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गुरुवार, 29 जनवरी 2015

A interesting story of childhood

"चलो तुम्हे टीवी दिखाए "
               बात उन दिनों की है जब दूरदर्शन पर रविवार को सुबह ९ बजे चन्द्रकान्ता आया करता था।  मेरे घर में बिजली का कनेक्शन था पर टीवी  नही थी। होती भी तब भी किसी पड़ोसी के घर ही जाकर देख सकता था क्यू की बिजली आती ही नही थी।
शौकीन लोग शुक्रवार को बैटरी चार्ज करवा कर लाते फिर शुक्रवार , शनिवार की पिक्चर मजे से देखते। बची बैटरी रविवार को चन्द्रकान्ता भी दिखा दिया करती थी। रविवार की शाम वाली पिक्चर तो बैटरी को हिला हिला कर और कभी कभी गर्म पानी डाल ही देख पाते थे।
मेरे तीन भाई और २ चचेरे भाई  थे। हम साथ साथ तरह तरह के खेल खेला करते थे। अपनी उम्र उस टाइम गुल्ली डंडा खेलने की थी और भाइयो की उम्र कंचे खेलने की।
तभी सौर ऊर्जा ( सोलर पैनल ) ने गावो में अपने पैर पसारे। अब लोगो के घर में छत पर टीवी के एंटीना के साथ एक बड़ी आकर्षक प्लेट भी लगी दिखने लगी थी।
पड़ोस में गोलू भी रहता था। आपके साथ भी रहा होगा गोलू।  गोलू मतलब एक मोटा , थुलथुल , माँ बाप का लाडला जो बात बात पर अपनी मम्मी से शिकायत करने भागता था। आप समझ रहे न ऐसे गोलू हर किसी के साथ रहे होंगे। खैर गोलू के घर में टीवी भी आ गयी और सौर ऊर्जा भी लग गया।
गोलू घमंडी तो थे ही अब और ज्यादा भाव खाने लगे। किसी रविवार को जब पड़ोसी के घर में बैटरी जबाब दे गयी तो हम चंद्रकांता प्रेमी गोलू के घर की ओर भागे। पर गोलू ने दरवाजा न खोला। गोलू ने वजह बताई कि परसों हमने उन्हें गुल्ली डंडा नही खिलाया था।
उस दिन हम पांचो भाईओ ने कसम खायी कि कुछ करना है। 
उस घटना के तीसरे रविवार को प्लान बन गया।  मेरे घर के सामने काफी जगह थी। सामने पैरा ( पुआल , धान की फसल का छोटा छोटा गट्ठर ) की खरही ( कतार ) लगी थी।  उसके नीचे एक पुरानी बैलगाड़ी दब गयी थी। इसके चलते वहां एक छोटी सी सुरंग बन गयी थी। पैरा की खरही में  इस तरह छेद बहुत तरह से उपयोगी थे। कभी कभी उसमे कुतिया अपने पिल्ले देती थी। हम जैसे लोग चोर पुलिस खेलते थे और कभी कभी छुपने छुपाने वाला खेल ( आइस -पाइस ).  ज्यादातर उसमे कुश्ती हुआ करती थी।  

प्लान के तहत गोलू को उस होल के अंदर लाना था और अंदर छुपे भाईओ को जम कर कुटाई करनी थी गोलू की। मुश्किल यह थी कि गोलू को यहाँ तक लाया कैसे जाय ? मुझे आज इतने सालो के बाद भी यह समझ नही आता उस दिन वो बहाना मुझे कैसे सुझा और गोलू उस को मान भी कैसे गया था। 
शाम को जब गोलू   खेलने को आया तो मैंने अपने सबसे छोटे भाई को भेजा। भाई ने गोलू से जाकर बोला "चलो मेरे घर में कलर टीवी आयी है तुम्हे दिखाए।" गोलू ने काफी तर्क दिए पर अंततः आने को तैयार हो गए।  भाई ने कहा अभी वो टीवी पैक है इसलिए उस पैरा के भीतर रखी गयी है। आज सोचता हूँ कि गोलू को टीवी से ज्यादा उस होल के अंदर जाने की इच्छा थी। गोलू अंदर गए और उस अंधेरे बंद होल में उनको बहुत कायदे से कलर टीवी दिखाई गयी।  न जाने मोहल्ले के परम उपद्रवी लड़के #बद्री को इस प्लान का पता कहाँ चल गया था। उपद्रवी बद्री भी उसके अंदर छुपे बैठे थे और अपनी लम्बी टांगो से फाइट लड़ने के लिए मशहूर थे। गोलू को कूटने में बहुत मजा आया पर थोड़ी देर बाद जब गोलू मौका पर भाग गए। उनकी बहन वापस उलहना ( अवधी में ओरहन ) ले कर वापस आ गयी और उसने हाथ नचा नचा कर मेरी  माँ से नमक मिर्च लगाकर  शिकायत की। उसने जब कहा  कि कलर टीवी देखने को देखने के बहाने बुला कर मेरे भाई को मारा है। उस समय मोहल्ले की उन तमाम औरतो को उसकी बात पर यकीन नही हुआ क्यू कि  कोई यह मानने को तैयार न था कि कलर टीवी पैरा के ढेर में छुपा कर रखी जा सकती  है।

 खैर , मेरी  माँ के पास अगर कोई गलती से भी मेरी  शिकायत कर देता  था तो माँ पहले ठोकती थी फिर मामला पूछती थी। उस रात मुझे अपनी माँ की मार से ज्यादा गोलू को फसा कर कूटने का ज्यादा आंनद था। मोहल्ले के परम उपद्रवी लड़के बद्री की कहानी फिर कभी। 

© आशीष कुमार( All rights reserved ,do not copy paste it ) 
  

















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