"घास वाले अंकल"
प्रिय मित्रो .. आपको मेरी के पुरानी POST याद होगी “ लडकी जो भगवान खाती थी ..” उसमे मैंने बताया था कि वो
घर सच में अजूबा था .. कुछ ५ MEMBER थे परिवार में और सब विलक्ष्ण .... आज परिवार के
मुखिया ..यानि अंकल जी कहानी ..वैसे वास्तविक मुखिया तो औंटी जी थी
.
अंकल जी सरकारी महकमे किसी छोटी पोस्ट पर थे ..
सीधे साधे गौ जैसे ... उनके PERSONALITY का वर्णन करने में मेरी लेखनी सक्षम नही है इसलिए
उनके व्यक्तिव को रहने देते है सीधे STORY पर आते है ..
उनकी छत पर कुछ गमले रखे थे ...उन गमलो कभी फुल
रहे होंगे पर इन दिनों सूखे थे ..उसे गमले में न जाने कहाँ से घास उग आई . यह दूब
थी जो काफी लम्बी होती है .. गमले में दूब बढती रही बढती रही और इतनी बढ़ी की रेलिंग से लटकने लगी
. आम तौर पर लोग अपने बगीचे से दूब को खर पतवार समझ कर निकलते रहते है पर .. अंकल
जी की सोच .. उनका नजरिया ..माशा अलाह ..
.
मैंने एक दिन अपने कमरे से देखा अंकल जी नहाने के
बाद उपर गमले में पानी डालने गये है ... कुछ दिनों में पता चला कि दूब की तेजी से
बढने के पीछे अंकल जी मेहनत है उसको खाद पानी दे कर अंकल जी तेजी से बड़ा कर रहे थे
..
दूब सच में बहुत ज्यादा बड़ी हो गयी थी ..वह
रेलिंग से लटक कर बहुत नीचे आ गयी थी . एक रोज मैंने अंकल जी कहा कि “ बहुत लम्बा पौधा हो गया है
लगता है WORLD RECORD बनेगा..”..मै उसे दूब कहकर अंकल जी FEELINGS
HURT नही करना चाहत था . अंकल
जी मुग्ध हो गये और बगैर कुछ बोले रेलिंग से लटकती दूब को सहलाने लगे .
उनका घर तो छोटा ही था पर कमरे कई थे ...औंटी जी
किसी भी कमरे में हो उनमे खास शक्ति थी ..उनके कान बहुत तेज थे . अंदर से
बोली ...” तुम भी आशीष मजाक कर रहे
हो ...फालतू में घास बढती जा रही है ..मै किसी दिन उसको हटाने वाली हूँ ..” . बस इतना कहना था कि अंकल
जी अपने दुर्लभ रूप नजर आये .. इतनी जोर से चिल्लाये कि घर के पीछे पीपल से २ – ३ कौवे उड़ के भाग खड़े हुए
.... उस दिन अंकल जी औंटी को बहुत सी बाते सुनाते हुए सख्त हिदायत दी कि खबरदार
उस पेड़ ( दूब) को हाथ भी लगाया . वैसे तो औंटी जी की हमेशा चलती थी उस घर में . पर
उस रोज अंकल जी का गुस्सा देख लगा कि मर्द कितना ही मरगिल्ला हो ..दब्बू हो ..
उसको कभी अंडर वैल्यूएशन नही करना चाहिए .
मै वहां लगभग २० महीने रहा ..दूब बढती रही
..गर्मी में जब धुप बहुत प्रबल होने लगती उस गमले को जुट के टुकड़े से ढक कर रखा
जाता .. दूब छत से लटक नीचे जमीन पर आ कर फैलने लगी थी .
अगर आप यह कहानी पच न रही हो तो दोष मेरा नही है
... वो पूरा घर ही विलक्ष्ण था ... वैसे आप सोच रहे होंगे कि दूब का अंत में हुआ
क्या ? तो आप जिज्ञासा शांत कर दू
..
उनके घर को छोड़ने के कुछ महीनों बाद जब मै उधर
गया तो देखा कि उनके घर में घास रेलिंग पर नही लटक नही रही है . अंकल ने बातचीत में उस पौधे के
दुखद अंत .. और गौरवशाली विदाई के बारे में बताया ( वो कहानी फिर कभी ..)
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