समावेशी शिक्षा के लिए नए कदम
आशीष कुमार
" शिक्षा सबसे ताकतवर हथियार है , जिसका इस्तेमाल आप दुनिया बदलने के लिए कर सकते हैं " नेल्सन मंडेला
महात्मा गाँधी जी के अनुसार- "भारत की आत्मा गावों में बसती है।" यूँ तो आजादी के बाद गांव , सरकार की नीतियों के क्रेन्द्र में रहा है तथापि इसके बावजूद ग्रामीण ढांचे में आशानुरूप बदलाव दृष्टिगत नहीं होते हैं । बात चाहे बिजली , पानी, सड़क जैसी आधारभूत संरचना की हो या फिर शिक्षा , स्वास्थ्य , कौशल विकास जैसी सामाजिक सेवाओं की हो। आज भी ग्रामीण भारत इन मसलों में शहरों के मुकाबले कमतर नजर आता है। दरअसल आजादी के बाद ग्रामीण भारत के लिए जिस गहनता से प्रयास किये जाने चाहिए थे वह न हो सके। इस वर्ष के बजट को जोकि ग्रामीण विकास और शिक्षा पर केन्द्रित माना जा रहा है, भारत की आत्मा के लिए सभी लिहाज से बेहद मत्वपूर्ण समझा जा सकता है। इस बार के बजट में ग्रामीण भारत के ढांचागत स्वरूप में। क्रांतिकारी बदलाव के बीज छुपे हैं ।
सार्वभौमीकरण पर जोर दिया गया। इस नीति के तहत शिक्षा में सुधार के लिए विविध कार्यक्रम जैसे ऑपरेशन ब्लैकबोर्ड , लोक जुम्बिश , महिला समाख्या , मिड डे मील कार्यक्रम , सर्व शिक्षा अभियान आदि चलाये गए। भारत में शिक्षा के लिए वर्ष 2009 सबसे अहम कहा जा सकता है , इसी वर्ष शिक्षा को हर बच्चे के लिए मूलभूत अधिकार के अनुरूप शिक्षा का अधिकार और निःशुक्ल शिक्षा अधिनयम लागू किया गया।
सुप्रसिद्ध
अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने लिखा है कि भारत समय से अपनी प्राथमिक शिक्षा और
स्वास्थ्य में पर्याप्त निवेश न करने की कीमत भुगत रहा है । यह सच है कि किसी भी
समाज की प्रगति की नींव शिक्षा की मजबूत दशा व स्वास्थ्य के मुलभूत सुविधाओं की
उपलब्धता मानी गयी है। शिक्षा में भी प्राथमिक शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण है।
प्राथमिक शिक्षा की मजबूती से ही समाज में समता का मार्ग खुलता है। यह व्यक्ति को
तमाम कौशल विकास के लिहाज से भी अपरिहार्य मानी गयी है।
शिक्षा के अधिकार में प्राथमिक स्तर पर प्रति अध्यापक 30 छात्र और जूनियर स्तर
पर प्रति अध्यापक अधिकतम 35 छात्रों की बात कही गयी थी। ग्रामीण क्षेत्र में
शिक्षा की खराब दशा का एक बड़ा कारण अप्रशिक्षित अध्यापकों द्वारा शिक्षा दिया जाना
है। इसके चलते ही शिक्षा की दशा जस की तस बनी हुयी थी। इस साल के बजट में
शिक्षा के आधारभूत ढांचे में उन्नयन के लिए राइज योजना के तहत 1 लाख करोड़ रूपये का बजट आवंटन किया गया
है। यह अब तक का सबसे अधिक आवंटन है। सरकार ने 13 लाख अध्यापकों के लिए प्रशिक्षण की बात कही गयी है। इसके
लिए पिछले वर्ष शिक्षक दिवस ( 5 सितम्बर 2017 ) के अवसर पर स्थापित दीक्षा पोर्टल से माध्यम से तकनीकी
