कहानी के पीछे की कहानी
डिअर फ्रेंड्स , जिस दिन मैंने अपनी कहानी का पहला भाग पोस्ट किया था किसी ने कमेंट किया था कि मेरी अधूरी कहानियो की एक और सीरीज। मुझे हँसी साथ आर्श्चय हुआ भला उसने ऐसा क्यू कहा। खैर वो सही थे।
कोई भी कहानी एक थीम पर होती है। उस कहानी में main थीम थी हरी सिगरेट। आज से सात साल पहले उस कहानी को लिख कर न्यूज़ पेपर को भेजा था। उस के एडिटर का फ़ोन आया कि यह कैसे पॉसिबल है। खैर उन्होंने नही छापा। कहानी वापस आ गयी।
कहानी को कुछ सुधार कर , मैंने फेसबुक पर पोस्ट करना शुरू किया। अच्छा रिस्पांस मिला। पर तीसरे पार्ट तक आते आते एक ने कमेंट में ऐसा रायता फैलाया कि मन खट्टा हो गया। एक और कुछ साथी इतनी ज्यादा डिमांड कर रहे थे कि बस यही लगे कि लिखता रहू लगातार।
खैर , लिखना अपनी जगह है और सर्विस करना अपनी जगह। जॉब में अचानक इतनी व्यस्तता आ गई कि फेसबुक अकाउंट डीएक्टिवेट करके जाना पड़ा।
अब कुछ लोग ने व्हाट एप पर शिकायत करने लगे कि मैंने उन्हें ब्लॉक क्यू कर दिया है। जबकि अगर आप अकाउंट डीएक्टिवेट करते है तो सब को ऐसा ही लगेगा कि ब्लॉक्ड है। मोबाइल पर भी नेट कनेक्शन बंद करना पड़ा। लोकप्रियता बहुत अच्छी लगती है पर उसके साथ जिम्मेदारी भी आती है यही समझ आया। हर वक़्त लगे कि न जाने कौन क्या सोच रहा होगा ?
कहानी के लिए काफी लोगो ने अपने अपने स्तर पर मांग की। बहुत अच्छा लगा। पर खेद है उसको विस्तार देने के लिए अभी समय नही आया है।
सात साल बाद कोशिस की थी पर पूरी न कर सका। अपने उन बौद्धिक साथी को उनके स्तर का ही जबाब - भाई जब मेरी जिंदगी में ही अपूर्णता है तो कहानी कहाँ से पूरी लिख सकता हूँ।
अब वनवास खत्म हो रहा है कुछ अच्छा सा , अलग सा आपके लिए लेकर जल्द ही मिलता हूँ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें