वस्तुनिष्टता : किसी भी तरह के पूर्वाग्रह से परे जा कर निर्णय / चयन करना ही वस्तुनिष्टता है .
यथा : एक महिला पुलिस अधिकारी , किसी पुरुष अपराधी को अगर मात्र उसके पुरुष होने से ज्यादा कड़ा रुख अपनाती है क्युकि उसे पहले से लगता है कि पुरुष अपराधी स्वभाव के होते है तो यहाँ पर महिला की वस्तुनिष्टता के बजाय आत्म्निष्टिता हावी है जोकि प्रशासन में स्वीकार्य नही है .
सत्यनिष्ठा : किसी भी परिस्थिति में अपने नैतिक निर्णय पर टिके रहना . किसी तरह के दवाब में निर्णय न बदलना .
यथा : अगर आप सत्यनिष्ट व्यक्ति है तो आप उस समय में जब आपको कोई देख नही रहा है तब भी आप किसी तरह के गलत कार्य नही करते है .
सत्यनिष्ठा : किसी भी परिस्थिति में अपने नैतिक निर्णय पर टिके रहना . किसी तरह के दवाब में निर्णय न बदलना .
यथा : अगर आप सत्यनिष्ट व्यक्ति है तो आप उस समय में जब आपको कोई देख नही रहा है तब भी आप किसी तरह के गलत कार्य नही करते है .
शिष्टाचार : वे मूल्य जो हमे अच्छे और बुरे में , सही व गलत में फर्क करना सिखाते है . यह व्यक्ति सापेक्ष होते है .
यथा : ईमानदारी ,
नैतिक दुविधा : एक ऐसी परिस्थिति जिसमे दो विकल्प में एक को अपने बनाये नैतिक आधार पर चुनना हो . किसी को भी चुनने पर दुसरे विकल्प से उत्पन्न दुविधा .
यथा : एक भूखे व्यक्ति द्वारा किसी दुकान से खाने के लिए चोरी करने के अपराध पर निर्णय देना . हमे पता है कि उसने चोरी करके के अपराध किया है पर क्या पता उसकी क्या मजबूरी रही हो . इस तरह के केस में सजा सुनते वक्त कोई भी नैतिक व्यक्ति दुविधा में पड़ जायेगा .
मूल्य : ऐसे गुणों का समुच्य है जिन्हें हम जन्म से , परिवार से , समाज से अर्जित करते है यह एक प्रकार से हमारी मान्यताओ को दिखलाते है . यह सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों तरह के हो सकते है . वास्तव में यह व्यक्ति सापेक्ष होते है .
यथा : नाजी सेना द्वारा यहूदीयों का जनसंहार किया जाना उनके मूल्यों से चलते उन्हें अनैतिक नही लगता था . उस सेना के मूल्य ही ऐसे थे जिसके चलते वह ऐसे कृत्य करते थे .
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