मदद दी जाएगी। बड़ी मात्रा में अध्यापकों की भर्ती के जरिये शिक्षक-छात्र अनुपात को सुधारा जायेगा। आशा की जा सकती है कि इससे शिक्षा के क्षेत्र में काफी बदलाव
आएगा।
हमारे प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि __________शौचालय नहीं होने से लड़कियाँ पढ़ाई लिखाई छोड़ने को विवश हो जाती
हैं तथा आर्थिक गतिविधियों में योगदान नहीं दे पाती हैं। इस वर्ष , सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत 2 करोड़ शौचालय का निर्माण करने का लक्ष्य निर्धारित किया
है। इसके तहत आंगनवाड़ी में भी शौचालय का निर्माण करवाया जायेगा। बाल शिक्षा में
आंगनवाड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं । इस कदम से शिक्षा को स्वच्छता से जोड़ दिया गया है। इसका असर ग्रामीणों के
स्वास्थ्य पर भी देखने को मिलेगा।
एक समय था कि गांव में छात्र दीपक व लैंप जलाकर ही पढ़ाई किया करते थे। ग्रामीण क्षेत्र में
बिजली तक _____पहुंच सुनिश्चित हो सके , इसके लिए पिछले साल दिसंबर में सौभाग्य योजना की शुरुआत की गयी है। इसमें ग्रामीण परिवारों
को बिजली के कनेक्शन दिलवाने पर जोर दिया जा रहा है। अगर
सभी को बिजली मिलेगी तो शिक्षा का प्रदर्शन
उन्नत हो सकेगा।
ग्रामीण क्षेत्रो में
अभिवावकों में शिक्षा के प्रति उदासीनता का एक बड़ा कारण गरीबी , नियमित आय न होना भी है। ग्रामीण अपने बच्चों
को स्कूल न भेज कर खेतों में काम ______के लिए जोर देते है। इस बार के बजट में ग्रामीणों
की आय में सुधार के लिए सरकार ने कृषि में लागत का डेढ़ गुना मूल्य देने की बात कही है। इसके साथ ही देश कि 22000 ग्रामीण हाटों को उन्नत कर ग्रामीण बाजार में
बदलने का निर्णय लिया गया है। किसान इन
बाजारों में अपनी फसल सीधे व्यापारियों
को बेच सकते हैं और अच्छा लाभ कमा सकते हैं । किसान की खराब होने वाली फसल आलू , प्याज , टमाटर आदि के संरक्षण के लिए 500 करोड़ रूपये से ऑपरेशन ग्रीन की शुरुआत की जाएगी। जिस तरह ऑपरेशन फ्लड से गावों में दूध उत्पादन में अपार वृद्धि हुयी, उसी तरह से यह योजना ग्रामीण परिवेश में सब्जी उत्पादकों
के लिए काफी बदलाव लाएगी। इन कदमों से ग्रामीण क्षेत्र में आर्थिक
गतिविधियों में वृद्धि होगी।
जिसके चलते ग्रामीणो की आय बढ़ेगी और आय वृद्धि का असर ग्रामीण शिक्षा पर भी पड़ेगा।
आज ग्रामीण इलाकों में
भी तकनीक का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। लगभग हर ------ किसी के पास मोबाइल
है। स्मार्ट मोबाइल पर शिक्षा से जुड़े तमाम एप , ग्रामीणों की मदद कर रहे है। इसरो ने एडुसैट का लांच क़र , इस दिशा में
महत्वपूर्ण कदम उठाया है। विद्याज्ञान जैसे कार्यकमों के जरिए निजी क्षेत्र भी
ग्रामीण शिक्षा में काफी मदद कर रहे हैं।
सरकार ने देश के सभी
स्कूलों में ब्लैकबोर्ड को स्मार्ट बोर्ड से परिवर्तित करने का निर्णय लिया
है। इस कदम से ग्रामीण शिक्षा ढांचागत बदलाव आएंगे। स्मार्ट बोर्ड में टीचर किसी विषय में उसकी 3 डी इमेज दिखला सकता है। शिक्षा में
