शहर छूटा पर भाषा न छूटी
अहमदाबाद
2012 में जब अहमदाबाद में रहना शुरू किया तो भाषागत कुछ दिक्कतें आयी। जब हम घूमने को निकलते और किसी से कोई पता पूछते तो जो भी जबाब आता उसमें "चार रास्ता" का जिक्र जरूर आता जैसे कि अगले चार रस्ते से बाएं । कुछ दिनों में समझ आ गया कि अपने यहाँ के चौराहे को ही यहाँ चार रास्ता बोला जाता है। 7 साल हुए अब मेरे मुँह भी चार रास्ता ही निकलने लगा।
दिल्ली
कल मेट्रो माल से बाहर e रिक्शे वाले पूछा " मेरी अकेडमी तक चलोगे"
"किधर" रिक्शे वाले ने पूछा ।
" वो आगे जो डीएमसी ऑफिस वाला चार रास्ता है , उसी के पास "
" चार रास्ता ? " रिक्शे वाला बड़े कंफ्यूजन में दिखा।
" अरे भाई , यही अगला चार रास्ता ... अरे यार यही अगला चौराहा " दिमाग मेरा शून्य सा हो रहा था। मन से चौराहा ही निकला पर शब्दों में चार रास्ता।
मॉरल ऑफ द स्टोरी - शहर पीछे छूटते रहते हैं पर भाषा साथ जुड़ी रहती है।
7 दिसंबर, 2019
© आशीष, उन्नाव, उत्तर प्रदेश।
Ji sach me😊
जवाब देंहटाएंNice
Ji sach me😊
जवाब देंहटाएंNice
Shi kha
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