BOOKS

बुधवार, 30 मई 2018

Thanks to all my lovely teacher



नमन उन गुरुजनों को 

आशीष कुमार 


प्रायः हम कई वादे अपने आप  से करते है पर जरूरी होते हुए भी पूरे नही कर पाते है। तमाम टीचर डे गुजरे , मुझे अपने प्रिय अध्यापकों की याद भी खूब आयी पर दो शब्द न उनसे कहे , न लिखे। हर बार लगा जब फुरसत होगी तब मिलूंगा , लिखूंगा उन पर। आज उन पर दो शब्द। वैसे कबीर ने गुरु पर लिखा है कि सतगुरु की महिमा अनंत। उस अनंत महिमा में दो शब्द में  लिखने का लघु प्रयास - 

१. श्री उमाशंकर ( मास्टर जी , ईशापुर , चमियानी , उन्नाव ) - सर मेरे गांव के है। मेरे गांव में लगभग हर घर में सरकारी नौकरी है और उसके पीछे मास्टर जी मेहनत का ही योगदान मैं मानता हूँ।  उनके पास कक्षा -5 से कक्षा -8 तक घर पर  टूशन (३०/40 रूपये महीने )  पढ़ने जाता था। उन्होंने मेरी मैथ बहुत अच्छी तैयार करवाई थी। जो मुझे आगे बहुत काम आती रही। दरअसल अंकगणित ( नल व टंकी , रेल , मजदुर और दीवाल वाले सवाल आदि ) का बेस अगर मजबूत हो तो आप कभी पिछड़ नहीं सकते। तमाम चीजे वहाँ से सीखी। जीवन की पहली प्रतियोगी परीक्षा ( नवोदय विद्यालय ) की तैयारी उनसे ही सीखी। हर रविवार वो इसकी पढ़ाई कराते थे। नवोदय में सफल तो न हुआ पर बाद में एकीकृत परीक्षा ( जिसमें लखनऊ के स्कूल में एडमिशन मिलता है , पता नहीं अब यह परीक्षा होती भी या नहीं ) में सफल हुआ। उन्होंने मेरी अंग्रेजी , गणित , रीजनिंग, जी.के.  खूब मजबूत कर दी थी। जिसका लाभ मुझे हर जगह मिला। हर बार जब गांव जाना होता तब उनसे मिलता जरूर हूँ। इस बार मिठाई से साथ मिला और मुझे महसूस हुआ कि निश्चित ही मेरी सफलता , उन्हें भी गर्वित करती है। उन्हें ह्रदय से नमन। 


2. श्री रितेश सिंह ( गुड्डू भईया , मौरावां उन्नाव )- हाईस्कूल पास करने के बाद मैंने इंटर की पढ़ाई मौरावां के के. न. पी. न. इंटर कॉलेज से की। भइया नवोदय से पढ़े है और मौरावां में कोचिंग पढ़ाते है। एक बार कक्षा -8 के दौरान मै मौरावां गया था , भइया के पास कुछ लड़के टूशन पढ़ने आये थे , मैं भी बैठ गया। कुछ सवाल दिए गए lcm और mcm के। मुझे तो याद नहीं पर उस बैच में कुछ भावी सहपाठी(सुदीप मिश्रा ) बैठे थे, जो उस दिन की मेरी गणित में तेजी देख अत्यधिक प्रभावित हुए। इसके बाद तमाम बातें है जो पहले मैंने पोस्टों में जिक्र किया है। भइया ने मुझे जीवन के तमाम विषयों में रूचि पैदा की। वही पर चेस खेलना ( आगे मैंने यूनिवर्सिटी लेवल तक भी खेला) , बैडमिंटन खेलना सीखा। नावेल पढ़ने की लत वही लगी। वहां से मैंने कोर्स की किताबें कम , अन्य विषयों की किताबे ज्यादा पढ़ने लगा। नतीजा यह हुआ कि एकेडमिक में मैं पिछड़ता गया पर एक बौद्धिक व्यक्तित्व की नींव पड़ने लगी। उन दो सालों में मैंने खूब नावेल पढ़े ( मौरावां के पुस्तकालय में ). भैया के पास इंग्लिश की कोचिंग पढ़ता था और उनके सानिध्य के चलते 12 में सबसे ज्यादा अंग्रेजी में अंक पाए।  तमाम बातें के बीच सबसे  महत्वपूर्ण बात यह कि भैया ने मुझे दोनों साल में फ़ीस न ली ( 60 रूपये महीने ). सतगुरु की महिमा अनंत है इसलिए ज्यादा विस्तार में न जाते हुए , यही कहूंगा कि व्यक्तित्व निर्माण में भैया का रोल काफी अहम रहा है। इस बार सफल होने के बाद , उनसे भी मिला अच्छा लगा। पता चला उनकी कोचिंग में अब हर कोई आईएएस की तैयारी करने की सोचने लगा है। 