इंटरैक्टिव लर्निंग पर शिक्षाविदों द्वारा हमेशा से जोर
दिया जाता रहा है। इसके तहत बचपन से
बच्चों को डिजिटल शिक्षा में दक्ष किये जाने पर जोर दिया जा रहा है।
आज के चुनौतीपूर्ण समाज के लिए सिर्फ परम्परागत शिक्षा से हम भविष्य के ______नागरिक
नहीं तैयार कर सकते हैं । आज जब कृत्रिम बुद्धिमत्ता , इंटरनेट ऑफ़ थिंग, बिग डाटा एनालिसिस, डीप लर्निंग , ऑटोमेशन जैसे नये विचारों को
समाज में जगह मिल रही है तो हमे भी उसी के अनुरूप अपने बच्चों को शिक्षा देनी होगी। अगर हम इसमें पिछड़ गए तो अपनी जनसंख्या लाभांश का लाभ उठाने से वंचित रह जायेंगे। डिजिटल डिवाइड जैसी नूतन समस्या
भी सरकार की नजर में हैं । इसीलिए सरकार बड़ी मात्रा में ग्रामीण इलाकों में तेज ब्राडबैंड की पहुंच पर
जोर दे रही है। नेशनल ऑप्टिक फाइबर मिशन के तहत देश की सभी ढाई लाख ग्राम पंचायतों को तेज
इंटरनेट नेटवर्क से जोड़ा जा रहा है ।
इस बजट में सरकार ने
कहा है कि लर्निंग आउटकम सभी कक्षाओं के लिए तैयार कर लिए गए हैं । इससे
कोई भी अभिवावक , शिक्षक यह जान सकेगा कि बच्चा जिस क्लास में
है क्या वह वाकई उसके योग्य है या नहीं । इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ
कमजोर छात्रों के लिए विशेष प्रयास किये जा सकेंगे। माध्यमिक शिक्षा के लिए एक नवाचार फण्ड का गठन भी किये जाने
की बात की गयी है। नवाचार पर सरकार इस समय खूब जोर दे रही है। नवाचार , भविष्य के लिए एक दीपक का कार्य करेगी। नीति आयोग राष्टीय शिक्षा मिशन के लिए जोर दे रही है। इसके अनुरूप सर्व शिक्षा अभियान और
माध्यमिक शिक्षा अभियान तथा शिक्षक प्रशिक्षण को मिला कर
एक अम्ब्रेला कार्यकम तैयार किया जायेगा। शिक्षक प्रशिक्षण के लिए एकीकृत बीएड के लिए भी योजना बनाई जा रही है। इन कदमों से शिक्षा के क्षेत्र में पूर्व
में फैले बिखराव पर रोक लग सकेगी। शिक्षा में एकरूपता आएगी।
सरकार ने बच्चों में
स्कूल छोड़ने की दर कम करने के लिए शिक्षा का अधिकार कक्षा-8 से आगे की कक्षाओ तक विस्तार करने का विचार
कर रही है। प्रायः देखा गया है कि ग्रामीण परिवेश में कक्षा-8 ---- बाद पढ़ने के लिए
अभिवावक भी उत्त्साह नहीं दिखाते हैं । अगर निःशुक्ल और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान
अगली कक्षा में लागू होगा तो निश्चित ही हम देश के लिए ज्यादा बेहतर नागरिक तैयार
कर सकेंगे।
राष्टीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के लिए 4213 करोड़ रूपये का बजट आवंटन किया गया है। इसमें 4.5 लाख अध्यापकों को सेवा के साथ परीक्षण की भी
व्यस्था की गयी है। 1500 नए विद्यालयों में आई
सी टी अवसंरचना उपलब्ध कराई जाएगी। लड़कियों के लिए 100 छात्रावासों का निर्माण किया जायेगा। इससे बालिका शिक्षा में काफी सुधार होगा।
