सोमवार, 2 मार्च 2015

Some bad habits which stop you being ias officer



टॉपिक :61   ये चीजे आपको आईएएस बनने से दूर कर सकती है।




  • अहम 
  • अपने आप से झूठ बोलना 
  • laziness  
  • बड़बोलापन 
  • Over Confidence 
  • लिखने कर पढ़ने की आदत न होना 
  • सपनोें में जीना 
  • कल्पनाऑ में खोये रहना
  • महत्वहीन , झूठे , स्वार्थ पर टिके रिश्ते में अपना कीमती समय गवाना 
  • अपनी तैयारी से ज्यादा , दूसरे को तैयारी कराने लग जाना 
  • एक साथ बहुत सी चीजों की तैयारी में लग जाना 
  • अपने निर्णय में स्थिर न रहना 

just a simple tips regarding smartphone use


रविवार, 1 मार्च 2015

SOME GOOD TIPS FOR IAS ASPIRANT

टॉपिक :60            आईएएस बनने के लिए जरूरी गुण



  • सक्रियता , सजगता 
  • कम बोलने की आदत 
  • हमेशा खुश रहने की आदत 
  • Regularity  
  • सरल और सीधा जीवन जीना 
  • दिखावा न करना 
  • बोलने से ज्यादा करने पर यकीन 
  • आलस्य का आभाव 
  • तनाव रहित जीवन 
  • Patience  
  • हमेशा सीखने के लिए तैयार रहना 
  • Politeness 
  • जिनसे भी आप कुछ सीखे उनके प्रति आभारी रहना 
  • जो कुछ आप ने सीखा  उसे सब के साथ शेयर करने की आदत 
  •  अहम से हमेशा बचना 
  • अपनी खराब आदतों को धीरे धीरे खत्म करना 
  • कुछ भी ऐसा न करना जिसे लेकर शर्मिंदा होना पड़े। 
  • अपने माता पिता , सच्चे मित्रो के प्रति दया भाव रखे। 
  • समय के पाबंद रहे। 
  • प्राथमिकता तय करना सीखे। 
  • तय करे कि पहले जीवन जीना है बाद में स्ट्रगल या फिर पहले स्ट्रगल बाद में जीवन का लुफ्त लेना है 
  • गलत गुरु की सलाह से बचे

शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015

ECONOMIC SURVERY आर्थिक सर्वेक्षण २०१४-१५ हिंदी में

प्रिय दोस्तों , नीचे लिंक बहुत ही उपयोगी है . यहाँ से आप आर्थिक सर्वेक्षण २०१४-१५ ( हिंदी में ) डाउनलोड कर सकते है . अभी समय है सारा साल ये काम आना वाला है . गहन स्टडी कर कर सकते है . इकनोमिक की बेसिक समझ इससे क्लियर की जा सकती है .

आर्थिक सर्वेक्षण २०१४-१५ हिंदी में


सिविल सेवा के लिए इकोनोमिक्स कैसे तैयार करे

सोमवार, 23 फ़रवरी 2015

tips for sure sucess in life


टॉपिक: 59     जीवन में सफलता पाने के कुछ सरल टिप्स

            दोस्तों , मैंने बहुत से साथियों को अपनी जिंदगी में बहुत परेशान , हताश , मायूस देखा है। मैंने भी बहुत बुरा दौर देखा है। कुछ अच्छी किताबो और मेहनत ने मेरा समय बदला। पिछले दिनों एक मित्र को ऐसी ही उदासी भरी पोस्ट देख मुझे लगा कि अपने पाठको को कुछ मोटिवेशनल बाते शेयर करू।  काफी लोगों को मुझसे बात करके बहुत सकून मिलता है ( ऐसा कई लोगो ने कहा है पर हर किसी को  मै व्यक्तिगत समय नही दे सकता  ) . आज मैंने कुछ सीधी और सरल बातो को लिखा है। मुझे आशा है कि आप  को ये पसंद आएगा।  अपनी टिप्पणी , राय जरूर दीजियेगा।  आप की बाते , विचार मुझे और अच्छा और बेहतर लेख लिखने में सहायक होंगे। 