3. श्री सुशील पांडेय ( भागीदारी भवन , लखनऊ )- सर भागीदारी भवन में इतिहास पढ़ाने आते थे। उनकी क्लास बड़ी रोचक होती थी। तमाम लोग इस बात से असहमत हो सकते है कि क्लास में सिर्फ कोर्स पढ़ाना चाहिए या फिर कोर्स के अलावा चीजे बतानी चाहिए। सर , की यह बात अच्छी लगती थी कि वो आईएएस , pcs से जुडी तमाम बातें बताते रहते थे। बड़ा मोटिवेशन मिलता था। सर , क्लास में मेरे ऊपर बड़ा स्नेह रखते थे। अगर कोई नोट्स लाते तो मुझे ही देकर जाते थे।इस उम्र में भी मेरे कान खींच लेते पर मुझे बुरा न लगता था। सर एक अच्छे परिवार से आते थे.कई आईएएस , आईपीएस उनके खास सम्बन्धी है। सर का वो दौर संघर्ष भरा था। पिछले महीने सिविल सेवा में सफलता पाने के बाद उनसे बात हुयी  और उन्होंने सुचना दी कि उनका चयन एसो. प्रोफेसर के पद पर लखनऊ विश्विद्यालय में हो गया है ,बड़ी खुशी हुयी। इस बार उनके घऱ मिलने पहुंचा तो सर से मुलाकात न हो सकी पर एक वादे के साथ अगली बार उनके घर एक दिन बीतेगा और साथ में डिनर होगा , मैं वापस अहमदाबाद आ गया। 



मैंने अपने जीवन में छोटी बड़ी तमाम सफलताएं ( प्रतियोगिता परीक्षा , लेखन आदि ) पायी है।  सरकारी स्कूलों में ही पढ़ा। पढ़ाई के लिए उन्नाव से बाहर कही निकला नहीं। मन में इस बात की कही न कही कुंठा भी रही कि इलहाबाद , बनारस , जे एन यू आदि में पढ़ता तो कितना अच्छा होता पर ऊपर लिखे अध्यापकों  ने हर कमी पूरी की। मैंने दो जगह फ़ीस का जिक्र इसलिए किया है  ताकि पता चले कि कितने कम रूपये में कितनी अच्छी शिक्षा मिली है। तीनों लोगों ने मुझे पर विशेष स्नेह रखा , महत्व दिया। इनका मैं जीवन भर कृतज्ञ रहूंगा।

पाठकों के लिए  एक जरूरी बात, सच्चे गुरु बड़ी मुश्किल से मिलते है अगर वो मिल जाते है तो उन पर अपार श्रद्धा रखना, उनका आशीर्वाद बड़े काम की चीज होती है।


- आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश 
( हाल में घोषित सिविल सेवा परीक्षा 2017 में हिंदी माध्यम से चयनित )