प्रायः देखा गया है कि छात्राओं में ड्राप आउट की दर ज्यादा होती है। इन छात्रावासों के जरिये काफी हद तक ड्राप आउट दर में ------ की आशा की जा सकती है। 600 नए माध्यमिक स्कूल खोले जाने का भी
निर्णय इस बजट में लिया गया है। बजट में इस योजना के
मध्यावधि परिणाम के रूप में शिक्षा और शिक्षण परिणामों की गुणता में सुधार की आशा
की गयी है। ज्यादा माध्यमिक विद्यालयों की उपलब्धता से ऊपरी कक्षा में
बच्चों के नामांकन की दर में भी सुधार होगा। व्यवसायिक शिक्षा के लिए 1000 नए स्कूलों को शुरू किया जाना है। इसके जरिये
स्कूलों में व्यवसायिक कौशल की व्यस्था होगी। भारत डेमोग्राफिक डिविडेंड का भी लाभ ले सकेगा।
सरकार ने बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बेटी पढ़ाओ , बेटी बचाओ अभियान को 22 जनवरी 2015 से शुरू किया है। इस कार्यक्रम का असर
लिंग अनुपात में सुधार के रूप मे देखा गया है। इस साल इस योजना के लिए पिछले
वर्ष के 186.04 करोड़ रूपये के मुकाबले
भारी वृद्धि करते हुए
280 करोड़ रूपये का आवंटन किया गया है। कस्तूबरा गाँधी आवसीय
बालिका विद्यालय योजना की शुरूआत सन 2004 में उन लड़कियों के लिए की गयी थी जो किसी
कारणवश अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़ देती है। इन विद्यालयों में पढ़ाई के साथ साथ रहने व
खाने के लिए निःशुल्क व्यवस्था की गयी है।
पिछले कुछ समय से यह देखने
में आ रहा था कि जनजातीय क्षेत्रों में अभिवावक आवासीय विद्यालयों को ज्यादा
वरीयता देते है। इसकी वजह नक्सल ,
चरमपंथ आदि समस्याओं को
माना जाता है। इन समस्याओं के चलते बच्चों की स्कूली शिक्षा बहुत प्रभावित होती
है। इस वर्ष सरकार ने जनजातीय समुदाय के शैक्षिक
उन्नयन हेतु एकलव्य मॉडल आवासीय
विद्यालय खोलने की बात कही है। इसके
तहत सन 2022 तक हर जनजातीय ब्लॉक ( ऐसे
ब्लॉक जहां जनजातीय समुदाय का आबादी में 50 प्रतिशत से अधिक भाग हो ) में एक विद्यालय खोल दिया जायेगा। यह विद्यालय नवोदय विद्यालय के तर्ज
पर खोले जायेंगे। निश्चित ही ये विद्यालय
जनजातीय समुदाय के शैक्षिक उन्नति के लिए वरदान साबित होंगे।
एक स्वस्थ शरीर में
स्वस्थ दिमाग रहता है। भारत सरकार इस वर्ष ग्रामीण भारत के लिए आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की है । इस योजना के तहत हर साल 10 करोड़ परिवारों को 5 लाख रूपये स्वास्थ्य
बीमा के रूप में मदद प्रदान की जाएगी।
इसके साथ ही 1.5 लाख वैलनेस सेण्टर खोलने के लिए भी प्रावधान किया गया है। ग्रामीण इलाके में
बीमारी पर ख़र्च तेजी से बढ़ा है और प्रायः देखा गया है कि बड़ी संख्या में लोग
बीमारी के इलाज में कर्ज लेते है और उसके जाल में उलझ कर रह जाते है। जिसका सीधा
असर शिक्षा पर पड़ता है। आयुष्मान भारत योजना के तहत ग्रामीण इलाके में बीमारी पर
ख़र्च की लागत न के बराबर रह जाएगी और ग्रामीण पैसे के आभाव में अपने बच्चों को
स्कूल से निकाल कर , काम-काज पर भेजने के
लिए मजबूर न होंगे।
सर्व शिक्षा अभियान का उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा का सार्वभौमीकरण, अधिगम की गुणवत्ता में सुधार , शिक्षा के जरिये सामाजिक न्याय की प्राप्ति
आदि है। यह भारत सरकार की शिक्षा के क्षेत्र में
सर्वप्रमुख योजना है। इस बार बजट में 26128.81 करोड़ रूपये का आवंटन किया गया है। इसमें 8.22 करोड़ रूपये की पाठ्य पुस्तकें मुफ्त वितरित की
जानी है। क्लासरूम में बेहतर
शिक्षक और छात्र अनुपात होगा। स्कूल में बेहतर उपलधता और पहुंच लगभग 96.5 प्रतिशत हो सकेगी।स्कूलों के बुनियादी ढांचे पर
भी जोर दिया जायेगा। सरकार का उद्देश्य स्थानीय नवोन्मेषी सामग्री के जरिये सृजनशीलता को
बढ़ावा देने के लिए विज्ञान की शिक्षा और पाठ्यक्रम में लचीलेपन पर जोर दिया जायेगा।
सरकार ने प्रारंभिक स्तर पर विज्ञान शिक्षा को बढ़ावा देने
के लिए प्रति जिला 25 लाख रूपये का आवंटन किया है। इससे ग्रामीण परिवेश के छात्र भी विज्ञान में
न केवल ज्ञान अर्जित कर सकेंगे बल्कि वह राष्ट के विकास में भी मत्वपूर्ण भूमिका
निभा पाएंगे।
साक्षर भारत की शुरआत सन 2009 में अन्तर्राष्टीय साक्षरता दिवस के दिन हुई थी। इसका उद्देश्य गैर साक्षरों को शिक्षा देना, स्त्री -पुरुष साक्षरता में अतंर को 10 प्रतिशत तक सीमित करना , साक्षरता स्तर पर शहरी ग्रामीण असमानता को कम
करना , साक्षरता का अनुपात 2011 के स्तर 73 से बढ़ा कर 80 प्रतिशत करना है। पहले इसमें अक्षर ज्ञान पर जोर दिया गया था। अब इसको विस्तारित
करते हुए इसमें विधिक शिक्षा के ज्ञान को भी जोड़ा गया है। जिसकी मदद से
ग्रामीण न केवल साक्षर बन सकेगें साथ ही वह कानूनी अधिकारों के बारे भी ज्यादा जागरूक
हो सकेगें। इसमें चुनाव , डिजिटल साक्षरता के साथ साथ वित्तीय
साक्षरता पर भी जोर दिया जा रहा है। इस बजट में इस कार्यक्रम के लिए 320 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। इसके तहत 1 करोड़ गैर साक्षरों को मूलभूत साक्षरता दी
जाएगी।
स्वयं पोर्टल - यह तकनीक का शिक्षा में अनुप्रयोग है।
इसके तहत 593 ऑनलाइन कोर्स उपलब्ध है। जिसको डीटीएच टीवी से जोड़ दिया गया है। मैसिव ऑनलाइन ओपन कोर्स के लिए विस्तृत दिशा निर्देश तैयार किये
गए है। इसमें सबसे अच्छे अध्यापकों द्वारा पढ़ाये
गए पाठ्यक्रम , उच्च गुणवत्ता वाले पाठन संसाधनों तक
पहुंच, सबके लिए सुनिश्चित की गयी है। इसके साथ साथ सारांश, ई-बस्ता , शाला-सिद्धि, स्टेम स्कूलो, विद्यांजलि योजना आदि के जरिये सरकार डिजिटल तकनीक को जरिया बनाकर शिक्षा की गुणवत्ता उन्नयन , समावेशी शिक्षा आदि के लिए अथक प्रयास कर रही है।
( समाप्त )
( कुरुक्षेत्र पत्रिका के बजट अंक मार्च 2018 में प्रकाशित लेख , साभार )
©आशीष कुमार
दिनांक :- 13 .02.2018
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