  • खुद पर यकीन रखें। आप जहाँ और जैसे हालत में है वही सबसे अच्छा है। उसमे ही आपको बदलाव लाना है 
  • शुरू के दिनों मै इस बात से बहुत दुखी रहता था कि मैं कितने साधन हीन परिवार मे पैदा हुआ हूँ , अपने पिता से नाराज रहता था कि उन्होंने मेरे लिए कुछ नही किया। आप 
  • फिट रहे। अपने HEALTH का ध्यान रखें। ज्यादा कुछ नही बस शाम को समय से सोना और सुबह समय से उठकर कुछ देर WALK पर जरूर जाये. 
  • समय रूपी पूंजी को सोच समझ कर खर्च करे। 
  • PLAN बनाकर कर काम करें। 
  • एकला चलो वाला नियम अच्छी बात है पर कुछ अच्छे और सच्चे दोस्त मिल जाये तो चीजे बहुत  आसान हो जाती है 
  • हमेशा कुछ न कुछ सीखते रहे। 
  • अच्छी BOOKS का कलेक्शन करें। 
  • अपनी कमियों को किसी गोपनीय DAIRY में जरूर लिखते रहे। इससे आपको आत्म निरीक्षण करने मौका मिलेगा। 
  • बोलने  से अधिक करने पर यकीन रखें। 
  • हमेशा मृदु , विनम्र , मितभाषी बने रहे. 
  • अपने आचरण को इस तरह बनाये कि आप के परिवेश में आप जैसा बनने के लिए लोग लालायित हो। 
  • अपने चेहरे पर हमेशा SMILE रखे। 
  • आपके हालत चाहे कितने ही अच्छे हो या कितने खराब , हमेशा सहज और शांत रहे। 
  • अपने प्रति HONEST बने। 

बुधवार, 18 फ़रवरी 2015

How to prepare your Economics for UPSC

टॉपिक: 58  सिविल सेवा के लिए इकोनोमिक्स कैसे तैयार करे ?


सामान्य तौर पर इकोनोमिक्स में हर कोई कमजोर ही होता है . सिविल सेवा में चाहे pre या मैन्स , इस भाग की बड़ी भूमिका होती है . कुछ रोज पहले मुझे किसी ने ईमेल किया था इस बारे . आज कुछ इस बारे में बात करते है .


  • सबसे पहले  NCERT की बुक्स से अपनी बेसिक समझ विकसित करे . 
  • भारत के वित्तीय संस्थानों जैसे RBI, सेबी , वित्त मंत्रालय आदि के बारे में जानकारी जुटाए।  
  • अगर आप RBI के फंक्शन अच्छे से समझ गए तो समझ लीजिये आधा काम हो गया। 
  • न्यूज़ पेपर में अर्थ जग़त वाला पेपर बहुत ध्यान से पढ़ना शुरू करे। 
  • रेपो , रिवर्स रेपो, मौद्रिक नीति , FDI, FII , जैसे मसलों को जितना पढ़े उतना ही कम है। ज्यादातर प्रश्न यही से बनते है और अक्सर गलत हो जाते है। 
  • Ramesh Singh , Dutt & Sundram, Lal & Lal की किताबे इस विषय में बेहतर मानी जाती है।  
  • चूँकि यह विषय हर रोज और महीने बदलने वाला है इस लिए नए नए फैक्ट को अपनी डायरी में नोट करते रहे।  
  • हिंदी के न्यूज़ पेपर में इस बारे ज्यादा अच्छे लेख नही आते है इसलिए THE हिन्दू और इंडियन एक्सप्रेस की मदद ले 
  • नीरस विषय है इस लिए उबन होना स्वाभाविक है पर इसे नियमित तौर पर समय दे। एक दिन आप इस में एक्सपर्ट बन जायेगे।  