सोमवार, 28 मई 2018

What I read in last 15 days

हालांकि इसके अलावा भी काफी कुछ पढ़ा पर, यह नोट करने लायक था।

गुलजार की दो कहानी

1. धुंआ
2. तकसीम

रेणु

1. ठेस सिरचन की कहानी
2 . रसप्रिया -मृदरंगी पँचकौड़ी
3. लाल पान की बेगम- बिरजू की माँ, नाच देखने का पकरण

धर्मवीर भारती

1. बन्द गली का आखिरी मकान

अमरकांत

1 एक थी गौरा
2 दोपहर का भोजन
3 डिप्टी कलेक्टरी (सिविल सेवा की तैयारी करने वालो को जरूर पढ़ना चाहिए )
4 पोखरा
5. लड़का लडक़ी ( बहुत ही अच्छी)

अगस्टस स्ट्रिंग्बर्ग 
1. पुर्जा
2. धनिया की साड़ी

रमेश बक्षी

1 मुमताज महल का इयररिंग
2. जो सफल हैं

कई बार मैं जिक्र करता हूँ कि 500 से अधिक नावेल पढ़े होंगे और वो पुस्तकालय के रिकॉर्ड में होंगे भी पर मेरे पास अपनी पढ़ी पुस्तकों का लेखा जोखा नही है। यही सोच कर जो अब जो कहानी पढ़ता गया उसको नोट करता चला। नॉवेल या बड़ी बुक की संक्षिप्त समीक्षा लिखने का प्रयास करता रहता हूँ । उक्त कहानियां गद्य कोष पर ऑनलाइन उपलब्ध है और बहुत रोचक है। रेणु की कहानियाँ पर अलग से कुछ लिखने का विचार है। आंचलिक विषय वस्तु और भाषा मे वो बेजोड़ है।

©आशीष कुमार, उन्नाव, उत्तर प्रदेश।

Some more books



पिछले दिनों कुछ और किताबे पढ़ी गयी। दरअसल कई वर्षो बाद , अब फिर से वही पुरानी आदत यानि नावेल पढ़ना को समय दे पा रहा हूँ। 

१. दो मुर्दो के लिए गुलदस्ता - सुरेंद्र वर्मा का लिखा नावेल है। विषयवस्तु में दो नायक भोला और नील की कहानी है जो बॉम्बे में चलती है। दोनों दिल्ली छोड़ कर बॉम्बे जाते है और वहाँ की महानगरीय जिंदगी जीने के लिए बाध्य होते है , जिसमें धन है पर सकूँन नहीं है। नील पुरुष वेश्या बन जाता है और पारुल वाले प्रकरण के चलते उसकी हत्या कर दी जाती है। इससे पहले वर्मा का मुझे चाँद चाहिए नावेल पढ़ा था। वह स्तरीय था। उसमें वर्षा वशिष्ठ  की कहानी थी। मेरे कमिश्नर सर ने यह नावेल दिया था और हम दोनों का नावेल पढ़ने के बाद एक निष्कर्ष निकला था कि लेखन में कामुकता , नग्नता का पुट डालना शायद बाजार की मांग सी हो गयी है। कुछ पल को मुझे लगा कि मैं लुगदी साहित्य की परम्परागत कथा पढ़ रहा हूँ। भाषा जरूर स्तरीय है पर विषय वस्तु , हमेशा से दोहराई जाने वाली।  

२. मदारी - वेद प्रकाश शर्मा - इस सप्ताहांत मदारी को नेट से डाउनलोड करके पढ़ा। वेद प्रकाश को पहले खूब पढ़ा है। जीवन की तमाम दोपहर उनके नावेल पढ़ने में बीती है।  मदारी में राजदान नामक एक व्यक्ति अपनी मौत के बाद अपने बुने जाल में फसा कर, अपने कातिलों का जीना हराम कर देता है।

3. आखिरी शिकार - सुरेंद्र मोहन पाठक -  यह भी कल (रविवार ) नेट से डाउनलोड करके पढ़ा। सुनील सीरीज का नावेल है। घटनाक्रम लन्दन का है। रहस्य और रोमांच से भरपूर , पढ़ाकर मजा आ गया।  


-आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  












शुक्रवार, 25 मई 2018

Muft ka yash


मुफ्त का यश 


प्रेमचंद्र की एक कहानी है " मुफ्त का यश ". सिविल सेवा के पाठ्यक्रम (हिंदी साहित्य) में भी है। कहानी के शीर्षक से विषयवस्तु का पता चल जाता है। पिछले दिनों मुझे भी कुछ ऐसा ही महसूस हुआ। 28 अप्रैल को dd गिरनार ने सिविल सेवा 2017 में सफल होने के बाद मेरा इंटरव्यू मेरे घर आ कर लिया , जिसमें उन्होंने मेरे पड़ोसियों से भी मेरे विषय में पूछा और बात की। 

मेरे सामने वाले फ्लैट में एक काकी रहती है , आयु 60 के आस पास होगी। दुबली पतली पर बहुत फुर्त। जब कभी मुझे मिलती तो एक सवाल जरूर पूछती - खाना बना रहे हो या होटल में खा रहे हो। कभी कभी कुछ और सवाल भी। उस रोज जब टीवी पर बोलने के लिए कहा गया तो दो पड़ोसी तैयार हो गए। एक पड़ोसी जो बैंक में काम करते है और पढ़े लिखे होने के बावजूद , टीवी पर बोलने के नाम से उनकी हिम्मत जवाब दे गयी. काफी जोर भी दिया तब भी वो नहीं -नहीं करते रहे।  

काकी से पूछा गया तो क्या शानदार गुजराती में मेरे बारे में बताया। 6 साल से अहमदाबाद में रहने के दौरान  मैं  ज्यादा गुजराती बोल तो नहीं पाता पर  समझ जरूर लेता हूँ। काकी कह रही थी कि  यह लड़का बगैर आलस किये रोज पढ़ता था। चाहे रात का कितना ही वक़्त क्यू न हो इसकी लाइट जलती रहती थी। सुबह उठो तब भी जलती रहती थी। उस समय  मैं उनसे कुछ कहना चाहता था पर चुप रहा। 

दरअसल एक दिन उन्होंने पूछा था कि ये लाइट क्यू जलती रहती है रात में पढ़ते रहते हो क्या ? मैं समय बचाने के लिए पड़ोसियों से ज्यादा बोलने व घुलने मिलने में यकीन न करता था इसलिए संक्षेप में जबाब दिया था - हाँ। जबकि वो मेरे ड्राइंग रूम की लाइट थी जो फ्लैट में अंधरे से बचने के लिए हमेशा मैं जला क़र रखता था। पढ़ाई तो ज्यादातर लाइब्रेरी या अपने बैडरूम में ही करता था। काकी की याददाश्त बहुत अच्छी थी और मेरे बारे तमाम चीजे अपनी समझ से बहुत अच्छे से बगैर हिचके बोलती रही। उस दिन मुझे भी प्रेमचंद्र की समानुभूति हुयी। मुफ्त का यश की विषय वस्तु भी कुछ ऐसी ही है। 

-आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  









  

गुरुवार, 24 मई 2018

Some steps for employment generation

रोजगार बढ़ाने के क्या हो कारगर उपाय ?


भारत में पिछले कुछ दशक से रोजगार विहीन विकास के बारे सवाल उठते रहे है।  एक ओर हमारा देश विश्व के सबसे तेज गति से बढ़ने वाला देश माना जा रहा है।  हमने तमाम सूचकांकों में काफी अच्छी प्रगति की है। इसके बावजूद देश का युवा रोजगार के लिए सड़को पर उतर रहा है। हम अपने युवाओ को उनकी आशा के अनुरूप रोजगार नहीं दे पा रहे है। आज देश के तमाम इंजीनिरिंग कॉलेज से निकलने वाले ग्रेजुएट , गुणवत्ता पूर्ण जॉब के लिए तरस रहे है और अपनी आजीवका के लिए कम वेतन पर काम करने को मजबूर है। दूसरी ओर देश के लिए कुशल , दक्ष लोगों की भी कमी है। आखिर समस्या कहाँ और क्यों है ? 

