धनिया पत्ती
बात कुछ पहले की है अब उतने महत्व की भी न रही पर लिख ही डालते है। कुकिंग बहुत बहुत पहले से करने लगा था, ज्यों 2 बड़ा हुआ त्यों 2 कुकिंग और ज्यादा व्यवस्थित होती गयी। धीरे 2 समझ आया कि धनिया पत्ते के बगैर तो कुछ भी बना हो स्वाद आता ही नहीं। कहने के मतलब कुछ भी हो धनिया पत्ते के अभाव में सब्जी न बनेगी।
पाठकों में पता नहीं कितने लोग सब्जी लेने जाते है या नहीं पर मुझे यह काम फिलहाल तो खुद ही करना पड़ता है। जब रूम पार्टनर थे तब यह उनकी जिम्मेदारी हुआ करती थी। सब्जी खरीदना भी बड़ी कला है पर मुझसे न होती है। अपन तो कपड़े भी 10 मिनिट में खरीद के निकलने वालों में है फिर सब्जी में कौन जांच परख में दिमाग लगाए। रुकते है वरना सब्जी खरीद शास्त्र लिख डालूंगा, धनिया पत्ते पर आते हैं।
पिछले दिनों मालूम है धनिया पत्ता के दाम कहाँ थे। 400 रुपये किलो यानी 10 रुपये की 25 ग्राम। आम तौर पर धनिया मिर्चा लोग फ्री में डलवा लेते हैं। उन दिनों भूल से भी ऐसी मांग नही की जा सकती थी। सब्जी वाले भड़क उठते थे। अगर आशंका होती कि फ्री में मांगेगा तो अक्सर बोल देते की है ही नहीं।
जैसा कि लोग कहते है कि विक्रेता गाड़ी देख के दाम बताते हैं, तमाम लोग इसी होशियारी में गाड़ी दूर खड़ी करके , फल खरीदने पीछे आते हैं। कुछ ऐसे भाव रहे होंगे जब मैंने उससे वैसी बात की।
उस दिन जब एक ठेले वाले से पूछा -
कि भाई धनिया पत्ती कैसे दिए ?
"40 की 100 ग्राम " उसने सर तक न उठाया , उसके सामने तमाम ग्राहक थे।
" यार कल तो उस ठेले वाले ने तो 30 रुपये में दिया था, क्या गाड़ी देख के दाम बता रहे हो ?" प्रसंगवश मैं रॉयल एनफील्ड से गया था।
" घर में दो दो खड़ी हैं...." ठेले वाले से कुछ ऐसे ही बड़बोले जबाब की ही उम्मीद मैंने की थी, आखिर मैं दिल्ली में खड़ा था।
" भाई, अब तीसरी भी जल्द खड़ी होने वाली है तेरे घर ..." मैंने मुस्कुरा कहा।
"क्या मतलब " सब्जी वाले ने अब सर उठाया।
" कुछ नहीं , तुम अमिधा ही समझ सकते हो, लक्षणा, व्यंजना तुम्हारे बस की बात नहीं" उस सब्जी वाले को, जिसके घर दो दो बुलट खड़ी थी, थोड़ा उलझन में डालकर आगे बढ़ आया।
उसको क्या खबर कि इस दिल्ली में किराए के पैसे से ऐश, मजे करने वालों के बीच ठेठ ग्रामीण परिवेश से आये भी लोग रहते है जो कितना ऊपर उठ जाए, उनसे बेफजूली खर्च चाहकर न हो पाती है।
( रेल सफर के बीच रचित )
9 दिसम्बर, 2019
© आशीष कुमार, उन्नाव, उत्तरप्रदेश।
सर मुफ्त का धनिया स्वादिष्ट भी ज्यादा लगता है.
जवाब देंहटाएंहा, पर हर कोई ले नही पाता
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