मंगलवार, 17 फ़रवरी 2015

BILLU BARBER

गाँव के बिल्लू बार्बर

ये घटना कानों की सुनी है आँखो  की देखी नही। इसलिए ज्यादा दिमाग मत खपायिगा। मै उसके बारे में ज्यादा जानता नही बस इस घटना की याद थोड़ी थोड़ी है। उसका वास्तविक नाम पता याद नही आ रहा है  पर उसे बिल्लू कह सकते है। उसकी कोई बाल बनाने की दुकान नही थी । जब किसी के घर में शादी बारात होती तो उसे काम के लिए बुला लिया जाता था।
तकनीक और जमाना चाहे कितना ही बदल गया हो पर शादी के जब तक कार्ड लोगो तो नही मिलते तब तक शादी के निमंत्रण को पूरा नही माना जाता है। अगर आप की शादी होने जा रही हो तो मजाल है किसी रिश्तेदार को आप कार्ड देना भूल जाये। उनका मुँह तुरंत फूल जायेगा। कुछ तो रिश्तेदार इतना ज्यादा भाव खाते है कि कार्ड भी दो और उन्हें शादी के लिए लिवाने भी जाओ।
गांव में किसी की शादी थी।  बिल्लू को  कार्ड बाटने को दिए गए। बिल्लू अपनी पुरानी साइकिल से पास के गावो में उसके रिस्तेदारोे को कार्ड देने गए।  बारात वाले दिन जिनको कार्ड भेजा गया उनमे  कोई भी शादी में नही पहुंचा। खैर जैसे तैसे बारात विदा हो गयी।
बाद में जब पता लगाया गया तो पता चला कि उन सब रिश्तेदारों को कोई कार्ड ही नही मिला था। बिल्लू से पूछा गया तो उसने कहा कि सबको कार्ड पहुंचा दिए थे।  बिल्लू के पूरे व्यकित्व पर प्रकाश डालने का वक़्त नही है सीधी और सरल बातों में कहु तो उनका दिमाग कुछ ढीला था।  बिल्लू सबसे खुलते भी नही थे।  सबको लग रहा था कि बिल्लू ने कुछ न कुछ खुरापात की है पर पता कैसे लगाया जाय ?

काफी दिनों बाद एक बुजुर्ग ने बिल्लू का रहस्य खोला।  गाँव के पास से ही एक नदी बहती है लोन नदी ( इस नदी का नाम लोन क्यू है इसकी कहानी फिर कभी ) . उस दिन जब बिल्लू शादी के कार्ड ले कर निकले तो उन्हें न जाने क्या हुआ।  उस नदी के पुल पर जा कर बैठ गए और शादी के कार्ड एक एक कर निकालने लगे।  कार्ड में जिसका नाम लिखा था उसको जोर जोर से पढ़ा-----
" रामसेवक कानपुर वाले , तुम्हारा कार्ड आ रहा है------ दुबे जी उन्नाव वाले तुम्हारा कार्ड आ रहा रहा है----- बीघापुर वाली बुआ , तुम्हारा कार्ड आ रहा है----------. "


और सारे कार्ड एक एक कर  नदी में बहा दिए।



( © आशीष। आशा है आप भी इससे कुछ सबक लेंगे। वरना आपके कार्ड नदी में जायेगे और रिश्तेदार मुँह फुलाए घूमेंगे )


