दरअसल हमने अपने कॉलेज , स्कूलों में वर्षो से चले आ रहे पाठ्यक्रम को ही जारी रखा है जबकि उनमें आज की जरूरत के अनुरूप विषयो पर जोर दिया जाना चाहिए। आज बिग डाटा एनालिसिस , ऑटोमेशन , इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स जैसी चीजों की बात हो रही है और हम अपने युवाओं को 1990 के दशक के अनुरूप विषय पढ़ा रहे है। 1992 के बाद से हमारी शिक्षा नीति नहीं बदली गयी है। पूर्व कैबिनेट सचिव टी यस आर की अध्यक्षता में नई शिक्षा नीति के लिए हमने एक समिति का गठन जरूर किया पर उसकी सिफारिशों पर अब तक कोई कदम नहीं उठाये गए है। इस दिशा में हमें जल्दी से विचार कर जरूर कदम उठाने होंगे।  

रोजगार बढ़ाने के लिए भारत को सनराइज उद्योगों यथा खाद्य प्रसंस्करण , जैविक खेती , विनिर्माण आदि श्रम बहुल क्षेत्रो पर ध्यान देना होगा। जरूरत के अनुरूप स्किल का विकास करना होगा। भारत में आधारभूत ढांचे के लिए तमाम सड़क, पोर्ट , एयरपोर्ट , एक्सप्रेस वे , औधोगिक गलियारे आदि से जुडी योजनाओं में रोजगार के लिए असीम संभावनाएं है।  मेक इन इंडिया , स्किल इंडिया , भारत माला , सागरमाला , उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में डिफेन्स कॉरिडोर का विकास आदि कार्यक्रमों के जरिये सरकार इस दिशा में काफी महत्वपूर्ण कदम उठाये है। एक बात ध्यान में रखनी होगी कि रोजगार के हमेशा सरकार की ओर हमेशा मुँह ताकने के बजाय जहां तक संभव हो , खुद रोजगार पैदा करने वाले बने तो देश में रोजगार की समस्या का काफी हद तक निदान हो सकता है। इसीलिए सरकार मुद्रा योजना , स्टैंड अप इंडिया , स्टार्ट अप इंडिया जैसी योजनाओं के जरिये देश में निवेश व स्वरोजगार के लिए माहौल बनाया है। आशा की जा सकती है कि आने वाले समय में बेरोजगारी की समस्या काफी हद तक दूर हो सकेगी।  

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  
  

रविवार, 20 मई 2018

Experience

2 साल तक न्यूज़पेपर तक नहीं पढोगे

एक ips मित्र ( 2014 , up कैडर) से , अपनी सफलता के बाद हाल में ही अहमदाबाद में मिलने का अवसर मिला। उन्होंने तमाम बातों के साथ एक बड़ी अनुभव की बात कही।बोले अब दो साल तक न्यूज़पेपर तक पढ़ने का मन न होगा।

बड़ी पकी हुई बात थी। 11 अप्रैल को interview के बाद से कुछ भी न पढ़ा। रिजल्ट 27 अप्रैल को आया, उसके बाद न्यूज़पेपर भी बंद करा दिया वजह सब पेपर खोले तक न गए थे।
समय समय की बात है ,वरना मैं लगतार योजना, कुरुक्षेत्र मैगज़ीन तक लेने वाला व्यक्ति हूँ, आम तौर पर लोग इन्हें रेगुलर नही लेते।fully updated रहता था। अब तमाम ताम झाम में व्यस्त हूँ, देश दुनिया मे क्या हो रहा है, मुझे न के बराबर जानकारी है। खैर , फर्क क्या पड़ता है।

