाहिये। इच्छा जितनी प्रबल होगी हमारा प्रयास उसी अनुपात में गहरा होगा। मार्ग के अवरोधकों को समझिये, वक्त में अपने लक्ष्य को पा लीजिये। शिथिलता लाने से प्राय: हमें असफलता ही मिलती है। अपनी निश्चय क्षमता को पुन: प्रबल करिये ऐसे निर्णय लेना प्रारभ्भ करें कि आप डिगे  नहीं। शनै: शनै: अपनी शक्ति  का नमूना दिखार्इ पडेगा।


HINDI BHASHA

       भारतीय संस्कृति को हिन्दी द्वारा ही विश्व तक पहुंचाया जा सकता है किंतु भारतीय संस्कृति विश्व में तब तक प्रतिषिठत नहीं हो सकती है जब तक हिंदी अपने देश में प्रतिषिठत नहीं होती

                                                                               फादर कामिल बुल्के

भारत के बाहर हिन्दी बोलना आसान है, भारत में नहीं।


                                                                           अटल बिहारी बाजपेर्इ

बुधवार, 10 जुलाई 2013

लघु कथाः गिरगिट

लघु कथाः गिरगिट
आशीष कुमार

गिरगिट आमतौर पर पेड़ों या झाडि़यों पर नजर आता है, पर उस दिन सिंह साहब के लाॅन में जाने कहाॅ से आ गया था। उस समय सिंह साहब लाॅन में बैठकर एक गभ्भीर समस्या पर विचार कर रहे थे। सुबह पत्नी का नर्सिंग होम से फोन आया था, कह रही थी ‘‘ जाॅच करा ली है। इस बार भी लड़की है, अबार्सन करवा लें क्या?‘‘ पूछा था। दो लड़की पहले से ही हैं और अब फिर ! समस्या वाकई गम्भीर थी। इतने बड़े शहर के एस.पी. रहते सिंह साहब का कितने ही अपराधियों से सामना हुआ था, कभी परेशान नहीं हुए। आज पसीना आ रहा था।

अरे ! सिंह साहब चैंक गये, गिरगिट यहाॅं कहाॅं से आ गया? अजीब होता है यह! कभी इस रंग में कभी उस रंग में! सिंह साहब ने गिरगिट को भगाना चाहा पर जाने क्या सोचकर रूक गये। शायद वह गिरगिट को रंग बदलते देखना चाह रहे थे।

  पर वह समस्या़...........! वैसे जहाॅं दो लड़कियाॅ हैं वहाॅं एक और सही। यॅू भी आजकल लड़का लड़की में भेद कहॅ रहा। भ्रूणहत्या होगी तो पाप भी सिर पर आयेगा। पर .....लड़के की बात ही कुछ और होती है।

अरे! गिरगिट ने वाकई रंग बदल लिया था। सिंह साहब गिरगिट को हरी घास के रंग में देखकर चकित हो गये। किस फिराक में है यह! पास में जरूर कोई शिकार होगा।

सिंह साहब ने पुनः सोचा-आजकल लड़की को पालना पोसना कितना कठिन हो गया है। सबसे कठिन शादी करना। कंगाल हो जाउॅगा मैं दहेज चुकाते चुकाते।सिंह साहब ने सिगरेट ऐश ट्रे  में कुचल दी।

गिरगिट ये किस रंग में हो गया है कुछ लाल पर पीलापन लिये। अरे हाॅ पास में ही तो वह झींगुर है।शायद उसे ही खायेगा.... । सिंह साहब ने उठकर गिरगिट को कुचल देना चाहा। पर.......छोड़ो भी, खाने दो। सभी खाते हैं, इस बेचारे का तो भोजन है। सिंह साहब पुनः कुर्सी पर बैठ गये।

......आजकल तो बेटा होना ही सबसे बड़ी सम्पत्ति है। लड़का होना तो आजकल स्टेटस सिम्बल भी बन चुका है। कितनी आशा थी मिसेज सिंह को। इस बार जरूर लड़का होगा। कितनी ही बार कह चुकी थी। गिरगिट ने अपनी करीब एक फुट लम्बी जीभ निकालकर झींगुर को निगल लिया। सिंह साहब ने यह भी देखा। जाने क्या सोचा। तभी मोबाइल की रिंगटोन बज उठी।

मिसेज सिंह कह रही थी-‘‘ अबार्शन करा लिया।‘‘ सिंह साहब प्रसन्न हो गये। पत्नी ने समाजशास्त्र में पी.एच.डी. की है। इस बात का अहसास आज वास्तव में हो रहा था।

(अविराम त्रैमासिक में प्रकाशित) 
©Asheesh Kumar

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