गुरुवार, 29 जनवरी 2015

A interesting story of childhood

"चलो तुम्हे टीवी दिखाए "
               बात उन दिनों की है जब दूरदर्शन पर रविवार को सुबह ९ बजे चन्द्रकान्ता आया करता था।  मेरे घर में बिजली का कनेक्शन था पर टीवी  नही थी। होती भी तब भी किसी पड़ोसी के घर ही जाकर देख सकता था क्यू की बिजली आती ही नही थी।
शौकीन लोग शुक्रवार को बैटरी चार्ज करवा कर लाते फिर शुक्रवार , शनिवार की पिक्चर मजे से देखते। बची बैटरी रविवार को चन्द्रकान्ता भी दिखा दिया करती थी। रविवार की शाम वाली पिक्चर तो बैटरी को हिला हिला कर और कभी कभी गर्म पानी डाल ही देख पाते थे।
मेरे तीन भाई और २ चचेरे भाई  थे। हम साथ साथ तरह तरह के खेल खेला करते थे। अपनी उम्र उस टाइम गुल्ली डंडा खेलने की थी और भाइयो की उम्र कंचे खेलने की।
तभी सौर ऊर्जा ( सोलर पैनल ) ने गावो में अपने पैर पसारे। अब लोगो के घर में छत पर टीवी के एंटीना के साथ एक बड़ी आकर्षक प्लेट भी लगी दिखने लगी थी।
पड़ोस में गोलू भी रहता था। आपके साथ भी रहा होगा गोलू।  गोलू मतलब एक मोटा , थुलथुल , माँ बाप का लाडला जो बात बात पर अपनी मम्मी से शिकायत करने भागता था। आप समझ रहे न ऐसे गोलू हर किसी के साथ रहे होंगे। खैर गोलू के घर में टीवी भी आ गयी और सौर ऊर्जा भी लग गया।
गोलू घमंडी तो थे ही अब और ज्यादा भाव खाने लगे। किसी रविवार को जब पड़ोसी के घर में बैटरी जबाब दे गयी तो हम चंद्रकांता प्रेमी गोलू के घर की ओर भागे। पर गोलू ने दरवाजा न खोला। गोलू ने वजह बताई कि परसों हमने उन्हें गुल्ली डंडा नही खिलाया था।
उस दिन हम पांचो भाईओ ने कसम खायी कि कुछ करना है। 
उस घटना के तीसरे रविवार को प्लान बन गया।  मेरे घर के सामने काफी जगह थी। सामने पैरा ( पुआल , धान की फसल का छोटा छोटा गट्ठर ) की खरही ( कतार ) लगी थी।  उसके नीचे एक पुरानी बैलगाड़ी दब गयी थी। इसके चलते वहां एक छोटी सी सुरंग बन गयी थी। पैरा की खरही में  इस तरह छेद बहुत तरह से उपयोगी थे। कभी कभी उसमे कुतिया अपने पिल्ले देती थी। हम जैसे लोग चोर पुलिस खेलते थे और कभी कभी छुपने छुपाने वाला खेल ( आइस -पाइस ).  ज्यादातर उसमे कुश्ती हुआ करती थी।  

प्लान के तहत गोलू को उस होल के अंदर लाना था और अंदर छुपे भाईओ को जम कर कुटाई करनी थी गोलू की। मुश्किल यह थी कि गोलू को यहाँ तक लाया कैसे जाय ? मुझे आज इतने सालो के बाद भी यह समझ नही आता उस दिन वो बहाना मुझे कैसे सुझा और गोलू उस को मान भी कैसे गया था। 
शाम को जब गोलू   खेलने को आया तो मैंने अपने सबसे छोटे भाई को भेजा। भाई ने गोलू से जाकर बोला "चलो मेरे घर में कलर टीवी आयी है तुम्हे दिखाए।" गोलू ने काफी तर्क दिए पर अंततः आने को तैयार हो गए।  भाई ने कहा अभी वो टीवी पैक है इसलिए उस पैरा के भीतर रखी गयी है। आज सोचता हूँ कि गोलू को टीवी से ज्यादा उस होल के अंदर जाने की इच्छा थी। गोलू अंदर गए और उस अंधेरे बंद होल में उनको बहुत कायदे से कलर टीवी दिखाई गयी।  न जाने मोहल्ले के परम उपद्रवी लड़के #बद्री को इस प्लान का पता कहाँ चल गया था। उपद्रवी बद्री भी उसके अंदर छुपे बैठे थे और अपनी लम्बी टांगो से फाइट लड़ने के लिए मशहूर थे। गोलू को कूटने में बहुत मजा आया पर थोड़ी देर बाद जब गोलू मौका पर भाग गए। उनकी बहन वापस उलहना ( अवधी में ओरहन ) ले कर वापस आ गयी और उसने हाथ नचा नचा कर मेरी  माँ से नमक मिर्च लगाकर  शिकायत की। उसने जब कहा  कि कलर टीवी देखने को देखने के बहाने बुला कर मेरे भाई को मारा है। उस समय मोहल्ले की उन तमाम औरतो को उसकी बात पर यकीन नही हुआ क्यू कि  कोई यह मानने को तैयार न था कि कलर टीवी पैरा के ढेर में छुपा कर रखी जा सकती  है।