वैसे मैं इस बीच मे अपना पुराना नशा , नावेल पढ़ने की आदत को फिर से जीवित कर रहा हूँ और हाथ मे 'मुझे चाँद चाहिए' फेम सुरेन्द वर्मा का नया नावेल " दो मुर्दो के लिए गुलदस्ता" पढ़ रहा हूँ जो मेरे कमिश्नर साहब ने पढ़ने के लिए दी है।

आशीष, उन्नाव।।

गुरुवार, 17 मई 2018

My Speech @ Chief Minister of Gujrat visit



माननीय  मुख्यमंत्री साहब  गुजरात  , डायरेक्टर साहब  स्पीपा , मंच पर उपस्थिति अन्य मंत्री /अधिकारीगण, टीम स्पीपा , मिडिया से जुड़े मित्रगण , सफल साथी मित्रों , मुझे आज अपार हर्ष व गर्व की अनुभूति हो रही है कि मुझे इतने बड़े व  महत्वपूर्ण मंच से दो शब्द बोलने का अवसर मिला है।  

सबसे पहले मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ जो उन्होंने अपने व्यस्त दिनचर्या से हमारे लिए इतना समय निकाला। यह उनकी विनम्रता , सज्ननता का सटीक उदाहरण है।सिविल सेवा भारत की सबसे चुनौतीपूर्ण परीक्षा मानी जाती है। मै पिछले 9 सालों से लगातार इसमें शामिल होता और इस साल अपने आखिरी प्रयास में सफलता पायी है। 6 बार मैन्स , तीसरी बार इंटरव्यू देने के बाद , सफलता का स्वाद चखना, सच में बहुत ही  खुशी का विषय है। यहाँ पर मुझे बहुत प्रेरक 2 पंक्तियाँ याद आती है -

" रख हौसला  वो मंजर भी आएगा
प्यासे के पास समुंदर भी आएगा। "


कहते है सफलता के पीछे तमाम लोगों की मेहनत , शुभकामनाएं होती है। मैं मूलतः उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले से हूँ और जनवरी 2012 से कस्टम विभाग , अहमदाबाद में इंस्पेक्टर के पद पर जॉब करते हुए तैयारी में लगा रहा हूँ । वर्ष 2015 में मुख्य परीक्षा के बाद मुझे मॉक इंटरव्यू की तैयारी के लिए स्पीपा, अहमदाबाद से जुड़ने का अवसर मिला। जब स्पीपा करीब से जाना तो मुझे तमाम चीजे बेहद खास लगी। मेधावी छात्रों की आर्थिक मदद , मॉक इंटरव्यू के साथ साथ , दिल्ली में बेहद कम दरों में परीक्षार्थी को गुजरात भवन में 15 दिन तक रहने के लिए , टीम स्पीपा पूरा सहयोग करती है।  इस बार बड़ी संख्या में चयनित लोगों के पीछे , स्पीपा टीम का अथक परिश्रम , छात्रों के प्रति समर्पण ही है।मैं एक बार फिर से स्पीपा के डायरेक्टर सर, और स्पीपा स्टाफ  का हद्रय से धन्यवाद देना चाहता हूँ.सभी को बहुत बहुत आभार , धन्यवाद। अपनी बात का अंत मै प्रसिद्ध शायर बशीर बद्र के शेर से कर रहा हूँ -

चिरागों को आंखों में महफूज़ रखना
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी

मुसाफिर हो तुम भी, मुसाफिर हैं हम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश। 





बुधवार, 16 मई 2018

Yojna April 2018 issue


लुक ईस्ट से एक्ट ईस्ट तक 


योजना का अप्रैल 2018 अंक पूर्वोत्तर भारत पर रोचक , अनूठे लेखों से भरा है। यह लेख  भारत के पूर्वी भाग की आर्थिक , सामाजिक , सांस्कृतिक समझ विकसित करने में बड़े सहायक है। पहले लेख में दास जी समावेशी विकास और पूर्वी भारत से जुड़े अहम पहलुओं पर प्रकाश डाला है। आजादी के बाद से ही पूर्वी भारत के विकास के प्रयास किये जाते रहे है पर इनमें अहम गति तब देखने को मिली जब माननीय प्रधानमंत्री जी ने एक्ट ईस्ट का नारा दिया। पिछले वर्ष भारत ने अपना सबसे लम्बा नदी पुल ढोला -सादिया  पूर्वी भारत में बनाया। इस पुल के जरिये पूर्वी भारत में सम्पर्क तेजी से हो सकेगा।  यह पुल सामरिक लिहाज से भी काफी अहम है , इसके जरिये    काफी वजनी टैंकर भी गुजर सकते है। 

पूर्वी भारत के विकास के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी ने 3 C यानि कॉमर्स , कल्चर और कनेक्टिविटी पर जोर देने की बात कही है। पूर्वोत्तर भारत में खाद्य प्रसंस्करण , पर्यटन , बागवानी , फलों की खेती , बांस से जुड़े लघु उद्योग के अनगिनत अवसर है। भारत सरकार इस विषयों पर विविध योजनाओं पर काम कर रही है। बांस को पेड़ की श्रेणी से बाहर कर दिया है। इस वर्ष बजट में 1290 करोड़ रूपये के आवंटन के साथ संशोधित बांस मिशन शुरू किया गया है। पूर्वी भारत में जल विद्युत् उत्पादन की असीम सम्भावनाये है। 

अभी 10 अप्रैल 2018 को नीति आयोग ने पूर्वी भारत पर क्रेंद्रित अपनी पहली बैठक में  'हीरा' पर जोर दिया।   'हीरा' (HIRA ) का आशय हाईवे , इनलैंडवाटरवे , रोडवे और एयरवे से है। पूर्वी भारत की सबसे बुनियादी समस्या यानि सम्पर्क का हल 'हीरा' में छुपा है। 'क्या आप जानते है ' स्तम्भ के तहत अन्तर्राष्टीय सोलर संगठन के बारे गहन जानकारी बहुत अच्छी लगी। 

कृत्रिम मेधा इन दिनों बेहद चर्चा में है। अविक सरकार ने हिंन्दी में इस जटिल विषय के बारे में बेहद रोचक व सरल तरीके से बताया है। समग्रतः योजना का यह अंक सटीकता से  सुसम्पादित व पूर्वी भारत की जानकारी के लिए प्रामाणिक स्रोत बन पड़ा है।  

आशीष कुमार 
उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

सोमवार, 14 मई 2018

story of a UPSC ASPIRANT


कहानी : upsc आशिक की 


एक शाम उनके पास पहुंचा तो अजीब मनस्थिति में उन्हें पाया। वो  एक गिटार लिए थे और कहने लगे कि अब बस इसी का सहारा है। iit से थे और एक बहुत अच्छी जगह जॉब कर रहे थे। 2 बार से उनका आईएएस pre नहीं निकल रहा था। एक pre एग्जाम के दौरान ही मुलाकात हुयी थी। 

उस दिन उनके  सरकारी आवास पर मुझे काफी चीजे अलग लगी। वो कहने लगे कि अब शाम को यही बजाता हूँ और ये जो तुलसी का पेड़ है यह मेरा संगीत सुनता है और प्रसन्न होता है। मैंने पूछा कैसे ? वो बोले अपने पत्तों से यह मुझे जबाब देता है। मुझे उस वक़्त यही लगा कि एक होनहार बंदा , upsc के मकड़जाल में उलझ कर अपनी चेतना खो बैठा है। कुछ पल को मुझे लगा कि वो मजाक कर रहा है पर वो पूरा गंभीर था। 

उसके साथी भी तैयारी करते थे और बगल के फ्लैट में रहते थे। उनसे भी बात हुयी तो वो बोले कुछ नहीं पर मुझे true caller पर उस दोस्त का नंबर सर्च करने को  कहा। true कॉलर ने जो नाम बताया वो देख कर मुझसे कुछ कहा न गया। उस पर उनका नाम upsc आशिक दिखा रहा था। पता नहीं यह किसकी कलाकारी थी जो दोस्त का नाम इस तरह से सेव कर रखा था। आपको पता ही होगा true कॉलर कैसे काम करता है। मैं बगैर कुछ  बोले वहाँ से चला आया।  