 खैर , मेरी  माँ के पास अगर कोई गलती से भी मेरी  शिकायत कर देता  था तो माँ पहले ठोकती थी फिर मामला पूछती थी। उस रात मुझे अपनी माँ की मार से ज्यादा गोलू को फसा कर कूटने का ज्यादा आंनद था। मोहल्ले के परम उपद्रवी लड़के बद्री की कहानी फिर कभी। 

© आशीष कुमार( All rights reserved ,do not copy paste it ) 
  

















बुधवार, 28 जनवरी 2015

कहानी के पीछे की कहानी

कहानी  के पीछे की  कहानी


डिअर फ्रेंड्स , जिस दिन मैंने  अपनी कहानी का पहला भाग पोस्ट किया था किसी ने कमेंट किया था कि मेरी अधूरी कहानियो की एक और सीरीज। मुझे हँसी साथ आर्श्चय हुआ भला उसने ऐसा क्यू कहा। खैर वो सही थे। 

कोई भी कहानी एक थीम पर होती है। उस कहानी में main थीम थी हरी सिगरेट। आज से सात साल पहले उस कहानी को लिख कर  न्यूज़ पेपर को भेजा था। उस के एडिटर  का फ़ोन आया कि यह कैसे पॉसिबल है। खैर उन्होंने नही छापा। कहानी वापस  आ गयी। 

कहानी को कुछ सुधार कर , मैंने फेसबुक पर  पोस्ट करना शुरू किया। अच्छा रिस्पांस मिला। पर तीसरे पार्ट तक आते आते एक ने कमेंट में ऐसा रायता फैलाया कि मन खट्टा हो गया। एक और कुछ साथी इतनी ज्यादा डिमांड कर रहे थे कि बस यही लगे कि लिखता रहू लगातार। 
खैर , लिखना अपनी जगह है और सर्विस करना अपनी जगह। जॉब में अचानक इतनी व्यस्तता आ गई कि फेसबुक अकाउंट डीएक्टिवेट करके जाना पड़ा। 
अब कुछ लोग ने व्हाट एप पर शिकायत करने लगे कि मैंने उन्हें ब्लॉक क्यू कर दिया है। जबकि अगर आप अकाउंट डीएक्टिवेट करते है तो सब को ऐसा ही लगेगा कि ब्लॉक्ड है। मोबाइल पर भी नेट कनेक्शन बंद करना पड़ा। लोकप्रियता बहुत अच्छी लगती है पर उसके साथ जिम्मेदारी भी आती है यही समझ आया। हर वक़्त लगे कि न जाने कौन क्या सोच रहा होगा ? 
कहानी के लिए काफी लोगो ने अपने अपने स्तर पर मांग की।  बहुत अच्छा लगा। पर खेद है उसको विस्तार देने के लिए अभी समय नही आया है। 
सात साल बाद कोशिस की थी पर पूरी न कर सका। अपने उन बौद्धिक  साथी को उनके स्तर का ही जबाब - भाई जब मेरी जिंदगी में ही  अपूर्णता है तो कहानी कहाँ से पूरी लिख सकता हूँ। 

अब वनवास खत्म हो रहा है कुछ अच्छा सा , अलग सा आपके लिए लेकर जल्द ही मिलता हूँ। 















  

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