फुटनोट :- वो मित्र अगले प्रयास में भारतीय सिविल सेवा में सफल हुए और इन दिनों एक बेहद महत्वपूर्ण सिविल सेवा में है। पिछले दिनों एक काम  के चलते उनसे सम्पर्क हुआ तो मुझे यह प्रसंग याद आ गया।   


कॉपी राइट - आशीष कुमार , उन्नाव , उत्तर प्रदेश।  

शनिवार, 12 मई 2018

Success

सफलता

सफलता के लिए सबसे जरूरी होता है खुद पर विश्वास होना। असफ़लता , सफलता का एक अभिन्न अंग है। असफल होने पर आपको खुद ही खड़ा होना पड़ेगा। ऐसे समय मे अपने पर यकीन बनाये रखना बड़ा काम आता है। हर सफल व्यक्ति को हमेशा से यह अहसास होता है कि वो जरूर सफल होगा।

अगर विषम हालात हो तो भी आप सफल हो सकते है हाँ थोड़ा टाइम जरूर लग सकता है। निरन्तर लगे रहे । खरगोशों को आगे जाने दीजिए। अपने पिछड़ने का अफसोस न करिये। धर्य व अथक मेहनत का कोई विकल्प नही है।

© आशीष - सिविल सेवा 17 में चयनित

मंगलवार, 8 मई 2018

UPSC FINAL RESULT 2017



NAME- ASHEESH KUMAR

CSE 2017 RANK -817

UPSC ROLL NO. 0344965

ATTEMPT- 9TH (2009-2018) (THANKS GOD, IT WAS MY LAST ATTEMPT)

MAINS WRITTEN- 6 TIMES 

INTERVIEW- 3RD TIME (2011, 15)

INTERVIEW BOARD- DR. MANOJ SONI (11.04.2018)

OPTIONAL SUBJECT- HINDI LIT.

MEDIUM-HINDI

Pre & Mains Exam Center- AHMEDABAD


SOME RELATED INSTITUTES - BHAGIDARI BHAVAN, LUCKNOW
SPIPA AHMEDABAD
GUJRAT BHAVAN, DELHI



WORKING EXPERIENCE - 7 YEARS IN EXCISE & CUSTOMS AS INSPECTOR, 1 YEAR AS AUDITOR IN DEFENCE ACCOUNT, 1 YEAR AS TEACHER IN KGBV

10TH - 53%

12TH-54%

B.Sc.- 55%

OTHER - GREAT INTEREST IN WRITING, PUBLISHED MANY ARTICLE/LETTER'S IN VARIOUS HINDI MAGAZINES LIKE KURUKSHETRA , YOU MAY KNOW/LISTEN ABOUT "IAS KI PREPARATION HINDI ME" BLOG, FACE PAGE, TELEGRAM CHANNEL I AM BEHIND THAT. GOOGLE IT FOR MORE DETAILS.

CONTRACT- ASHUNAO@GMAIL.COM

 इस सफलता के साथ साथ अपने तमाम साथी मित्रों के लिए दुःख है । मैं आपके दुःख की तरह से पिछले 9 सालों से गुजर रहा था। अंत में मैं अपने सभी मित्रों को हार्दिक आभार व्यक्त करना चाहता हूँ। मेरी सफलता में अनगिनत लोगों का सहयोग है । 

         
आशीष कुमार
उन्नाव, उत्तर प्रदेश।।


Featured Post

SUCCESS TIPS BY NISHANT JAIN IAS 2015 ( RANK 13 )

मुझे किसी भी  सफल व्यक्ति की सबसे महतवपूर्ण बात उसके STRUGGLE  में दिखती है . इस साल के हिंदी माध्यम के टॉपर निशांत जैन की कहानी बहुत प्रेर...